Sunday, 21 August 2016

दैनिक समसामयिकी 23 July 2016(Saturday

1.निवेश के लिए केंद्र-राज्यों में होगा समझौता:- व्यवसाय शुरू करने की प्रक्रिया सरल बनाने तथा विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए सरकार रायों के साथ मिलकर एक और सुधारात्मक कदम उठाने जा रही है। सरकार विभिन्न प्रदेश सरकारों के साथ केंद्र राय निवेश समझौता (सीएसआइए) करने की तैयारी कर रही है। यह समझौता होने के बाद विदेशी निवेशकों के प्रति राज्यों का दायित्व सुनिश्चित हो सकेगा। साथ ही केंद्र और राज्य के बीच किसी मुद्दे पर मतभेद होने पर भी निवेशकों को कोई कठिनाई नहीं होगी। वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि केंद्र-राय निवेश समझौता के संबंध में एक ड्राफ्ट नोट तैयार कर संबंधित मंत्रलयों को भेजा गया है। यह नोट राय सरकारों को भी भेजा गया है ताकि इस पर उनकी टिप्पणी प्राप्त हो सके। संबंधित मंत्रालयों और राज्यों से टिप्पणी मिलने के बाद सरकार इस समझौते के प्रावधानों को अंतिम रूप दे देगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2016-17 में इसकी घोषणा की थी।सूत्रों ने कहा कि केंद्र और राज्यों के बीच समझौता होने के बाद राज्यों को विदेशी निवेशकों से की गई प्रतिबद्धताएं निभानी होंगी। हालांकि यह समझौता राज्यों के लिए अनिवार्य नहीं होगा जो राय निवेश का माहौल बेहतर बनाने के इच्छुक होंगे, वे इस पर हस्ताक्षर कर सकेंगे। सूत्रों ने कहा भारत सरकार विभिन्न देशों के साथ द्विपक्षीय निवेश संधि करती है। इन्हीं संधियों के तहत केंद्र और राज्यों के बीच यह निवेश समझौता होगा। जो भी राज्य सरकारें इस समझौते पर हस्ताक्षर करेंगी, उनकी छवि आकर्षक इन्वेस्टमेंट डेस्टीनेशन के रूप में बनेगी। इससे उन राज्यों में विदेशी निवेश आने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। सूत्रों ने कहा कि इन समझौतों में अन्य प्रावधानों के अलावा विवाद समाधान तंत्र की व्यवस्था भी होगी ताकि विदेशी निवेशकों को अगर स्थानीय स्तर पर कोई दिक्कत आती है तो उसे स्थानीय स्तर पर ही सुलझाया जा सके। केंद्र ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब हाल के दिनों में कई क्षेत्रों में विदेशी निवेश की सीमा को उदार बनाते हुए विभिन्न लंबित सुधारों को लागू किया है। साथ ही सरकार ने भारतीय राज्यों को दूसरे देशों के प्रांतों के साथ सीधे जोड़ने की पहल भी की है। इस तरह का प्रयास चीन और जर्मनी के संबंध में हुआ है। जर्मनी के कई प्रांत भारत के राज्यों के साथ मिलकर व्यवसायिक संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के लिए कई तरह के कदम उठा रहे हैं।
2. सतत विकास सूचकांक में भारत 110वें पायदान पर:- सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने के मामले में भारत काफी पीछे है। इस मामले में वह 149 देशों के सूचकांक में 110वें पायदान पर है। जबकि स्वीडन शीर्ष स्थान पर है। इस सूचकांक से जाहिर होता है कि महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को हासिल करने में सभी देशों को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास समाधान नेटवर्क (एसडीएसएन) और बर्टल्समैन स्टिफटंग ने नया सतत विकास सूचकांक जारी किया है। इस रिपोर्ट कार्ड का मकसद सतत विकास के लक्ष्यों की प्रगति पर नजर रखना और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। सूचकांक ने 149 देशों के उपलब्ध आंकड़े जुटाए हैं। इससे यह पता चलता है कि 2016 में देश सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने में कहां खड़े हैं। इस सूचकांक से देशों को प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान करने में मदद मिलेगी। एसडीएसएन के निदेशक जेफरी सच ने कहा, ‘सतत विकास के लक्ष्य सभी देशों की पहुंच में है। अगर वे स्पष्टता और समर्पण के साथ इस दिशा में काम करें तो इन्हें हासिल किया जा सकता है।’ सूचकांक में अमेरिका 25वें रूस 47वें और चीन 76वें स्थान पर है। जबकि सूची में नीचे रहने वाले एशियाई देशों में पाकिस्तान (115), म्यांमार (117), बांग्लादेश (118) और अफगानिस्तान (139) हैं। 17 वैश्विक लक्ष्यों पर आधारित : इसमें प्रत्येक देश की रैंकिंग 17 वैश्विक लक्ष्यों को लेकर उनके प्रदर्शन पर आधारित है। ये लक्ष्य सतत विकास के तीन आयामों आर्थिक विकास, सामाजिक समावेश और पर्यावरण से जुड़े हुए हैं।
3.आरबीआइ गवर्नर के नाम की सिफारिश सर्च कमेटी करेगी:- रिजर्व बैंक के नए गवर्नर की नियुक्ति का मामले ने नया मोड़ ले लिया है। सरकार ने संसद को बताया है कि कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली एक कमेटी ही नए गवर्नर के नाम की सिफारिश करेगी। हालांकि बाद में सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि कमेटी की सिफारिश सरकार स्वीकार ही कर ले। यह विशेषाधिकार सरकार के पास है। इस बारे में अंतिम फैसला प्रधानमंत्री कार्यालय वित्त मंत्री की सिफारिश के आधार पर करेगा। सूत्र बताते हैं कि अभी ये स्पष्ट नहीं है कि रिजर्व बैंक के नए गवर्नर को लेकर कमेटी वाली प्रक्रिया अपनायी जाएगी या नहीं। ध्यान रहे कि रिजर्व बैंक के मौजूदा गवर्नर रघुराम राजन का कार्यकाल चार सितम्बर को खत्म होना है। सरकार का कहना है कि उचित समय आने पर राजन के उत्तराधिकारी के नाम का एलान कर दिया जाएगा। लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में वित्त राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने जानकारी दी कि मंत्रिमंडलीय नियुक्ति समिति यानी एसीसी ने भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर और डिप्टी गवर्नर समेत वित्तीय क्षेत्र के विभिन्न रेगुलेटरी एजेंसी के अध्यक्ष और सदस्यों के नामों की सिफारि़श देने के लिए फाइनेंशियल सेक्टर रेगुलेटरी अप्वाइंटमेंट सर्च कमेटी के गठन पर हरी झंडी जता दी है। इस कमेटी के मुखिया कैबिनेट सचिव होंगे जबकि पीएम के अतिरिक्त प्रधान सचिव, आर्थिक कार्य विभाग या वित्त सेवा विभाग के सचिव (जरूरत के मुताबिक), संबंधित रेगुलेटरी अथॉरिटी के अध्यक्ष और तीन बाहरी विशेषज्ञ सदस्य होंगे। उधर, मंगलवार को रायसभा में एक प्रश्न के जवाब में वित्त राज्य मंत्री ने जवाब दिया कि रिजर्व बैंक के गवर्नर और चार डिप्टी गवर्नर की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है। डिप्टी गवर्नरों की नियुक्ति एसीसी के दिशानिर्देशों के मुताबिक होती है और इस बारे में एक सर्च कमेटी नाम की सिफारिश करती है। वहीं जवाब में आगे बताया गया कि गवर्नर की नियुक्ति का अनुमोदन वित्त मंत्री की अनुशंसा पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा किया जाता है। सरकार ने ये भी साफ किया है कि डिप्टी गवर्नरों की नियुक्ति संबंधी एसीसी दिशानिर्देश यथावत हैं। लेकिन, सर्च कमेटी में अब परिवर्तन किया गया है। अब, सर्च कमेटी यानी एफएसआरएएससी का गठन एसीसी के अनुमोदन से किया गया है। जवाब के मुताबिक ‘यह समिति गवर्नर और उप-गवर्नर सहित वित्तीय क्षेत्र के विनियामकीय निकायों के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के लिए नामों की अनुशंसा करेगी।
4. ओएनजीसी और आयल पर बढ़ा रायल्टी का बोझ:- तेल कंपनियों को कच्चे तेल के सकल मूल्य पर रायल्टी का भुगतान करने का निर्देश दिए जाने के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) और आयल इंडिया लिमिटेड जैसी तेल एवं गैस उत्पादन करने वाली कंपनियों पर रायल्टी का अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है।केंद्र सरकार के इस आदेश के बाद ओएनजीसी को 392 करोड़ रपए और आयल इंडिया लिमिटेड (आयल) को 1100 करोड़ रपए से अधिक की अतिरिक्त रायल्टी भुगतान करना होगा। ओएनजीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें संशोधित शतरें के आधार पर फरवरी 2014 से रायल्टी भुगतान के आदेश के तहत राज्य सरकारों को 392.50 करोड़ रपए का भुगतान करना होगा।’ उन्होंने कहा कि 392.50 करोड़ रपए में से करीब 300 करोड़ रपए असम को और 91.86 करोड़ रपए आंध्र प्रदेश को देने होंगे। ओएनजीसी गुजरात को पहले ही संशोधित शतरें के आधार पर रायल्टी का भुगतान कर रही है। गुजरात देश का तीसरा प्रमुख तेल उत्पादक राज्य है। आयल इंडिया लिमटेड जो कि असम में सबसे अधिक कच्चे तेल का उत्पादन करती है, उसे राज्य सरकार को 1100 करोड़ रपए से लेकर 1150 करोड़ रपए का भुगतान करना पड़ सकता है।सरकार के आदेश के मुताबिक ओएनजीसी और आयल कच्चे तेल पर रियायत देती हैं ताकि सरकार नियंत्रित मूल्य पर रसोई गैस और केरोसिन की बिक्री से रिफाइनिंग कंपनियों को होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सके। इन रियायतों में अक्टूबर, 2014 तक का डीजल का मूल्य शामिल भी शामिल था। इसके बाद डीजल के दाम नियंत्रणमुक्त कर दिए गए इसलिए कुल मिलाकर ओएनजीसी-आयल को कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय मूल्य के आधार पर सकल बिल बनाना चाहिए लेकिन सब्सिडी देने के बाद उनकी वास्तविक प्राप्ति इससे कम रही थी। हालांकि, इस बारे में उत्पादक राज्यों का मानना है कि ओएनजीसी और ओआईएल को सकल बिल के आधार पर रायल्टी का भुगतान करना चाहिए। गुजरात हाईकोर्ट ने नवम्बर 2013 में राज्य सरकार के पक्ष में आदेश दिया था।
5. संयुक्त राष्ट्र महासचिव पद के लिए पुर्तगाल के पूर्व पीएम सबसे आगे:- संयुक्त राष्ट्र के अगले महासचिव के लिए 12 उम्मीदवारों पर आधारित पहले ‘‘स्ट्रॉ पोल’ के बाद पुर्तगाल के पूर्व प्रधानमंत्री अंतोनियो गुतेरेस, स्लोवेनिया के दानिलो तुर्क और बुल्गारिया की इरिना बोकोवा प्रमुख उम्मीदवार के रूप में उभरे हैं। जुलाई महीने के लिए परिषद के अध्यक्ष जापान के राजदूत कोरो बेशो ने गुप्त मतदान के बाद कल कहा, ‘‘प्रत्येक उम्मीदवार को संयुक्त राष्ट्र में उनके देश के स्थायी प्रतिनिधि के माध्यम से परिमाणों के बारे में सूचित कर दिया जाएगा।’ उन्होंने कहा कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष को मतदान होने के बारे में सूचित कर दिया गया है। प्रत्येक उम्मीदवार के साथ बंद कमरे में हुई बैठकों की श्रृंखला के बाद स्ट्रॉ पोल आयोजित किया गया। इन बैठकों में परिषद के सदस्यों से 12 उम्मीदवारों का परिचय कराया गया जिन्हें उनकी सरकारों ने नामित किया है।नाम सार्वजनिक नहीं किए जाने की शर्त पर राजनयिकों ने बताया कि स्ट्रॉ पोल के बाद पूर्व पुर्तगाली प्रधानमंत्री गुतेरेस इस दौड़ में सबसे आगे हैं। गुतरेज संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त के पद पर 10 साल तक अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। गुतरेस के बाद स्लोवेनिया के पूर्व राष्ट्रपति दानिलो तुर्क और बुल्गारिया की इरिना बोकोवा हैं। इरिना युनेस्को की महानिदेशक रह चुकी हैं। बेशो ने बताया कि स्ट्रॉ पोल ‘‘ऐसा निर्देशनात्मक चुनाव है जो उम्मीदवार को सूचित करता है कि वह दौड़ में कहां खड़ा है और यह परिषद के सदस्यों को बताता है कि यहां से मुकाबला किस दिशा में जा सकता है।’ बान की मून संगठन के 70 वर्ष के इतिहास में आठवें महासचिव हैं। उन्होंने जनवरी 2007 में पदभार संभाला था और उनका 10 वर्ष का कार्यकाल 31 दिसंबर 2016 को समाप्त होगा।संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार परिषद की सिफारिश पर महासभा अंतरराष्ट्रीय निकाय के शीर्ष अधिकारी की नियुक्ति करती है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव के चुनाव के लिए इस वर्ष अभूतपूर्व प्रक्रि या अपनाई जा रही रही है। इस बार महासभा चयन प्रक्रि या में अपेक्षाकृत अधिक सक्रि य भूमिका निभा रही है ताकि इसे अधिक पारदर्शी एवं समावेशी बनाया जा सके। इतिहास में पहली बार उम्मीदवारों को अपने संक्षिप्त विवरण दाखिल करने और उन्हें महासभा के अनौपचारिक ब्रीफिंग में हिस्सा लेने के लिए कहा गया है।

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