प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले शीर्ष अमेरिकी सीनेटरों ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता, सिविल सोसाइटी और मानवाधिकारों पर कथित रूप से बढ़ते हमलों पर गंभीर चिंता जताई है तथा ओबामा प्रशासन ने कहा है कि वह इन मुद्दों पर भारत के साथ बात कर रहा है।कोलोराडो से सीनेटर कोरी गार्डनर ने सीनेट की विदेश मामलों की समिति द्वारा भारत के संबंध में बुलाई गई कांग्रेस सुनवाई में कहा, ‘‘स्थिति भारत में धार्मिक स्वतंत्रता के बारे में चिंता उत्पन्न करती है।’ वर्जीनिया से सीनेटर टिम कैने ने धार्मिक असहिष्णुता की हालिया घटनाओं, जिनपर कलाकारों ने अपने पुरस्कार लौटाए थे, पर कहा कि वह इस मुद्दे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अगले माह उनकी अमेरिका यात्रा के दौरान उठाने की उम्मीद कर रहे हैं। कुछ राज्यों में धर्मांतरण रोधी कानूनों को समस्या करार देते हुए मैरीलैंड से सीनेटर एवं सीनेट की विदेश मामलों की समिति के वरिष्ठ सदस्य बेन कार्डिन ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर चिंता जताई। इसके साथ ही कुछ अन्य सदस्यों ने भी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता से संबंधित अमेरिकी आयोग के सदस्यों को वीजा देने से इनकार करने का मुद्दा भी उठाया।सीनेटरों की चिंता से सहमति जताते हुए दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों की सहायक विदेश मंत्री निशा देसाई बिस्वाल ने कहा कि ओबामा प्रशासन जहां इन मुद्दों और चिंताओं को उच्चतम स्तर पर उठा रहा है तथा इस मुद्दे पर भारत से र्चचा कर रहा है, वहीं भारत की मुखर सिविल सोसाइटी खुद भी इस पर मजबूती से आवाज उठा रही है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘यह भारत के अखबारों की सुर्खियों की वजह से है जो आप इस मुद्दे पर अत्यंत सक्रिय र्चचा देख रहे हैं। मेरा मानना है कि ये मुद्दे हैं, ये मूल्य हैं, जो हमें अति प्रिय हैं, जिन्हें हम वार्ता में उठाते हैं। लेकिन हम इसे जहां तक संभव हो एक रचनात्मक तरीके से करते हैं जिससे कि इस तय की अनदेखी न हो कि ये वे मुद्दे हैं जिनसे भारतीयों को खुद निपटना चाहिए और अपने खुद के देश के लिए, खुद के लोकतंत्र के लिए, उनके खुद के समाज के लिए अधिकार हासिल करना चाहिए।’ कार्डिन ने आरोप लगाया कि महिलाओं और लड़कियों से व्यवहार के मामले में भारत का रिकॉर्ड ठीक नहीं है।
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