5 अगस्त, 2011 को फ्लोरिडा स्थित केप केनेवरेल एयरफोर्स स्टेशन से प्रक्षेपित किया गया था:- नासा का सौर-ऊर्जा से संचालित अंतरिक्षयान जूनो पृथ्वी से प्रक्षेपण के पांच साल बाद मंगलवार को बृहस्पति की कक्षा में प्रवेश कर गया। इस उपलब्धि को ग्रहों के राजा और हमारे सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति की उत्पत्ति और विकास को समझने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।अमेरिका में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जश्न के माहौल के बीच ही, जूनो के बृहस्पति की कक्षा में प्रवेश कर जाने की सूचना मिलने पर नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में इस अभियान के नियंत्रक खुशी से झूम उठे। 35 मिनट तक ईजन के प्रज्जवलन के बाद यह यान ग्रह के चारों ओर बनी तय कक्षा में प्रवेश कर गया। इस अभियान की लागत 1.1 अरब डॉलर है। जूनो अपने साथ नौ वैज्ञानिक उपकरण लेकर गया है। जूनो बृहस्पति की ठोस सतह के अस्तित्व का अध्ययन करेगा, ग्रह के बेहद शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र को मापेगा, गहरे वातावरण में मौजूद जल और अमोनिया की मात्रा नापेगा और इसकी सुबहों का विश्लेषण करेगा। नासा ने कहा कि यह अभियान बड़े ग्रहों के निर्माण और सौरमंडल के बाकी ग्रहों को एकसाथ रखने में इनकी भूमिका को समझने में एक बड़ा कदम उठाने में हमारी मदद करेगा। बृहस्पति बड़े ग्रह के रूप में हमारे सामने एक प्रमुख उदाहरण है। वह अन्य नक्षत्रों के आसपास खोजे जा रहे अन्य ग्रह तंत्रों को समझने के लिए भी अहम जानकारी उपलब्ध करवा सकता है।जूनो अंतरिक्षयान को पांच अगस्त 2011 को फ्लोरिडा स्थित केप केनेवरेल एयरफोर्स स्टेशन से प्रक्षेपित किया गया था। नासा के प्रशासक चार्ली बोल्डेन ने कहा कि जूनो की मदद से, हम बृहस्पति के व्यापक विकीरण वाले क्षेत्रों से जुड़े रहस्यों को सुलझाएंगे, इससे ग्रह की आंतरिक संरचना को तो समझने में मदद मिलेगी ही साथ ही साथ बृहस्पति की उत्पत्ति और हमारे पूरे सौरमंडल के विकास को भी समझने में मदद मिलेगी।
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