राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को एक नए कानून को अपनी संस्तुति दे दी। इसमें कंपनियों अथवा व्यक्तियों के दिवालापन की स्थिति से जुड़े मामलों का निस्तारण 180 दिन के भीतर करने का प्रावधान है।सोमवार को जारी एक अधिसूचना के मुताबिक दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता 2016 को राष्ट्रप्रति प्रणब मुखर्जी ने अपनी संस्तुति दे दी है। दिवालापन ऐसी स्थिति से जुड़ा है जहां कोई इकाई या व्यक्ति बकाए का भुगतान नहीं कर पाता है। इस कानून के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति अपने दिवालिया होने की प्रक्रिया अथवा परिसमापन की प्रक्रि या को धोखाधड़ी अथवा दुर्भावनापूर्ण मंशा से शुरू करता है तो उसके खिलाफ उचित प्राधिकरण द्वारा न्यूनतम एक लाख रपए और अधिकतम एक करोड़ रपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
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