Tuesday, 24 May 2016

दैनिक समसामयिकी 25 May 2016(Wednesday)

1.लखनऊ, रांची समेत 13 और शहर बनेंगे स्मार्ट:- सरकार ने मंगलवार को लखनऊ, भागलपुर, रांची, इंफाल तथा वारंगल सहित 13 और शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने की घोषणा की। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने यहां अपने मंत्रालय के पिछले दो साल की उपलब्धियों का ब्योरा देते हुए बताया कि विभिन्न राज्यों के 23 शहरों में और 13 शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने का फैसला किया गया है। इससे पहले सरकार ने 20 शहरों को स्मार्ट बनाने की घोषणा की थी। उन्होंने बताया कि 23 शहरों की प्रतिस्पर्धा में प्रथम स्थान उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ ने प्राप्त किया है। उन्होंने बताया कि प्रथम स्थान पर आए लखनऊ ने प्रतिस्पर्धा में 19 प्रतिशत अंक प्राप्त किए है। इस अवसर पर नायडू ने एक पुस्तिका ‘‘अर्बन रेनैसांस) मई 2014-मई 2016’भी जारी की और कहा कि पिछले दो साल में शहरों के नियोजन और प्रशासन के दृष्टिकोण के आमूल चूल बदलाव आया है। वेंकैया ने बताया कि देश के 98 शहरों को स्मार्ट सिटी मिशन में और 497 शहरों को अटल मिशन में शामिल किया गया है। इन क्षेत्रों में लगभग 70 प्रतिशत आबादी निवास करती है। शहरों की आधारभूत ढांचा सुविधाओं को विकसित करने के लिए सरकार ने एक लाख, 13 हजार 143 करोड़ रपए आवंटित किए हैं।
2. ब्रिटेन ने मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति को दी शरण:- ब्रिटेन ने मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद को राजनीतिक शरणार्थी का दर्जा दे दिया है। यह दावा नशीद के वकील ने किया है। नशीद के चार साल तक राष्ट्रपति रहने के बाद उनका तख्तापलट कर दिया गया था।मानवाधिकारों के एक प्रसिद्ध अभियानकर्ता और मालदीव के पहले लोकतांत्रिक तौर पर निर्वाचित राष्ट्रपति नशीद (49) को श्रीलंका, भारत और ब्रिटेन की मध्यस्थता वाले एक समझौते के बाद जनवरी में रीढ़ से जुड़ी सर्जरी कराने के लिए ब्रिटेन जाने की अनुमति दे दी गई थी।
3. बिहार तक रेल चलाना चाहता है चीन :- तिब्बत के रास्ते रेल व सड़क नेटवर्क के जरिये नेपाल में अपने प्रभाव का विस्तार कर रहे चीन की नजर अब भारत पर है। वह तिब्बत-नेपाल के बीच प्रस्तावित अपने रेल संपर्क को बिहार की सीमा तक बढ़ाने का इछुक है। बीजिंग चाहता है कि तिब्बत से सटे रसुवागढ़ी के लिए प्रस्तावित उसके रेल मार्ग का विस्तार बिहार से लगे नेपाली सीमावर्ती शहर बीरगंज तक हो जाए। बीरगंज की सीमा बिहार में पूर्वी चंपारण के रक्सौल शहर से लगती है। यहां भारत-नेपाल बॉर्डर चेकपोस्ट भी है। चीन का तर्क है कि इससे भारत और दक्षिण एशिया के साथ उसका परिवहन संपर्क बढ़ेगा। चीन के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने मंगलवार को यह जानकारी दी है।अखबार के मुताबिक तिब्बत के काइरांग शहर से सटे रसुवागढ़ी तक रेल पटरी बिछाने को लेकर नेपाल और चीन के बीच बातचीत पहले ही पूरी हो चुकी है। काइरांग से नेपाल तक रेललाइन 2020 तक पहुंचने की उम्मीद है। खबर में बताया गया है कि इस रेललाइन को भारत की सीमा तक भी पहुंचाया जा सकता है क्योंकि रसुवागढ़ी से भारत की सीमा पर स्थित नेपाली शहर बीरगंज की दूरी महज 240 किलोमीटर है।ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, बिहार के लिए कोलकाता की बजाय इस रेल लिंक (काइरांग-रसुवागढ़ी-बीरगंज) के जरिये चीन के साथ व्यापार करना बेहद आसान होगा। इससे समय, लागत और दूरी की बचत होगी। ध्यान रहे कि नेपाल के साथ अपने रेल और सड़क नेटवर्क के विस्तार को चीन रणनीतिक तौर पर काफी महत्वपूर्ण मान रहा है क्योंकि इसके जरिये ही नेपाल में भारत के वर्चस्व को कम किया जा सकता है। वैसे विशेषज्ञों का कहना है कि हिमालय के दुर्गम पहाड़ी रास्तों से होते हुए इतने महंगे बुनियादी ढांचे के निर्माण का तभी कोई महत्व होगा, जब इससे भारत भी जुड़े।
4. भारत में चीन के निवेश में छह गुना तक बढ़ोतरी:- भारत में चीन के निवेश में बड़ी बढ़ोतरी हुई है। सालाना आधार पर वर्ष 2015 में यह छह गुना बढ़कर 87 करोड़ डॉलर हो गया। चीन की कंपनियों पर प्रतिबंधों में ढील और अनुकूल टैक्स दरों के चलते और निवेश की उम्मीद है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की चीन यात्र से पहले सरकारी अखबार में इस बाबत खबर दी गई। चीन के व्यापार विशेषज्ञों के हवाले से ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि चीन की कंपनियों का भारत में निवेश 2015 में 2014 की तुलना में छह गुना हो गया। इसकी मुख्य वजहों में निवेश प्रतिबंधों में रियायत, अनुकूल टैक्स और भूमि किराया नीतियां शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में चीन का निवेश 2015 में बढ़कर लगभग 87 करोड़ डॉलर हो गया जो कि 2014 की तुलना में छह गुना है। भारत सरकार ने पिछले साल से मेक इन इंडिया कैंपेन में चीन का ज्यादा से ज्यादा निवेश हासिल करने के प्रयास शुरू किए हैं। 
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी बुधवार को गुआंगझू शहर में भारत-चीन बिजनेस फोरम को संबोधित करेंगे। इसमें 300 से अधिक चीनी निवेशकों और उद्योगपतियों के शिरकत करने की उम्मीद है। आधिकारिक भारतीय आंकड़ों के मुताबिक, भारत में चीन से कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) अभी तक करीब 1.24 अरब डॉलर है। चीन के अधिकारियों ने बताया कि भारत में कई परियोजनाओं में निवेश की प्रतिबद्धता जताई गई है। इस लिहाज से यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। भारत में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की यात्रा के दौरान 20 अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई गई थी। चीनी निवेशकों के लिए निवेश के माहौल को सुगम बना रहा भारत चीन से अधिक निवेश के लिए जोर देता रहा है। इसकी बड़ी वजह द्विपक्षीय व्यापार घाटा है। यह चीन की तरफ झुका हुआ है। बीते साल दोनों देशों के बीच करीब 71 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। इसमें से करीब 48 अरब डॉलर चीन के पक्ष में रहा। हाल के वर्षो में चीन की कंपनियों ने भारत में मौजूदगी बढ़ाई है।
5. पाक को दो हजार करोड़ की मदद रोकने पर सीनेट समिति की मुहर:- अमेरिकी सीनेट की एक समिति ने पाकिस्तान को 30 करोड़ डॉलर (करीब दो हजार करोड़ रुपये) की सैन्य मदद रोकने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है। यह रोक तब तक लागू रहेगी जब तक पाकिस्तान आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता। रोक हटने से पहले अमेरिकी विदेश मंत्री को संसद में यह प्रमाणित करना होगा कि इस्लामाबाद ने हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कठोर कदम उठाए हैं। सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति ने गठबंधन सहायता कोष से मिलने वाली इस मदद पर रोक लगाते हुए पाकिस्तान को सुरक्षा मदद जारी रखने की बात कही है। पिछले हफ्ते इस मामले में नेशनल डिफेंस अथॉराइजेशन एक्ट (एनडीएए) पास किया गया था। सीनेट में जल्द ही इस पर मतदान होना है। उम्मीद की जा रही है कि उस समय कई सीनेटर इस विधेयक में संशोधन का प्रस्ताव रख सकते हैं। सशस्त्र सेवा समिति ने एनडीएए-2017 को पिछले हफ्ते तब पास किया था जब अमेरिकी ड्रोन हमले में अफगान तालिबान चीफ मुल्ला मंसूर नहीं मारा गया था। इससे पहले कांग्रेस में जो बिल पास किया गया था उसमें गठबंधन सहायता कोष की रकम 90 करोड़ डॉलर और सैन्य मदद 45 करोड़ डॉलर थी। सीनेट की समिति ने दोनों रकम को कम कर दिया है। उसने गठबंधन सहायता कोष को 80 करोड़ डॉलर और सैन्य मदद को 30 करोड़ डॉलर पर सीमित कर दिया है। एनडीएए-2016 इस साल 30 सिंतबर को खत्म हो रहा है। नए सिरे से मदद पाने के लिए पाकिस्तान को इससे पहले साबित करना होगा कि वह हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। पेंटागन के प्रवक्ता कैप्टन जेफ डेविस ने बताया कि अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया है। ओबामा प्रशासन पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य मदद रोकने के पक्ष में नहीं है। पिछले हफ्ते कांग्रेस के इस कदम का व्हाइट हाउस ने यह कहते हुए विरोध किया था कि इससे संबंधों में जटिलता आएगी। सशस्त्र सेवा समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में पाकिस्तान को अमेरिका का लंबे समय से रणनीतिक साङोदार और 9/11 के आतंकी हमले के बाद से दक्षिण एशिया में बेहद अहम साथी बताया है। इसमें कहा गया है कि दोनों देशों के बीच मजबूत और टिकाऊ संबंध बने रहने चाहिए। लेकिन, इसके लिए आतंकी संगठनों के खिलाफ लड़ाई में उसे प्रतिबद्धता दिखाने को कहा गया है।
6. बदतर हो गई बैंकों की ग्राहक सेवा:- देश के बैंक आजकल बढ़ते एनपीए (फंसे कर्जे), विजय माल्या से कर्ज वसूली या खराब होते वित्तीय प्रदर्शन के लिए ही सुर्खियों में जगह पाते हैं। लेकिन इस दौरान बैंकों की ग्राहक सेवा भी बद से बदतर हो गई है। खुद रिजर्व बैंक (आरबीआइ) मान रहा है कि ग्राहकों की सेवा की गुणवत्ता एकदम खराब होती जा रही है। आरबीआइ ने अपने सर्वे में पाया है कि एक तिहाई एटीएम काम नहीं करते। ग्राहक सेवा गुणवत्ता को सुधारने संबंधी कोड को लागू करने में लगभग 90 फीसद बैंक विफल रहे हैं। यह स्थिति तब है जब केंद्रीय बैंक ने छह वर्ष पहले ग्राहक सेवा बेहतर बनाने के लिए गठित एम दामोदरन की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों को लागू करने का दावा भी किया था। बैंकों की इस हरकत की वजह से रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एसएस मुंद्रा को कहना पड़ा है कि ग्राहक सेवा के मुद्दे पर कोताही करने वाले बैंकों के ऊपर पेनाल्टी लगाने पर विचार हो रहा है। ग्राहकों की सेवा की गुणवत्ता संबंधी कोड पर वर्ष 2014-15 का सर्वेक्षण बताता है कि सिर्फ 14 फीसद बैंकों ने ग्राहक सेवा के सभी मानकों को शानदार तरीके से लागू किया है। 49 फीसद बैंकों ने औसत से बेहतर प्रदर्शन किया है। औसत प्रदर्शन वाले बैंकों का अनुपात 21 फीसद रहा है। आरबीआइ ने जब देश के 4,000 एटीएम का सर्वे किया तो पाया कि इनमें से एक तिहाई काम नहीं कर रहे थे। एटीएम के पास तमाम सूचनाओं को देने और आरबीआइ के ऐसे ही अन्य निर्देशों का पालन नहीं किया गया है। यही नहीं, ग्राहकों को गलत सूचना देकर बैंकिंग व बीमा उत्पाद बेचने को लेकर भी कोई सुधार नहीं हुआ है। रिजर्व बैंक ने इस बारे में भी कई अध्ययन किया है। इसके नतीजे भी काफी निराश करने वाले हैं। ग्राहकों को फोन पर बढ़ा-चढ़ा कर बीमा उत्पाद बेचने की बात छह वर्ष पहले भी उठी थी। तब केंद्रीय बैंक ने इसमें सुधार के लिए दिशानिर्देश भी निकाला था, लेकिन अभी तक उसका खास नतीजा निकलता नहीं दिख रहा है। ऐसे में बैंकों के ऊपर भारी भरकम पेनाल्टी लगाने के विकल्प पर केंद्रीय बैंक विचार कर रहा है। पिछले 12 वर्षो में ग्राहकों की सेवा की गुणवत्ता को बढ़ाने को लेकर आरबीआइ दो बार समिति गठित कर चुकी है। पहली बार तारापोर समिति गठित की गई और बाद में दामोदरन समिति। दोनों की रिपोर्टे लागू भी हो चुकी हैं। आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर की यह स्वीकारोक्ति से साफ है कि ग्राहक सेवा बैंकों की वरीयता में अभी भी नहीं आ पाई है।
7. खाद्य उत्पादों में पोटेशियम ब्रोमेट मिलाने पर लगेगी रोक:- सरकार अगले 15 दिन में पोटेशियम ब्रोमेट के खाद्य मिशण्रके रूप में इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है क्योंकि खाद्य मानक विनियामक ने स्वीकृत खाद्य मिशण्रों की सूची से इसे हटा दिया है।गौरतलब है कि सेंटर फार साइंस एंड एन्वायर्नमेंट (सीएसई) के एक अध्ययन में दावा किया गया है कि ब्रेड या डबलरोटी में कैंसर पैदा करने वाले रसायनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के मुख्य कार्यकारी पवन कुमार अग्रवाल ने कहा कि खाद्य कारोबार में पोटेशियम ब्रोमेट उन 11,000 मिशण्रों में है जिनकी अनुमति खाद्य उत्पादों में मिलाने की है। सावधानी से विचार के बाद एफएसएसएआई ने पोटेशियम ब्रोमेट को मिशण्रवाली सूची से हटाने का फैसला किया है।’नियामक ने स्वास्य मंत्रालय से पोटेशियम ब्रोमेट को अनुमति वाले खाद्य मिशण्रकी सूची से हटाने की सिफारिश की है। सीएसई ने कहा था कि आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले 38 ब्रेड ब्रांडों (पाव और बंद सहित) में से 84 में पोटेशियम ब्रोमेट और पोटेशियम आयोडेट पाया गया है। कई देशों में इनके इस्तेमाल पर प्रतिबंध है। इस बीच, स्वास्य मंत्री जेपी नड्डा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि उनके मंत्रालय ने एफएसएसएआई से मामले को गंभीरता से लेते हुए रिपोर्ट देने को कहा है। वे रिपोर्ट पेश करने जा रहे हैं। मंत्रालय उसी के आधार पर उचित कदम उठाएगा। रिपोर्ट आने के तत्काल बाद हम कार्रवाई करेंगे।’अधिसूचना के बारे में अग्रवाल ने कहा कि एफएसएसएआई ने इस बारे में अपनी सिफारिश स्वास्य मंत्रालय को भेज दी है। इसे मंत्रालय जारी करेगा।

No comments:

Post a Comment