बैंक की ब्याज दरें तय करने में अब सरकार की भी भूमिका होगी। सरकार ने मौद्रिक नीति समिति के गठन की दिशा में कदम बढ़ाते हुए सोमवार को इससे संबंधित एक अधिसूचना जारी की। रिजर्व बैंक के गर्वनर की अध्यक्षता वाली यह छह सदस्यीय समिति महंगाई को काबू रखने का लक्ष्य सामने रखकर ब्याज दरें तय करने का निर्णय करेगी। मौद्रिक नीति समिति में सरकार के तीन सदस्य शामिल होंगे। वित्त मंत्रलय के अनुसार कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक समिति सरकार की ओर से नामित होने वाले सदस्यों की तलाश करेगी। ये सदस्य वित्तीय, आर्थिक और मौद्रिक मामलों के विशेषज्ञ होंगे और इनकी नियुक्ति चार साल के लिए की जाएगी। आरबीआइ गवर्नर समिति के अध्यक्ष होंगे। इसके अलावा दो अन्य सदस्य आरबीआइ से ही होंगे। इनमें एक आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर तथा एक अन्य अधिकारी भी बतौर सदस्य समिति में शामिल होंगे। वित्त मंत्रलय का कहना है कि समिति की साल भर में कम से कम चार बैठकें होंगी और हर बैठक के बाद उसके फैसलों को प्रचारित किया जाएगा। मंत्रलय का कहना है कि समिति आधारित तरीका अपनाने से मौद्रिक नीति के फैसलों में पारदर्शिता आएगी। सरकार ने रिजर्व बैंक कानून 1934 में संशोधन कर मौद्रिक नीति समिति के गठन का रास्ता साफ किया है। मौद्रिक नीति समिति महंगाई का एक लक्ष्य तय कर, मुद्रास्फीति को उससे नीचे रखने के इरादे से ब्याज दरें तय करेगी। हालांकि समिति के अध्यक्ष को ब्याज दरें तय करने या किसी फैसले के संबंध में वीटो पावर हासिल नहीं होगी। एमपीसी के गठन संग ब्याज दरें तय करने का मौजूदा तरीका पूरी तरह बदल जाएगा। अभी आरबीआइ की तरफ से गठित एक पैनल बेंचमार्क ब्याज दर तय करने की सिफारिश करता है लेकिन अंतिम फैसला आरबीआइ गवर्नर का होता है।
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