1.यूपीएससी में दिल्ली की टीना टॉपर, दूसरे नंबर पर कश्मीर का आमिर:- संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा 2015 का फाइनल रिजल्ट घोषित कर दिया गया है। जिसमें पहले नंबर पर बाजी दिल्ली की लड़की के हाथ लगी है। दिल्ली की रहने वाली टीना दाबी (रोल नंबर- 0256747) ने कश्मीर के रहने वाले अतहर आमिर उल शफी खान (रोल नंबर- 0058239) और जसमीत सिंह संधू (रोल नंबर- 0010512) को पछाड़ते हुए पहला नंबर हासिल किया है। अपने पहले ही प्रयास में शीर्ष स्थान हासिल करने वाली 22 साल की टीना ने लेडी श्रीराम कॉलेज से स्नातक किया है। दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग जिले से ताल्लुक रखने वाले 23 वर्षीय अतहर का लोकसेवा परीक्षा में यह दूसरा प्रयास है। साल 2014 के अपने पहले प्रयास में उन्होंने भारतीय रेल यातायात सेवा (आईआरटीएस) हासिल किया था और फिलहाल लखनऊ में भारतीय रेल परिवहन प्रबंधन संस्थान में प्रशिक्षण ले रहे हैं। बता दें, फाइनल मैरिट लिस्ट दिसम्बर 2015 में हुई लिखित परीक्षा और मार्च-मई 2016 में हुए इंटरव्यू के आधार पर बनाई गई है। पास हुए परीक्षार्थियों में से 1078 को आईएएस के तौर पर नियुक्ति किया जाएगा। इनकी नियुक्ति भारतीय विदेश सेवा ( आईएफएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और केंद्रीय सेवाओं, ग्रुप ‘‘ए‘‘ और ग्रुप ‘‘बी‘‘ में की जाएंगी। दिल्ली के ही जसमीत संधू को तीसरी जगह मिली है। बनारस की अर्तिका शुक्ला को चौथा स्थान हासिल हुआ है वहीं कानपुर के शशांक त्रिपाठी ने पांचवां स्थान हासिल किया है। आशीष तिवारी को छठा स्थान हासिल हुआ है, जबकि रैंकिंग में सातवें स्थान पर श्रयन्या अरि हैं। कुंभेजकर योगेश विजय को आठवां पोजिशन मिला है। कर्ण सत्यार्थी नौवें और अनुपम शुक्ला 10वें स्थान पर हैं।सफल होने वाले अभ्यार्थियों में सामान्य वर्ग से 499, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से 314, अनुसूचित जाति (एससी) से 176 और अनुसूचित जनजाति (एसटी) कोटे से 89 प्रत्याशी सफल हुए हैं।
2. पनामा दस्तावेज सार्वजनिक हुए:- खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय कंसोर्टियम (आईसीआईजे) के दो लाख छद्म कंपनियों से जुड़े पनामा दस्तावेज आनलाइन उपलब्ध हो गए हैं। इससे ये दस्तावेज सार्वजनिक हो गए हैं। आईसीआईजे ने कहा कि पनामा की विधि कंपनी मोसाक फोंसेका से लीक हुए 1.15 करोड़ दस्तावेज के आधार पर तैयार डाटाबेस में 3,60,000 उन लोगों और कंपनियों के नाम का खुलासा किया गया है जो इन गुमनाम छद्म कंपनियों के पीछे हैं।इससे जाहिर होता है कि किस हद तक विश्व के अमीर, अपराधी ऐसी छद्म कंपनियां तैयार करते हैं ताकि कर और कानून प्रवर्तन एजेंसियों से छिपकर परिसंपत्ति जमा की जा सके और इसका हस्तांतरण किया जा सके। अप्रैल में इस दस्तावेज पर आधारित रपट में विश्व के कुछ सबसे शक्तिशाली नेताओं, मसलन, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन और अन्य का नाम अपतटीय कंपनियों से जोड़ा गया।आइसलैंड के प्रधानमंत्री सिगमंडर डेविड गनलॉग्सन और स्पेन के उद्योग मंत्री जोस मैनुअल सोरिया को इन छद्म कंपनियों से नाम जुड़ने के मद्देनजर मजबूरन इस्तीफा देना पड़ा। अब तक यह दस्तावेज आईसीआईजे और अंतरराष्ट्रीय मीडिया के चुनिंदा समूहों के पास थे जो मूल रूप से किसी रहस्यमय व्यक्ति जान डो ने मुहैया कराए थे। आईसीआईजे ने कहा कि वह सार्वजनिक हित में कुछ सूचनाओं का डाटाबेस प्रकाशित कर रहा है।आईसीआईजे के मुताबिक इस डाटाबेस में सूचनाओं का पता व्यक्ति, कंपनी के नाम और पते से लगाया जा सकता है। हालांकि, इसमें नाम के अलावा उन कंपनियों पीछे लोगों की न पूरी पहचान और न ही खातों से जुड़ी परिसंपत्ति के बारे में जानकारी मुहैया कराई गई है। इन कंपनियों से जुड़े लोगों में विश्व भर की हस्तियां शामिल हैं। इनमें से कई चीन, पश्चिम एशिया, लैटिन अमेरिका और यूरापीय देशों से हैं। यह आंकड़ा मोसाक फोंसेका के चार दशक के डिजिटल आंकड़ों से सामने आया है जो गोपनीय कंपनियां बनाने वाली विश्व की प्रमुख कंपनियों में शामिल है। इसके बारे में पता नहीं है कि ये दस्तावेज कैसे प्रकाश में आए हालांकि मोसाक फोंसेका ने कहा कि उसके कंप्यूटर रिकार्ड विदेश में हैक किए गए। जान डो ने ये दस्तावेज पहले जर्मनी के अखबार स्यूडूयश जीटुंग को मुहैया कराए जिसने बाद में सामूहिक विश्लेषण के लिए आईसीआईजे से संपर्क किया।
3. ब्राजील की राष्ट्रपति पर महाभियोग का प्रयास अधर में:- ब्राजील की राष्ट्रपति डिल्मा रोसेफ के भविष्य को लेकर छिड़ी लड़ाई में उस समय कांग्रेस में एक अजीबोगरीब मोड़ आ गया जब निचले सदन के नेता ने कहा कि सीनेटर महाभियोग पर मतदान नहीं कर सकते जबकि सीनेट के नेता ने जोर देकर कहा, वह ऐसा करेंगे। ब्राजील के राजनीतिक नाटक में नया अध्याय कल तब शुरू हुआ जब चैंबर ऑफ डिप्टीज के कार्यवाहक स्पीकर ने घोषणा की कि उन्होंने उनके अपने सहकर्मियों द्वारा पिछले महीने दिए गए उस बहुमत को रद्द कर दिया है जिसने रोसेफ को सत्ता से बाहर करने और राष्ट्रपति के खिलाफ संभावित मुकदमे के लिए सीनेट में मामला भेजने का समर्थन किया था।कार्यवाहक स्पीकर वाल्दिर मारनहाओ के हैरान कर देने वाले इस कदम की वैधता और इसके संभावित परिणामों को लेकर बहस छिड़ गई है। इस निर्णय से पैदा हुए गतिरोध को संभवत: देश का सुप्रीम कोर्ट सुलझाएगा। सीनेट के अध्यक्ष रीनन कैलहीरोस ने सहकर्मियों से कहा कि वह मारनहाओ के कदम को नजरअंदाज करने और पूर्व निर्धारित कार्यक्र म के अनुसार कार्यवाही के साथ आगे बढ़ने की इच्छा रखते हैं। उन्होंने स्पीकर के कदम की आलोचना करके इसे ‘‘लोकतंत्र के साथ खिलवाड़’ बताया।
4. कॉलेजियम सिस्टम से जजों की नियुक्ति को हाई कोर्ट में चुनौती:- न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए बने कॉलेजियम सिस्टम को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। न्यायमूर्ति बीडी अहमद व संजीव सचदेव की खंडपीठ ने याचिका पर तुरंत सुनवाई से इन्कार करते हुए मामले की सुनवाई के लिए 11 मई की तारीख तय की है। 1ये याचिका मुंबई के अधिवक्ता मैथ्यूज जे. नेंदुमपारा ने दायर की है। याची ने अदालत से आवेदन प्रक्रिया के जरिये नियुक्तियां कराने की अपील की है। वहीं, हाल ही में कॉलेजियम द्वारा हाई कोर्ट के तीन मुख्य न्यायाधीशों व एक वरिष्ठ वकील को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त करने के लिए केंद्र को भेजी गई सिफारिश पर रोक लगाने की भी मांग की गई है। संक्षिप्त सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आखिर इस सिफारिश को कैसे चुनौती दी जा सकती है। याची के अनुसार हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एएम खानविलकर, इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और केरल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अशोक भूषण की पदोन्नति की सिफारिश कर उन्हें सुप्रीम कोर्ट में भेजने को कहा है। इसके अलावा कॉलेजियम ने पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एल नागेश्वर राव की भी सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्ति की सिफारिश की है। याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में जजों के रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन देकर योग्य उम्मीदवारों का चयन किया जाना चाहिए।
5. ब्याज दर निर्धारण में बढ़ेगी सरकार की भूमिका:- ब्याज दर तय करने में केंद्र की भूमिका बढ़ने का रास्ता साफ हो गया है। आरबीआइ के लिए सालाना महंगाई का लक्ष्य तय करने और बैंकों के लिए बेंचमार्क ब्याज दर तय करने के लिए गठित होने वाली समिति मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) में सरकारी प्रतिनिधियों की नियुक्ति बहुत जल्द हो जाएगी। 1 सरकार की तरफ से आज बताया गया कि एमपीसी में केंद्र के तीन प्रतिनिधियों की नियुक्ति पर तेजी से काम हो रहा है। एमपीसी के गठन होने के बाद सालाना मौद्रिक नीति के तहत ब्याज दरों का फैसला करने का मौजूदा तरीका पूरी तरह से बदल जाएगा। इसमें पहली बार सरकार की प्रत्यक्ष भूमिका होगी। आर्थिक मामलों के सचिव शशिकांत दास ने बताया कि एमपीसी गठन के लिए जो कानून बना है उसमें आरबीआइ प्रतिनिधियों का पहले से ही उल्लेख किया गया है। मसलन, इसमें आरबीआइ गवर्नर, डिप्टी गवर्नर और अधिशासी निदेशक होंगे। तीन स्वतंत्र सदस्यों की नियुक्ति केंद्र की तरफ से की जाएगी। इसके लिए कैबिनेट सचिवालय के तहत एक उच्चाधिकार समिति का गठन किया गया है जो स्वतंत्र सदस्यों का चयन करेगी। जल्द ही सरकार की तरफ से तीन सदस्यों के नामों के चयन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। बताते चले कि वित्त विधेयक, 2016 के पारित होने के साथ ही एमपीसी के गठन को वैधानिक मान्यता भी मिल जाएगी। एमपीसी के गठन के साथ ही ब्याज दरों को तय करने का मौजूदा तरीका पूरी तरह से बदल जाएगा। अभी आरबीआइ की तरफ से गठित एक पैनल अर्थव्यवस्था की स्थिति को देखते हुए बेंचमार्क ब्याज दर तय करने की सिफारिश करता है। लेकिन आरबीआइ गवर्नर के पास यह सर्वाधिकार सुरक्षित है कि वह इसे स्वीकार करता है या खारिज करता है। लेकिन नई व्यवस्था के तहत छह लोगों की टीम में वोटिंग के आधार पर बेंचमार्क दर तय की जाएगी। अगर टाई हो जाता है तो आरबीआइ गर्वनर को दूसरा वोट या निर्णायक वोट देने का अधिकार होगा।
6. पाक के जरिये नहीं, समुद्री रास्ते ईरानी गैस लेगा भारत:- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस महीने होने वाली ईरान यात्र का दक्षिण एशियाई राजनीति पर दूरगामी असर पड़ सकता है। नए बदले भौगोलिक माहौल में ईरान के साथ बेहतर रिश्ते भारत के रणनीतिक व आर्थिक हित में होंगे। मोदी की यात्र के दौरान ईरान से समुद्री रास्ते से भारत तक गैस पाइपलाइन बिछाने पर समझौता होने के आसार हैं। इसके साथ ही यह तय हो जाएगा कि ईरान से भारत आने वाली गैस पाकिस्तान के रास्ते नहीं आएगी। ऐसे में ईरान-पाकिस्तान-भारत (आइपीआइ) गैस पाइपलाइन परियोजना पर भी हमेशा के लिए पर्दा गिर जाएगा। सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी से पहले वर्ष 2012 में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह तेहरान की यात्र पर गए थे। अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हटने के बाद से ही ईरान और भारत के बीच लगातार उच्चस्तरीय बातचीत हो रही है। दोनों देश दोस्ती की नई इबारत लिखने को पूरी तरह से तैयार है। मोदी की यात्र के दौरान आतंकवाद और अन्य द्विपक्षीय सहयोग पर भी समझौते होंगे लेकिन सबसे अहम ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को लेकर होगा। इसकी जमीन पिछले महीने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस धर्मेद्र प्रधान की तेहरान यात्र के दौरान तैयार कर दी गई है। ऊर्जा क्षेत्र में सबसे अहम समझौता गैस पाइपलाइन को लेकर ही होगा। सनद रहे कि अभी तक भारत, ईरान और पाकिस्तान में गैस पाइपलाइन को लेकर बात हो रही थी। यह वार्ता पिछले दो दशकों तक रुक-रुक कर चली है। लेकिन, बीच में अमेरिकी दबाव, अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों और पाक के साथ अपने रिश्तों की वजह से भारत अब इस योजना से अलग हो जाएगा। अभी ईरान से पाकिस्तान के बीच पाइपलाइन पर काम हो रहा है और पाकिस्तान कई बार कह चुका है कि आगे चल कर इसमें भारत को जोड़ा जाएगा। लेकिन, जब भारत ईरान से गैस समुद्री रास्ते से लाएगा तो पाकिस्तानी जमीन की जरूरत ही नहीं रहेगी। वैसे भारत तुर्केमिनिस्तान से पाकिस्तान होते हुए भारत तक बिछाई जाने वाली एक अन्य परियोजना (तापी) का हिस्सा है। इस गैस पाइपलाइन के नए रास्ते पर काफी बातचीत हो चुकी है। ईरान की सरकारी कंपनी नेशनल ईरानियन गैस एक्सपोर्ट कंपनी (एनआइजीईसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हाल ही में कहा था कि दोनों देश समुद्र के भीतर गैस पाइपलाइन बिछाने को लेकर राजी हो चुके हैं। यह 1400 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन होगी जिस पर 4.5 अरब डॉलर की लागत आएगी। सूत्रों के मुताबिक हाल ही में समुद्र के भीतर पाइपलाइन बिछाने की नई तकनीकी आइ है जो न सिर्फ बेहद सफल है बल्कि कीमत के हिसाब से भी काफी किफायती है। यह पाइपलाइन भारत की ऊर्जा सुरक्षा रणनीति के हिसाब से भी बेहद अहम साबित होगा। मोदी की यात्र के दौरान ईरान के चाबाहार बंदरगाह के विकास और यहां भारत की मदद से एक विशेष आर्थिक क्षेत्र बनाने को लेकर भी समझौता होने के आसार हैं। भारत की सरकारी व निजी कंपनियों ने पहले ही यहां उर्वरक, सीमेंट व अन्य फैक्ट्री लगाने की मंशा व्यक्त की है।
7. सड़क मार्ग से जुड़ रहे हैं दक्षिण एशियाई देश:- आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा कि भारत दक्षिण एशियाई तथा दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ नजदीकी संबंध जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है और उनके साथ संपर्क मागरें के विकास के लिए पांच अरब डालर की एक परियोजना तैयार की जा रही है।श्री दास ने यहां दक्षिण एशिया क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग 2025 कार्यशाला के उद्घाटन के मौके पर कहा, ‘‘भारत एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) की मदद से उत्तर बंगाल के इलाके से बांग्लादेश, नेपाल और भूटान को जोड़ने वाली तथा मणिपुर के जरिये भारत और म्यांमार को जोड़ने वाली दो सड़क परियोजनाओं का विकास कर रहा है। बांग्लादेश की सीमा के साथ अगरतला और पेत्रापोल में इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (आईसीपी) बनाये जा रहे हैं। म्यांमार सीमा पर भी मोरे पर आईसीपी बनाए जा रहे हैं। इनसे सीमा के आरपार लोगों और वस्तुओं की आवाजाही आसान हो सकेगी।भारत दक्षेस देशों के साथ संपर्क बढ़ाने के लिए पांच अरब डालर की परियोजना तैयार कर रहा है। श्री दास ने कहा कि भारत हमेशा अपने पड़ोसियों के साथ मिलकर एक जैसी चुनौतियों मसलन आर्थिक कमजोरियों, सामाजिक भेदभाव, पर्यावरण क्षरण आदि का समाधान ढूंढ़ने का प्रयास करता रहा है। हमने टिकाऊ विकास, समावेशन तथा समृद्धि जैसे समान लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में भी मिलकर काम किया है। हमारा हमेशा से यह मानना रहा है कि आपसी सहयोग से एकल स्तर पर किसी देश द्वारा किए जा रहे प्रयासों को और गति मिलेगी।
8. ’ट्रांस्फोर्मिग इंडिया‘‘ के लिए सरकार ने बनाई टीम:- मोदी सरकार के दो साल पूरा होने पर डीएवीपी से जारी होने वाला प्रचार अभियान ‘‘ट्रांसफोर्मिग इंडिया’ के नाम से चलाया जाएगा। इस अभियान के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 12 अधिकारियों की एक टीम तैनात की है। आगामी 26 मई को मोदी सरकार के दो साल पूरा हो रहे हैं। दूरदर्शन और आकाशवाणी पर सरकार का प्रचार शुरू हो गया है, लेकिन अभी मीडिया में प्रचार आना बाकी है। संभवत: 23 मई से बड़े स्तर पर प्रचार अभियान शुरू हो जाएगा। अभियान अनेक स्तर पर अलग-अलग मीडिया के जरिए चलाने की योजना बनाई है। पीआईबी सरकार की उपलब्धियों पर ‘‘जरा मुस्करा दो’ नाम से फीचर श्रृखंला जारी करेगा। आकाशवाणी पर ‘‘दो साल-मोदी सरकार के नाम’ से अभियान चलाया जा रहा है और दूरदर्शन पर मंत्रियों के साक्षात्कार दिखाए जा रहे हैं। सबसे बड़ा अभियान डीएवीपी का रहेगा जो प्रिंट और टीवी पर विज्ञापन जारी करेगा। इस अभियान का नाम ट्रांसफोर्मिग इंडिया रखा गया है। अभियान शुरुआत में एक महीने का होगा। इस अभियान के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के विभिन्न यूनिटों से 12 अधिकारियों को चुना गया है।
9. एम्स ने नैनो कण से तैयार किया हेपेटाइटिस बी का ओरल वैक्सीन:- हेपेटाइटिस-बी की रोकथाम और उसके संक्रमण से बचाव की दिशा में एम्स ने एक बड़ा अनुसंधान किया है। एम्स के डॉक्टरों ने पॉलिकैप्रोलैक्टोन नामक पॉलीमर के नैनो कण (पार्टिकल) से हेपेटाइटिस-बी का ओरल वैक्सीन (टीका) तैयार करने में कामयाबी हासिल की है। इस टीके का चूहों पर परीक्षण सफल रहा है। इससे आने वाले दिनों में पोलियो ड्रॉप की तरह हेपेटाइटिस-बी से बचाव के लिए भी टीके का ड्रॉप उपलब्ध होने की उम्मीद बढ़ गई है। सबसे बड़ी बात यह है कि ड्रॉप का सिर्फ एक खुराक हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए काफी होगा। इससे टीबी का टीका भी विकसित हो सकेगा। 1एम्स का यह शोध प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल वैक्सीन में प्रकाशित हुआ है। एम्स के डॉक्टर इस शोध को हेपेटाइटिस की रोकथाम की दिशा में बड़ी कामयाबी मान रहे हैं। इस शोध के लिए केंद्र सरकार के जैव प्रोद्यौगिकी विभाग ने बजट जारी किया था। शोध से आने वाले समय में हेपेटाइटिस-बी के टीकाकरण के तौर तरीकों में बदलाव आ सकता है। उल्लेखनीय है कि देश में हेपेटाइटिस बी व सी से देश में करीब 5.20 करोड़ लोग पीड़ित हैं, जिसमें से चार करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी से पीड़ित हैं। यह ऐसी बीमारी है जो ज्यादातर लोगों में तब पहचान में आती है जब स्थिति गंभीर हो चुकी थी। इसके चलते लिवर कैंसर के मामले भी बढ़ रहे हैं। हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए टीका मौजूद है, जो इंजेक्शन के रूप में लगाया जाता है। मौजूदा समय में बच्चों को इसके तीन टीके लगाए जाते हैं। पहला जन्म के 24 घंटे के अंदर, दूसरा एक महीने बाद और तीसरा इंजेक्शन छह महीने पर लगाने का प्रावधान है। एक भी इंजेक्शन नहीं लग पाने पर उसका असर कम हो जाता है। इसके अलावा राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम का हिस्सा होने के बावजूद लाखों बच्चों को अब भी यह टीका नहीं लग पाता। यही वजह है कि अभी भी काफी संख्या में लोग इससे पीड़ित होते हैं। इसके अलावा इंजेक्शन लगाने पर बच्चों को पीड़ा भी होती है। इसलिए कई देशों में ओरल वैक्सीन विकसित करने के लिए शोध हो रहे हैं। एम्स के पैथोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. एके डिंडा ने कहा कि हमने अपने शोध में पाया है कि पॉलिकैप्रोलैक्टोन हेपेटाइटिस बी के टीके के ड्रॉप के लिए आदर्श नैनो कण है। शोध के दौरान पॉलिकैप्रोलैक्टोन का बहुत सूक्ष्म हिस्सा (14 केडी) कण में हेपेटाइटिस बी के वास्तविक एंटिजन को लोड कर टीका तैयार किया गया और इसका चूहों पर अध्ययन किया गया है। शोध में यह देखा गया है कि इसकी सिर्फ एक खुराक इतनी कारगर है कि बूस्टर खुराक लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पॉलिकैप्रोलैक्टोन एक ऐसा पॉलीमर है जिसका इस्तेमाल कृत्रिम अंग (प्रोस्थेटिक) बनाने में किया जाता है। विशेष तौर पर शरीर के किसी हिस्से में टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने में भी इससे तैयार इंप्लांट का इस्तेमाल होता है। डॉ. एके डिंडा ने कहा कि हेपेटाइटिस बी के टीके में इसका इतना छोटा कण इस्तेमाल किया गया है कि चूहों के शरीर में चार महीने के अंदर स्वत: गल जाता है। यह बायोडिग्रेडेबल है। इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है। इस टीके में नैनो तकनीक का इस्तेमाल होने से यह बहुत ज्यादा असरदार है। इस टीके को अंजाम तक पहुंचाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशा निर्देशों के अनुसार आगे बढ़ा जा रहा है। बहरहाल इस टीके को आने में अभी वक्त लगेगा। पर इसके आने से हेपेटाइटिस बी के टीके की प्रक्रिया आसान हो जाएगी।
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