मोदी सरकार ने सुधारों की दिशा में एक और कदम बढ़ाकर प्राकृतिक संसाधनों के वितरण में पारदर्शिता की नीति जारी रखते हुए राष्ट्रीय खनिज उत्खनन नीति को मंजूरी दी है। इस नीति के लागू होने पर 100 संभावित खनन ब्लॉक की नीलामी का रास्ता साफ हो जाएगा। साथ ही खनन के क्षेत्र में निवेश की संभावनाएं भी बढ़ जाएंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने बुधवार को इस नीति को मंजूरी दी। कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संवाददाताओं से कहा कि इस नीति का उद्देश्य खनन गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाना है। इस नीति में खनन के संबंध में विश्वस्तरीय भूवैज्ञानिक आंकड़े सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध कराए जाएंगे। नई नीति के तहत खान मंत्रलय उत्खनन ब्लॉक की पहचान कर उन्हें निजी क्षेत्र को राजस्व के बंटवारे के आधार पर नीलाम करेगा। अगर खनिज की खोज करने वाली कोई कंपनी ऐसा खनिज नहीं खोज पाती है जिसकी नीलामी की जा सके तो ऐसी स्थिति में खोज पर खर्च हुई उसकी राशि का भुगतान सरकार करेगी। सरकार खनिजों के संबंध में अत्याधुनिक आंकड़े भी जुटाएगी। साथ ही सरकार एक नेशनल सेंटर फॉर मिनरल टारगेटिंग भी स्थापित करेगी जिसका उद्देश्य वैज्ञानिक तथा शोध संस्थाओं के साथ सहयोग करना होगा। यह एक अलाभकारी संगठन होगा। जो भी निजी कंपनियों खनिजों की खोज करेंगी, उस खनिज की नीलामी के बाद होने वाली राजस्व प्राप्ति में राय सरकार से एक हिस्सा प्राप्त करेंगी। उल्लेखनीय है कि इससे पहले सरकार ने खनन क्षेत्र में कई कदम उठाए हैं जिसमें इस क्षेत्र में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति भी शामिल है।
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