फ्रांस ने अंतिम चरण में पहुंच चुके अरबों यूरो के राफेल लड़ाकू विमान सौदे में अतिरिक्त फायदे के तहत स्वदेशी तेजस विमान की नाकाम कावेरी इंजन परियोजना को फिर से पटरी पर लाने तथा अन्य उच्च स्तरीय सहयोग के लिए भारत को मदद की पेशकश है।रक्षा सूत्रों ने बताया कि फ्रांस से उड़ान भर सकने की स्थिति वाले 36 राफेल विमानों की खरीद संबंधी फाइल तैयार हो चुकी है और इसे जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने रखे जाने की संभावना है। सौदे की अनुमानित लागत तकरीबन 7.89 अरब यूरो है और इसमें 50 प्रतिशत ऑफसेट (अतिरिक्त फायदे) शतार्ें को अपरिहार्य बनाया गया है।पिछले साल र्चचा किये गए ऑफसेट सौदे (सौदे के अलावा अतिरिक्त फायदा) के तहत फ्रांसीसी पक्ष की तरफ से सैन्य अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास कार्यक्र मों के लिए 30 प्रतिशत ऑफसेट प्रतिबद्धता तथा बाकी 20 प्रतिशत यहां राफेल के वास्ते कल पुर्जा बनाने की है। ऑफसेट समझौता पूरी तरह राफेल परियोजना के तहत फ्रांस की कंपनियां - सफरन, थलेस, एमबीडीए और दसॉल्ट करेंगी। एक रक्षा सूत्र ने बताया, फ्रांस सरकार सैद्धांतिक रूप से ऑफसेट प्रतिबद्धताओं के तहत इन बिंदुओं पर सहमत हो गयी है। इन 36 राफेल विमानों के लिए निर्णायक अनुंबध हो जाने के बाद फ्रांस सरकार विषयगत मंजूरी देगी और ठोस बातचीत शुरू होगी। फ्रांस सैद्धांतिक तौर पर कावेरी इंजन पर भी तालमेल के लिए राजी हुआ है। यह इंजन तेजस की उड़ान के लिए पूरी तरह से ताकतवर नहीं है।फ्रांस के सहयोग से मौजूदा 72 केएन की तुलना में 90 केएन के साथ उन्नत कावेरी इंजन को विकसित किया जा सकता है जिसे आखिरकार तेजस के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें अभी अमेरिकी इंजन का प्रयोग होता है। एक सूत्र ने कहा, डीआरडीओ और कुछ अन्य एजेंसियों के साथ ऑफसेट (अतिरिक्त फायदे) पर पिछले साल बातचीत हुयी थी। राफेल के लिए एक बार अनुंबध होने पर ऑफसेट तय करने में छह महीने का वक्त लगेगा। फ्रांस को उम्मीद है कि भारतीय रक्षा बाजार में उसे बड़ी हिस्सेदारी मिलेगी और राफेल सौदे को वह बड़ी सफलता के तौर पर देखता है। उसे यह भी उम्मीद है कि भारत और ज्यादा राफेल विमानों के लिए फैसला करेगा, जो ‘‘मेक इन इंडिया’ पहल के जरिए हो सकता है।
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