दैनिक समसामयिकी
08 May 2016(Sunday)
1.बागी विधायकों पर निर्णय 9 को:- कांग्रेस के नौ बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त किए जाने के उत्तराखंड राज्य विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर शनिवार को उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की एकल पीठ ने याचिका पर दो घंटे से अधिक समय तक सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि इस पर निर्णय नौ मई को सवा दस बजे सुनाया जाएगा। नौ बागी विधायकों की सदस्यता के मामले पर उच्च न्यायालय का फैसले का सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर राज्य विधानसभा में 10 मई को होने वाले शक्ति परीक्षण पर सीधा असर होगा। अगर ये विधायक सदन की सदस्यता से अयोग्य ही ठहराए जाते हैं तो वे 10 मई को विधानसभा में होने वाले शक्ति परीक्षण में हिस्सा नहीं ले पाएंगे और 62 की प्रभावी क्षमता वाले सदन में बहुमत का जादुई आंकड़ा घटकर 31 पर सिमट जाएगा। हालांकि, उनकी विधानसभा सदस्यता बहाल कर दी जाती है तो शक्ति परीक्षण के दौरान विधानसभा की क्षमता 71 (मनोनीत विधायक को मिलाकर) ही मानी जाएगी और उसमें जीतने वाले पक्ष के पास 36 का आंकड़ा होना जरूरी हो जाएगा। विधानसभा अध्यक्ष अपना निर्णायक मत केवल उसी स्थिति में दे सकते हैं जब दोनों पक्षों के बराबर मत हों।
1.बागी विधायकों पर निर्णय 9 को:- कांग्रेस के नौ बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त किए जाने के उत्तराखंड राज्य विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर शनिवार को उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की एकल पीठ ने याचिका पर दो घंटे से अधिक समय तक सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि इस पर निर्णय नौ मई को सवा दस बजे सुनाया जाएगा। नौ बागी विधायकों की सदस्यता के मामले पर उच्च न्यायालय का फैसले का सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर राज्य विधानसभा में 10 मई को होने वाले शक्ति परीक्षण पर सीधा असर होगा। अगर ये विधायक सदन की सदस्यता से अयोग्य ही ठहराए जाते हैं तो वे 10 मई को विधानसभा में होने वाले शक्ति परीक्षण में हिस्सा नहीं ले पाएंगे और 62 की प्रभावी क्षमता वाले सदन में बहुमत का जादुई आंकड़ा घटकर 31 पर सिमट जाएगा। हालांकि, उनकी विधानसभा सदस्यता बहाल कर दी जाती है तो शक्ति परीक्षण के दौरान विधानसभा की क्षमता 71 (मनोनीत विधायक को मिलाकर) ही मानी जाएगी और उसमें जीतने वाले पक्ष के पास 36 का आंकड़ा होना जरूरी हो जाएगा। विधानसभा अध्यक्ष अपना निर्णायक मत केवल उसी स्थिति में दे सकते हैं जब दोनों पक्षों के बराबर मत हों।
2. 41 रेल परियोजनाओं में होगी राज्यों की भागीदारी:- रेल ढांचा विस्तार में राज्य सरकारों का सहयोग लेने की रेल मंत्रलय की योजना अब परवान चढ़ने लगी है। इस संबंध में अब तक सात राज्यों ने रेलवे के साथ समझौते कर लिए हैं। भविष्य में अन्य राज्यों के साथ इतने ही समझौते होने की संभावना है। इन समझौतों के बाद कुल 41 रेल परियोजनाओं का क्रियान्वयन रायों की भागीदारी से होगा। इनमें 58,274 करोड़ रुपये की 30 रेल परियोजनाओं को रेल मंत्रलय के निवेश कार्यक्रम के तहत मंजूरी दी जा चुकी है। 13 परियोजनाओं को 2016-17 के रेल बजट में शामिल कर लिया गया है। इन्हें भी शीघ्र ही स्वीकृति मिलने की संभावना है। स्वीकृत हो चुकी परियोजनाओं में नई लाइन की 25, दोहरीकरण की 2 तथा आमान परिवर्तन की 3 परियोजनाएं शामिल हैं। इनमें उत्तर रेलवे की काशीपुर-धामपुर, भिवानी-लोहारू, देहरादून-विकासनगर नई लाइन, उत्तर-मध्य रेलवे की भिंड-लहर-कोंच व उरई-महोबा नई लाइन परियोजनाएं तथा पश्चिम रेलवे की उजैन-फतेहाबाद आमान परिवर्तन परियोजना शामिल है। अन्य स्वीकृत परियोजनाओं का संबंध दक्षिण-मध्य रेलवे, मध्य रेलवे, दक्षिण-पश्चिम रेलवे, पूवरेत्तर सीमांत रेलवे, पूर्व-तटीय रेलवे तथा उत्तर-पश्चिम रेलवे से है। जिन 13 परियोजनाओं को मंजूरी का इंतजार है उनमें विक्रमशिला-कतरिया, डोंगागढ़-करियागढ़-कवर्धा-बिलासपुर, जैपुर-मलकानगिरि, जैपुर-नौरंगपुर, चित्र-बासुकीनाथ, मेरठ-पानीपत, गोड्डा-पाकुर, बहराइच-श्रवस्ती-बलरामपुर, मुरादाबाद व धरमपुर, इंदौर-मनमाड़ वाया मालेगांव, इंदौर-जबलपुर, पुणो-नासिक तथा गुंतकल-गंटूर नई लाइन परियोजनाएं शामिल हैं। इन परियोजनाओं का एलान 2016-17 के रेल बजट में किया जा चुका है। रेल परियोजनाओं में रायों की भागीदारी के लिए सरकार ने संयुक्त उद्यमों का रास्ता चुना है। इनमें राज्य सरकारों और रेल मंत्रलय की 50-50 फीसद अथवा 51-49 फीसद के अनुपात में इक्विटी भागीदारी होगी। इस पैटर्न पर अब तक सात राज्य सरकारें रेलवे के साथ संयुक्त उद्यम समझौता कर चुकी हैं। इनमें कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, केरल, छत्तीसगढ़ तथा तेलंगाना शामिल हैं। भविष्य में पंजाब, मध्य प्रदेश, झारखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम तथा तमिलनाडु के साथ भी ऐसे ही समझौते होने की उम्मीद है। रेलवे के साथ संयुक्त उद्यम (जेवी) समझौता करने वाली हर राज्य सरकार को प्रत्येक परियोजना के क्रियान्वयन के लिए विशेष प्रयोजन कंपनी (स्पेशल परपज व्हीकल-एसपीवी) का गठन करना होगा। इसमें कुछ निवेश राज्य सरकार का और कुछ रेलवे का होगा। एसपीवी को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, बैंकों व वित्तीय संस्थाओं से भी निवेश हासिल करने की छूट दी गई है। इस व्यवस्था से रेल परियोजनाओं में धन की कमी तथा स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप रेल ढांचे के विस्तार व विकास में मदद मिलेगी।
3. नीति आयोग ने की पानी का मूल्य तय करने की वकालत:- कुछ राज्यों में सूखे की स्थिति के बीच नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अमिताभ कांत ने पानी को जिंस मानने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि पानी जैसे सीमित संसाधन का लोग सम्मान करें इसके लिए जरूरी है कि इसका आर्थिक मूल्य तय किया जाए। कांत ने शुक्रवार को यहां एक पैनल र्चचा में कहा कि जब तक आप पानी का मूल्य तय नहीं करेंगे, तब तक आप इसकी आर्थिक लागत नहीं पाएंगे। पानी के लिए तब तक सम्मान नहीं मिलेगा जब तक कि लोगों को इसकी कीमत नहीं चुकानी पड़ेगी। उन्होंने उदाहरण देते हुये कहा, इनमें से कई चीजें सिंगापुर जैसे छोटे शहरों से सीखी जा सकतीं हैं। उन्होंने पानी को बचाने की जहां तक बात है उस मामले में अच्छा काम किया है। वष्ा का पानी, दोहरी पाइपिंग। पानी को एक जिंस की तरह मानना ताकि उसका मूल्यांकन किया जा सके। कांत ने कहा कि भारत को पानी के इर्दगिर्द काफी कुछ करने की जरूरत है और इसमें पानी से जुड़ी समस्याओं का कोई एक समाधान नहीं है। उन्होंने कहा, इसका कोई एक समाधान नहीं है। हमें जल संभरण के ईदगिर्द काफी कुछ करने की जरूरत है। हमें संरक्षण के लिए बहुत कुछ करना है, पानी को फिर से इस्तेमाल लायक बनाने के लिए अनेक प्रस्तुतीकरण तैयार करने होंगे। इसके लिए बेहतर प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करना होगा। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब सरकार के नीति निर्माताओं ने पानी का मूल्य तय करने की बात कही है। पूर्ववर्ती योजना आयोग ने भी इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया था।
4. ट्रंप की उम्मीदवारी पर रिपब्लिकन नेताओं में मतभेद:- अमेरिका के राष्ट्रपति पद के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के संभावित उम्मीदवार के तौर पर उभर रहे डोनाल्ड ट्रंप को लेकर पार्टी के भीतर आज काफी मतभेद देखने को मिला। पार्टी के प्रतिष्ठित नेतृत्व के शीर्ष वर्ग ने खुल कर रहा कि वह 69 वर्षीय ट्रंप को समर्थन नहीं देंगे, लेकिन उन्हें राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए पार्टी के पूर्व उम्मीदवार बॉब डोल समेत कई नेताओं का समर्थन मिला है। राष्ट्रपति पद के चुनाव में पार्टी उम्मीदवार बनने के दावेदारों जेब बुश अैर सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने खुलकर कहा है कि वह इस दौड़ में ट्रंप का समर्थन नहीं करते हैं। लेकिन ट्रंप की मुहिम को टेक्सास के पूर्व गवर्नर रिक पेरी और बॉब डाल के समर्थन से काफी बल मिला है। डोल ने एक बयान में कहा, ट्रंप के समर्थन में हमारे देश के मतदाताओं ने बड़ी संख्या में मतदान किया है। यह महत्वपूर्ण है कि उनके मतों का सम्मान किया जाए और अब समय आ गया है कि हम पार्टी के संभावित उम्मीदवार डोनाल्ड जे ट्रंप का समर्थन करें। उन्होंने कहा, उनकी जुलाई में क्लीवलैंड कन्वेंशन में भाग लेने की योजना है जहां ट्रंप को औपचारिक रूप से पार्टी का राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जाएगा। दो पूर्व रिपब्लिकन राष्ट्रपतियों जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश एवं जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने कहा कि वे क्लीवलैंड कन्वेंशन में भाग नहीं लेंगे।
5. मंगल के वायुमंडल में मिली एटामिक ऑक्सीजन:- वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह के वायुमंडल में एटामिक ऑक्सीजन मिली है। लाल ग्रह पर 40 वर्ष पहले प्रेक्षण के बाद पहली बार यह खोज हुई है। ये एटम मंगल की ऊपरी सतह पर पाए गए हैं। एटामिक ऑक्सीजन दर्शाता है कि किस तरह अन्य गैस मंगल से विदा हो गईं। इसी से एटामिक ऑक्सीजन का लाल ग्रह के वायुमंडल पर गहरे असर का पता चलता है।स्ट्रैटोस्फेरिक फॉर इन्फ्रारेड एस्ट्रोनॉमी (एसओएफआइए) उपकरण अनुमानित ऑक्सीजन का केवल आधा भाग ही तलाश पाया है। यह शायद मंगल के वातावरण में परिवर्तनों के कारण हुआ होगा। इन परिवर्तनों का अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिक एसओएफआइए का इस्तेमाल जारी रखेंगे। इस अध्ययन से लाल ग्रह के वायुमंडल को अछी तरह समझने में मदद मिलेगी।एसओएफआइए परियोजना वैज्ञानिक पामेला माकरुम ने कहा, ‘मंगल के वायुमंडल में एटामिक ऑक्सीजन को मापना अत्यंत कठिन है। एटामिक ऑक्सीजन की खोज में सुदूर-इन्फ्रारेड वेवलेंथ का प्रेक्षण करने की जरूरत है। वैज्ञानिकों को अनिवार्य रूप से धरती के वायुमंडल से ऊपर उठना होगा और इस मामले में उचतम संवेदी उपकरणों का इस्तेमाल करना होगा। एसओएफआइए में दोनों ही क्षमता उपलब्ध है।’
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