Sunday, 22 May 2016

दैनिक समसामयिकी 21 May 2016(Saturday)

1.भारत से रक्षा संबंध बढ़ाने को अमेरिकी सदन की मंजूरी:- अमेरिका की प्रतिनिधि सभा ने भारत के साथ रक्षा संबंध विकसित करने और रक्षा उपकरणों की बिक्री एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के मामले में उसे अन्य नाटो सहयोगी देशों के साथ लाने के कदम के तहत एक द्विदलीय समर्थन वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है। इस संदर्भ में ‘‘नेशनल डिफेंस ऑथोराइजेशन एक्ट’ (एनडीएए:-2017) में संशोधन के पक्ष में प्रतिनिधि सभा में कांग्रेस सदस्य जॉर्ज होल्डिंग ने कहा, ‘‘यह अमेरिका और भारत के बीच ज्यादा रक्षा व्यापार को बढ़ावा देने और अतिरिक्त सैन्य सहयोग को प्रोत्साहन देने की कोशिश करता है।’ भारत के साथ रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग बढ़ाने से जुड़े इस संशोधन को होल्डिंग और एमी बेरा (हाउस इंडिया कॉकस के अध्यक्ष) का और सदन की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष एड रॉयस और इसी समिति के रैंकिंग सदस्य इलियट एंगल द्वारा प्रायोजित किया गया था।होल्डिंग ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि अपनी सरकार से भारत के साथ रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार पहल को मजबूत करने और संयुक्त सैन्य नियोजन को प्रोत्साहन की मांग करके हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि अमेरिका और भारत के रक्षा संबंध बने रहें।’ होल्डिंग ने कहा, ‘‘श्रीमान अध्यक्ष, भारत-प्रशांत क्षेत्र की गतिशील प्रकृति और हमारी अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा एवं भविष्य की आर्थिक वृद्धि के लिए इसके महत्व को देखते हुए अब समय आ गया है कि अमेरिका और भारत की रणनीतिक साझेदारी की हालिया सफलता पर काम किया जाए और इसे आगे बढ़ाया जाए।’
2. शिक्षा व स्वास्थ्य के लिए मदद मांगी विश्व बैंक से:- सरकार ने देश के दूरदराज के क्षेत्रों में भी हर व्यक्ति को शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा उपलब्ध कराने को विश्व बैंक से सहयोग की मांग की है। वित्त मंत्री ने कहा है कि विश्व बैंक को शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे सामाजिक क्षेत्रों और खेती के विकास में भूमिका निभानी चाहिए। जेटली ने यह बात भारत दौरे पर आए विश्व बैंक के नौ कार्यकारी निदेशकों के साथ बैठक के दौरान कही। जेटली ने कहा कि विश्व बैंक को भारत में सामाजिक क्षेत्र के विकास में अधिक परियोजनाएं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्व बैंक को कृषि विकास, लघु उद्योग, हस्तशिल्प, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों के विकास में अधिक भूमिका निभानी चाहिए। वित्त मंत्री का यह आग्रह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि फिलहाल विश्व बैंक का जोर ढांचागत सुविधाओं में अधिक रहता है। विश्व बैंक स्वछ ऊर्जा व सड़क परियोजनाओं सहित विभिन्न विकास कार्यो में सरकार की मदद भी कर रहा है। जेटली ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल और अनिश्चितता के बीच भारत ने 7.6 प्रतिशत विकास दर हासिल की है। देश ने यह उपलब्धि निर्यात में गिरावट और लगातार दो साल मानसून कमजोर रहने के बावजूद हासिल की है। भारत की आर्थिक वृद्धि मजबूत है इसलिए आज यह दुनियाभर के निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में अछा मानसून रहने की उम्मीद, सुधार प्रक्रिया और कचे तेल के दाम निम्न स्तर पर रहने जैसे कई कारक हैं जो भारत की आर्थिक विकास दर को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्हांेने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कचे तेल के दाम नीचे आने से भारत को काफी लाभ हुआ है। राजग सरकार की प्राथमिकताओं का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि अपारंपरिक ऊर्जा, राष्ट्रव्यापी स्वछता कार्यक्रम, ग्रामीण विद्युतीकरण, सिचाई और ग्रामीण आवास सहित विभिन्न क्षेत्रों पर सरकार का जोर है।
3. खाड़ी की हर ताकत को साधने में जुटा भारत:- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रविवार से शुरू हो रही ईरान यात्र को खाड़ी के देशों में भारत की नई कूटनीति के दूसरे चरण के तौर पर देखा जा रहा है। संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब को मोदी पहले ही साध चुके हैं। इनके चिर विरोधी ईरान को इस यात्र के दौरान साधने की कोशिश होगी। तीसरा चरण मोदी की इजरायल यात्र होगी, जिसको लेकर काफी कयास लगाए जा रहे हैं। जानकारों का मानना है कि अपने पुराने मित्र राष्ट्र सऊदी अरब और ईरान के साथ रिश्तों में नई गरमाहट डालने के बाद ही मोदी इजरायल की तरफ रुख करेंगे। मोदी की ईरान यात्र भारत के लिए कई मायनों में अहम साबित हो सकती है। मसलन, इस यात्र के दौरान भारत ईरान के चाबहार पोर्ट को अंतरराष्ट्रीय व्यापार का क्षेत्रीय हब बनाने का काम शुरू कर देगा। विशेषज्ञ इसे पाकिस्तान में चीन की ग्वादर पोर्ट के साथ जोड़ कर देख रहे हैं। साथ ही अफगानिस्तान की कोशिशों में रोड़े डाल रहे पाकिस्तान को भी हाशिये पर डालने का काम होगा। ऊर्जा क्षेत्र में ईरान के साथ कई अहम समझौते होंगे, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए काफी अहम होंगे। विदेश मंत्रलय के संयुक्त सचिव (पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान) गोपाल वागले का कहना है कि चाबहार पोर्ट में भारत की हिस्सेदारी को लेकर अभी तक सिर्फ बात हो रही थी। लेकिन अब इस परियोजना को आगे बढ़ाने का काम होगा। पीएम की यात्र के दौरान इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड और आर्या बनादेर ऑफ ईरान के बीच पहले चरण के निर्माण को लेकर समझौता होगा। इस पर भारत की तरफ से 20 करोड़ डॉलर का निवेश किया जाएगा। जानकारों का कहना है कि चाबहार में भारतीय निवेश की यह सिर्फ शुरुआत है। भारत के पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री ने हाल ही में कहा था कि भारतीय कंपनियां चाबहार के पास विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित करने के लिए 20 अरब डॉलर का निवेश करना चाहती हैं। इस तरह से भारत ईरान में विदेश निवेश करने वाला एक अहम देश बनने की तरफ अग्रसर है। भारत के रणनीतिक नजरिये से मोदी की तेहरान यात्र के दौरान दूसरा सबसे अहम समझौता ईरान और अफगानिस्तान के साथ त्रिपक्षीय समझौता होगा। यह चाबहार-जाहेदान-जारांज के बीच यातायात कारिडोर बनाने को लेकर है। भारत यहां सड़क और रेलवे नेटवर्क बनाएगा। इससे एक तो उसे पूरे अफगानिस्तान में सीधे सामान भेजने का रास्ता मिल जाएगा। दूसरा, केंद्रीय एशियाई देशों में भारतीय उत्पादों का नया बाजार बन सकेगा। आगे चल कर जापान भी इससे जुड़ सकता है। मोदी की यात्र में ईरान के साथ ऊर्जा और बैंकिंग क्षेत्र में दो बेहद अहम समझौते को अंतिम रूप दिया जाएगा। मोदी ईरान की यात्र के कुछ ही दिनों बाद खाड़ी के एक अन्य देश कतर भी जाएंगे। कतर से गैस खरीदने के लिए नए समझौते होने हैं।
4. काले धन पर अंतिम प्रहार की तैयारी:- दो साल पूरे होने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार देश में काले धन के कारोबार पर निर्णायक प्रहार की तैयारी में जुट गई है। इसके लिए प्रवर्तन निदेशालय उन सेक्टरों की सूची तैयार कर रहा है, जहां काले धन को सफेद करने का धंधा चलता है। एक बार सेक्टरों की पहचान हो जाने के बाद उनमें काले धन के कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए लक्षित अभियान चलाया जा सकेगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि देश में मौजूद काले धन के प्रचलन और मनी लांडिंग के बारे में सतही चर्चा बहुत होती है, लेकिन कभी आंकड़ों के आधार यह जानने का प्रयास नहीं किया गया कि आखिरकार किन-किन क्षेत्रों में काले धन का उपयोग अधिक हो रहा है। जाहिर है अपराधी इन्हीं का उपयोग काले धन को सफेद बनाने या मनी लांडिंग में कर रहे हैं। इसके लिए पहली बार प्रवर्तन निदेशालय विभिन्न एजेंसियों में दर्ज मामलों के आधार पर यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि सचमुच में कौन सा सेक्टर कालेधन के उपयोग में सबसे आगे है और उसके बाद किन-किन क्षेत्रों का योगदान है। इस मामले में ईडी एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रहा है और इस महीने के अंत तक इसके बन जाने की उम्मीद है। सूत्रों के अनुसार सामान्य मान्यता के विपरीत काले धन के उपयोग और उन्हें सफेद बनाने में रियल एस्टेट उद्योग आयात-निर्यात सेक्टर और सॉफ्टवेयर से पीछे हो सकता है। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा सेक्टरों की पहचान हो जाने के बाद उनमें काले धन का प्रचलन रोकने और उन्हें बाहर निकालने के लिए लक्षित उपाय किये जा सकेंगे। मोदी सरकार आने के बाद काले धन पर लगाम लगाने के लिए कई स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं। भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ मोदी सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि देश में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के सहारे कंपनी की कमाई में भारी कमी आई है। अंतरराष्ट्रीय पत्रिका इकोनॉमिस्ट के अनुसार 2008 में जहां इस तरह से कंपनियों की कमाई का हिस्सा पूरे जीडीपी का 18 फीसदी था, अब केवल तीन फीसदी रह गया है।
5. सस्ता नहीं पड़ेगा एसबीआई के सहयोगी बैंकों का विलय:- भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) में उसके पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक का विलय सस्ता नहीं पड़ने जा रहा है। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज की मानें तो एसबीआइ को इस काम में 1,660 करोड़ रुपये (25 करोड़ डॉलर) की लागत आएगी। अलबत्ता एजेंसी के मुताबिक बैंक की क्रेडिट रेटिंग पर इसका खास असर नहीं पड़ेगा। एसबीआइ ने सहयोगी बैंकों के साथ ही भारतीय महिला बैंक के विलय का प्रस्ताव मंगलवार को पेश किया था। उसने इसके लिए केंद्र सरकार से मंजूरी भी मांगी है। मूडीज ने विलय की लागत संबंधी अनुमान एसबीआइ के तीन लिस्टेड सहयोगी बैंकों के मौजूदा कीमत पर आउटस्टैंडिंग शेयरों के अधिग्रहण के आधार पर लगाई है। स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर व स्टेट बैंक ऑफ त्रवणकोर शेयर बाजार में लिस्टेड हैं। स्टेट बैंक में सहयोगियों के विलय की बात पांच साल से चल रही है। केंद्र की भी मंशा यही है कि एसबीआइ विलय के काम को आगे बढ़ाए। इसी प्रक्रिया को तेज करते हुए मंगलवार को पहले सहयोगी बैंकों के निदेशक बोर्डो ने एसबीआइ में विलय का प्रस्ताव किया। इसके बाद एसबीआइ के बोर्ड ने भी विलय का प्रस्ताव पेश कर दिया। फिलहाल एसबीआइ के पांच सहयोगी बैंक हैं। ये स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ त्रवणकोर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद और स्टेट बैंक ऑफ पटियाला हैं। एसबीआइ 2008 में स्टेट बैंक ऑफ सौराष्ट्र और 2010 में स्टेट बैंक ऑफ इंदौर का खुद में विलय कर लिया था।
6. बैंकों के बढ़ते एनपीए पर काबू पाने के लिए पण्राली बनेगी:- बढ़ते एनपीए से चिंतित बैंक बोर्ड ब्यूरो (बीबीबी) एक ‘‘मध्यस्थ पण्राली’ पर काम कर रहा है ताकि इस समस्या का जल्द समाधान ढूंढ़ा जा सके और बैंक प्रबंधन को बकाए के भुगतान में सहूलियत मिल सके। बीबीबी के अध्यक्ष विनोद राय ने उद्योग के एक समारोह में कहा, ‘‘हम मध्यस्थ पण्राली ला रहे हैं जो कुछ प्रक्रि याओं का विश्लेषण करेगा जिससे बैंकों की बैलेंस शीट में मौजूद एनपीए का समाधान होगा।’ उन्होंने कहा कि मध्यस्थ पण्राली से बैंक प्रबंधन (मुख्य कार्यकारी या कार्यकारी निदेशक) को कुछ हद तक सहूलियत होगी। दो तरह के मुद्दे हैं। एक है समाधान की प्रक्रि या और दूसरी है मूल्य निर्धारण जिसके आधार पर समाधान होगा।उन्होंने कहा, ‘‘मूल्य निर्धारण संस्थान का वाणिज्यिक फैसला है। मुझे नहीं लगता कि किसी बाहरी एजेंसी को ऐसा करना उचित होगा।’ यह पूछने पर कि ऐसा कब होगा, ‘‘इस पर विचार हो रहा है। हमने अभी अपनी सोच पक्की नहीं की है। लेकिन एक मध्यस्थ पण्राली होगी। यह बैंक के नीति निर्माताओं को बहुत सहूलियत देगी और यह बेहद विश्वसनीय होगी।’बिना कोई ब्योरा दिए उन्होंने कहा कि पखवाड़े भर में पूरी प्रक्रि या शुरू की जाएगी। यह पूछने पर कि क्या यह ब्यूरो के तहत काम करेगा, उन्होंने कहा कि यह इससे बाहर होगा और बैंकों के दायरे में होगा।
7. राकेश के जैन:- भारतीय मूल के वैज्ञानिक राकेश के जैन को अमेरिका में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सवरेच सम्मान मिला है। राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ह्वाइट हाउस में एक कार्यक्रम के दौरान यह सम्मान प्रदान किया। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल और मैसायुसेट्स जनरल हॉस्पिटल से जुड़े 65 वर्षीय जैन को नेशनल मेडल ऑफ साइंस से नवाजा गया। उन्हें यह पुरस्कार कैंसर के क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान के लिए दिया गया। जैन के अतिरिक्त पाकिस्तानी मूल के वैज्ञानिक हुमायूं को भी ओबामा ने सम्मानित किया। 53 वर्षीय हुमायूं पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना के निजी चिकित्सक के पोते हैं। उन्हें यह पुरस्कार अंधेपन का शिकार हो चुके लोगों को आंखों की रोशनी लौटाने में मददगार रेटिना संबंधी सर्जरी के लिए दिया गया।

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