1.प्रधानमंत्री के मन की बात में पर्यावरण संरक्षण का आह्वान :- पर्यावरण संरक्षण को हर व्यक्ति की जिम्मेदारी बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पानी की एक-एक बूंद बचाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि हमें ऐसी फसलों को अपनाना होगा, जिनमें कम पानी का इस्तेमाल होता है। यह सिर्फ सरकारों या राजनेताओं का ही नहीं, जन-सामान्य का भी काम है। प्रधानमंत्री ने सूखे की समस्या के स्थायी समाधान के अलावा खेती में सूक्ष्म सिंचाई एवं प्रौद्योगिकी के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘पानी परमात्मा का प्रसाद है। एक बूंद भी बर्बाद हो, तो हमें पीड़ा होनी चाहिए।’ रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर इन चार महीनों में हम तय करें कि पानी की एक बूंद भी बर्बाद नहीं होने देंगे। अभी से प्रबंध करें। पानी बचाने की जगह क्या हो सकती है? पानी रोकने की जगह क्या हो सकती है?’ उन्होंने कहा, ‘और पानी सिर्फ किसानों का विषय नहीं है। यह गांव, गरीब, मजदूर, किसान, शहरी, ग्रामीण, अमीर गरीब हर किसी से जुड़ा है। बारिश का मौसम आ रहा है, तो पानी हमारी प्राथमिकता रहे।’ गर्मी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पारा आसमान छू रहा है। पशु हो, पक्षी हो, इंसान हो, हर कोई परेशान है। पर्यावरण असंतुलन के कारण ही तो ये समस्याएं बढ़ती चली जा रही हैं। जंगल कम होते गए, पेड़ कटते गए। मानवजाति ने प्रकृति का विनाश करके स्वयं के विनाश का मार्ग प्रशस्त कर दिया। हमें पेड़-पौधों और पानी की भी चर्चा करनी है, ताकि हमारे जंगल बढ़ें। पिछले दिनों उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर के जंगलों में लगी आग का हवाला देते हुए मोदी ने कहा आग का मूल कारण भी हमारी लापरवाही ही थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दिनों उन्हें अधिक सूखे वाले 11 रायों के मुख्यमंत्रियों से बातचीत करने का अवसर मिला। इनमें उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा जैसे राय शामिल थे। मोदी ने कहा कि मेरे लिए वह सीखने वाला अनुभव था। मैंने नीति आयोग को कहा है कि जो सर्वश्रेष्ठ कदम हैं, उन्हें सभी रायों में लागू करने के लिए काम होना चाहिए। कुछ रायों, खासकर आंध्र और गुजरात ने प्रौद्योगिकी का भरपूर उपयोग किया है। मैं चाहूंगा कि इन सफल प्रयासों को अन्य रायों में भी पहुंचाया जाए।
2. स्वदेशी स्पेस शटल की पहली उड़ान से आज बनेगा इतिहास:- अंतरिक्ष के क्षेत्र में सोमवार का दिन भारत के लिए बेहद अहम है। इस दिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का पूरी तरह से ‘मेड इन इंडिया’ स्पेस शटल अपनी पहली प्रायोगिक परीक्षण उड़ान भरेगा। यह पहला मौका है जब भारत डेल्टा पंखों से लैस स्वदेशी स्पेस शटल यानी आरएलवी को प्रक्षेपित करने जा रहा है। इसरो ने मौसम सही होने के मद्देनजर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से इसके प्रक्षेपण की उल्टी गिनती शुरू कर दी है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष आरसी किरण कुमार के अनुसार, ‘अगर मौसम अनुकूल रहा तो सोमवार सुबह 9 मीटर लंबे और 11 टन भारी रॉकेट के जरिये पुनरुपयोगी प्रक्षेपण यान (रीयूजेबल लांच व्हीकल-आरएलवी-टीडी) श्रीहरिकोटा उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र से उड़ान भर देगा।’ सुबह सात से 11 बजे के बीच किसी भी समय प्रस्तावित प्रक्षेपण के बाद विमान के आकार वाला यह यान अंतरिक्ष में 70 किलोमीटर की दूरी तय कर बंगाल की खाड़ी में लौट आएगा। प्रक्षेपण के बाद आरएलवी-टीडी का सुपरसोनिक फ्लाइट टेस्ट नामक यह अभियान महज दस मिनट में ही संपन्न हो जाएगा। इसरो प्रमुख आरएलवी के पहले प्रायोगिक परीक्षण उड़ान से बेहद उत्साहित हैं। उनका कहना है कि अगर प्रायोगिक उड़ान तय मानकों पर खरी उतरी तो इससे उपग्रह प्रक्षेपण लागत में भारी कमी आएगी। ‘एयरोप्लेन’ के आकार के 6.5 मीटर लंबे और 1.75 टन वजनी आरएलवी अंतरिक्ष यान को एक विशेष रॉकेट बूस्टर की मदद से वायुमंडल में भेजा जाएगा। इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार उपग्रहों को कक्षा में प्रक्षेपित करने की लागत को कम करने के लिए ही आरएलवी को दोबारा इस्तेमाल के लायक बनाया गया है। उनका कहना है कि अगर आरएलवी का प्रयोग सफल हुआ तो इससे प्रक्षेपण की लागत 10 गुना कम होकर 2000 डॉलर प्रति किलो पर आ सकती है। इस स्वदेशी स्पेस शटल के निर्माण में पांच साल लगे हैं। सरकार ने इस परियोजना में 95 करोड़ रुपयों का निवेश किया है।
3. जल को समवर्ती सूची में रखने पर बहस:- भूजल स्तर में लगातार गिरावट आने, शहरों का विस्तार होने के बावजूद बुनियादी सुविधाओं की कमी, जलवायु परिवर्तन, देश के 20 राज्यों में जल विषाक्तता के बीच जल के समुचित उपयोग एवं संरक्षण को लेकर एक समग्र, व्यापक राष्ट्रीय नीति बनाने की मांग के साथ ही जल को संविधान की समवर्ती सूची में रखने पर बहस शुरू हो गई है। जल के उपयोग के बारे में भारत के गांव-समाज को अपना दायित्व हमेशा से स्पष्ट था। जब तक हमारे शहरों में पानी की पाइप लाइन नहीं पहुंची थी, तब तक यह दायित्वपूर्ति शहरी भारतीय समुदाय को भी स्पष्ट थी, किन्तु पानी के अधिकार को लेकर अस्पष्टता हमेशा बनी रही। इनोवेटिव इंडिया फाउंडेशन के संयोजक सुधीर जैन ने कहा कि जल का विषय किसके पास रहे, इसको लेकर अस्पष्टता रही है। कई सवाल आज भी कायम हैं कि कौन सा पानी किसका है ? बारिश की बूंदों पर किसका हक है? नदी-समुद्र का पानी किसका है ? तल, भूतल, सतह, पाताल का पानी किसका है ? सरकार का पानी पर स्वामित्व है या वह सिर्फ ट्रस्टी है? यदि ट्रस्टी, सौंपी गई संपत्ति की ठीक से देखभाल न करे, तो क्या हमें हक है कि हम ट्रस्टी बदल दें?पर्यावरणविद उमा राउत ने कहा कि हमें जल को समवर्ती सूची के अंतर्गत ले लेना चाहिए ताकि केंद्र के हाथ में कुछ संवैधानिक शक्ति आ जाएं। इससे देश में जल से जुड़ी समस्याओं से निपटने में मदद मिलेगी। साथ ही राष्ट्रीय संसाधनों का राष्ट्रीय हित में उपयोग निश्चित ही लाभकारी रहेगा। बुंदेलखंड विकास मोर्चा के आशीष सागर ने कहा कि हमारे सामने यह यक्ष प्रश्न है कि बाढ़ और सूखे से निपटने में राज्य क्या वाकई बाधक हैं? पानी के प्रबंधन का विकेन्द्रित होना अच्छा है या केंद्रीकरण होना? समवर्ती सूची में आने से पानी पर एकाधिकार, तानाशाही बढ़ेगी या घटेगी? बाजार का रास्ता आसान हो जाएगा या कठिन? वर्तमान संवैधानिक स्थिति के अनुसार जमीन के नीचे का पानी उसका है, जिसकी जमीन है। सतही जल के मामले में अलग-अलग राज्यों में थोड़ी भिन्नता जरूर है, किन्तु सामान्य नियम है कि निजी भूमि पर बनी जल संरचना का मालिक, निजी भूमिधर होता है। केंद्र सरकार, पानी को लेकर राज्यों को मार्गदर्शन निर्देश जारी कर सकती है।
4. खाड़ी देशों के साथ कम हुआ व्यापार घाटा:- खाड़ी देशों को होने वाले निर्यात एवं वहां से आने वाले पैसे दोनों में गिरावट आने के बावजूद पिछले तीन साल में भारत का व्यापार घाटा 77 प्रतिशत कम हुआ है।शोध एवं सलाह सेवा देने वाली कंपनी क्रिसिल के अनुसार खाड़ी देशों को होने वाले निर्यात के कम होने तथा वहां से आने वाले पैसों में कमी आने के बावजूद स्थिति बेहतर बनी हुई है। उसने कहा कि वित्त वर्ष 2015-16 में खाड़ी देशों को भारत का निर्यात 18.70 प्रतिशत कम हुआ है। भारत खाड़ी देशों को मुख्यत: पेट्रालियम उत्पाद निर्यात करता है। कच्चे तेल की कीमतों में आयी गिरावट के कारण निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।कच्चे तेल की कीमतें गिरने के कारण खाड़ी देशों का राजस्व भी कम हुआ है। इसके कारण वहां लोगों के खर्च में भी गिरावट देखी जा रही है। इस वजह से ही खाड़ी देशों से भारत भेजे जाने वाले पैसे में भी पिछले छह साल में पहली बार कमी हुई है और वित्त वर्ष 2015-16 में यह 2.20 प्रतिशत कम हुआ है। क्रिसिल ने कहा कि कच्चे तेल के सस्ता होने से खाड़ी देशों के साथ व्यापार संतुलन पर सकारात्मक प्रभाव भी पड़ा है। इससे खाड़ी देशों का आयात बुरी तरह प्रभावित हुआ है और वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान इसमें 34.50 प्रतिशत की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। आयात गिरने से पिछले तीन साल में व्यापार घाटा 46 अरब डालर से 77 प्रतिशत कम होकर 14 अरब डालर पर आ गया है।उसने कहा कि भारत में वर्ष 2014 में खाड़ी देशों से कुल 70.40 अरब डालर आए थे जो वर्ष 2015 में कम होकर 68.90 अरब डालर रह गया था। उसने कहा कि यदि आने वाले समय में लंबे अंतराल तक कच्चे तेल की कीमत में नरमी बनी रही तो खाड़ी देशों की आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होंगी जिससे वहां से आने वाले पैसे में भी कमी आ सकती है।
5. केरी ने म्यांमार में बदलावों को ‘असाधारण’ बताया:- अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने म्यांमार में आंग सान सू की की ओर से चलाई जा रही असैन्य सरकार के तहत वहां हुए बदलावों को ‘असाधारण’ करार दिया है। उनके अनुसार, यह वैश्विक लोकतंत्र के मकसद को मजबूती प्रदान करेगा। सू की और उनके प्रशासन के इसी साल मार्च में कार्यभार संभालने के बाद जॉन केरी की उनके साथ यह पहली उचस्तरीय बैठक थी। केरी ने नोबेल पुरस्कार विजेता से कहा कि दशकों के सैन्य शासन के बाद उनके देश के लोकतंत्र की ओर बढ़ने से उम्मीद की एक किरण जगी है। केरी ने सू की के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘आज मेरा संदेश बहुत साधारण है। हम उस लोकतांत्रिक परिवर्तन का मजबूती के साथ समर्थन करते हैं, जो यहां हो रहा है।’ देश में राजनीतिक बदलाव के कदमों के चलते सू की और उनकी पार्टी ने दशकों के जुंटा शासन के बाद हुए ऐतिहासिक चुनावों में भारी जीत दर्ज की थी। केरी ने कहा, ‘दुनिया भर के लोगों के लिए यह एक ‘असाधारण बात’ है। नई सरकार पहले से ही असाधारण काम करने में पारंगत है।’ केरी और सू की यह मुलाकात अमेरिका द्वारा पिछले सप्ताह म्यांमार से कई वित्तीय व व्यापार प्रतिबंधों को हटाए जाने के बाद हुई है। अमेरिका ने म्यांमार में नाटकीय राजनीतिक परिवर्तन के चलते प्रतिबंध हटाए थे। हालांकि केरी ने कहा कि उनका देश म्यांमार के लोकतांत्रिक विकास के आधार पर कुछ सेक्टरों पर प्रतिबंध जारी रखेगा, क्योंकि कुछ लोगों को बदलने की जरूरत है। केरी ने लोकतंत्र और विदेशी निवेश में म्यांमार की मदद करने की इछा जाहिर की। उन्होंने कहा कि 2012 में अमेरिका, शांति व राष्ट्रीय सुलह के लिए सामाजिक संगठनों को 1.20 करोड़ डॉलर से अधिक की राशि दे चुका है। सू की ने कहा, ‘म्यांमार उन अमेरिकी प्रतिबंधों से नहीं डरता, जिन्हें खास स्थिति के तहत लगाया गया था।’ उन्होंने विश्वास जताया कि एक दिन ये सभी प्रतिबंध वापस ले लिए जाएंगे। सू की म्यांमार की विदेश मंत्री हैं। जुंटा ने उन्हें राष्ट्रपति बनने से रोकने के लिए संविधान में नियम बनाए थे। इसके बावजूद उनके लिए स्टेट काउंसलर का नया पद सृजित किया गया, ताकि वह सरकार का संचालन कर सकें। म्यांमार के राष्ट्रपति लंबे समय तक सू की के सहयोगी रहे तिन क्या हैं।
6. पोस्टल पेमेंट बैंक अगले साल शुरू होने की उम्मीद :- केंद्रीय संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद के मुताबिक डाक विभाग का पेमेंट बैंक मार्च 2017 से काम करना शुरू कर देगा। यह वित्तीय समावेशन के लिए एक बड़ा प्लेटफार्म होगा। पोस्टल पेमेंट बैंक को शुरू करने की तैयारी की जा रही है। जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल में इसका प्रस्ताव रखा जाएगा। प्रस्तावित पोस्टल पेमेंट बैंक के पास दूसरे वित्तीय संस्थानों के उत्पाद सेवाएं बेचने के विकल्प होंगे।
7. किरण बेदी:- भाजपा नेता और पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी को रविवार को पुडुचेरी का उपराज्यपाल नियुक्त किया गया। अभी इस पद का अतिरिक्त प्रभार अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के उपराज्यपाल देख रहे हैं।राष्ट्रपति भवन की एक विज्ञप्ति के अनुसार, श्रीमती किरण बेदी को उनके पदभार संभालने की तारीख के प्रभाव से पुडुचेरी का राज्यपाल नियुक्त करते हुए राष्ट्रपति प्रसन्नता महसूस करते हैं। देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी और 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाजपा के अभियान की कमान संभालने वाली 66 साल की किरण ने कहा, मैं इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए अपना शत प्रतिशत दूंगी। मैं देश के फायदे के लिए काम करूंगी। मैं हर दिन अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगी।
8. अनुराग ठाकुर:- अनुराग ठाकुर रविवार को बीसीसीआई की विशेष आम बैठक में सर्वसम्मति से बोर्ड के अध्यक्ष चुने गए, जबकि अजय शिर्के को सचिव चुना गया है। ठाकुर इस तरह स्वतंत्रता के बाद सबसे कम उम्र के बीसीसीआई अध्यक्ष बन गए हैं। यह चुनाव ऐसे समय में हुआ जब दुनिया का सबसे अमीर बोर्ड उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रहा है।41 वर्षीय ठाकुर ने शंशाक मनोहर की जगह ली है, जिन्होंने आईसीसी चेयरमैन का पदभार संभालने के लिए इस पद से इस्तीफा दे दिया था।
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