Sunday, 21 August 2016

दैनिक समसामयिकी 28 July 2016(Thursday)

1.जीएसटी विधेयक से एक फीसद अतिरिक्त कर का प्रावधान हटा:- सरकार ने वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) संविधान संशोधन विधेयक में कुछ प्रमुख बदलावों को बुधवार को मंजूरी दे दी। राज्यों को एक फीसद अतिरिक्त विनिर्माण कर लगाने संबंधी प्रावधान हटा लिया गया है। इसके साथ ही जीएसटी अमल में आने के पहले पांच साल के दौरान राज्यों को राजस्व नुकसान की भरपाई की गारंटी पर भी मंत्रिमंडल ने मुहर लगा दी है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आज यहां हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में ये निर्णय लिए गए। जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक में यह भी प्रावधान किया जाएगा कि जीएसटी लागू होने पर केन्द्र और राज्यों के बीच विवाद की सूरत में जीएसटी परिषद में मामला जाएगा और वही फैसला करेगी। इस परिषद में केन्द्र और राज्य दोनों के प्रतिनिधि होंगे। जीएसटी विधेयक में किए गए इन बदलावों पर राज्यों की सहमति होने और विधेयक में इन संशोधनों पर केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद सरकार को लंबे समय से अटके पड़े जीएसटी विधेयक के राज्यसभा में पारित होने की उम्मीद है। सरकार को उम्मीद है कि विधेयक को संसद के चालू मानसून सत्र में ही पारित करा लिया जाएगा। संसद का यह सत्र 12 अगस्त को समाप्त हो रहा है।जीएसटी विधेयक इन ताजा बदलावों के साथ राज्यसभा में इस सप्ताह नहीं तो अगले सप्ताह अवश्य र्चचा के लिए पेश किया जा सकता है।कैबिनेट ने आज जिन संशोधनों को मंजूरी दी है वे जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक का हिस्सा होंगे। हालांकि, इससे पहले विधेयक को लोकसभा पिछले साल मई में मंजूरी दे चुकी है। राज्यसभा में संशोधन के साथ विधेयक के पारित होने के बाद संशोधित विधेयक को फिर से लोकसभा में पारित कराने के लिए भेजना होगा।
2. 2050 तक 60 फीसद आबादी शहरों में रहेगी:- सरकार ने बताया कि ऐसा अनुमान है कि साल 2050 तक देश की 60 प्रतिशत आबादी शहरों में रहने लगेगी और ऐसे में शहरों में पेयजल, जलमल निकासी, जलापूर्ति, शहरी परिवहन व्यवस्था, पार्क आदि के विकास के लिए 500 चुने हुए शहरों में अमृत योजना शुरू गई है। लोकसभा में पीके श्रीमति टीचर और ओम बिरला के प्रश्न के लिखित उत्तर में शहरी विकास राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक देश की 31 प्रतिशत आबादी शहरों में रहती है। ऐसा अनुमान है कि वर्ष 2050 तक देश की 60 प्रतिशत आबादी शहरों में रहने लगेगी। उन्होंने कहा कि गांव से पलायन करके काफी संख्या में लोग शहरों में जा रहे हैं। ऐसे में शहरों की आधारभूत संरचना पर काफी दबाव बढ़ गया है। शहरों में सुविधाओं के विकास की जरूरत है। सिंह ने कहा कि इसी को ध्यान में रखते हुए अटल शहरी परिवर्तन एवं पुनर्जीवन मिशन (अमृत) शुरू की गई है। अमृत योजना के तहत 500 चुने गए शहरों में जलापूर्ति, पेयजल, जलमल निकासी, शहरी परिवहन व्यवस्था, पार्क आदि के विकास के लिए भारत सरकार की तरफ से वित्तीय मदद का प्रावधान है क्योंकि शहरी विकास राज्य का विषय है। उन्होंने कहा कि इसके तहत 50 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार प्रदान करती है और 50 प्रतिशत राशि की व्यवस्था राज्य को करनी है। राज्य सार्वजनिक निजी साझेदारी, विदेशी वित्तपोषण जैसे माध्यमों से धन जुटा सकते हैं। पूर्वोत्तर राज्यों के लिए केंद्र और राज्य के बीच वित्तपोषण का अनुपात 90 : 10 है। राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि शहरीकरण तीव गति से हो रहा है। हमारा लक्ष्य सबसे पहले अधिक आबादी वाले शहरों में सुविधाओं का विकास करने का है।
3. शिक्षा व स्वास्थ्य मानकों पर तय होगी राज्यों की रैंकिंग:- चुनाव से पहले राज्यों में सत्तारूढ़ पार्टियां मतदाताओं को लुभाने के लिए विकास संबंधी तरह-तरह के दावे करती हैं लेकिन उनके दावों में कितनी सचाई है यह पता करना आम लोगों के लिए मुश्किल होता है। नीति आयोग अब ऐसी व्यवस्था बनाने जा रहा है जिससे यह पता करना बेहद आसान होगा कि विकास के मानकों खासकर शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कौन सा राय आगे है और कौन पीछे? साथ ही यह भी पता किया जा सकेगा इन बुनियादी सामाजिक सुविधाओं के मामले में किस राय में कितनी तरक्की हो रही है? नीति आयोग सामाजिक विकास के प्रमुख मानकों पर राज्यों की रैंकिंग करने की तैयारी कर रहा है। नीति आयोग के एक उच अधिकारी ने कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे सामाजिक विकास मानकों पर आधारित राज्यों की यह रैंकिंग अगले कुछ महीनों में शुरू हो सकती है। रैंकिंग हर तीन महीने पर आएगी और ऑनलाइन उपलब्ध होगी। आयोग विश्व बैंक के साथ मिलकर यह रैंकिंग तैयार करेगा। नीति आयोग ने इस प्रस्तावित रैंकिंग की रूपरेखा बुधवार को यहां रायों के मुख्य सचिवों की बैठक में रखी। असल में इस रैंकिंग की जरूरत इसलिए पड़ रही है क्योंकि विगत वर्षो में भारत ने आर्थिक तरक्की तो की है लेकिन शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के संबंध में उतनी प्रगति दिखाई नहीं दी है। हालांकि माना जा रहा है कि नीति आयोग की इस पहल पर राज्यों से तीखी प्रतिक्रिया आ सकती है क्योंकि स्वास्थ्य राज्यों का ही विषय है। रैंकिंग में स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता, गुणवत्ता और लोगों की पहुंच के आधार पर राज्यों का स्थान तय होगा। स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में राज्यों से करीब 85 सवाल किए जाएंगे। इनके उत्तर ‘हां’ और ‘ना’ में देने होंगे। हां में मिले जवाबों की संख्या जोड़कर ही राज्यों की रैंकिंग तैयार की जाएगी। राज्यों में नवजात मृत्यु में विगत वर्ष की अपेक्षा कम से कम 5 प्रतिशत की कमी आयी है या नहीं। राज्यों में सड़क दुर्घटनाओं के चलते मृत्यु की संख्या कम हुई है या नहीं। यह भी पूछा जाएगा कि राज्यों में लोगों की डायबिटीज या हाइपरटेंशन की जांच हुई है या नहीं। राज्यों ने अपने यहां डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने के लिए क्या उपाय किए हैं, इस बारे में भी सवाल पूछे जाएंगे
4. हिलेरी ने रचा इतिहास : राष्ट्रपति पद के लिए बनीं पहली महिला उम्मीदवार:- अमेरिका के राष्ट्रपति पद के चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवारी जीतकर हिलेरी क्लिंटन ने इतिहास रच दिया है। वे अमेरिका की किसी प्रमुख पार्टी की राष्ट्रपति पद के लिए पहली महिला उम्मीदवार बन गई हैं। अब रिपब्लिक पार्टी के उम्मीदवार और प्रतिद्वंदी डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनकी चुनावी टक्कर तय है।विदेश मंत्री, प्रथम महिला एवं न्यूयार्क से सीनेटर रह चुकीं हिलेरी ने यहां डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन में पार्टी के कुल 4,764 डेलीगेट्स का बहुमत हासिल कर उम्मीदवारी जीती। यदि हिलेरी को 8 नवम्बर को होने वाले चुनाव में चुन लिया जाता है तो वह अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति एवं पहली महिला कमांडर इन चीफ बनेंगी।डेमोक्रेटिक कन्वेंशन की दूसरी रात का रोमांचक अंत करते हुए हिलेरी ने न्यूयार्क से वीडियो के जरिए कहा, आपने मुझे अतुलनीय सम्मान दिया है और मुझे भरोसा नहीं हो रहा कि हमने रवायतों को तोड़कर इतनी बड़ी सफलता हासिल की है। प्राइमरी चुनावों में हिलेरी के प्रतिद्वंद्वी बर्नी सैंडर्स ने अपने गृह राज्य वरमोंट की बारी आने पर हिलेरी के नामांकन का प्रस्ताव पेश किया और इस तरह उन्होंने गहरे मतभेदों से जूझ रही पार्टी के लिए एकता का अहम संदेश दिया। सैंडर्स ने राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए पार्टी उम्मीदवार के तौर पर हिलेरी के सर्वसम्मत नामांकन का रास्ता साफ करने के लिए नियमों के निलंबन की अपील की।हिलेरी के प्रतिद्वंद्वी बर्नी सैंडर्स ने कहा, मैं प्रस्ताव रखता हूं कि हिलेरी क्लिंटन को अमेरिका के राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी का उम्मीदवार नामांकित किया जाए। कुछ ही क्षणों बाद, डेमोक्रेटिक डेलीगेट्स ने हिलेरी को पार्टी उम्मीदवार के तौर पर नामित किया जो अब रिपब्लिकन उम्मीदवार 70 वर्षीय डोनाल्ड ट्रंप को टक्कर देंगी। हिलेरी ने ट्वीट कर कहा, यह पल हर उस छोटी लड़की के लिए है, जो बड़े सपने देखती है। हम एकजुट होकर और मजबूत होंगे। राष्ट्रपति पद की हिलेरी की दावेदारी को और मजबूत करते हुए अमेरिका के करिश्माई व्यक्तित्व वाले पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने ‘‘उस लड़की’ के साथ अपनी व्यक्तिगत कहानी साझा की जिससे वे 1971 में मिले थे। उन्होंने कहा कि इस शीर्ष जिम्मेदारी के लिए वह ‘‘विलक्षण ढंग से सक्षम हैं’ और अब तक की ‘‘सर्वश्रेष्ठ बदलाव वाहक’ हैं। कन्वेंशन में बिल ने अपने संबोधन में कहा, हिलेरी हमें एकजुट कर मजबूत करेंगी। आप जानते हैं क्योंकि उन्होंने जीवनभर यही किया है।69 वर्षीय पूर्व राष्ट्रपति बिल ने कहा, मेरे खयाल से जितने भी बदलाव वाहकों को मैं जानता हूं, उनमें वे सर्वश्रेष्ठ हैं। उन्होंने अपने देशवासियों से हिलेरी को अमेरिका का अगला राष्ट्रपति चुनने की अपील की।
5. ब्रेक्सिट के बाद ब्रिटेन के लिए भारत हुआ खास :- यूरोपीय संघ से निकलने के बाद ब्रिटेन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने नए रणनीतिक और आर्थिक संबंधों को परिभाषित करने में जुटा है। यह तय है कि ब्रिटेन की इस नई कोशिश में भारत की अहम भूमिका होगी। आज यही बात ब्रिटेन की नवनियुक्त पीएम टेरीजा मे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कही है। टेरीजा ने अपने एशियाई और प्रशांत मामलों के विदेश उप मंत्री आलोक शर्मा को सबसे पहले भारत की यात्र पर भेजा है। इसके जरिये संदेश दिया गया है कि आने वाले दिनों में भारत का महत्व रणनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से काफी अहम होगा। बुधवार को मोदी और मे के बीच हुई टेलीफोन पर बातचीत में आपसी रिश्तों को नए धरातल पर लाने की पहली बार औपचारिक कोशिश हुई। मे ने बताया कि नई वैश्विक चुनौतियों के बीच वह मोदी के साथ काम करने को इछुक हैं। मोदी ने भी उन्हें बताया कि वह दोनों देशों के बीच रणनीतिक रिश्ते को और मजबूत करने को तैयार हैं। मोदी ने वैश्विक मंच पर भारत के हितों का समर्थन करने के लिए ब्रिटेन को धन्यवाद भी दिया। मोदी और मे के बीच यह वार्ता तब हुई है, जब ब्रिटेन के नए विदेश उप मंत्री आलोक शर्मा भारत के दौरे पर आए हैं। उन्होंने राजग सरकार के कई वरिष्ठ मंत्रियों से मुलाकात की है। इसके अलावा उन्होंने भारत की बड़ी कंपनियों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की है। माना जा रहा है कि इस दौरान दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते की संभावना तलाशने पर भी बातचीत हुई है। वैसे ब्रिटेन आधिकारिक तौर पर किसी भी देश के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर आधिकारिक तौर पर तभी बात कर सकता है जब वह यूरोपीय संघ से पूरी तरह से अलग हो जाए। इसलिए दोनों देश फिलहाल अनौपचारिक बातचीत शुरू कर रहे हैं। सनद रहे कि भारत की 600 कंपनियां अभी ब्रिटेन में काम कर रही हैं। भारत ब्रिटेन में निवेश करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है। यह भी एक वजह है कि ब्रिटेन भारत के साथ खास आर्थिक संबंध को बढ़ावा देना चाहता है।
6. बेजवाड़ा विल्सन एवं टीएम कृष्णा को रेमन मैगसायसाय पुरस्कार:- भारत में मैला ढोने की प्रथा के उन्मूलन के लिए एक प्रभावशाली मुहिम चलाने वाले एवं कर्नाटक में जन्मे बेजवाड़ा विल्सन और चेन्नई के गायक टीएम कृष्णा को वर्ष 2016 के लिए प्रतिष्ठित रेमन मैगसायसाय पुरस्कार के लिए बुधवार को चुना गया।इस पुरस्कार के लिए दो भारतीयों के अलावा चार अन्य को चुना गया है जिनमें फिलीपींस के कोंचिता कार्पियो-मोरैल्स, इंडोनेशिया के डोंपेट डुआफा, जापान ओवरसीज कोऑपरेशन वालंटियर एवं लाओस के ‘‘वियंतीएन रेसेक्यू’ शामिल हैं।सफाई कर्मचारी आंदोलन (एसकेए) के राष्ट्रीय संयोजक विल्सन को ‘‘मानवीय गरिमा के साथ जीवन जीने के अधिकार की दृढ़तापूर्वक बात करने के कारण’ पुरस्कार के लिए नामित किया गया है और कृष्णा को ‘‘संस्कृति में सामाजिक समावेशिता’ लाने के लिए ‘‘एमरजेंट लीडरशिप’ श्रेणी के तहत पुरस्कार के लिए चुना गया है।विल्सन के उद्धरण में कहा गया है, ‘‘मैला ढोना भारत में मानवीयता पर कलंक है। मैला ढोना शुष्क शौचालयों से मानव के मलमूत्र को हाथ से उठाने और उस मलमूत्र की टोकरियों को सिर पर रखकर निर्धारित निपटान स्थलों पर ले जाने का काम है जो भारत के ‘‘अस्पृश्य’, दलित उनके साथ होने वाली संरचनात्मक असमानता के मद्देनजर करते हैं।’50 वर्षीय विल्सन के प्रशंसात्मक उल्लेख में कहा गया है, मैला ढोना एक वंशानुगत पेशा है और 1,80,000 दलित घर भारत भर में 7,90,000 सार्वजनिक एवं व्यक्तिगत शुष्क शौचालयों को साफ करते हैं, मैला ढोने वालों में 98 प्रतिशत महिलाओं एवं लड़कियों को बहुत मामूली वेतन दिया जाता है। संविधान एवं अन्य कानून शुष्क शौचालयों और लोगों से मैला ढोने पर प्रतिबंध लगाते हैं लेकिन इन्हें लागू नहीं किया गया है क्योंकि सरकार ही इनकी सबसे बड़ी उल्लंघनकर्ता है।विल्सन के उल्लेख में कहा गया, ‘‘न्यासियों के बोर्ड ने 2016 रेमन मैगसायसाय पुरस्कार के लिए बेजवाड़ा विल्सन का चयन करके दलितों को मानवीय गरिमा के साथ जीवन जीने का जन्म सिद्ध अधिकार दिलाने और भारत में मैला ढोने की अपमानजनक दासता के उन्मूलन के लिए जमीनी स्तर पर आंदोलन का नेतृत्व करने में विल्सन की असाधारण दक्षता एवं नैतिक ऊर्जा को सम्मानित किया है।पुरस्कार के लिए चुने गए एक अन्य भारतीय 40 वर्षीय कृष्णा की प्रशंसा करते हुए कहा गया है कि उन्होंने दिखाया कि संगीत निजी जीवन एवं समाज में गहरा परिवर्तनकारी बल हो सकता है। चेन्नई के ब्राह्मण परिवार में जन्मे कृष्णा ने कर्नाटक संगीत के गुरूओं के सानिध्य में छह साल की आयु से ही इस विधा का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था।
7. बेनामी लेनदेन विधेयक को लोकसभा से मिली मंजूरी :- काले धन पर अंकुश लगाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए लोकसभा ने बुधवार को बेनामी लेन-देन संशोधन विधेयक पारित कर दिया। इस विधेयक के कानून का रूप लेने पर बेनामी सौदों पर रोक लग सकेगी जिससे काले धन पर नियंत्रण लग सकेगा। इस बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आश्वस्त किया है कि वास्तविक धार्मिक ट्रस्टों को इस कानून के प्रावधानों से बाहर रखा जाएगा। बेनामी लेन-देन संशोधन विधेयक 2015 को सभा में चर्चा और पारित होने के लिए रखते हुए जेटली ने कहा कि यह विधेयक मुख्य तौर पर काले धन पर अंकुश लगाने के इरादे से लाया गया है। इसका मकसद बेनामी संपत्ति पर पर कब्जा करना तथा इस तरह के सौदों में लिप्त रहने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करना है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में लोग फर्जी लोगांे के नाम से बेनामी संपत्ति खरीदते हैं। इसलिए इस तरह के लेन-देन पर रोक लगाने की जरूरत है। अब यह विधेयक रायसभा में पेश होगा। बेनामी विधेयक पर चर्चा के दौरान कुछ सदस्यों ने धार्मिक ट्रस्टों की संपत्ति के संबंध में चिंता जतायी। उन्होंने कहा कि पवित्र देवी-देवताओं के नाम पर जो संपत्ति है, क्या उस पर भी यह कानून लागू होगा। जेटली ने इसके जवाब में कहा कि सरकार वास्तविक संगठनों को इस विधेयक के प्रावधानों से बाहर कर देगी। इस कानून की धारा 58 में स्पष्ट उल्लेख है कि सरकार को धार्मिक और चैरिटेबल संगठनों की संपत्ति को इससे छूट देने की शक्ति है। जेटली ने कहा कि अगर किसी मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा या मंदिर की वास्तविक संपत्ति है तो धारा 58 के तहत सरकार उसे छूट दे सकती है। हालांकि उन्होंने आगाह किया कि इस तरह की संस्थाओं के नाम पर छूट का इस्तेमाल कर चोरी के लिए नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि अगर आप इस तरह की संपत्ति से कोई अवैध व्यवसाय करते हैं या कोई फर्जी पंथ बनाकर बेनामी संपत्ति रखते हैं तो सरकार इसे छूट नहीं देगी। इसलिए ऐसा नहीं करना चाहिए। जब कुछ सदस्यों ने कहा कि सरकार 1988 के कानून में संशोधन की जगह नया कानून लेकर क्यों नहीं आई तो वित्त मंत्री ने कहा कि ऐसा करने पर वे लोग बच निकलते जिन्होंने 1988 से 2016 के बीच संपत्ति खरीदी है।

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