1.परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत को अमेरिका का समर्थन
• अमेरिका ने एक बार फिर साफ किया है कि वह परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में शामिल किए जाने के मामले में भारत का समर्थन करेगा। उसका कहना है कि भारत मिसाइल टेक्नालाजी कंट्रोल व्यवस्था की सभी शर्तें पूरी करता है और इस कारण वह इस समूह में शामिल किए जाने का पात्र है।
• अमेरिका के विदेश विभाग ने विश्व के परमाणु शक्तिवाले देशों के इस महत्वपूर्ण समूह में भारत को शामिल किए जाने का समर्थन ऐसे समय किया है जब पाकिस्तान यह कह रहा है कि वह चीन के साथ मिलकर भारत को इस समूह में शामिल किए जाने का विरोध करेगा।
• अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता जान किर्बी ने याद दिलाया कि राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 2015 में अपनी भारत यात्रा के दौरान कहा था कि भारत मिसाइल टेक्नालॉजी कंट्रोल व्यवस्था की सभी शत्रे पूरी करता है इस कारण वह परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह का सदस्य बनने के योग्य है।
• अमेरिका के साथ रूस भी भारत को एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति वाला देश बता कर उसे परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में शामिल किए जाने का समर्थन कर चुका है।
• अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में शामिल किए जाने के बारे में यह टिप्पणी संवाददाताओं द्वारा यह ध्यान दिलाए जाने पर की कि चीन तथा पाकिस्तान ने इस मामले में भारत का विरोध करने का निश्चय किया है।
• जान किर्बी ने कहा, परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में किसी नये देश को शामिल करने के प्रश्न पर विचार समूह के देशों का आंतरिक मामला है और सदस्य देश इस पर आपस में ही विचार करते है।इस बीच चीन ने शनिवार को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत के प्रवेश का विरोध करने के अपने फैसले का बचाव किया और कहा कि 48 सदस्यीय इस संगठन के सदस्यों की राय है कि इस समूह में वहीं देश शामिल हो सकता है जिसने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किया है।
• परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह के विस्तार के लिए यह शर्त महत्वपूर्ण है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने लू कंग ने कहा, न केवल चीन बल्कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह के अन्य देशों की भी यह राय है कि परमाणु प्रसार रोकने के लिए परमाणु अप्रसार संधि की व्यवस्था महत्वपूर्ण है।
• यह पूछने पर कि चीन भारत के परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में प्रवेश को पाकिस्तान के प्रवेश से जोड़ रहा है, चीनी प्रवक्ता ने कहा कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह परमाणु अप्रसार संधि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में लम्बे समय से सहमति है।
• भारत इस सहमति को स्वीकार करता है।भारत, पाकिस्तान, इस्रइल तथा दक्षिण अफ्रीका संयुक्त राष्ट्र के चार ऐसे देश हैं जिन्होंने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किया है। इस अंतरराष्ट्रीय संधि का उद्देश्य परमाणु असों का प्रसार रोकना है।
• पिछले महीने पाकिस्तान के विदेशी मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने कहा था कि चीन ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत का प्रवेश रोकने में पाकिस्तान की मदद की थी।
• अमेरिका के विदेश विभाग ने विश्व के परमाणु शक्तिवाले देशों के इस महत्वपूर्ण समूह में भारत को शामिल किए जाने का समर्थन ऐसे समय किया है जब पाकिस्तान यह कह रहा है कि वह चीन के साथ मिलकर भारत को इस समूह में शामिल किए जाने का विरोध करेगा।
• अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता जान किर्बी ने याद दिलाया कि राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 2015 में अपनी भारत यात्रा के दौरान कहा था कि भारत मिसाइल टेक्नालॉजी कंट्रोल व्यवस्था की सभी शत्रे पूरी करता है इस कारण वह परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह का सदस्य बनने के योग्य है।
• अमेरिका के साथ रूस भी भारत को एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति वाला देश बता कर उसे परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में शामिल किए जाने का समर्थन कर चुका है।
• अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में शामिल किए जाने के बारे में यह टिप्पणी संवाददाताओं द्वारा यह ध्यान दिलाए जाने पर की कि चीन तथा पाकिस्तान ने इस मामले में भारत का विरोध करने का निश्चय किया है।
• जान किर्बी ने कहा, परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में किसी नये देश को शामिल करने के प्रश्न पर विचार समूह के देशों का आंतरिक मामला है और सदस्य देश इस पर आपस में ही विचार करते है।इस बीच चीन ने शनिवार को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत के प्रवेश का विरोध करने के अपने फैसले का बचाव किया और कहा कि 48 सदस्यीय इस संगठन के सदस्यों की राय है कि इस समूह में वहीं देश शामिल हो सकता है जिसने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किया है।
• परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह के विस्तार के लिए यह शर्त महत्वपूर्ण है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने लू कंग ने कहा, न केवल चीन बल्कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह के अन्य देशों की भी यह राय है कि परमाणु प्रसार रोकने के लिए परमाणु अप्रसार संधि की व्यवस्था महत्वपूर्ण है।
• यह पूछने पर कि चीन भारत के परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में प्रवेश को पाकिस्तान के प्रवेश से जोड़ रहा है, चीनी प्रवक्ता ने कहा कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह परमाणु अप्रसार संधि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में लम्बे समय से सहमति है।
• भारत इस सहमति को स्वीकार करता है।भारत, पाकिस्तान, इस्रइल तथा दक्षिण अफ्रीका संयुक्त राष्ट्र के चार ऐसे देश हैं जिन्होंने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किया है। इस अंतरराष्ट्रीय संधि का उद्देश्य परमाणु असों का प्रसार रोकना है।
• पिछले महीने पाकिस्तान के विदेशी मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने कहा था कि चीन ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत का प्रवेश रोकने में पाकिस्तान की मदद की थी।
2. चीन ने भारत की सीमा पर अपनी रक्षा शक्ति बढ़ाई
• अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में, खास कर पाकिस्तान में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति के प्रति आगाह करते हुए कहा है कि उसने भारतीय सीमा पर अपनी रक्षा क्षमताओं में इजाफा किया है और ज्यादा सैनिक तैनात किए हैं।
• पूर्वी एशिया के उप रक्षामंत्री अब्राहम एम. डेनमार्क ने संवाददाता सम्मेलन में बताया, हमने भारत की सीमा के निकट के इलाकों में चीनी सेना की ओर से क्षमता और बल मुद्रा में इजाफा पाया है।
• यह संवाददाता सम्मेलन ‘‘चीनी जनवादी गणराज्य की सेना और सुरक्षा घटनाक्र म’ पर अमेरिकी कांग्रेस में पेंटागन की ओर से वार्षिक 2016 रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद आयोजित किया गया था।बहरहाल, डेनमार्क ने कहा, यह तय करना मुश्किल है कि इसके पीछे वास्तविक मंशा क्या है।
• उन्होंने तिब्बत में सैन्य कमान का स्तर उन्नत करने के चीन के कदम पर एक सवाल के जवाब में कहा, यह कहना मुश्किल है कि इसमें से कितना आंतरिक स्थिरता बरकरार रखने की आंतरिक मंशा से और कितना बाहरी मंशा से प्रेरित है।
• डेनमार्क ने अमेरिकी रक्षामंत्री एश्टन कार्टर की हाल की भारत यात्रा को बहुत सकारात्मक एवं उत्पादक बताते हुए कहा, हम भारत के साथ अपना द्विपक्षीय रिश्ता प्रगाढ़ करना जारी रखेंगे, चीन के संदर्भ में नहीं, बल्कि इसलिए कि भारत खुद ही अधिकाधिक एक अहम देश है। और हम उसके महत्व के चलते भारत के साथ संवाद करने जा रहे हैं।
• अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में, खासतौर पर पाकिस्तान में अड्डा स्थापित करने समेत चीन की बढ़ती मौजूदगी के प्रति आगाह किया। पाकिस्तान के साथ चीन के लंबे समय से दोस्ताना रिश्ते और समान सामरिक हित हैं।
• इसने कहा, चीन के फैलते अंतरराष्ट्रीय आर्थिक हित के चलते चीनी नागरिकों, चीनी निवेश और संचार की अहम समुद्री लाइन की सुरक्षा के लिए जनमुक्ति सेना की नौसेना पर दूर-दराज के समुद्रों में संचालन की मांग बढ़ रही है। रिपोर्ट में कहा गया है, बहुत संभव है कि चीन उन देशों में अतिरिक्त नौसैनिक साजो-सामान केन्द्र स्थापित करना चाहेगा जिसके साथ उसके दीर्घकालीन दोस्ताना रिश्ते और समान सामरिक हित हैं जैसे पाकिस्तान।
• पेंटागन ने अपनी रिपोर्ट में भारतीय सीमा के निकट चीनी सैन्य निर्माण पर चिंता जताई। उसने कहा, चीन-भारत सीमा के विवादित हिस्सों पर तनाव बना रहा जहां दोनों पक्ष सैन्य बलों के साथ गश्त लगाते हैं।
• पूर्वी एशिया के उप रक्षामंत्री अब्राहम एम. डेनमार्क ने संवाददाता सम्मेलन में बताया, हमने भारत की सीमा के निकट के इलाकों में चीनी सेना की ओर से क्षमता और बल मुद्रा में इजाफा पाया है।
• यह संवाददाता सम्मेलन ‘‘चीनी जनवादी गणराज्य की सेना और सुरक्षा घटनाक्र म’ पर अमेरिकी कांग्रेस में पेंटागन की ओर से वार्षिक 2016 रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद आयोजित किया गया था।बहरहाल, डेनमार्क ने कहा, यह तय करना मुश्किल है कि इसके पीछे वास्तविक मंशा क्या है।
• उन्होंने तिब्बत में सैन्य कमान का स्तर उन्नत करने के चीन के कदम पर एक सवाल के जवाब में कहा, यह कहना मुश्किल है कि इसमें से कितना आंतरिक स्थिरता बरकरार रखने की आंतरिक मंशा से और कितना बाहरी मंशा से प्रेरित है।
• डेनमार्क ने अमेरिकी रक्षामंत्री एश्टन कार्टर की हाल की भारत यात्रा को बहुत सकारात्मक एवं उत्पादक बताते हुए कहा, हम भारत के साथ अपना द्विपक्षीय रिश्ता प्रगाढ़ करना जारी रखेंगे, चीन के संदर्भ में नहीं, बल्कि इसलिए कि भारत खुद ही अधिकाधिक एक अहम देश है। और हम उसके महत्व के चलते भारत के साथ संवाद करने जा रहे हैं।
• अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में, खासतौर पर पाकिस्तान में अड्डा स्थापित करने समेत चीन की बढ़ती मौजूदगी के प्रति आगाह किया। पाकिस्तान के साथ चीन के लंबे समय से दोस्ताना रिश्ते और समान सामरिक हित हैं।
• इसने कहा, चीन के फैलते अंतरराष्ट्रीय आर्थिक हित के चलते चीनी नागरिकों, चीनी निवेश और संचार की अहम समुद्री लाइन की सुरक्षा के लिए जनमुक्ति सेना की नौसेना पर दूर-दराज के समुद्रों में संचालन की मांग बढ़ रही है। रिपोर्ट में कहा गया है, बहुत संभव है कि चीन उन देशों में अतिरिक्त नौसैनिक साजो-सामान केन्द्र स्थापित करना चाहेगा जिसके साथ उसके दीर्घकालीन दोस्ताना रिश्ते और समान सामरिक हित हैं जैसे पाकिस्तान।
• पेंटागन ने अपनी रिपोर्ट में भारतीय सीमा के निकट चीनी सैन्य निर्माण पर चिंता जताई। उसने कहा, चीन-भारत सीमा के विवादित हिस्सों पर तनाव बना रहा जहां दोनों पक्ष सैन्य बलों के साथ गश्त लगाते हैं।
3. भारत से रिश्तों का विस्तार होगा : श्रीलंका
• भारत और श्रीलंका के रिश्ते मजबूत होने पर खुशी जाहिर करते हुए श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने शनिवार को कहा कि आने वाले दिनों में दोनों पड़ोसी मुल्कों के संबंधों का विस्तार होगा।
• सिरिसेना ने उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ मेले की पृष्ठभूमि में प्रदेश सरकार के आयोजित ‘‘अंतरराष्ट्रीय विचार महाकुंभ’ के समापन समारोह में बतौर विशेष अतिथि हिस्सा लिया। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समारोह के मुख्य अतिथि थे।
• सिरिसेना ने इस मौके पर कहा, मैं गत सितंबर में मोदी से न्यूयॉर्क में मिला था। इसके बाद पेरिस में गत नवंबर में उनसे फिर मेरी मुलाकात हुई थी। इन मुलाकातों और अलग.अलग विषयों पर विचारों के लेन-देन से श्रीलंका और भारत के मैत्रीपूर्ण रिश्ते मजबूत हुए हैं। दोनों देशों के रिश्तों का भविष्य में भी विस्तार होगा।
• भारत और श्रीलंका के रिश्तों के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होने मोदी को याद दिलाया कि श्रीलंका का राष्ट्रपति चुने जाने के बाद उन्होंने सबसे पहले भारत की विदेश यात्रा की थी।
• सिरिसेना ने श्रीलंका के सामाजिक-आर्थिक विकास में गहरी रूचि और प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने के लिये भारत को धन्यवाद भी दिया।
4. प्रधानमंत्री ने कहा : आतंक, जलवायु परिवर्तन बड़े खतरे, समाधान के लिए विस्तारवादी नीति को छोड़ना आवश्यक
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन को विश्व के समक्ष मौजूदा समय का सबसे बड़ा संकट बताया। उन्होंने कहा कि इसके समाधान के लिए विस्तारवादी नीति को छोड़ना आवश्यक है।
• मोदी ने विचार महाकुंभ के समापन समारोह के दौरान 51 सूत्रीय घोषणापत्र जारी करते हुए शनिवार को यह भरोसा दिलाया कि ये बिंदु विश्व के समक्ष मौजूद तमाम संकटों के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने महाकुंभ जैसे आयोजनों को प्रबंधन के लिए केस स्टडी करार देते हुए कहा कि हम सभी विविधताओं के बावजूद ऐसे कार्यक्रमों को सफलता पूर्वक आयोजित कर सकते हैं।
• उन्होंने इस सिलसिले में चुनाव आयोग का भी जिक्र किया और कहा कि इतने बड़े देश में सफल चुनाव प्रबंधन विश्व के लिए सबक है और दुनिया इसे केस स्टडी के रूप में देखती है। उन्होंने कहा, भारत पहले ही विविधताओं वाला देश है और इसकी वजह से दुनिया को यहां टकराव की स्थिति भी नजर आती है लेकिन हम इसमें भी अच्छाई ढूंढ़ लेते हैं।
• हम पिता की आज्ञा मानने वाले राम का भी आदर करते हैं और अवज्ञा करने वाले प्रह्लाद को भी मानते हैं। पति के साथ वनगमन करने वाली सीता का भी आदर करते हैं और पति की अवज्ञा करने वाली मीरा का भी आदर करते हैं।
• मोदी ने कहा, पूरी दुनिया पृवी दिवस मनाने चली है लेकिन हमारे पूर्वजों ने हमें चांद को मामा और सूरज को दादा कहना सिखाया। उन्होंने संतों से अपील की कि वह साल में कम से कम एक बार विशेषज्ञों के साथ धरती ,बेटी, कृषि ,स्वच्छता जैसे मुद्दों पर विचार मंथन करें।
• इस कार्यक्रम में श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना,लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह तथा अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे।
• मोदी ने विचार महाकुंभ के समापन समारोह के दौरान 51 सूत्रीय घोषणापत्र जारी करते हुए शनिवार को यह भरोसा दिलाया कि ये बिंदु विश्व के समक्ष मौजूद तमाम संकटों के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने महाकुंभ जैसे आयोजनों को प्रबंधन के लिए केस स्टडी करार देते हुए कहा कि हम सभी विविधताओं के बावजूद ऐसे कार्यक्रमों को सफलता पूर्वक आयोजित कर सकते हैं।
• उन्होंने इस सिलसिले में चुनाव आयोग का भी जिक्र किया और कहा कि इतने बड़े देश में सफल चुनाव प्रबंधन विश्व के लिए सबक है और दुनिया इसे केस स्टडी के रूप में देखती है। उन्होंने कहा, भारत पहले ही विविधताओं वाला देश है और इसकी वजह से दुनिया को यहां टकराव की स्थिति भी नजर आती है लेकिन हम इसमें भी अच्छाई ढूंढ़ लेते हैं।
• हम पिता की आज्ञा मानने वाले राम का भी आदर करते हैं और अवज्ञा करने वाले प्रह्लाद को भी मानते हैं। पति के साथ वनगमन करने वाली सीता का भी आदर करते हैं और पति की अवज्ञा करने वाली मीरा का भी आदर करते हैं।
• मोदी ने कहा, पूरी दुनिया पृवी दिवस मनाने चली है लेकिन हमारे पूर्वजों ने हमें चांद को मामा और सूरज को दादा कहना सिखाया। उन्होंने संतों से अपील की कि वह साल में कम से कम एक बार विशेषज्ञों के साथ धरती ,बेटी, कृषि ,स्वच्छता जैसे मुद्दों पर विचार मंथन करें।
• इस कार्यक्रम में श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना,लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह तथा अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे।
5. दो साल में रक्षा निर्यात दो अरब डॉलर करने का लक्ष्य
• रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने शनिवार को कहा कि इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में रणनीतिक साङोदारी करने के दौरान सरकार सभी की चिंताओं को ध्यान में रखेगी।
• उन्होंने अगले दो साल में रक्षा निर्यात को 33 करोड़ डॉलर से बढ़ाकर दो अरब डॉलर करने का भी लक्ष्य तय किया है।एक सेमिनार में रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार रक्षा निर्यात बढ़ाने और तेजस लड़ाकू विमान के निर्यात की योजना बना रही है। हालांकि यह आसान नहीं है।
• हथियार और रक्षा उत्पादों के निर्यात में हमेशा दो समस्याएं होती हैं। पहली, निर्यात किसे किया जा रहा है और दूसरी, अंतरराष्ट्रीय जरूरतों की हमेशा पड़ताल करते रहना होता है। उन्होंने बताया कि रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने का परिणाम सामने आने लगा है। 14-15 करोड़ डॉलर के मामूली आंकड़े से इस साल हम 33 करोड़ डॉलर के आंकड़े को पार कर चुके हैं।
• पर्रिकर ने कहा, ‘मैंने अपने लिए लक्ष्य तय किया है। अगले दो साल में हम क्यों न दो अरब डॉलर के आंकड़े को हासिल कर लें। यह असंभव लक्ष्य नहीं है।’प्रस्तावित रणनीतिक साङोदारियों का विरोध कर रहे लोगों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, लगता है उन्हें अहसास हो गया है कि वे इसका सामना नहीं कर पाएंगे। इसलिए वे इस बात का प्रचार कर रहे हैं कि रणनीतिक साङोदारियों को लेकर रक्षा मंत्रलय को मुश्किल पेश आ रही है।
• पर्रिकर ने बताया कि रणनीतिक साङोदारियों को लेकर चिंता व्यक्त करने वाले कई बेहद महत्वपूर्ण व्यक्तियों (वीआइपी) के पत्र उन्हें मिले हैं। कई बार इन पत्रों की भाषा एक जैसी होती है, इससे पता चलता है कि ये पत्र लिखे तो किसी अन्य पार्टी द्वारा जाते हैं और वीआइपी इन पर सिर्फ हस्ताक्षर करते हैं। इनमें चिंताओं को अच्छी तरह से व्यक्त किया गया है और इन पर ध्यान दिया जा रहा है। जल्द ही छोटे समूहों के साथ दूसरे दौर की वार्ता की जाएगी।
• पर्रिकर ने कहा, ‘मैं रणनीतिक साङोदारी मॉडल को आगे ले जाना चाहता हूं और दो परियोजनाओं में इसे अमल में लाना चाहता हूं जहां इसके अलावा कोई और विकल्प नहीं है।’
6. योग और आयुर्वेद को बढ़ावा के लिए भारत और डब्ल्यूएचओ में समझौता
• पारंपरिक दवाओं को बढ़ावा देने में सहयोग के लिए भारत और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इससे पहली बार डब्ल्यूएचओ के दस्तावेज में योग, आयुर्वेद, यूनानी और पंचकर्म के प्रशिक्षण को स्थान मिलेगा।
• सरकारी बयान के मुताबिक, आयुष मंत्रलय और डब्ल्यूएचओ के बीच ऐतिहासिक परियोजना सहयोग समझौता (पीसीए) किया गया। यह समझौता पारंपरिक और पूरक दवाओं की गुणवत्ता, सुरक्षा और सेवा प्रावधान के प्रभाव को बढ़ाने में सहयोग के लिए किया गया है।
• समझौते पर आयुष मंत्रलय के सचिव अजित एम. शरण और डब्ल्यूएचओ के हेल्थ सिस्टम्स एंड इनोवेशन की सहायक महानिदेशक मेरी किएनी ने जेनेवा में शुक्रवार को हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर आयुष राय मंत्री श्रीपद नायक और डब्ल्यूएचओ महानिदेशक मार्गरेट चैन भी मौजूद थे।
• सरकारी बयान के मुताबिक, आयुष मंत्रलय और डब्ल्यूएचओ के बीच ऐतिहासिक परियोजना सहयोग समझौता (पीसीए) किया गया। यह समझौता पारंपरिक और पूरक दवाओं की गुणवत्ता, सुरक्षा और सेवा प्रावधान के प्रभाव को बढ़ाने में सहयोग के लिए किया गया है।
• समझौते पर आयुष मंत्रलय के सचिव अजित एम. शरण और डब्ल्यूएचओ के हेल्थ सिस्टम्स एंड इनोवेशन की सहायक महानिदेशक मेरी किएनी ने जेनेवा में शुक्रवार को हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर आयुष राय मंत्री श्रीपद नायक और डब्ल्यूएचओ महानिदेशक मार्गरेट चैन भी मौजूद थे।
7. 12वीं योजना की समीक्षा माह भर में पेश करे नीति आयोग
• केंद्र सरकार ने नीति आयोग को 12वीं पंचवर्षीय योजना की समीक्षा को अगले एक माह में अंतिम रूप देने का निर्देश दिया है। मौजदूा पंचवर्षीय योजना का यह अंतिम वर्ष चल रहा है, लेकिन अब तक इसकी मध्यावधि समीक्षा नहीं हुई है।
• माना जा रहा है कि आयोग जून के शुरू में इस समीक्षा को अंतिम रूप देकर सरकार को रिपोर्ट सौंप सकता है। इसके बाद प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में नीति आयोग की गवर्निग काउंसिल और अंतर-राय परिषद इस पर अपनी मुहर लगाएंगी। सूत्रों ने कहा नीति आयोग 12वीं योजना के वित्तीय और भौतिक प्रदर्शन का मूल्यांकन कर अछाइयां और कमियों पर प्रकाश डालेगा। साथ ही उन पहलुओं को विशेष रूप से रेखांकित करेगा जिनसे आगे चलकर सीख ली जा सकती है।
• इसके बाद यह दस्तावेज नीति आयोग की गवर्निग काउंसिल के पास भेजा जाएगा, जिसमें रायों के मुख्यमंत्री भी बतौर सदस्य शामिल हैं। सूत्रों ने कहा कि योजना की अवधि पूरी होने को है। इसलिए मध्यावधि समीक्षा में सुझाए जाने वाले उपायों को चालू वित्त वर्ष में तो लागू नहीं किया जा सकेगा। लेकिन आने वाले समय में सात वर्षीय रणनीति योजना और 15 वर्षीय विजन दस्तावेज में इसे जगह दी जा सकती है।
• 12वीं पंचवर्षीय योजना की शुरुआत एक अप्रैल, 2012 को हुई थी। यह योजना 31 मार्च, 2017 तक चलेगी। हालांकि अगले वित्त वर्ष से सरकार ने पंचवर्षीय योजना की जगह सात वर्षीय रणनीतिक कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश नीति आयोग को पहले ही दे दिया है।
• पंचवर्षीय योजना की मौजूदा व्यवस्था में जो खामियां थीं, उनसे सीख लेकर विजन दस्तावेज और रणनीतिक कार्ययोजना तैयार की जाएगी। इस बीच वित्त मंत्रलय अगले साल से बजट में योजनागत और गैर योजनागत आवंटन के अंतर की मौजूदा व्यवस्था को खत्म करने के लिए राज्यों के साथ मिलकर काम कर रहा है।
• वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2016-17 में इस संबंध में घोषणा की थी। योजनागत और गैर-योजनागत आवंटन का अंतर खत्म होने के बाद सरकार का फोकस राजस्व और पूंजी खाते पर रहेगा।
8. बैंकों का एनपीए और बढ़ने की आशंका
• फंसे कर्जो (एनपीए) के बढ़ते स्तर ने अर्थव्यवस्था को सुस्ती के चंगुल में ले रखा है। चालू वित्त वर्ष में इनके और बढ़ने की आशंका है। वित्त मंत्रलय की वार्षिक रिपोर्ट की मानें तो मार्च, 2017 तक बैंकों का सकल एनपीए बढ़कर 6.9 फीसद हो सकता है।
• आरबीआइ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए वित्त मंत्रलय की रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर, 2015 तक अनुसूचित वाणियिक बैंकों का सकल एनपीए 5.14 फीसद था। सितंबर, 2016 तक इसके बढ़कर 5.4 फीसद हो जाने की आशंका है।
• मंत्रलय की 2015-16 की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, यदि आर्थिक स्थितियां व्यापक स्तर पर बिगड़ती हैं, तो सकल एनपीए का अनुपात और बढ़ सकता है। अत्यधिक दबाव की स्थितियों में मार्च 2017 तक यह 6.9 फीसद के आसपास पहुंच सकता है।
• इसमें कहा गया है कि जोखिम वाली परिसंपत्तियों की तुलना में पूंजी अनुपात (सीआरएआर) मार्च 2017 तक घटकर 10.4 फीसद हो सकता है। सितंबर, 2015 में यह 12.7 फीसद था। सीआरएआर बैंकों की पूंजी पर्याप्तता का संकेतक है।रिपोर्ट के अनुसार फंसे कर्जो के बढ़ने की मुख्य वजहों में बीते कुछ समय के दौरान घरेलू ग्रोथ में सुस्ती, ग्लोबल इकोनॉमी में सुधार की धीमी रफ्तार और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अनिश्चितता शामिल हैं।
• इसके कारण टेक्सटाइल, इंजीनियरिंग गुड्स, चमड़ा, रत्न जैसे विभिन्न उत्पादों का निर्यात कम हुआ।बाहरी कारकों के अलावा खनन परियोजनाओं पर प्रतिबंध, पावर और स्टील सेक्टर में परियोजनाओं को मंजूरी में विलंब, कचे माल की कीमतों में अस्थिरता और बिजली की किल्लत के कारण इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में ऑपरेशनों का प्रभावित होना भी बैंकों पर भारी पड़ा।
• बीते कुछ समय में इन सेक्टरों में बैंकों ने जोरदार तरीके से फंडिंग की।इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को कर्ज सरकारी बैंकों के लिए काफी तकलीफदेह रहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि फंसे कर्जो की स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने कई उपाय किए हैं। इसी क्रम में वह छह नए कर्ज वसूली टिब्यूनल गठित कर रही है।
• ये फंसे कर्जो की वसूली में मदद करेंगे। बैंकों के फंसे कर्जो में 2000-01 से 2008-09 तक लगातार गिरावट आई। इस दौरान ये 12.04 फीसद से घटकर 2.45 फीसद रह गए। रिपोर्ट के अनुसार मार्च, 2013 से मार्च 2014 तक सकल एनपीए में बढ़ोतरी हुई। इस दौरान ये 3.42 फीसद से बढ़कर 4.11 फीसद हो गए।
• आरबीआइ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए वित्त मंत्रलय की रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर, 2015 तक अनुसूचित वाणियिक बैंकों का सकल एनपीए 5.14 फीसद था। सितंबर, 2016 तक इसके बढ़कर 5.4 फीसद हो जाने की आशंका है।
• मंत्रलय की 2015-16 की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, यदि आर्थिक स्थितियां व्यापक स्तर पर बिगड़ती हैं, तो सकल एनपीए का अनुपात और बढ़ सकता है। अत्यधिक दबाव की स्थितियों में मार्च 2017 तक यह 6.9 फीसद के आसपास पहुंच सकता है।
• इसमें कहा गया है कि जोखिम वाली परिसंपत्तियों की तुलना में पूंजी अनुपात (सीआरएआर) मार्च 2017 तक घटकर 10.4 फीसद हो सकता है। सितंबर, 2015 में यह 12.7 फीसद था। सीआरएआर बैंकों की पूंजी पर्याप्तता का संकेतक है।रिपोर्ट के अनुसार फंसे कर्जो के बढ़ने की मुख्य वजहों में बीते कुछ समय के दौरान घरेलू ग्रोथ में सुस्ती, ग्लोबल इकोनॉमी में सुधार की धीमी रफ्तार और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अनिश्चितता शामिल हैं।
• इसके कारण टेक्सटाइल, इंजीनियरिंग गुड्स, चमड़ा, रत्न जैसे विभिन्न उत्पादों का निर्यात कम हुआ।बाहरी कारकों के अलावा खनन परियोजनाओं पर प्रतिबंध, पावर और स्टील सेक्टर में परियोजनाओं को मंजूरी में विलंब, कचे माल की कीमतों में अस्थिरता और बिजली की किल्लत के कारण इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में ऑपरेशनों का प्रभावित होना भी बैंकों पर भारी पड़ा।
• बीते कुछ समय में इन सेक्टरों में बैंकों ने जोरदार तरीके से फंडिंग की।इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को कर्ज सरकारी बैंकों के लिए काफी तकलीफदेह रहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि फंसे कर्जो की स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने कई उपाय किए हैं। इसी क्रम में वह छह नए कर्ज वसूली टिब्यूनल गठित कर रही है।
• ये फंसे कर्जो की वसूली में मदद करेंगे। बैंकों के फंसे कर्जो में 2000-01 से 2008-09 तक लगातार गिरावट आई। इस दौरान ये 12.04 फीसद से घटकर 2.45 फीसद रह गए। रिपोर्ट के अनुसार मार्च, 2013 से मार्च 2014 तक सकल एनपीए में बढ़ोतरी हुई। इस दौरान ये 3.42 फीसद से बढ़कर 4.11 फीसद हो गए।
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