आतंकवाद के मसले पर संयुक्त राष्ट्र समेत सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत ने चीन से सहयोग की इच्छा व्यक्त की है। भारत ने साफ किया कि अच्छे और बुरे आतंकवादी जैसी कोई चीज नहीं होती, क्योंकि उनकी कोई विचारधारा नहीं होती। भारत ने बीजिंग से यह भी कहा कि भविष्य की परमाणु व्यवस्था में उसे सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए। ग्रेट हाल ऑफ द पीपुल में गुरुवार को अपने चीनी समकक्ष शी चिनफिंग से मुलाकात में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने यह बात कही। इस दौरान चीनी नेतृत्व ने राष्ट्रपति की चीन यात्र की सराहना की। यही नहीं, राष्ट्रपति के लंबे राजनीतिक करियर के दौरान दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने में उनकी सकारात्मक भूमिका को भी स्वीकार किया गया। हालांकि इस दौरान मतभेदों को भी माना गया। चिनफिंग ने प्रणब को अच्छा व्यक्ति और चीन का पुराना दोस्त बताया। दोनों नेताओं की बातचीत से पहले भारतीय राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी दी गई। दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों के बीच करीब 80 मिनट की वार्ता के बाद विदेश सचिव एस. जयशंकर ने बताया कि दोनों पक्षों ने एक दूसरे की संवेदनशीलता और चिंताओं का सम्मान करने की जरूरत पर जोर दिया।राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग और भविष्य की परमाणु व्यवस्था की जरूरत का मुद्दा उठाने को काफी अहम माना जा रहा है। क्योंकि जैश ए मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने की संयुक्त राष्ट्र में पहल पर चीन ने अड़ंगा लगा दिया था। इसी तरह न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (एनएसजी) में भारत के प्रवेश को भी चीन इस आधार पर रुकवाने की कोशिश कर रहा है कि भारत ने नॉन प्रोफिलरेशन ट्रीटी (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। खास बात यह रही कि चीन की प्रेसवार्ता में कहा गया कि एनएसजी में भारत के सीधे प्रवेश पर कोई चर्चा नहीं हुई। दोनों नेताओं ने परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल को रेखांकित किया और इस दिशा में सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।
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