सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर लगातार तीसरे महीने गिरावट में रही। जून में सेवा क्षेत्र की वृद्धि सात महीने के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई। आज जारी एक मासिक सव्रेक्षण के मुताबिक ऐसा मुख्य तौर पर नए आर्डर में कमी के मद्देनजर हुआ। इससे आरबीआई द्वारा दरों में कटौती की मांग को बल मिलेगा।भविष्य की कारोबारी वृद्धि को लेकर संभावनाएं फरवरी के बाद से अब तक न्यूनतम स्तर पर हैं जिससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी बनाए रखने को लेकर चिंता बढ़ी है। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि लागत वृद्धि को देखते हुए रिजर्व बैंक के लिए नीतिगत दर कम करना मुश्किल हो सकता है क्योंकि मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखना केंद्रीय बैंक की प्राथमिकता है। सेवा क्षेत्र की गतिविधि का आकलन करने वाले निक्केई सेवा कारोबार गतिविधि सूचकांक जून में गिरकर 50.3 रहा जो मई में 51 पर था। यह सूचकांक में पिछले सात महीने का न्यूनतम और पिछले एक साल का दूसरा न्यूनतम स्तर है। सूचकांक का 50 से ऊपर रहना वृद्धि और इससे कम रहना संकुचन का संकेतक है। इस सव्रेक्षण का संकलन करने वाली संस्था मार्किट की अर्थशास्त्री पालियाना डी लीमा ने कहा, ‘‘भारत के सेवा क्षेत्र की वृद्धि रफ्तार में जून महीने में कमी आई और लगातार तीसरे महीने नए आर्डर में कम बढ़ोतरी से गतिविधियों में धीमापन आया है।’ रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने जून में अपनी नीतिगत समीक्षा में मुद्रास्फीतिक दबाव के मद्देनजर नीतिगत दर को अपरिवर्तित रखा था लेकिन संकेत दिया था यदि मानसून से मुद्रास्फीति कम करने में मदद मिलती है तो इस साल बाद में ब्याज दर में कटौती संभव है।उद्योग को अभी भी निवेश बढ़ाने के लिए केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में और कटौती की उम्मीद है। मौद्रिक नीति की अगली समीक्षा नौ अगस्त को होनी है। रोजगार के लिहाज से भारतीय सेवा प्रदाताओं की ओर से जून में कर्मचारियों की भर्ती के स्तर में थोड़ी बढ़ोतरी का संकेत मिला। इस बीच विनिर्माण और सेवा दोनों क्षेत्रों का आकलन करने वाला निक्केइ इंडिया मिश्रित पीएमआई उत्पादन सूचकांक जून में बढ़कर 51.1 पर पहुंच गया जो मई में 50.9 पर था लेकिन यह लंबे समय के औसत से कमतर रहा और इसमें धीमी वृद्धि का संकेत मिलता है।
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