Tuesday 5 July 2016

5 July 2016..3. ब्रेक्जिट पर ब्रिटिश सरकार की राह में कानूनी बाधा:-

यूरोपीय संघ (ईयू) से निकलने की प्रक्रिया की शुरुआत को लेकर ब्रिटेन की सरकार कानूनी चुनौतियों से घिर गई है। लंदन की विधि कंपनी मिशकॉन डी रेया ने कहा है कि संसदीय अधिनियम के बिना इस प्रक्रिया की शुरुआत नहीं की जा सकती है। कंपनी के अनुसार संसदीय बहस और इस प्रक्रिया के लिए दोनों सदनों में मतदान के बिना सरकार ईयू छोड़ने की कानूनी प्रक्रिया यानी अनुछेद 50 को लागू नहीं कर सकती। 23 जून के ऐतिहासिक जनमत संग्रह में ब्रिटेन की जनता ने 48 के मुकाबले 52 फीसद मतों से ब्रेक्जिट का समर्थन किया था। मिशकॉन डी रेया के एक साङोदार कासरा नौरूजी ने रविवार को कहा कि जनमत संग्रह के परिणाम पर कोई संदेह नहीं है, लेकिन इसे लागू करने के लिए ब्रिटिश कानून के अनुसार प्रक्रिया अपनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जनमत संग्रह का परिणाम कानूनी तौर पर बाध्यकारी नहीं हैं। ऐसे में संसद की मंजूरी के बिना मौजूदा या भावी प्रधानमंत्री की ओर से अनुछेद 50 को लागू किया जाना अवैध होगा। ब्रिटेन के अधिकतर सांसद 28 सदस्यीय ईयू में ब्रिटेन के बने रहने के पक्ष में हैं। ऐसे मंु यह कानूनी चुनौती इस प्रक्रिया को जटिल बना सकती है। बीबीसी के अनुसार विधि कंपनी की इस पहल के पीछे कारोबारियों और शिक्षाविदों का समूह है। कंपनी 27 जून से ही मसले पर सरकार के वकीलों से पत्र-व्यवहार कर रही है। गौरतलब है कि ईयू से बाहर निकलने के लिए लिस्बन संधि की धारा 50 को के तहत प्रक्रिया की शुरुआत जरूरी है। इसके बाद ब्रिटेन के पास निकासी की शतोर्ं पर मोल-तोल करने के लिए दो साल का समय होगा। प्रधानमंत्री डेविड कैमरन का कहना है कि उनका उत्तराधिकारी इस प्रक्रिया की शुरुआत करेगा। इस्तीफा नहीं देने पर अड़े लेबर पार्टी प्रमुख जेरोमी कॉरबिन पर पद छोड़ने का दबाव बढ़ता जा रहा है। पार्टी की महिला सांसद एंजेला ईगल ने उन्हें नेतृत्व का चुनाव कराने की चुनौती दी है। ईगल ने कहा कि इसके लिए उनके पास जरूरी सांसदों का समर्थन हासिल है। कॉरबिन के विरोध में शैडो कैबिनेट के कई सदस्य पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं। पिछले हफ्ते उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी पास किया गया था। कॉरबिन पर जनमत संग्रह के दौरान पार्टी का पक्ष प्रभावी तरीके से नहीं रखने का आरोप है।

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