सरकार संवैधानिक दस्तावेजों में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर निश्चित करने की बजाय इसका दायरा तय करने पर सहमत हो सकती है। राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा द्वारा सुझाये गये इस विकल्प पर सरकार ने संकेत दिया है कि इस पर सहमति बन सकती है।विपक्षी दल कांग्रेस के विरोध के कारण अब तक वस्तु एवं सेवा कर विधेयक राज्यसभा में पारित नहीं हो पाया है। राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है। कांग्रेस जीएसटी दर संवैधानिक दस्तावेज में तय करने की मांग करती रही है जबकि सरकार का कहना है कि ऐसा करने से भविष्य में इस दर में बदलाव के लिए संविधान संशोधन की जटिल प्रक्रिया अपनानी पड़ेगी जो देश के हित में नहीं होगा। शर्मा ने एक नया रास्ता सुझाते हुए एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित साक्षात्कार में कहा, हम कर की दर का दायरा निश्चित करने के बारे में सरकार से आश्वासन चाहते हैं। सरकार को विकल्पों के साथ हमसे बात करने दीजिये। इस बारे में पूछे जाने पर सरकार के एक उच्च पदस्थ सूत्र ने कहा उन्होंने (श्री शर्मा ने) तार्किक बयान दिया है। हम हमेशा बातचीत के लिए तैयार हैं। शर्मा ने आरोप लगाया कि डेढ़ साल बाद सरकार ने फरवरी 2016 में जीएसटी पर विपक्षी दलों की पहली बैठक बुलायी और इसके बाद अब तक कोई बैठक नहीं हुई है।
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