सरकार ने रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक और एलएंडटी समेत 51 कंपनियों में अपनी अल्पांश हिस्सेदारी बेचने के लिये मर्चेंट बैंकरों को आमंत्रित किया है। सरकार का इरादा तीन साल के भीतर इन कंपनियों में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचकर बाहर निकलने का है।सरकार की ‘‘दि स्पेसिफाइड अंडरटेकिंग ऑफ यूटीआई (एसयूयूटीआई)’ के जरिये इन 51 कंपनियों में थोड़ी बहुत हिस्सेदारी है। यह हिस्सेदारी हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईटीसी लिमिटेड, जयप्रकाश एसोसिएट्स सहित कई सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में है। एसयूयूटीआई का गठन 2003 में पूर्ववर्ती यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (यूटीआई) के बाद हुआ था। सरकार इन कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी को अब खुली बिक्री पेशकश, थोक सौदे या शेयर बाजार में नियमित बिक्री के जरिए बेचने पर विचार कर रही है।हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव के मुताबिक एसयूयूटीआई ने अगले तीन साल के लिए एसयूयूटीआई होल्डिंग्स पर सलाह देने के लिए तीन मर्चेंट बैंकरों और बिक्री ब्रोकरों को नियुक्त करने की योजना बनाई है।उधर नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि सरकार को अगले छह महीने में सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों में रणनीतिक विनिवेश की प्रक्रि या आगे बढ़ाने की उम्मीद है। इसके अलावा सरकार उन बीमार कंपनियों को बंद करने पर भी विचार कर रही है जिनका पुनरद्धार संभव नहीं है। पनगढ़िया ने कहा, ‘‘मैं कहना चाहूंगा कि रणनीतिक विनिवेश के संबंध में अगले छह महीने में आप गतिविधियां देखेंगे जिसका अर्थ है कि प्रक्रि या जारी है सरकार ने नीति आयोग को रणनीतिक निवेश के लिए केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्र मों की पहचान का जिम्मा दिया है। इसके तहत बिक्री के तौर तरीके, सीपीएसई की बेची जाने वाली हिस्सेदारी का अनुपात और मूल्यांकन की प्रक्रि या भी शामिल है।पनगढ़िया ने कहा कि नीति आयोग ने उन बीमार इकाइयों की पहचान के संबंध में एक रपट तैयार की है जिन्हें बंद करने की जरूरत है। सरकार के 2016-17 के बजट प्रस्तावों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सरकारी हिस्सेदारी बेचकर 56,500 करोड़ रु. जुटाये जायेंगे। इसमें से 36,000 करोड़ रु. सार्वजनिक उपक्रमों में अल्पांश हिस्सेादरी बेचकर जबकि शेष 20,500 करोड़ रु रणनीतिक बिक्री के जरिये जुटाये जायेंगे।
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