सरकारी और निजी बैंकों की सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) गत वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में 32.61 प्रतिशत बढ़कर पांच लाख 80 हजार करोड़ रपए पर पहुंच गई, जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.50 प्रतिशत है। इसमें सिर्फ सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी ही पांच लाख 30 हजार करोड़ रपए के करीब रही।बीएसई में सूचीबद्ध 25 सरकारी और 11 निजी बैंकों ने अब तक अपने परिणाम घोषित किए हैं। इनमें भारतीय स्टेट बैंक का एनपीए सबसे ज्यादा 98,172.80 करोड़ रपए पर पहुंच गया। पिछले साल 31 दिसंबर में यह 72,791.73 करोड़ रपए रहा था। इसके अलावा पंजाब नेशनल बैंक का एनपीए 55,818.33 करोड़ रपए, बैंक आफ इंडिया का 49,879.13 करोड़ रपए, बैंक आफ बड़ौदा का 40,521.04 करोड़ रपए तथा इंडियन ओवरसीज बैंक का 33,048.63 करोड़ रपए पर पहुंच गया।निजी बैंकों में आईसीआईसीआई का एनपीए सबसे ज्यादा 26,221.25 करोड़ रपए पर रहा। यह 31 दिसंबर 2015 को 21,149.19 करोड़ रपए रहा था। एसबीआई के सूचीबद्ध अनुषंगी बैंकों समेत सभी 25 सरकारी बैंकों का एनपीए 31 दिसंबर 2015 को 3,94,509.02 करोड़ रपए था जो इस साल 31 मार्च को बढ़कर 5,29,655.81 करोड़ रपए हो गया। अब तक परिणाम घोषित करने वाले 11 सूचीबद्ध निजी बैंकों का सकल एनपीए 42,570.72 करोड़ रपए से बढ़कर 49,955.63 करोड़ रपए पर पहुंच गया। सरकार के फरवरी में जारी आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2014-15 में देश का जीडीपी 105.52 लाख करोड़ रपए पर रहा था। इस प्रकार 5.80 लाख करोड़ का एनपीए जीडीपी का 5.5 प्रतिशत है।एनपीए बढ़ने के कारण गत वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में 25 में से 14 सरकारी बैंक नुकसान में रहे। उनका कुल नुकसान 25,484.59 करोड़ रपए रहा। वहीं, 11 निजी बैंकों में से मात्र जम्मू एंड कश्मीर बैंक को ही 56.02 करोड़ रपए का नुकसान हुआ है। सबसे ज्यादा 5,367.14 करोड़ रपए का नुकसान पंजाब नेशनल बैंक को हुआ। उसका एनपीए 34,338.22 करोड़ रपए से बढ़कर 55,818.33 करोड़ रपए पर पहुंच गया।सार्वजनिक क्षेत्र के देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई का शुद्ध मुनाफा जनवरी-मार्च की तिमाही में 66.23 प्रतिशत घटकर 1263.81 करोड़ रपए रह गया।
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