एक अध्ययन के अनुसार भारत का उदय जहां एक तरफ दुनिया के सबसे बड़े दूसरे बाजार के तौर पर हुआ है वहीं वह विश्व का पांचवा सबसे बड़ा ई-कचरा उत्पादक देश भी है जहां हर साल लगभग साढ़े 18 लाख टन ई-कचरा उत्पन्न होता है।एसोचैम और केपीएमजी के एक संयुक्त अध्ययन में सामने आया है कि पूरे ई-कचरा में अकेले दूससंचार उपकरणों की हिस्सेदारी 12 प्रतिशत है। इसमें कहा गया है कि हाल के दिनों में ई-कचरा के स्तर में बढ़ोतरी होना भारत के लिए गहरी चिंता का विषय है। हर साल यहां 100 करोड़ से ज्यादा मोबाइल फोनों का प्रयोग किया जाता है जिनमें से करीब 25 प्रतिशत का अंत ई-कचरा के रूप में होता है।अध्ययन में कहा गया है, ‘‘निश्चित रूप से भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल बाजार बनकर उभरा है जहां 1.03 अरब से ज्यादा मोबाइल उपभोक्ता हैं लेकिन यह दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा ई-कचरा उत्पादक भी है।’ पर्यावरण मंत्रालय ने ई-कचरा प्रबंधन नियमावली-2016 को अधिसूचित किया है। नियमों का पालन नहीं करने पर कड़े आर्थिक दंड का प्रावधान भी इसमें किया गया है। हालांकि इस अध्ययन में कहा गया है कि भारत में असंगठित क्षेत्र ई-कचरा उत्पादन के 95 प्रतिशत को संभालता है।
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