Sunday, 21 August 2016

दैनिक समसामयिकी 27 July 2016(Wednesday)

1.जीएसटी पर आगे बढ़ी बात : केंद्र और राज्यों में कई अहम मुद्दों पर बनी सहमति:- लंबे समय से अटके पड़े वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) विधेयक पर केंद्र और राज्यों के बीच मंगलवार को महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात आगे बढ़ी है। दोनों पक्षों में इस सिद्धांत पर सहमति बनी है कि जीएसटी दर मौजूदा स्तर से कम रहनी चाहिए और मोटे तौर पर यह सहमति भी उभरी है कि जीएसटी दर का उल्लेख संविधान संशोधन विधेयक में नहीं किया जाएगा।वित्त मंत्री अरुण जेटली के आह्वान पर बुलाई गई राज्यों के वित्त मंत्रियों की प्राधिकृत समिति की आज हुई बैठक में यह सहमति बनी है। इस बात पर भी सहमति बनी है कि जीएसटी लागू होने के पहले पांच साल के दौरान राज्यों को राजस्व नुकसान होने की स्थिति में उसकी भरपाई की पण्राली की भी व्यवस्था की जानी चाहिए।उल्लेखनीय है कि जीएसटी के लागू होने पर केंद्र और राज्यों में लगने वाले अप्रत्यक्ष करों को इसमें समाहित कर लिया जाएगा। राज्यों के वित्त मंत्रियों की प्राधिकृत समिति के चेयरमैन और पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने बैठक के बाद कहा कि इस बारे में व्यापक सहमति बनी है कि साधारण व्यवसायी और आम करदाता को जीएसटी की शुरुआत से फायदा होना चाहिए और इसके लिए कर की दर कम रहनी चाहिए। इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि राज्यों को इससे राजस्व का नुकसान नहीं होना चाहिए।मित्रा ने दावा किया कि बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी है कि जीएसटी दर को संविधान संशोधन विधेयक का हिस्सा नहीं होना चाहिए। सरकार संसद के चालू मानसून सत्र में ही जीएसटी विधेयक को पारित कराना चाहती है। यह सत्र 12 अगस्त को समाप्त हो रहा है। जीएसटी विधेयक राज्यसभा में अटका पड़ा है जहां कांग्रेस पार्टी की तरफ से उसे कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस जीएसटी की दर को कम रखने और दर का संविधान संशोधन विधेयक में उल्लेख करने पर जोर दे रही है। इसके साथ ही कांग्रेस यह भी चाहती है कि राज्यों को जो एक फीसद अतिरिक्त कर लगाने का अधिकार दिया जा रहा है उसे समाप्त किया जाना चाहिए।उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर जो व्यापक सहमति बनी है वह सभी राजनीतिक दलों और सभी राज्यों के लिए संतोषजनक है। इसके साथ ही राज्यों के लिए राजस्व नुकसान की भरपाई के वास्ते पुख्ता तरीके से शब्दों का चयन कर लिया गया है।
2. इरोम खत्म करेंगी 16 साल का अनशन :लड़ेंगी मणिपुर विधानसभा चुनाव:- सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (आफ्सपा) को हटाने की मांग को लेकर 16 साल से अनशन कर रहीं मणिपुर की ‘‘आयरन लेडी’ इरोम शर्मिला ने मंगलवार को घोषणा की कि वह नौ अगस्त को अपना अनशन समाप्त कर देंगी और राज्य विधानसभा का चुनाव लड़ेंगी।यहां एक स्थानीय अदालत से बाहर आते हुए 44 वर्षीय मानवाधिकार कार्यकर्ता ने मीडिया के समक्ष घोषणा की, ‘‘‘‘ मैं नौ अगस्त को अपना अनशन समाप्त कर दूंगी और चुनाव लड़ूंगी।’’ उन्होंने कहा कि अब उन्हें नहीं लगता कि उनके अनशन से कठोर आफ्सपा हट पाएगा, लेकिन वह लड़ाई जारी रखेंगी। वर्ष 2000 से खाना-पीना त्यागती आ रहीं शर्मिला ने कहा, ‘‘‘‘ इसलिए मैं राजनीति में आऊंगी और मेरी लड़ाई जारी रहेगी।’’ मणिपुर में विधानसभा चुनाव 2017 में होना है। शर्मिला को इंफाल के जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में नाक में ट्यूब डालकर जबरन आहार दिया जाता है। इस अस्पताल का एक विशेष वार्ड उनकी जेल के रूप में काम करता है।
3. देवास-एंटिक्स सौदे में भारत को झटका:- एंटिक्स-देवास सौदे से जुड़े केस में भारत को बड़ा झटका लगा है। दो सेटेलाइट और स्पेक्ट्रम के उपयोग से संबंधित इस मामले में उसे शिकस्त हाथ लगी है। हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय टिब्यूनल ने देवास मल्टीमीडिया के पक्ष में फैसला सुनाया है। इस हार के बाद भारत को क्षतिपूर्ति के रूप में हजारों करोड़ रुपये देने पड़ सकते हैं। देवास मल्टीमीडिया की ओर से बताया गया कि पर्मानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन (पीसीए) टिब्यूनल ने पाया है कि भारत सरकार ने करार रद करने में अनुचित कार्रवाई की। एस-बैंड स्पेक्ट्रम के वाणियिक उपयोग से देवास को मना करना संपत्ति हथियाने जैसा है।पीसीए नियमित रूप से ऐसे मामलों की सुनवाई करता है जिनमें सरकारें शामिल हों। भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान संगठन (इसरो) के अफसरों ने कहा, उन्हें फैसले के विवरण का इंतजार है। इस सौदे में इसरो के पांच वरिष्ठ वैज्ञानिक नौकरी गंवा चुके हैं। इनमें पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर भी हैं। देवास-एंटिक्स सौदे को रद करने को लेकर किसी अंतरराष्ट्रीय टिब्यूनल की ओर से यह दूसरा फैसला है। सितंबर, 2015 को इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स (आइसीसी) की आर्बिटेशन बॉडी इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ने एंटिक्स को देवास मल्टीमीडिया को 67.20 करोड़ डॉलर (लगभग 4432 करोड़ रुपये) भरपाई करने को कहा था। उसका कहना था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर डील को रद करना न्यायोचित नहीं है। टिब्यूनल ने तब इस बात का उल्लेख किया था कि एंटिक्स के पास करार रद करने का कोई कानूनी औचित्य नहीं है। उस वक्त अंतरिक्ष विभाग के सचिव और इसरो, एंटिक्स व अंतरिक्ष आयोग के चेयरमैन रहे डॉ. केआर राधाकृष्णन सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (सीसीएस) को सौदे को रद करने से रोक सकते थे। सीसीएस ने अंतरिक्ष आयोग की सिफारिश के आधार पर सौदे को रद किया था। आयोग का कहना था कि यह देश के सुरक्षा हितों में नहीं है।
क्या था मामला
• सौदा इसरो की कॉमर्शियल यूनिट एंटिक्स और बेंगलुरु की प्राइवेट मल्टीमीडिया फर्म देवास के बीच 2005 में हुआ था।
• एंटिक्स को एस-बैंड स्पेक्ट्रम देवास को उपलब्ध कराना था। 70 मेगाहट्र्ज के इस स्पेक्ट्रम की उपलब्धता बेहद कम है।
• उसे इसरो के जीसैट-6 और जीसैट-6ए सेटेलाइट में स्थान भी उपलब्ध कराया जाना था।
• देवास मल्टीमीडिया की योजना इन सेटेलाइटों और स्पेक्ट्रम का प्रयोग कर देशभर में सस्ते मोबाइल फोनों पर ब्रॉडबैंड सेवाएं उपलब्ध करवाने की थी। इसके लिए आवश्यक सेटेलाइटों का निर्माण इसरो को करना था।
• देवास को इसके बदले एंटिक्स को 12 साल में कुल 30 करोड़ डॉलर अदा करने थे।
• इस डील में घोटाले की खबर आने के बाद सरकार ने 2011 में इसे रद कर दिया था।
• एंटिक्स पर आरोप था कि उसने देवास को सेटेलाइट और स्पेक्ट्रम आवंटन से पहले बोली प्रक्रिया का पालन नहीं किया।
• फरवरी 2011 में एंटिक्स ने फैसला किया कि वह डील खत्म करेगी। कैबिनेट कमेटी ने एंटिक्स के निणको मंजूरी दी।
• जून 2011 में देवास ने इंटरनेशनल टिब्यूनल में केस फाइल कर मुआवजा मांगा।
4. भारतीय रिजर्व बैंक की आजादी को महफूज रखे केंद्र सरकार:- रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के गवर्नर रघुराम राजन अपने आलोचकों को फिर आड़े हाथ लिया है। उन्होंने कहा कि ये लोग कहते घूम रहे हैं कि आरबीआइ ने ऊंची ब्याज दरों से ग्रोथ का गला दबा दिया। यह वही वक्त था जब देश की ग्रोथ रेट बाकी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले काफी ऊंची रही। उन्होंने अपील की कि भ्रामक आलोचनाओं को दरकिनार कर सरकार केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को सुरक्षित रखे। राजन ने गवर्नर के दूसरे कार्यकाल के बजाय चार सितंबर को रिटायर होने के बाद अकादमिक दुनिया में लौटने का फैसला किया है। उन्होंने महंगाई को लेकर आलोचकों पर पलटवार करते हुए कहा कि नीतिगत ब्याज दरें (रेपो रेट) ऊंची रखकर मांग और ग्रोथ का गला दबाने के बावजूद महंगाई काबू नहीं कर पाने वाले आरोप विरोधाभासी हैं। अब इन लोगों को कौन समझाए कि जब ये ऊंची ब्याज दरें ग्रोथ को मार रही थीं, उसी वक्त भारत प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच सबसे तेज रफ्तार से कैसे दौड़ लगा रहा था। मीडिया भी लगातार महंगाई बनाम विकास की बेतुकी बहस चलाता रहा है। इसलिए सरकारें बिना जानकारी व दुष्प्रचार से प्रेरित आलोचनाओं का शिकार होने से बचें और केंद्रीय बैंक की आजादी को महफूज रखें। यह अर्थव्यवस्था की स्थिरता और टिकाऊ विकास के लिए जरूरी है। आरबीआइ के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने भी केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता का पुरजोर समर्थन किया है। गवर्नर ने उन आलोचनाओं को भी नकार दिया कि महंगाई कचे तेल (क्रूड) के सस्ते होने के ‘सौभाग्य’ से नीचे आई है और इसमें रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की कोई भूमिका नहीं है। राजन ने साफ कहा कि कचे तेल के अंतरराष्ट्रीय मूल्य जिस कदर घटे हैं, उसके मुकाबले पेट्रोल व डीजल के दामों में मामूली कटौती हुई है। क्रूड सस्ते होने का ज्यादा लाभ सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर अपने पास रख लिया। अगस्त, 2014 से जनवरी, 2016 के बीच भारतीय क्रूड बास्केट के दाम 72 फीसद नीचे आ गए। इसके मुकाबले पेट्रोल कीमतों में महज 17 फीसद की कमी हुई। ऊंची महंगाई सबसे ज्यादा कमजोर वर्गो को सताती है, मगर कीमतों में तेज बढ़ोतरी को लेकर शायद ही किसी ने चिंता दिखाई। महंगाई को पीछे धकेलने की राजनीतिक पहल के अभाव में यह और भी जरूरी हो जाता है कि ऐसी संस्थाएं बनाई जाएं जो समूची अर्थव्यवस्था की स्थिरता को बरकरार रखें। शायद यही वजह रही कि पिछली सरकारों ने समझदारी दिखाई और आरबीआइ को काफी हद तक आजादी दी। राजन के मुताबिक यह भी आरोप लगाए गए कि उन्होंने मौद्रिक नीति बहुत ज्यादा कठोर रखी। जबकि सचाई यह है कि क्रेडिट ग्रोथ में सुस्ती के लिए बड़ी हद तक सरकारी बैंकों के बढ़ते फंसे कर्जो (एनपीए) की समस्या जिम्मेदार है। गवर्नर ने आरोप लगाया कि अत्यधिक कर्ज बोझ तले दबे कंपनियों के प्रमोटरों ने ही बैंकों में एनपीए की सफाई के उनके अभियान के खिलाफ आवाज उठाई। कुछ सरकारी बैंकों के वे प्रमुख भी प्रमोटरों के मददगार बने, जिनका थोड़ा कार्यकाल बचा था। उन्होंने कड़ी कार्रवाई करने व एनपीए को बाहर लाने के बजाय समस्या को अपने उत्तराधिकारी को सौंपना बेहतर समझा।
5. केन्द्र की योजनाओं पर जिला स्तर की समिति रखेगी निगरानी : इस समिति की बैठक वर्ष में चार बार होगी।:- स्थानीय सांसद की अध्यक्षता वाली जिला स्तरीय समिति केन्द्र द्वारा वित्त पोषित योजनाओं की निगरानी करेगी। भाजपा सांसदों को मंगलवार को संसदीय दल की बैठक में यह जानकारी दी गई। विकास परियोजनाओं के कारगर कार्यान्वयन के लिए इसपर मेहनत करने को कहा गया। ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बैठक में समिति के बारे में जानकारी दी। बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह व मंत्रिमंडल के तमाम सदस्यों ने शिरकत की। इस समिति की बैठक वर्ष में चार बार होगी। अगले माह इसकी पहली बैठक होगी।
6. रूस और भारत के बीच चलेगी पहली ट्रेन:- रूस और भारत के बीच बहुत जल्द ट्रेन चलने लगेगी। यह ट्रेन रूस के सेण्ट पीटर्सबर्ग और फिनलैण्ड के हेलसिंकी नगरों से होते हुए भारत में मुंबई तक चलेगी। शुरुआत में इस रूट पर मालगाड़ियां चलेंगी। रूस और भारत के बीच मालगाड़ियां इसी अगस्त से चलने की संभावना है। यह ट्रेन ईरान, अजरबैजान और रुस से होकर गुजरेगी। भारत से यह बंदरगाह के जरिए जुड़ सकती है। ईरान के चाबहार बंदरगाह से समुद्र मार्ग के जरिए भारत तक पहुंचेगी। यह 'उतरी-दक्षिणी' प्रोजेक्ट का रूट 7 हजार किलो मीटर की दूरी तय करेगा। इस रेल से चार देश रूस, अजरबैजान, ईरान और भारत जुड़ेंगे। अंग्रेजी अखबार 'रशिया & इंडिया रिपोर्ट' के मुताबिक, 'रूस रेलवे' के प्रथम अलिक्सान्दर मिशारीन ने कहा, शुरू में हम इस नए रेलमार्ग पर मालगाड़ियां चलाकर देखेंगे। इस रूट पर पहली मालगाड़ी मुंबई से आगामी 7 अगस्त को मास्को के लिए रवाना होगी। आने वाले तीन-चार हफ्तों में ऐसी पहली ट्रेन अपनी मंजिल की तरफ रवाना होगी। उन्होंने बताया कि इस नए रेलमार्ग का रास्ता मुंबई से ईरान के बेन्देर-अब्बास बन्दरगाह तक पहुंचेगा। उसके बाद यह रेल ईरान के रेश्त नगर तक जाएगी। ईरान की उत्तरी सीमाओं पर बसे रेश्त नगर और अजरबैजान के सीमावर्ती नगर अस्तारा के बीच रेल लाइन बिछाने का काम पूरा नहीं हुआ है। इसलिए इस मालगाड़ी पर लदे सारे कण्टेनर सड़क के रास्ते से अस्तारा ले जाए जाएंगे। जहां से इन कण्टेनरों को फिर से रेलगाड़ी पर लादकर उन्हें मास्को रवाना किया जाएगा।
रेश्त नगर और अस्तारा के बीच रेल लाइन बिछाने के बारे में अजरबैजान के प्रधानमंत्री का इलिहाम अलियेव का कहना है कि इस साल के आखिर तक 8 किलोमीटर के इस टुकड़े पर रेल लाईन बिछा दी जाएगी। इस काम में ये वक्त इसलिए लगेगा क्योंकि रास्ते में एक पुल बनाना होगा। तब तक ईरान और अजरबैजान दों देशों के रेलमार्ग को आपस में जोड़ने के बारे में एक समझौता कर लिया जाएगा। उसके बाद 'उतरी-दक्षिणी गलियारे' का सक्रियता से इस्तेमाल शुरु कर दिया जाएगा।
इस तरह 'उतरी-दक्षिणी गलियारे' नामक इस रास्ते को पहली बार इस्तेमाल करके देखा जाएगा। अजरबैजान रेलवे जल्द अस्तारा से ईरान की सीमा तक रेल लाइन बिछाने का काम पूरा करेगी।
कब हुआ था समझौता
गौरतलब है कि 12 सितंबर 2000 को रूस के सेण्ट पीटर्सबर्ग नगर में रूस, ईरान और भारत ने अन्तरराष्ट्रीय परिवहन गलियारे 'उतरी-दक्षिणी' का निर्माण करने के बारे में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। यह समझौता 21 मई 2002 से लागू हो गया। बाद में 2005 में अजरबैजानन भी इस समझौते में शामिल हो गया और वह भी परियोजना में सहयोग करने लगा।
'उतरी-दक्षिणी' गलियारी परियोजना के अन्तर्गत रेल लाईन बिछाने का काम पूरा होने के बाद यह गलियारा अन्य वैकल्पिक अन्तरराष्ट्रीय परिवहन मार्गों के मुकाबले बड़ा फायदेमंद होगा। इसकी वजह से फारस की खाड़ी से यूरोप तक मालों की ढुलाई बहुत कम समय में और बहुत कम लागत पर होने लगेगी, जिससे बड़ा आर्थिक लाभ होगा।
इस परियोजना में शामिल सभी देशों के विशेषज्ञों का यह मनना है कि 'उतरी-दक्षिणी' गलियारे के बन जाने से इससे जुडें चारों देशों (रूस, अजरबैजान, ईरान, भारत) को बड़ा फायदा होगा। जब मुंबई से सेण्ट पीटर्सबर्ग और हेलसिंकी तक जाने वाले इस रास्ते पर मालगाड़ियों के साथ-साथ यात्री गाड़ियां भी चलने लगेंगी तो यह सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला एक लोकप्रिय रास्ता बन जाएगा।
7. सोलर विमान ने पूरा किया दुनिया का पहला फेरा:- स्वच्छ ईंधन का संदेश लेकर पिछले साल दुनिया के सफर पर निकला सौर ऊर्जा से संचालित विमान सोलर इंपल्स-2 की ऐतिहासिक यात्रा पूरी हो गई है। वह ईंधन की एक बूंद का इस्तेमाल किए बिना दुनिया का पूरा चक्कर लगाने वाला पहला विमान बन गया है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव मून ने इस उपलब्धि के लिए विमान के पायलट को बधाई दी है।विमान मंगलवार तड़के 4.05 बजे संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबु धाबी में उतरा। उसे मिस्र की राजधानी काइरो से यहां पहुंचने में 48 घंटे से ज्यादा लगे। इसने पिछले साल नौ मार्च को अबु धाबी से ही अपना सफर शुरू किया था। विमान के यहां के अल-बातीन एयरपोर्ट पर उतरने पर स्विस पायलट बर्टेड पिकार्ड का बड़ी गर्मजोशी से स्वागत किया गया। वह 2,763 किमी के सफर के दौरान लाल सागर, सऊदी के रेगिस्तान और खाड़ी को पार करते हुए काइरो से अबु धाबी पहुंचे। पिकार्ड ने कहा, ‘सोलर इंपल्स ने ऊर्जा के इतिहास में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अब हमारे पास पर्याप्त समाधान और तकनीक है। हमें दुनिया में प्रदूषण कभी स्वीकार नहीं करना चाहिए।’


8. नासा क्षुद्रग्रह बेन्नू पर भेजेगा अंतरिक्ष यान:- अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा पृथ्वी के समीप स्थित क्षुद्रग्रह ‘बेन्नू’ की संरचना और जीवन की संभावनाओं का पता लगाने के लिए अत्याधुनिक उपकरणों से लैस ओसीरिस-रेक्स नामक अंतरिक्ष यान छोड़ेगा। इसमें लगे ओसीरिस-रेक्स विजिबल एंड इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर (ओवीआइआरएस) की मदद से बेन्नू पर खनिज पदार्थो की उपस्थिति और उसकी संरचना के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी। इसे सितंबर में प्रक्षेपित करने की योजना है। अभियान में शामिल एरिजोना यूनिवर्सिटी की डी. लॉरेटा ने बताया कि ओवीआइआरएस बेन्नू पर मौजूद जैविक पदार्थो का पता लगाने में यह अहम भूमिका निभाएगा। इसके अलावा ओसीरिस-रेक्स थर्मल इमीशन स्पक्ट्रोमीटर या ओटीईएस भी लगा है। अभियान का उद्देश्य क्षुद्रग्रह पर वातावरण और उसके बनावट की सही तस्वीर के बारे में जानकारियां जुटाना है। प्रस्तावित अंतरिक्ष यान बेन्नू के ऊपरी सतह का नमूना भी लाएगा। इसकी मदद से वहां मौजूद अन्य तत्वों का पता लगाया जाएगा।

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