सरकार अब थल सेना में अलग से महिला बटालियन खड़ी करने पर विचार कर रही है। नौसेना के जहाजों, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) और सैनिक स्कूलों में भी महिलाओं को मौका मिल सके, इसके लिए तैयारी की जा रही है। इसी तरह रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों के साथ रणनीतिक साङोदारी के लिए नीति की घोषणा भी अगले दो महीनों में हो जाएगी। रक्षा मंत्री मनोहर र्पीकर ने सोमवार को कहा कि दुर्गा और झांसी की रानी के इस देश में सैन्य बलों में अब तक महिलाओं को पर्याप्त अहमियत नहीं मिल सकी है। उन्होंने कहा, ‘बहुत से लोगों को लगता है कि अगर महिला कमांडिंग अफसर हुई तो फौजी उनकी बातें नहीं सुनेंगे। लेकिन मैं इस बात को नहीं मानता। क्यों नहीं सिर्फ महिलाओं की एक बटालियन तैयार की जाए? कुछ लोगों को अगर पुरुषों के बटालियन का नेतृत्व महिला कमांडिंग अफसर को देने को लेकर शुरुआती हिचकिचाहट है तो ऐसे में वह भी दूर हो जाएगी।’नौ सेना के जहाजों पर महिलाओं की तैनाती को लेकर भी उन्होंने जल्दी ही पहल का भरोसा दिलाया। र्पीकर ने कहा कि पनडुब्बियों में तैनाती में तो वक्त लग सकता है, क्योंकि ये इस तरह नहीं बनी हैं कि इनमें महिलाओं को अलग से जगह मिल सके। लेकिन जहाजों में जरूरी बदलाव कर महिलाओं को इन पर तैनात किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वायु सेना के लड़ाकू दस्ते में शामिल किए जाने के बाद सैन्य बलों में महिलाओं को लेकर मौजूद मानसिक दीवार गिराई जा चुकी है। अब इस पहल को लगातार आगे बढ़ाना है। उन्होंने सैनिक स्कूलों और एनडीए में भी महिलाओं को मौका दिए जाने का भरोसा दिलाया।
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