सरकार ने इस साल मार्च में 344 फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन (एफडीसी) पर प्रतिबंध लगा दिया है क्योंकि चिकित्सा की दृष्टि से न तो ये उपयुक्त थे और न ही इनका कोई औचित्य था। एफडीसी से तात्पर्य है कि संक्रमण को नियंत्रित करने, दर्द निवारक दवाओं के अवयव शामिल होते हैं जिन्हें विभिन्न ब्रांड्स के नाम पर बेचा जा रहा था। दिल्ली सरकार के स्वास्य विभाग ने इन दवाओं पर 25 जून से पाबंदी लगाने का फरमान जारी किया है। इस साल के जनवरी से लेकर मई माह के दौरान औषध नियंत्रक विभाग को 890 शिकायतें मिली थीं जिसमें से 70 फीसद उपभोक्ता ऐसे थे जिन्होंने दवाओं के बेअसर होने की संभावना जताई थी जबकि 30 फीसद ऐसे लोग थे जो इन दवाओं को पहले प्रेसक्राइब करते थे लेकिन रोगियों ने दवाओं के असर नहीं होने की बार-बार जानकारी अपने डॉक्टरों से की। यही नहीं इस मामले में नामचीन कंपनियों के मालिकों तक से ढेरों प्रश्न किए लेकिन इनसे से संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इन सबको स्वास्य विभाग ने गंभीरता से लेते हुए औषधि नियंत्रक विभाग को जांच के आदेश दिए थे। ड्रग टेस्टिंग एडवाइजरी बोर्ड (डीटीएबी) की मदद से औषधि जांच लेबोरेटरी ने 5678 नमूने विभिन्न क्षेत्रों से उठाए। उनकी जांच में से 344 फिक्स्ड डोज कॉब्मिनेशन कैटेगरी की दवाएं तय मानकों पर खरी नहीं उतरीं। नतीजतन इन शिकायतों और लैबोरेटरी की एनालेटिकल रिपोर्ट्स केंद्रीय स्वास्य मंत्रालय को भेजी गई। स्वास्य मंत्रालय ने इन नमूनों में से कुछ की पुर्नसमीक्षा की जिसके आधार पर इन दवाओं को प्रतिबंधित करने संबंधी निर्देश जारी कर दिए। फार्मास्यूटकिल कंपनी मालिकों को निर्देश दिया गया है कि वे प्रतिबंधित दवाओं को 65 दिन के अन्तराल में बाजार से उठा लें जिन्हें वे नष्ट कर दें। इस अवधि के बाद यदि दवाएं कैमिस्ट शॉप्स या फिर अन्य माध्यमों के जरिए मरीजों तक आपूत्तर्ि करते पाई जाएंगी तो उनके खिलाफ औषधि प्रशाधन अधिनियम 1940 के तहत कार्रवाई की जाएगी। स्वास्य सचिव डा. तरून सीम ने कहा कि प्रतिबंधित औषधि की ब्रिक्री एवं आपूत्तर्ि के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। प्रतिबंधित की गई कुछ औषधियों की सुरक्षा और उनके प्रभाव संबंधी मामलों की जांच की गई है। जो तय मानकों पर खरी नहीं उतरी।यह दवाएं : इनमें ‘‘निमोसुलाइड’ शामिल है और 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए निमोसुलाइड फामरूलेशन के विनिर्माण, बिक्री और वितरण पर रोक लगा दी गई है। इसके अलावा शरीर एवं सिर में दर्द कम करने वाले फार्माल्यूशन, खून को पतला करने वाली दवाएं, आंतों के संक्रमण को रोकने, आई ड्राप्स (कन्जेक्टिवाइटिस), डिहाइड्रेशन, ट्यूमर के कारण होने वाले दर्द, कैंसर में कीमो देने के बाद होनी वाली विकृति संबंधी दवाओं के अवयव शामिल किए गए हैं जो बाजार में विभिन्न ब्रांड्स व रैपरों में बेची जा रही थी।
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