- सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) में सुधार का रास्ता साफ कर दिया है। उसने सोमवार को सख्त टिप्पणियों के साथ बीसीसीआइ में ढांचागत सुधारों पर लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों पर मुहर लगा दी। इसका संकेत स्पष्ट है कि चाहे-अनचाहे और देर-सबेर अब दूसरे खेल संघों में भी कई स्तर पर बदलाव दिखेंगे। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि मंत्री और सरकारी अधिकारी बीसीसीआइ के पदाधिकारी नहीं हो सकते। लेकिन नेताओं पर ऐसी रोक नहीं लगी है। अनिश्चित काल तक कोई पदाधिकारी भी नहीं रह सकता। पदाधिकारी बनने की अधिकतम आयु सीमा 70 वर्ष होगी। बीसीसीआइ में आमूल-चूल पर्वितन करने का यह अहम फैसला मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर व न्यायमूर्ति फकीर मोहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला की पीठ ने सुनाया है। आईपीएल और बीसीसीआई के घालमेल को दूर करते हुए दोनों का संचालन अलग- अलग शासी निकाय (गवर्निग काउंसिल) से करने का निर्देश दिया गया है। हालांकि सट्टेबाजी को वैध करने और बोर्ड को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के दायरे में लाने का फैसला सरकार पर छोड़ दिया गया है। राजनीति का अड्डा बन चुकी बीसीसीआइ में मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों के प्रवेश को प्रतिबंधित करते हुए कोर्ट ने कहा कि इन लोगों को पदाधिकारी बनने के लिए अयोग्य ठहराए जाने की कमेटी की सिफारिश बिल्कुल सही है। इसी तरह कोर्ट ने हर कार्यकाल के बाद कूलिंग ऑफ पीरियड यानी विराम काल और अधिकतम तीन कार्यकाल यानी कुल नौ वर्ष तक बीसीसीआइ का पदाधिकारी रहने की सिफारिश को भी स्वीकार कर लिया है।
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