उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि सेना और अर्धसैनिक बल मणिपुर में ‘‘अत्यधिक एवं प्रतिशोध स्वरूप बल’ का प्रयोग नहीं कर सकते। ऐसी घटनाओं की जांच की जानी चाहिए। न्यायमूर्ति एम बी लोकुर तथा न्यायमूर्ति आर के अग्रवाल की पीठ ने सहायक वकील (एमिकस क्यूरी) से मणिपुर में हुईं कथित फर्जी मुठभेड़ों का ब्यौरा देने को भी कहा। पीठ ने कहा कि मणिपुर में कथित फर्जी मुठभेड़ों के आरोपों की जांच सेना चाहे तो, खुद भी कर सकती है। न्यायालय ने कहा कि वह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के इस दावे की जांच करेगी कि वह ‘‘शक्तिविहीन’ है और उसे कुछ और शक्तियों की जरूरत है। उच्चतम न्यायालय जिस याचिका पर सुनवाई कर रहा था वह याचिका सुरेश सिंह ने दाखिल की है और उन्होंने ‘‘अशांत इलाकों में’ भारतीय सैन्य बलों को विशेष अधिकार देने वाले सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून को निरस्त करने की मांग की है। पूर्व में न्यायालय ने कहा था कि मणिपुर में मुठभेड़ में मारे गए लोगों के परिजन को सुरक्षा बलों द्वारा मुआवजा दिए जाने संबंधी तय ‘‘संकेत’ देते हैं कि यह मुठभेड़ें फर्जी थीं। पीठ ने मणिपुर सरकार से कहा कि मृतकों के परिजन को मुजावजा देने के बाद उठाए गए कदमों के बारे में वह न्यायालय को जानकारी दे।
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