Wednesday, 18 May 2016

दैनिक समसामयिकी 19 May 2016(Thursday)

1. 9/11 के लिए सऊदी पर मुकदमे का बिल पास:- अमेरिकी सीनेट ने एक विधेयक पारित किया है जो 9/11 हमले के पीड़ितों के परिजन को सऊदी अरब के खिलाफ मुकदमा करने की अनुमति देता है, लेकिन व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा विधेयक के खिलाफ वीटो का इस्तेमाल करेंगे। ऐसा बताया जा रहा है कि सऊदी अरब ने इस विधेयक के कानून बनने पर अमेरिका में 750 अरब डॉलर का निवेश वापस लेने की धमकी दी है। हालांकि हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में अभी यह विधेयक पारित होना है जिसके बाद इसे कानून में बदलने से लिए ओबामा के पास हस्ताक्षर के लिए लाया जाएगा। व्हाइट हाउस ने कहा है कि ओबामा इसके खिलाफ वीटो का प्रयोग करेंगे।व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अन्रेस्ट ने सीनेट में जस्टिस अगेंस्ट स्पॉन्सर्स ऑफ टेरेरिज्म एक्स के पारित होने के बाद मंगलवार को कहा, यह विधेयक किसी को मिलने वाली छूट संबंधी पुराने अंतरराष्ट्रीय कानून को बदल देगा। उन्होंने कहा, अमेरिका के राष्ट्रपति लगातार यह चिंता व्यक्त करते रहे हंi कि यह विधेयक विश्व भर की अन्य अदालती पण्रालियों में अमेरिका को असुरक्षित बना सकता है। अन्रेस्ट ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, हमने जो चिंताएं व्यक्त की हैं, उन्हें देखते हुए यह कल्पना करना मुश्किल है कि राष्ट्रपति इस विधेयक पर हस्ताक्षर करेंगे। उन्होंने कहा, चिंतित करने वाला तय यह है कि ‘‘सोवरन इम्युनिटी’ एक ऐसा सिद्धांत है जो हमारे देश की सुरक्षा के लिए अहम है। अमेरिका विश्व के दूसरे देशों की गतिविधियों में किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक शामिल है।
2. बंधुआ मजदूरी पुनर्वास स्कीम में बढ़ी मदद:- सरकार ने बंधुआ मजदूर पुनर्वास योजना में संशोधन कर इसे पूरी तरह केंद्र पोषित स्कीम बनाने तथा पुनर्वास के तहत वित्तीय मदद बढ़ाने का निर्णय लिया है। जबरन वेश्यावृत्ति, संगठित भिक्षाटन और बाल श्रम को भी अब बंधुआ मजदूरी माना जाएगा। स्कीम का बजटीय प्रावधान भी पांच से बढ़ाकर 47 करोड़ करने का प्रस्ताव है।केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने बताया कि 1976 के बंधुआ मजदूरी प्रणाली (निवारण) कानून (बीएलएस) के तहत 1978 में लाई गई बंधुआ मजदूर पुनर्वास स्कीम विफल हो गई है। लिहाजा सरकार ने इसमें संशोधन का फैसला किया है। मानव तस्करी और यौन शोषण से मुक्त कराए गए दिव्यांगों, महिलाओं, बचों तथा किन्नरों को अब 3 लाख की वित्तीय सहायता मिलेगी। जबकि सामान्य महिलाओं और नाबालिगों को दो लाख रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी। बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराए जाने वाले सामान्य वयस्क पुरुषों को अब 20 हजार के बजाय एक लाख रुपये दिए जाएंगे। यह सारा खर्च केंद्र सरकार उठाएगी। अब तक इस स्कीम का आधा खर्च राज्य सरकारें उठाती थीं।संशोधित स्कीम की सबसे खास बात यह है कि इसमें बंधुआ मजदूरी के नए रूपों मसलन, संगठित भिक्षाटन, जबरन वेश्यावृत्ति तथा बाल मजदूरी को भी शामिल किया गया है। साथ ही जिलाधिकारियों के लिए पुनर्वास प्रक्रिया को सरल बना दिया गया है। अब हर जिलाधिकारी के पास 10 लाख रुपये का एक स्थायी पुनर्वास कोष रहेगा। केंद्र की ओर से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण से पहले इस कोष से अस्थायी सहायता उपलब्ध कराई जा सकेगी।डीएम/कलेक्टर को जमीन, मकान, राशन तथा व्यावसायिक मदद देने के अधिकार भी प्रदान किए गए हैं। ऐसे मामलों में जिनमें बंधुआ मजदूरी की पुष्टि न हुई हो, उनमें भी डीएम पीड़ितों की मदद कर सकेंगे। बच्चों तथा महिलाओं को सरकार की ओर से शिक्षित और दक्ष किया जाएगा। सरकार अनाथ लड़कियों की शादी भी कराएगी। नए पैकेज के तहत दी जाने वाली राशि जिलाधिकारियों द्वारा नियंत्रित एन्यूटी खाते में रहेगी। इससे प्राप्त होने वाला ब्याज हर महीने लाभार्थी को मिलेगा। डीएम की मर्जी के बगैर इस खाते को छुआ नहीं जा सकेगा। स्कीम में संशोधन के साथ ही इसके पुराने नियम बदले जाएंगे। बंधुआ मजदूर पुनर्वास स्कीम के तहत अब तक 18 राज्यों के 172 जिलों में केवल 2.82 लाख बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया जा सका है। आस्टेलिया के वॉक फ्री फाउंडेशन के ग्लोबल स्लैवरी इंडेक्स के अनुसार, भारत में बंधुआ मजदूरों की संख्या साढ़े तीन लाख के करीब है।
3. गरीबी रेखा तय करने से बच रहा नीति आयोग:- कहते हैं कि दूध का जला छाछ को भी फूंक-फूंक कर पीता है। कुछ यही हाल नीति आयोग का है, जो अपने पूर्ववर्ती योजना आयोग से सबक लेकर गरीबी रेखा तय करने के संबंध में हर कदम संभल कर रख रहा है। हाल यह है कि एक साल से अधिक समय के बाद भी नीति आयोग गरीबी रेखा तय नहीं कर पाया है। आयोग यह भी तय नहीं कर सका है कि आधिकारिक तौर पर देश में गरीबी रेखा होनी चाहिए या नहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आठ फरवरी, 2015 को हुई नीति आयोग की गवर्निग काउंसिल की बैठक में गरीबी उन्मूलन पर एक टास्क फोर्स बनाने का फैसला किया गया था। 16 मार्च, 2015 को नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पानगड़िया की अध्यक्षता में यह टास्क फोर्स बनाई गई। लेकिन कई बार कार्यकाल बढ़ने के बावजूद यह टास्क फोर्स आधिकारिक तौर पर गरीबी रेखा होनी चाहिए या नहीं, इसे लेकर कोई फैसला नहीं कर पाई। सूत्रों ने कहा कि बुधवार को पानगड़िया की अध्यक्षता में इस टास्क फोर्स की बैठक हुई। इसमें भी कोई फैसला नहीं किया जा सका। बताया जाता है कि पानगड़िया ने बैठक में कहा कि आधिकारिक तौर पर गरीबी रेखा होनी चाहिए। इस पर कुछ सदस्यों ने कहा कि गरीबी रेखा तय करने को लेकर विगत में काफी विवाद हुए हैं, इसलिए नीति आयोग को इससे बचना चाहिए। बैठक में अब तक देश में प्रचलित गरीबी रेखाओं की विभिन्न परिभाषाओं पर विचार भी हुआ। एक विचार यह भी आया कि विश्व बैंक की गरीबी रेखा को ही अपना लिया जाए। बैठक में सुझाव यह भी आया कि सरकार ने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य तय किए हैं। ऐसे में गरीबी उन्मूलन का लक्ष्य कितना हासिल हुआ, इसकी प्रगति देखने के लिए एक गरीबी रेखा जरूरी है। अगर यह रेखा नहीं होगी, तो यह कैसे पता किया जाएगा कि गरीबी में कितनी कमी आयी। सूत्रों ने कहा कि टास्क फोर्स अब फिर बैठक करेगी, उसके बाद ही इस संबंध में अंतिम निर्णय लिया जाएगा। नीति आयोग से पहले गरीबी रेखा तय करने का जिम्मा योजना आयोग के पास था। हालांकि गरीबी रेखा नीचे रखने को लेकर योजना आयोग को आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा था।
4. वेनेजुएला के विपक्ष ने सेना से कहा संविधान को चुनो या सरकार को:- वेनेजुएलामें राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के खिलाफ सड़क पर उतरे विपक्ष ने अब सेना से परोक्ष रूप से बगावत करने को कहा है। विपक्ष के नेता हेनरिक कैपरिले ने कहा कि सेना तय कर ले, वह संविधान के साथ है या (राष्ट्रपति) मादुरो के साथ। राष्ट्रपति मादुरो ने देश में 60 दिन के लिए इमरजेंसी लगाई है। उन्होंने सेना और पुलिस को देश के आर्थिक संकट से निपटने को व्यापक अधिकार दिए हैं। विपक्ष के नेता कैपरिले का कहना है कि इमरजेंसी घोषित करने के साथ ही मादुरो ने असंवैधानिक अधिकार अपने हाथ में ले लिए हैं। उन्होंने वेनेजुएला के नागरिकों से अपील की कि वे राष्ट्रपति के आदेशों को मानें। कैपरिले ने पत्रकारों से चर्चा में कहा, alt147मादुरो ने अब खुद को संविधान से ऊपर घोषित कर दिया है। अधिकार और अपने बनाए कानून लागू करवाने के लिए राष्ट्रपति ने सड़कों पर टैंक और लड़ाकू विमान उतार दिए हैं।' कैपरिले ने कहा कि विपक्ष मादुरो को संवैधानिक और कानूनी तरीके से पद से हटाने की कोशिश कर रहा है। राष्ट्रपति को हटाने के लिए जनमत संग्रह कराने की कोशिश में विपक्ष विपक्षराष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए जनमत संग्रह करवाने की कोशिश में है। लेकिन वह निर्धारित समय में तय संख्या में हस्ताक्षर जमा नहीं कर पाया। राष्ट्रपति ने जनमत संग्रह करवाने से इनकार कर दिया है। वहीं, नेशनल असेंबली ने राष्ट्रपति द्वारा लागू इमरजेंसी लगाने का आदेश मंगलवार देर शाम खारिज कर दिया। नेशनल असेंबली में राष्ट्रपति मादुरो का नहीं बल्कि विपक्ष का बहुमत है। इसके बाद मादुरो ने कहा कि नेशनल असेंबली राजनीतिक वजूद खो चुकी है।
5. केंद्र की घोषणा : भारत में जल्द खुलेगा राष्ट्रीय प्रदूषण शोध संस्थान:- केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बुधवार को देश की विभिन्न प्रदूषण नियंत्रण समितियों के बीच बेहतर समन्वय का आह्वान करते हुए कहा कि भारत में जल्द ही पहला 'राष्ट्रीय प्रदूषण शोध संस्थान' खुलेगा। प्रदूषण के खतरों का अध्ययन करने के लिए मंत्रालय ने एक समर्पित शोध संस्थान की स्थापना का प्रस्ताव दिया है।उन्होंने कहा, 'केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण समिति, केंद्रीय पर्यावरण वन जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा राज्य प्रदूषण नियंत्रण समितियों के बीच बेहतर समन्वय होना चाहिए।' प्रदूषण पर इस तरह की कार्यशाला हर छह महीने पर होनी चाहिए। केंद्रीय पर्यावरण वन जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एक वेब आधारित एप लॉन्च किया है, जो लगभग 43 हजार औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले हानिकारक कचरे की निगरानी प्रबंधन में मदद करेगा। इस प्रणाली से मिलने वाले आंकड़ों को उद्योगों के मालिकों को भेजा जाएगा। उन्होंने कहा, alt147परिवेशी वायु गुणवत्ता प्रणाली तथा जल गुणवत्ता प्रणाली से लगातार मिलने वाले आंकड़ों को उद्योगों के मालिकों के पास भी भेजा जाना चाहिए, ताकि उन्हें भी इस बात का एहसास हो कि वे कहां और सुस्ती बरत रहे हैं।
6. पीएनबी को 5,367 करोड़ की चपत:- फंसे कर्जो ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को जबरदस्त चोट पहुंचाई है। बीते वर्ष 2015-16 की चौथी तिमाही के दौरान पीएनबी को 5,367 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। देश के बैंकिंग इतिहास में किसी बैंक को पहली बार इतना भारी नुकसान उठाना पड़ा है। देश के इस दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक को वित्त वर्ष 2014-15 की समान तिमाही में 306.56 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था। खास बात यह है कि एनपीए के लिए प्रावधान बढ़ाने की वजह से यादातर सरकारी बैंकों को या तो नुकसान हुआ है या फिर उनके मुनाफे में भारी कमी आई है। पीएनबी की एमडी उषा अनंतसुब्रमणियन ने बुधवार को बैंक के तिमाही नतीजों का एलान किया। उन्होंने कहा कि बैंक को एनपीए (फंसे कर्जो) के एवज में प्रावधान बढ़ाकर तीन गुना (11,380 करोड़ रुपये) करना पड़ा है। इसमें बिजली कंपनियों के ऐसे कर्जो के लिए 385 करोड़ और पंजाब में खाद्यान्न संबंधी लोन की खातिर 167 करोड़ की राशि का प्रावधान (प्रॉविजन) शामिल है। उन्होंने माना कि आगे आने वाले कुछ और समय तक बैलेंसशीट पर एनपीए का दबाव बना रहेगा। इसके साथ ही एमडी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में बैंक अपनी सहयोगी कंपनी पीएनबी हाउसिंग को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराएगा। रिजर्व बैंक की ओर से प्रॉविजनिंग के आदेश के बाद बैंक ने 10,490 करोड़ रुपये को खराब संपत्तियों यानी बैड असेट्स की सूची में डाल दिया है। 31 मार्च को वसूली नहीं किए जा सकने वाला लोन (ग्रॉस एनपीए) एक साल में दोगुना हो गया है। यह एक साल पहले के 6.55 फीसद की तुलना में बढ़कर 12.9 प्रतिशत पर पहुंच गया। फंसे कर्जो का यह आंकड़ा इस दौरान 55,818 करोड़ रुपये रहा। समीक्षाधीन तिमाही में पीएनबी की कुल आय भी घटकर 13,276 करोड़ रुपये पर आ गई। वैसे, समूचे वित्त वर्ष 2015-16 में बैंक को कुल 3,974 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। इस दौरान बैंक ने एनपीए के लिए 18,469 करोड़ रुपये का प्रावधान किया। इस दौरान बैंक की कुल आमदनी बढ़कर 54,301 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। पीएनबी ने उद्योगपति विजय माल्या के आंशिक भुगतान के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। उषा ने कहा कि माल्या को हर हाल में लोन की पूरी रकम चुकानी होगी। इसके बाद ही उनके साथ किसी तरह का निपटारा हो पाएगा। बीएनबी ने माल्या की बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस को 800 करोड़ रुपये का कर्ज दे रखा है। देश छोड़कर लंदन में रह रहे इस उद्योगपति ने सुप्रीम कोर्ट में 17 बैंकों के कंसोर्टियम को आंशिक भुगतान की पेशकश की थी।
7. भारत घटाए सीमा शुल्क की दर : अमेरिका:- भारत सरकार ने अमेरिकी निवेश और उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए भले ही हाल के वर्षो में कई तरह के प्रोत्साहन दिए हो लेकिन अमेरिका इससे खुश नहीं है। अमेरिका चाहता है कि भारत अमेरिकी वस्तुओं पर लगाये जाने वाले सीमा शुल्क में रियायत दे। यही नहीं मोदी सरकार की तरफ से कारोबार को आसान करने के लिए जो कदम उठाये गये हैं, अमेरिका उससे भी पूरी तरह संतुष्ट नहीं है। अमेरिका की विदेश वाणियिक सेवा के डायरेक्टर जनरल व वैश्विक बाजार के सहायक सचिव अरुण कुमार ने यहां कार्यक्रम में उक्त बातें कही। उन्होंने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार 500 अरब डॉलर करने के लक्ष्य का समर्थन करते हुए कहा कि अमेरिकी कंपनियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आर्थिक लक्ष्यों को हासिल करने में काफी मदद कर सकती हैं। ज्यादा सीमा शुल्क लगाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि अमेरिका से आयातित सामानों पर भारत में औसतन 13 फीसद का शुल्क लगाया जाता है जो भारतीय उत्पादों पर अमेरिका द्वारा लगाये जाने वाले शुल्कों के मुकाबले छह गुना यादा है। उन्होंने हर तरह की कंपनी को एक समान अवसर प्रदान करने की बात कही। हाल के दिनों मे भारत सरकार ने आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए कई कदम उठाये हैं लेकिन आर्थिक सुधार के मामले में अभी बहुत कुछ किया जाना है। कुमार ने कहा कि अमेरिकी कंपनियों ने भारत को खास तवजो देना शुरू कर दिया है। पिछले वर्ष भारत में अमेरिकी कंपनियों ने चीन से भी यादा इक्विटी निवेश किया। पिछले दो वर्षो में अमेरिकी कंपनियों ने 15 अरब डॉलर का निवेश किया और अगले दो वर्षो के भीतर अमेरिका से 27 अरब डॉलर का निवेश हो सकता है।
8. वैज्ञानिकों ने बनाया रिकॉर्ड क्षमता वाला सौर सेल:- वैज्ञानिकों ने रिकॉर्ड क्षमता वाला सौर सेल बनाने का दावा किया है। इस सेल की क्षमता 34.5 फीसद के करीब है। यह क्षमता ऐसे किसी सेल के लिए सैद्धांतिक तौर पर प्रतिपादित क्षमता के करीब है। यह अपने आप में विश्व रिकॉर्ड है। यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स के मार्क कीवर्स और मार्टिन ग्रीन ने सूर्य के प्रकाश से सर्वाधिक ऊर्जा हासिल करने की तकनीक खोजी है। इसमें सेल पर पड़ने वाला प्रकाश चार जंक्शन रिसीवर की मदद से चार बैंड में टूट जाता है। ऐसा होने से प्रकाश की हर किरण से सर्वाधिक ऊर्जा प्राप्त होती है। अमेरिका की राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा प्रयोगशाला ने इस सेल की क्षमता को प्रमाणित किया है। इससे पहले अमेरिका की कंपनी अल्टा डिवासेज ने 24 फीसद क्षमता वाला सेल बनाया था। हालांकि इसका आकार बहुत बड़ा था। 24 फीसद की क्षमता के लिए उस सेल का आकार 800 वर्गमीटर रखा गया था। वहीं उसकी तुलना में नया सेल महज 28 वर्ग सेंटीमीटर आकार का है। शोधकर्ताओं ने कहा कि सूर्य की प्रत्येक किरण से यादा से यादा ऊर्जा हासिल करने से सौर ऊर्जा की लागत भी कम होगी।

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