उच्च शिक्षा का अभाव, रोजगार के अवसरों की कमी और लचीली कामकाजी शतरे के अभाव में देश के कार्यबल में महिलाओं की भागीदार लगातार घट रही है।एसोचैम और थाट आब्रिट्रेज रिसर्च इंस्टीच्यूट (टीएआरआई) की संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि दस साल में कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी में 10 फीसद घटी है। वर्ष 2000-05 में कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी 34 प्रतिशत से बढ़कर 37 प्रतिशत पर पहुंच गई थी, जो वर्ष 2014 तक लगातार गिरते हुए 27 प्रतिशत पर आ गई। इस मामले में ब्रिक्स देशों में भी भारत की रैंकिंग सबसे नीचे है। चीन में कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी 64 प्रतिशत, ब्राजील में 59 प्रतिशत, रूस में 57 प्रतिशत, दक्षिण अफ्रीका में 45 प्रतिशत और भारत में 27 प्रतिशत है।रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2011 में देश के ग्रामीण क्षेत्र में कार्यबल में पुरूषों और महिलाओं की भागीदारी का अंतर 30 प्रतिशत और शहरों में 40 प्रतिशत रहा।रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2011-12 में देश में श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी (एफएलएफपी) की दर 36 प्रतिशत रही थी। इस दौरान 35 में से 31 राज्यों में यह दर राष्ट्रीय औसत से भी कम रही थी। इस मामले में केवल आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश का प्रदर्शन बेहतर रहा था।रिपोर्ट के अनुसार, देश में कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी कई महत्वपूर्ण पहल की गई है।
No comments:
Post a Comment