जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले यानी विलफुल डिफॉल्टरों पर शिकंजा कसता जा रहा है। बैंकों के बाद बाजार नियामक सेबी ने भी इन पर दबाव बनाया है। नियामक ने ऐसे लोगों के लिए शेयर बाजार से धन जुटाने का रास्ता बंद कर दिया है। यही नहीं अब ये डिफॉल्टर सूचीबद्ध कंपनियों के निदेशक मंडल में भी कोई पद नहीं संभाल सकेंगे। सेबी ने इस संबंध में नियमों में संशोधन किया है। बाजार नियामक ने जानबूझकर चूक करने वालों के लिए म्यूचुअल फंड और ब्रोकरेज फर्म जैसी बाजार की मध्यस्थ संस्थाओं के गठन पर भी रोक लगाई है। ये तमाम कदम इसलिए उठाए गए हैं, ताकि डिफॉल्टरों के लिए धन जुटाने के स्रोतों पर अंकुश लगाया जा सके। नियमों में बदलाव करते हुए ऐसे डिफॉल्टरों पर किसी अन्य सूचीबद्ध कंपनी का नियंत्रण अपने हाथ में लेने पर भी रोक लगाई गई है। सेबी की इस पहल को यूबी ग्रुप के चेयरमैन विजय माल्या पर जारी विवाद को देखते हुए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।माल्या पर बैंकों का 9,000 करोड़ रुपये बकाया है। वे इसकी वसूली के लिए पुरजोर कोशिश में जुटे हैं। जबकि माल्या देश छोड़कर निकल चुके हैं। माल्या ने हाल ही में यूनाइटेड स्प्रिट्स के चेयरमैन व डायरेक्टर पद से इस्तीफा दिया है। कंपनी के नए मालिक डियाजियो के साथ समझौता होने के बाद उन्होंने यह पद छोड़ा। यह और बात है कि वह कुछ अन्य कंपनियों के बोर्ड में बने हुए हैं। बुधवार से प्रभावी सेबी के नए नियम हर ऐसे व्यक्ति और कंपनी पर लागू होंगे, जिसे रिजर्व बैंक के मानदंडों के अनुसार विलफुल डिफॉल्टर घोषित किया गया है। सेबी ने 25 मई को जारी एक अधिसूचना में कहा कि यदि कंपनी या इसके प्रमोटर या डायरेक्टर विलफुल डिफॉल्टर की सूची में शमिल होते हैं तो पब्लिक इश्यू, डेट सिक्योरिटी या गैर-परिवर्तनीय तरजीही शेयर जारी नहीं कर सकेंगे।हालांकि, नियम कहते हैं कि अगर कंपनी या इसके प्रमोटर या डायरेक्टर विलफुल डिफॉल्टर की सूची में हैं और उस सूचीबद्ध कंपनी के संदर्भ में अधिग्रहण की पेशकश की गई है तो उन्हें प्रतिस्पर्धी पेशकश करने की अनुमति होगी। विलफुल डिफॉल्टर की सूची में होने पर किसी संस्था को नए पंजीकरण की मंजूरी नहीं दी जाएगी।सेबी का कहना है कि जानबूझकर चूक करने पर बैंकों से फंड मिलने का रास्ता बंद होने के बाद कुछ डिफॉल्टर धन जुटाने के लिए इक्विटी और डेट मार्केट का रुख करते हैं। जानकारी का अभाव होने के कारण छोटे निवेशक इनके चक्कर में फंस जाते हैं।
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