Wednesday, 25 May 2016

26 May 2016,, 6. सेबी समाप्त करेगा 4200 कंपनियों की सूचीबद्धता:-

 बाजार नियामक सेबी ने बड़े सफाई अभियान की तैयारी कर ली है। उसकी 4200 से अधिक सूचीबद्ध कंपनियों की सूचीबद्धता समाप्त करने की योजना है। इनमें वे कंपनियां हैं, जिनके शेयरों में कोई कारोबार नहीं हो रहा है। नियामक ने कंप्यूटर सॉफ्टवेयर से तेजी से होने वाले यानी हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेड के लिए कड़े मानक तैयार करने का भी एलान किया है। साथ ही इनमें बाजार का दुरुपयोग करने पर यादा जुर्माना लगाने और ऑडिटरों की खामियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के प्रावधान होंगे। सेबी ने उम्मीद जताई है कि पी-नोट यूजर्स भारतीय बाजार में सीधे निवेश करना शुरू करेंगे। 
घरेलू बाजारों को और मजबूत बनाने व निवेशकों के हितों की रक्षा की कोशिशों के तौर पर सेबी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के लिए भी नियमनों को यादा सख्त बनाएगा। अन्य चीजों के साथ इन एजेंसियों के लिए अपनी कार्रवाई का कारण बताना अनिवार्य होगा। साथ ही निवेशकों को शेयर बेचकर निकलने का अवसर देने से मना करने वाले प्रमोटरों के खिलाफ कड़ी दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। हाई फ्रीक्वेंसी या एल्गो ट्रेड के दुरुपयोग से चिंतित सेबी के चेयरमैन यूके सिन्हा ने कहा कि 3-4 महीनों में नियमों को लाया जाएगा। ट्रेडिंग के लिए निष्पक्ष अवसर सुनिश्चित करने की खातिर ऐसा किया जाएगा। सेबी पहले नियामकों में है जिसने हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग पर कुछ नियम बनाए हैं, लेकिन इन्हें मजबूत बनाए जाने की जरूरत है। 
नहीं चलेगी ऑडिटरों की लापरवाही : इसके अलावा सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों के वित्तीय खातों में कमियों पर आंखें मूंदने वाले ऑडिटरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है। चालू वित्त वर्ष के लिए सेबी के एजेंडे को स्पष्ट करते हुए सिन्हा ने जोर दिया कि उन सूचीबद्ध कंपनियों की सूचीबद्धता समाप्त करना नियामक के फोकस क्षेत्रों में एक है, जिनमें कारोबार बहुत कम है या नहीं है।
साइबर हमलों के लिए बंदोबस्त : संभावित साइबर हमलों का भी सेबी ने संज्ञान लिया है। सिन्हा ने कहा कि खामियों को दूर करने के लिए काम किया जा रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से साइबर सुरक्षा के पहलू को कुछ सरकारी एजेंसियां भी देख रही हैं। उन्होंने भी कुछ इनपुट दिए हैं। 
पी-नोट्स का हिस्सा घटा : पी-नोट्स के संदर्भ में सिन्हा ने बताया कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआइ) में इसका हिस्सा पहले से ही रिकॉर्ड निचले स्तर 9.3 फीसद पर आ चुका है। ऑफशोर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट (ओडीआइ) के शेयर को पी-नोट्स के नाम से जाना जाता है। वर्ष 2007 में एफपीआइ में इनका हिस्सा सर्वाधिक 55 फीसद पर था। सिन्हा ने पी-नोट्स के लिए नियमों को सख्त किए जाने से घरेलू बाजारों में विदेशी पूंजी प्रवाह घटने की आशंकाओं को भी दूर किया। उन्होंने कहा कि भारत में आठ हजार से यादा एफपीआइ पंजीकृत हैं। लेकिन इनमें से केवल 39 ही ओडीआइ जारी कर रहे हैं।

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