अमेरिका के ‘प्रमुख रक्षा सहयोगी’ के रूप में मान्यता मिलने के बाद अब अमेरिका के 99 फीसद रक्षा तकनीकों तक भारत की पहुंच होगी। भारत ऐसा करने वाला एकमात्र देश है जो अमेरिका का औपचारिक समझौता सहयोगी नहीं है। ओबामा प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ‘प्रमुख रक्षा सहयोगी’ दर्जा बेहद खास दर्जा है। हमारे औपचारिक समझौता सहयोगी नहीं होने के बावजूद भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसे यह दर्जा मिला है। भारत को अब रक्षा तकनीकों तक पहुंच की सुविधा मिलेगी जो हमारे समझौता सहयोगियों के बराबर की है। इस महीने के शुरू में व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बैठक के बाद अमेरिका ने एक संयुक्त बयान में भारत को ‘प्रमुख रक्षा सहयोगी’ की मान्यता दी। उन्होंने बताया कि हमलोग कुछ खास तलाश रहे हैं। इस तरह की भाषा आपने किसी भी हथियार हस्तांतरण विधान या हमारी किसी मौजूदा नीतियों में नहीं देखी होगी। यह नया मार्गदर्शन और नई भाषा है जो उन खास चीजों को परिलक्षित करता है जिसे हमने अपनी रक्षा साङोदारी के तहत भारत के साथ किया है। भारत ने अपने निर्यात नियंत्रण उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए जो प्रतिबद्धता दिखाई है उसके अनुरूप इस मान्यता के तहत अब भारत को दोहरे इस्तेमाल वाली तकनीकों की विशाल श्रृंखला तक लाइसेंस मुक्त पहुंच मिलेगी। भारत में इस तरह का विचार उभरने कि अमेरिका से जिस तकनीक की भारत को आवश्यकता थी वह उसे नहीं मिल पा रही, इस बात को स्वीकार करते हुए अधिकारी ने कहा कि यह निरंतर चर्चा का विषय है।
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