भारत ने संयुक्त राष्ट्र से मांग की है कि आतंकी हमलों के जिम्मेदार लोगों और आतंक को पनाह देने वाले देशों को जिम्मेदार बनाया जाए। संयुक्त राष्ट्र नियंतण्र आतंकवाद निरोधी रणनीति के पांचवी समीक्षा के मौके पर शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने कहा, नियंतण्र स्तर के और हमें प्रभावित करने वाले सभी खतरों में से आतंकवाद सबसे गंभीर खतरा है। यह दुनियाभर के निदरेष लोगों के जीवन को प्रभावित करता है।अकबरूद्दीन ने यहां भारत के दृढ़ विास को जताया कि कोई भी धर्म, औचित्य, राजनैतिक उद्देश्य या तर्क आतंकवाद को सही नहीं ठहराती है। उन्होंने कहा, आतंकी हमलों के जिम्मेदार लोग और वे देश जो आतंकवाद को बढ़ावा और पनाह देते हैं उन्हें जिम्मेदार बनाए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कोई भी देश आतंकवाद के खिलाफ अकेला लड़ाई नहीं लड़ सकता है। उन्होंने कहा, इस खतरे से कोई भी देश अछूता नहीं है। ऐसे जघन्य हमलों के पीड़ित किसी एक देश, जाति या विचारधारा के नहीं हैं। 193 सदस्यीय महासभा ने आतंकवाद निरोधी रणनीति की पांचवी समीक्षा जारी रखते हुए आतंक को जड़ से खत्म करने की दिशा में तेजी से, संयुक्त रूप से और प्रभावशाली ढंग से काम करने और ऐसे प्रयासों को दोगुना करने के तरीकों के प्रस्ताव को स्वीकार किया। अकबरूद्दीन ने कहा कि भारत स्वीकार किए गए ज्यादातर प्रस्तावों के साथ व्यापक सहमति में है लेकिन उन्होंने आतंक पर समग्र सम्मेलन के ‘‘अधूरे एजेंडे’ पर निराशा जताई। उन्होंने कहा, हमारे विचार से इससे ऐसा संदेश जाता है कि दुनियाभर में तेजी से बढ़ रही आतंकी गतिविधियों से हम अब तक अछूते हैं।उन्होंने सभी प्रतिनिधि मंडलों से सम्मेलन को जल्द से जल्द और यूएनजीए के 71वें सत्र से पहले पूरा करने के लिए समझौत पर सहमति बनाने के लिए गंभीर प्रयास करने का अनुरोध किया।
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