प्रधान न्यायाधीश ने न्यायाधीशों की नियुक्ति या उनके पदोन्नयन की सिफारिश कालेजियम को भेजे जाने से पहले उम्मीदवारों के आवेदनों को आकलन के लिए अवकाशप्राप्त न्यायाधीशों की एक समिति के समक्ष पेश करने के सरकार के कदम को खारिज कर दिया है।प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने मेमोरंडम ऑफ प्रोसीजर (एमओपी) के संशोधित खाके के अनुच्छेद पर तब एतराज जताया जब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और कानून मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने बुधवार की शाम ठाकुर से उनके निवास पर मुलाकात की। सुषमा एमओपी तैयार करने वाले मंत्रिसमूह की अध्यक्ष हैं। संसद ने दो दशक से चली आ रही कालेजियम पण्राली को खत्म करने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम (एनजेएसीए) बनाया था। उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल 16 अक्टूबर को इस कानून को निरस्त कर दिया था।उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने कालेजियम पण्राली को ज्यादा पारदर्शी बनाने के तरीकों पर फैसला करते हुए केन्द्र सरकार से कहा था कि वह राज्य सरकारों से सलाह-मशविरा कर फिर से एमओपी तैयार करे। एमओपी एक दस्तावेज है जो उच्चतम न्यायालय और 24 उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति का मार्गदर्शन करता है। अभी दो एमओपी हैं - एक उच्चतम न्यायालय के लिए और दूसरा उच्च न्यायालयों के लिए। सरकार ने मार्च में उच्चतम न्यायालय कालेजियम को एमओपी भेजा था। प्रधान न्यायाधीश ने एमओपी के विभिन्न अनुच्छेदों पर एतराज जताते हुए मई में सरकार को दस्तावेज लौटा दिया था।प्रधान न्यायाधीश के साथ केन्द्र के मंत्रियों की बुधवार की बैठक एमओपी पर कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच के मतभेदों को कम करने पर लक्षित थी। उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि इस मुलाकात में न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि नियुक्तियों के लिए उम्मीदवारों के आवेदनपत्रों के आकलन के लिए अवकाशप्राप्त न्यायाधीशों की समिति अस्वीकार्य है। सरकार चाहती है कि प्रस्तावित समिति अंतिम फैसले के लिए उम्मीदवारों की सिफारिश कालेजियम को करने से पहले अभ्यार्थियों के अनुभवों का विस्तार से आकलन कर ले। इस संबंध में उच्चतम न्यायालय के स्तर पर एक समिति का प्रस्ताव किया गया है जबकि हरेक उच्च न्यायालय के लिए 24 अन्य समितियों का प्रस्ताव किया गया है। न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रि याएं पूरी करने के लिए उच्च न्यायालयों में सचिवालय के गठन के मुद्दे पर सरकार और कालेजियम के बीच सहमति है, न्यायपालिका ने प्रस्तावित सचिवालय की भूमिका परिभाषित करने के कदम का पहले विरोध किया था। बहरहाल, बैठक में प्रस्तावित सचिवाल की भूमिका और कार्य परिभाषित करने पर सहमति थी।
No comments:
Post a Comment