किसानों को उपज का बेहतर मूल्य मिलेगा तो देश में उत्पादन बढ़ेगा और मुद्रास्फीति खासकर दलहन और सब्जियों जैसी खाद्य वस्तुओं की महंगाई पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। सरकार को उम्मीद है कि इस साल दलहन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ने से देश में दालों का रकबा और उत्पादन बढ़ेगा जिससे खाद्य महंगाई दर को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। वित्त मंत्रलय के आर्थिक कार्य विभाग के सचिव शक्तिकांत दास का कहना है कि सरकार ने दलहन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में जो वृद्धि की है उसके परिणाम दिखने शुरू हो गए हैं। इससे दलहन का रकबा और उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है। सरकार ने दालों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए हाल में खरीफ की दलहन फसलांे के एमएसपी में 425 रुपये प्रति क्विंटल तक की वृद्धि की है। इसके अलावा विदेशों से सरकारी स्तर पर दाल आयात करने के भी प्रयास किए गये हैं ताकि घरेलू बाजार में दालों की उपलब्धता बढ़ायी जा सके। देश में 2.48 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र पर दलहन की खेती होती है। देश में दलहन उत्पादन फिलहाल 170 लाख टन और मांग 236 लाख टन है। यही वजह है कि पिछले साल देश में दालों की घरेलू मांग को पूरा करने के लिए 58.8 लाख टन दलहन का आयात किया गया था। इसके अलावा जमाखोरों के ठिकानों पर छापेमारी कर 1.34 लाख टन दालें भी पिछले साल जब्त की गई थीं। असल में खाद्य महंगाई के बढ़ने की बड़ी वजह दालों की आसमान छूती कीमतें हैं जो 200 रुपये प्रति किलो का आंकड़ा छू चुकी हैं। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर मई में बढ़कर 0.79 प्रतिशत हो गयी जबकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई दर बढ़कर 5.76 प्रतिशत हो गई। हालांकि मई में खाद्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई दर बढ़कर 7.55 प्रतिशत हो गयी है जबकि अप्रैल में यह 6.40 प्रतिशत तथा पिछले साल मई में 4.80 प्रतिशत थी। जहां तक दालों की महंगाई दर का सवाल है तो यह जनवरी 2015 से ही दहाई के अंक में बनी हुई है। मई में तो दलहन की महंगाई दर 35.56 प्रतिशत पर थी।
No comments:
Post a Comment