Sunday, 21 August 2016

दैनिक समसामयिकी 05 August 2016(Friday)

1.दिल्ली सरकार तथा उपराज्यपाल की प्रशाशनिक शक्तियों पर दिल्ली हाई कोर्ट की महत्वपूर्ण व्यवस्था:- अरविंद केजरीवाल सरकार को एक तगड़ा झटका देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को फैसला सुनाया कि उप राज्यपाल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के प्रशासनिक प्रमुख हैं और आप सरकार की यह दलील कि उप राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करना चाहिए, ‘‘आधारहीन’ है। यह निर्णय उप राज्यपाल नजीब जंग और केजरीवाल सरकार के बीच पिछले कई महीनों से जारी इस रस्साकशी के बाद सामने आया है कि दिल्ली की बागडोर किसके हाथ में है। मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायाधीश जयंत नाथ ने केन्द्र द्वारा 21 मई 2015 को जारी अधिसूचना को चुनौती देने वाली आप सरकार की याचिका को खारिज कर दिया। केन्द्र ने अधिसूचना में राष्ट्रीय राजधानी में उप राज्यपाल को नौकरशाहों की नियुक्ति की पूर्ण शक्तियां प्रदान की थीं। अदालत ने पिछले साल सत्ता में आने के बाद केजरीवाल द्वारा जारी कई अधिसूचनाओं को भी खारिज करते हुए कहा कि यह अवैध हैं, क्योंकि इन्हें उप राज्यपाल की सहमति के बिना जारी किया गया है। 194 पेज के अपने निर्णय में खंडपीठ ने कहा कि आप सरकार की यह दलील कि उप राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह और सहायता पर काम करने के लिए बाध्य हैं ‘‘आधारहीन है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।’ अपने फैसले में उच्च न्यायालय ने कहा कि 21 मई 2015 को केन्द्र की अधिसूचना में दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधी शाखा को केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने से रोकना ना तो गैर-कानूनी था और ना ही गलत। इसमें यह भी कहा गया है कि सेवा का मामला दिल्ली विधानसभा के न्यायाधिकार क्षेत्र से बाहर है और ऐसे मामले में उप राज्यपाल का शक्तियों का इस्तेमाल ‘‘असंवैधानिक नही’ है।
2. गुजरात में आर्थिक आधार पर आरक्षण रद्द:- गुजरात उच्च न्यायालय ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए अनारक्षित श्रेणी के तहत दस फीसद आरक्षण अध्यादेश को बृहस्पतिवार को रद्द कर दिया। आंदोलनरत पटेल समुदाय को शांत करने के लिए राज्य की भाजपा सरकार ने यह कदम उठाया था। गुजरात सरकार ने कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ वह उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी। न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति वीएम पंचोली की खंडपीठ ने एक मई को जारी अध्यादेश को ‘‘अनुपयुक्त और असंवैधानिक’ बताते हुए कहा कि सरकार के दावे के मुताबिक इस तरह का आरक्षण कोई वर्गीकरण नहीं है बल्कि वास्तव में आरक्षण है। अदालत ने यह भी कहा कि अनारक्षित श्रेणी में गरीबों के लिए दस फीसद का आरक्षण देने से कुल आरक्षण 50 फीसद के पार हो जाता है जिसकी उच्चतम न्यायालय के पूर्व के निर्णय के तहत अनुमति नहीं है।उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने ईबीसी को बिना किसी अध्ययन या वैज्ञानिक आंकड़े के आरक्षण दे दिया। राज्य सरकार के वकील ने अदालत से आग्रह किया कि अपने आदेश पर स्थगन दे ताकि वे उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकें। इसके बाद उच्च न्यायालय ने अपने आदेश पर दो हफ्ते का स्थगन दे दिया।
3. जीएसटी समय से, दरें होंगी अनुकूल : जेटली:- सरकार बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को एक अप्रैल, 2017 से लागू करेगी। जीएसटी के 18 फीसद से ऊपर रहने के संकेतों के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इस कर की दरें सबसे उपयुक्त होंगी। राजस्व आवश्यकताओं और कर दरों को नीचा रखने की जरूरत को ध्यान में रखते हुए जीएसटी काउंसिल दरें तय करेगी। खास बात यह है कि जीएसटी लागू होने के बाद कारोबारियों को मात्र एक आवेदन करने पर ही तीन दिन के भीतर जीएसटी रजिस्ट्रेशन मिल जाएगा।यह पूछने पर कि क्या जीएसटी दर 18 प्रतिशत से अधिक रहेगी, वित्त मंत्री ने कहा, फिलहाल अधिकांश वस्तुओं पर 27 से 32 फीसद टैक्स लगता है, इसमें गिरावट आएगी। हालांकि इस संबंध में अंतिम निर्णय जीएसटी परिषद लेगी। जीएसटी लागू होने पर महंगाई बढ़ने की आशंका दूर करते हुए कहा, दीर्घावधि में टैक्स की दरें नीचे आएंगी। जब दरें घटेंगी तो स्वाभाविक है कि वस्तुओं की कीमतें नीचे आएंगी। जीएसटी के अमल में आने पर कारोबार की प्रक्रिया सरल हो जाएगी। एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स और वैट सहित केंद्र व रायों के कई परोक्ष कर समाप्त हो जाएंगे। पूरे देश में एक ही परोक्ष कर होगा।रायसभा से बुधवार को जीएसटी के लिए जरूरी संविधान संशोधन (122वां) विधेयक पारित होने के एक दिन बाद राजस्व सचिव हसमुख अढिया ने इस कर को मूर्तरूप देने का रोडमैप जारी किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि इसमें मौजूदा कारोबारियों के लिए राहत की खबर यह है कि उन्हें अलग से जीएसटी का पंजीकरण लेने को आवेदन की जरूरत नहीं पड़ेगी। वैट, सेवा कर और केंद्रीय उत्पाद शुल्क के तहत आने वाले मौजूदा डीलरों का डाटा जीएसटी सिस्टम में ट्रांसफर हो जाएगा। इससे उन्हें स्वत: ही पंजीकरण मिल जाएगा। नया पंजीकरण लेने वाले व्यवसाइयों को सिर्फ एक आवेदन करना होगा। इसके बाद उसे पैन (परमानेंट अकाउंट नंबर) पर आधारित 15 अंकों का जीएसटी रजिस्ट्रेशन नंबर मिलेगा। आवेदन करने वाले कारोबारियों को तीन दिन में ही रजिस्ट्रेशन मिल जाएगा। अगर तीन दिन में यह नहीं मिलता है तो माना जाएगा कि कारोबारी का पंजीकरण हो गया है।
किस देश में कितना जीएसटी
नाईजीरिया 5% मलयेशिया 6%
मालदीव 6% सिंगापुर 7%
थाईलैंड 7% अमेरिका 7.5%
स्विट्जरलैंड 8% जापान 8%
सूरीनाम 10% इंडोनेशिया 10%
फिलीपींस 12% द. अफ्रीका 14%
मारीशस 15% न्यूजीलैंड 15%
जिंबाब्वे 15% केन्या 16%
पाकिस्तान 17% तुर्की 18%
ब्रिटेन 20% फ्रांस 20%
स्पेन 21%
फिलहाल दुनिया के 165 देशों में जीएसटी लागू किया जा चुका है। हर देश में जीएसटी की दर अलग-अलग है। भारती के पड़ोसी देशों व दुनिया के कुछ प्रमुख देशों में जीएसटी कर दर नीचे दी जा रही है।
4. प्रचंड ने ली शपथ, 8 साल में नेपाल को मिला नौवां पीएम:- माओवादी प्रमुख पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड ने गुरुवार को नेपाल के नये प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। वे देश के 39वें और 2008 में लोकतंत्र की स्थापना के बाद से नौवें प्रधानमंत्री हैं। बुधवार को 595 सदस्यीय संसद ने 210 के मुकाबले 363 मतों से उन्हें प्रधानमंत्री चुना था। वे दूसरी बार प्रधानमंत्री बने हैं। इससे पहले 8 अगस्त 2008 से 25 मई 2009 तक वे इस पद पर रहे थे। राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने सीपीएन-माओवादी के 61 वर्षीय अध्यक्ष प्रचंड को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। उन्होंने छह सदस्यीय कैबिनेट का गठन किया है। इसमें दो उप प्रधानमंत्री हैं। माओवादी नेता कृष्ण बहादुर महरा उप प्रधानमंत्री के साथ-साथ वित्त मंत्री बनाए गए हैं। सबसे बड़े दल नेपाली कांग्रेस के बिमलेंद्र निधि भी उप प्रधानमंत्री बनाए गए हैं। उन्हें गृह मंत्रलय की भी जिम्मेदारी दी गई है। तीन अन्य मंत्रियों को भी पद की शपथ दिलाई गई। इनमें नेपाली कांग्रेस के रमेश लेकहक को भौतिक योजना एवं परिवहन, माओवादी नेताओं दलजीत श्रीपाली को युवा एवं खेल और गौरी शंकर चौधरी को कृषि मंत्रलय सौंपा गया है।अगले हफ्ते कैबिनेट का विस्तार होने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार नये कैबिनेट में कांग्रेस के 13 और आठ माओवादी चेहरे को जगह मिलेगी। मधेशी दल फिलहाल सरकार में शामिल नहीं होंगे। प्रचंड ने कैबिनेट का स्वरूप छोटा रखने का वादा किया है। उनके पूर्ववर्ती केपी शर्मा ओली की कैबिनेट में 38 सदस्य थे, जिनमें छह उप प्रधानमंत्री थे। इसको लेकर उन्हें खासी आलोचना का सामना करना पड़ा था।
5. मेक इन इंडिया अभियान का असर :एफ-16 संयंत्र भारत लाने की पेशकश:- अमेरिका की प्रमुख रक्षा उपकरण कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने कहा कि उसने अपने युद्धक विमान एफ-16 के अत्याधुनिक संस्करण एफ-16 ब्लाक-70 की विनिर्माण सुविधा टेक्सास से भारत स्थानांतरित करने की पेशकश की है। उसका इरादा भारत से ही इन विमानों की स्थानीय और नियंतण्र मांग को पूरा करना है।लॉकहीड मार्टिन के पास एफ-16 ब्लाक-70 विमान की अभी केवल एक ही उत्पादन लाइन है। हालांकि भारत के लिए की गई पेशकश के साथ शर्त यह है कि वह भारतीय वायुसेना के लिए इन विमानों का चयन करे। कंपनी के एफ-16 कारोबार के प्रभारी रैंडल एल. हार्वड ने यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, ‘‘हमने भारत के सामने जो प्रस्ताव रखा है वह बेजोड़ है। हमने ऐसा प्रस्ताव कभी किसी के सामने नहीं रखा।’लेकिन उन्होंने साथ-साथ यह भी कहा कि उनकी कंपनी चाहती है कि एफ-16 ब्लाक-70 विमान का भारत में भारत के लिए निर्माण हो और यहीं से इसका दुनिया में निर्यात किया जाए। पर उन्होंने इस सवाल को टाल दिया कि क्या वह यह आश्वासन देगी कि एफ-16 विमान पाकिस्तान को नहीं बेचे जाएंगे। उन्होंने बस इतना कहा कि यह बातें भारत और अमेरिका की सरकारों के बीच बातचीत का विषय होंगी।उन्होंने कहा कि यह पेशकश भारतीय वायुसेना की तरफ से सुनिश्चित ऑर्डर मिलने की शर्त पर है जो अपनी ताकत बढ़ाने के लिए नए लड़ाकू विमान खरीदने की फिराक में है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर कह चुके हैं कि भारत, भारतीय वायुसेना के लिए देश में ही विकसित तेजस विमान के अलावा ‘‘मेक इन इंडिया’ के माध्यम से कम से कम एक और विमान चुनेगा।भारतीय वायुसेना के ठेके लिए लॉकहीड मार्टिन को अमेरिका की ही अपनी प्रतिस्पर्धी कंपनी बोइंग (एफए-18ई), फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन (राफेल), स्वीडन की साब कंपनी के ग्रिपेन के अलावा यूरोफाइटर से भी प्रतिस्पर्धा मिल रही है। इन सभी कंपनियों ने भारत में अपना विमान कारखाना लगाने की पेशकश की है। लॉकहीड मार्टिन के अधिकारी हॉर्वड ने कहा, ‘‘पर हम न केवल अपनी एकमात्र उत्पादन सुविधा भारत में स्थानांतरित करने की पेशकश कर रहे हैं बल्कि उसी से हम दुनिया के बाकी बाजारों की जरूरत को भी पूरा करना चाहते हैं।’उन्होंने कहा कि भारतीय क्षेत्र के लिए एफ-16 ब्लॉक-70 सबसे अच्छा लड़ाकू विमान है। भारत के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह एक ऐसा भागीदार चुने जो अपने वायदे को पूरा कर सके। उन्होंने संकेत दिया कि इस पेशकश के बारे में बातचीत चल रही है। कंपनी भारत में सरकार और कंपनियों के साथ विभिन्न प्रकार की र्चचाएं कर रही है। उन्हें ‘‘जाने को नहीं कहा गया है।’ उन्होंने कहा कि इस विमान का विनिर्माण भारत में होने पर इसकी लागत कम होगी और इससे इसकी दुनिया में मांग बढ़ेगी।


6. पाक को अमेरिका नहीं देगा 30 करोड़ डॉलर की मदद:- अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली 30 करोड़ डॉलर की सैन्य मदद रोक कर उसे एक बड़ा झटका दिया है। यह सैन्य मदद इसलिए रोकी गई है क्योंकि रक्षामंत्री एश्टन कार्टर ने कांग्रेस को इस बात का प्रमाण पत्र देने से इनकार कर दिया है कि पाकिस्तान खूंखार आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई कर रहा है।कांग्रेशनल प्रमाणपत्र के अभाव में पेंटागन ने गठबंधन सहयोग कोष के तहत पाकिस्तान को दी जाने वाली 30 करोड़ डॉलर की मदद को रोक दिया है। यह राशि दरअसल अफगानिस्तान में अमेरिकी अभियानों के सहयोग के लिए पाकिस्तानी सेना की ओर से किए गए खर्च की अदायगी के लिए होती है। पेंटागन के प्रवक्ता एडम स्टंप ने कहा, इस बार पाकिस्तान की सरकार को कोष (30 करोड़ डॉलर) जारी नहीं किया जा सका क्योंकि रक्षामंत्री ने अब तक इस बात को प्रमाणित नहीं किया है कि पाकिस्तान ने वित्तीय वर्ष 2015 राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकार कानून (एनडीएए) के अनुरूप पर्याप्त कदम उठाए हैं। पाकिस्तान के लिए गठबंधन सहयोग कोष (सीएसएफ) के तहत वित्तीय वर्ष 2015 में एक अरब डॉलर मंजूर किए गए थे। इसमें से वह 70 करोड़ डॉलर ले चुका है।पेंटागन के प्रवक्ता एडम स्टंप ने कहा, रक्षामंत्री के फैसले के चलते, पाकिस्तान के लिए वित्तीय वर्ष 2015 सीएसएफ के तहत और राशि उपलब्ध नहीं है। इस बारे में सबसे पहले खबर देने वाले द वाशिंगटन पोस्ट ने पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य मदद रोके जाने को अमेरिका और पाकिस्तान के संबंधों के लिए एक ‘‘झटका’ बताया है। रक्षा मंत्रालय को 30 जून तक कांग्रेस के समक्ष पुनर्निर्धारण का अनुरोध पेश करना था। स्टंप ने कहा, इस समयसीमा के अनुरूप चलने के लिए कार्टर ने वर्ष 2015 में बाकी बची सीएसएफ की 30 करोड़ डॉलर की राशि के पुनर्निर्धारण का अनुरोध किया। यह राशि मूल रूप से पाकिस्तान के लिए मंजूर की गई थी।स्टंप ने कहा, इस फैसले से पाकिस्तानी सेना द्वारा बीते दो साल में किए गए त्यागों का महत्व ‘‘कम नहीं हो जाता है’। स्टंप ने कहा, हम उत्तरी वजीरिस्तान और संघ प्रशासित कबायली इलाकों (एफएटीए) में पाकिस्तान के अभियानों से प्रोत्साहित हैं। पाकिस्तान के प्रयासों से कुछ आतंकी समूहों द्वारा उत्तरी वजीरिस्तान और एफएटीए का इस्तेमाल सुरक्षित पनाह के तौर पर किए जाने के मामलों में कमी आई है। हालांकि अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क पाकिस्तान के कुछ अन्य इलाकों में अब भी सक्रि य हैं। वित्तीय वर्ष 2016 में पाकिस्तान के लिए सीएसएफ के तहत 90 करोड़ डॉलर मंजूर किए गए हैं। इसमें से 35 करोड़ डॉलर तभी दिए जा सकते हैं, जब रक्षामंत्री यह प्रमाणपत्र देंगे कि पाकिस्तान ने हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई की है। स्टंप ने कहा, पाकिस्तान सीएसएफ अदायगी का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता है। वर्ष 2002 के बाद से उसे लगभग 14 अरब डॉलर मिल चुके हैं। उन्होंने कहा, यह पहली बार है जब रक्षा मंत्री के प्रमाणपत्र की जरूरत पड़ी है।हक्कानी नेटवर्क अफगानिस्तान में अमेरिकी हितों, अफगान सरकार और नागरिक ठिकानों के खिलाफ कई हमलों और अपहरणों को अंजाम दे चुका हैं। यह समूह अफगानिस्तान में भारतीय हितों के खिलाफ भी कई घातक हमलों के लिए जिम्मेदार बताया जाता है।

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