Thursday, 12 May 2016

दैनिक समसामयिकी 12 May 2016(Thursday)

1.अमेरिका-भारत रक्षा सहयोग विधेयक सीनेट में रखा गया:- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगले महीने संभावित अमेरिका यात्रा से पहले दो शीर्ष अमेरिकी सीनेटरों ने सीनेट में एक विधेयक रखा है। अगर कांग्रेस इसे पारित कर देती है तो इससे भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों का स्तर उसी तरह का हो सकता है जैसे कि अमेरिका के साथ नाटो सहयोगियों तथा इसाइल के घनिष्ठ संबंध हैंसीनेटर मार्क वार्नर और जॉन कोरनिन ने मंगलवार को अमेरिका-भारत रक्षा प्रौद्योगिकी और भागीदारी कानून से संबंधित विधेयक को सीनेट में रखा। यह दोनों सीनेटर सीनेट इंडिया कॉकस के सह अध्यक्ष हैं। कानून आवश्यक कार्रवाई के लिए सीनेट की विदेश संबंध मामलों की समिति के पास भेजा गया है। विधेयक का इसी तरह का प्रारूप मार्च में प्रतिनिधि सभा में रखा गया था। कानून भारत को यह संदेश देते हुए कि अमेरिका एक विश्वसनीय और भरोसेमंद रक्षा भागीदार है, अमेरिका-भारत सुरक्षा संबंधों पर अमेरिका सरकार के फोकस को संस्थागत बनाता है । वार्नर ने विधेयक की सराहना करने वाली यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल द्वारा जारी एक बयान में कहा, यह विधेयक हमारे द्विपक्षीय संबंधों, खासकर रक्षा क्षेत्र में, को मजबूत करने का समर्थन करता है और भारत को वह स्तर प्रदान करता है कि वह एशिया तथा विश्व में सुरक्षा को बढ़ावा देने में एक भागीदार के रूप में हक रखता है। वार्नर ने कहा, एक समृद्ध अर्थव्यवस्था के साथ एक महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में भारत अमेरिकी रक्षा विनिर्माताओं के लिए बाजार के रूप में एक विशाल संभावना रखता है।
2. हरीश रावत सरकार बहाल:- उत्तराखंड में हरीश रावत की अगुआई में कांग्रेस की सरकार फिर सत्ता संभालेगी। रावत सरकार की वापसी की रूपरेखा तो मंगलवार को सदन में हुए शक्ति परीक्षण के बाद ही तय हो गई थी। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में औपचारिक घोषणा भी हो गई। बुधवार को शीर्ष अदालत ने शक्ति परीक्षण के नतीजे देखने के बाद राय से राष्ट्रपति शासन हटाने और रावत सरकार की पुनर्बहाली को मंजूरी दे दी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देर रात केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश पर राय से राष्ट्रपति शासन हटाने की मंजूरी दे दी। वैसे राष्ट्रपति शासन लगाना उचित था कि नहीं, इस पर कोर्ट आगे सुनवाई करेगा। न्यायमूर्ति दीपक मिश्र व शिवकीर्ति सिंह की पीठ ने प्रमुख सचिव विधायी और संसदीय कार्य जयदेव सिंह की ओर से सील बंद लिफाफे में पेश की गई विधानसभा में शक्ति परीक्षण की कार्यवाही और रिकार्ड देखा। पीठ ने रिकार्ड देखने के बाद कहा,पूरी प्रक्रिया नियमित ढंग से हुई है। कोई अनियमितता नहीं हुई। हरीश रावत को 61 में से 33 मत मिले हैं। 9 विधायक अयोग्यता के चलते मतदान नहीं कर सके। केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा-‘स्पष्ट है कि रावत ने बहुमत साबित कर दिया है। उन्हें (रोहतगी) सरकार की ओर से निर्देश मिला है कि वह तत्काल उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटाना चाहती है। इसके बाद तत्काल प्रभाव से हरीश रावत की सरकार बहाल हो जाएगी।’ रोहतगी ने कहा, कोर्ट ने राष्ट्रपति शासन हटाने से पहले मंजूरी लेने को कहा था, इसीलिए वे अनुमति मांग रहे हैं। हरीश रावत के वकील कपिल सिब्बल ने अटार्नी के रुख की सराहना की। पीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा, वे अपने 22 अप्रैल के आदेश में संशोधन करते हैं, ताकि लोकतंत्र की बहाली हो। गत 22 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति शासन रद करने और रावत सरकार बहाल करने के हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
3. कॉल ड्रॉप पर उपभोक्ताओं को नहीं मिलेगा हर्जाना :- सुप्रीम कोर्ट ने ट्राई के कॉल ड्राप के संबंध में दूरसंचार कंपनियों के लिए उपभोक्ताओं को मुआवजा देना अनिवार्य बनाने के नियम को खारिज करते हुए कहा कि यह मनमाना, अतर्कसंगत और गैर-पारदर्शी है।जस्टिस कुरियन जोसफ और रोहिंटन फली नरीमन की बेंच ने कहा कि हमने इस रद्द नियम को अधिकार क्षेत्र से बाहर , मनमाना, अतर्कसंगत और गैर-पारदर्शी करार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भारत के एकीकृत दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और वोडाफोन, भारती एयरटेल तथा रिलायंस जैसे 21 दूरसंचार परिचालकों के संगठन सीओएआई द्वारा दायर याचिका पर यह फैसला सुनाया। इस याचिका में दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी जिसने ट्राई के इस साल जनवरी से काल ड्रॉप के संबंध में उपभोक्ताओं को मुआवजा देना अनिवार्य बनाने के फैसले को उचित ठहराया था।दूरसचांर कंपनियों ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि पूरा क्षेत्र भारी-भरकम ऋण से दबा है और उन्हें स्पेक्ट्रम के लिए बड़ी राशि का भुगतान करना है इसलिए काल ड्राप को बिल्कुल बर्दाश्त न करने का नियम उन पर लागू नहीं किया जाना चाहिए।कंपनियों ने भारतीय दूरसंचार प्राधिकार(ट्राई) के इस आरोप को खारिज किया कि वे भारी-भरकम मुनाफा कमाती हैं। दूरसंचार कपंनियों ने कहा कि उन्होंने बुनियादी ढांचे में काफी निवेश किया हुआ है। ट्राई ने अदालत से कहा था कि उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के वास्ते वह काल ड्राप के लिए दूरसंचार कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा क्योंकि सेवा प्रदाता उन्हें मुआवजा देने के लिए तैयार नहीं हैं।
4. सूखे से अर्थव्यवस्था पर Rs6,50,000 करोड़ का बोझ : एसोचैम की रिपोर्ट:- देश के 10 राज्यों में सूखे का अर्थव्यवस्था पर कम से कम 6,50,000 करोड़ रपए का अतिरिक्त बोझ पड़ने का अनुमान है। देश के 256 जिलों के करीब 33 करोड़ लोग इस गंभीर स्थिति का सामना कर रहे हैं, उनको राहत देने देने में यह अतिरिक्त बोझ अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। यह बात एक अध्ययन में कही गई है।प्रमुख वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम ने एक बयान में कहा कि लगातार दो साल खराब मानसून, जलाशयों में पानी की कमी और भूमिगत जल-स्तर कम होने के कारण महाराष्ट्र और कर्नाटक सहित देश के 10 राज्यों में सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए गंभीर चुनौती पैदा हो गई है। उद्योग मंडल ने कहा, ‘‘मोटे आकलन से यह संकेत मिलता है कि सूखे के कारण देश की अर्थव्यवस्था को 6,50,000 करोड़ रपए यानी 100 अरब डालर का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ सकता है।’ सूखे का असर कम से कम अगले छह महीने तक बना रह सकता है। इस साल मानसून सामान्य रहने की भविष्यवाणी यदि फलीभूत भी होती है तब भी जमीनी स्तर पर गतिविधियां शुरू करने के लिए लोगों को संसाधन और समय की जरूरत होगी। रपट में कहा गया, ‘‘मान लिया जाए कि सरकार सूखा प्रभावित क्षेत्र में प्रत्येक व्यक्ति के खाने, पानी, स्वास्य आदि पर 3,000 रपए खर्च करती है तो सूखे से प्रभावित 33 करोड़ की आबादी पर करीब 1,00,000 करोड़ रपए मासिक खर्च करना होगा।’रपट में कहा गया कि बिजली, उर्वरक और अन्य लागतों पर मिलने वाली सब्सिडी के नुकसान से यह असर कई गुना बढ़ जाएगा। सूखे के आर्थिक असर के संबंध में रपट में कहा गया कि वित्तीय संसाधन विकास के बजाय सहायता में लग जाएंगे और संभावित विस्थापन से शहरी बुनियादी ढांचे और आपूत्तर्ि पर असर होगा।एसोचैम ने कहा कि सूखा पीड़ित जिलों में पशुधन और कृषि अर्थव्यवस्था में नुकसान बढ़ने से कृषि ऋण के अलावा बच्चों और महिलाओं के स्वास्य पर असर होगा। सूखा मुद्रास्फीतिक दबाव बनाएगा जिससे खाद्य प्रबंधन, सरकार के लिए चुनौती बनकर खड़ा हो जाएगा।
5. सभी देशों को खातों की सूचनाएं देगा पनामा:- विकसित देशों के मंच ओईसीडी ने कहा कि पनामा और कुछ अन्य देशों और क्षेत्रों ने विदेशी खाताधारकों की वित्तीय एवं कर संबंधी सूचनाओं के स्वचालित आदान-प्रदान के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत नियमों का अनुपालन करने की प्रतिबद्धता जताई है।यह बात ‘‘पनामा दस्तावेजों’ के खुलासे के बाद कही गई है। इन दस्तावेजों में कम से कम 500 भारतीय नाम हैं जिनके विदेशों में गुप्त खाते हैं। आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) ने पिछले महीने विश्व भर के कर जांचकर्ताओं की बैठक बुलाई थी ताकि खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय कंसोर्टियम (आईसीआईजे) द्वारा पनामा की एक विधि सेवा फर्म के डाटा केंद्र से लीक की गई सूचनाओं के बाद कार्रवाई की दिशा तय की जा सके।ओईसीडी ने पनामा से कहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय सहयोग के जरिए कर चोरी पर लगाम लगाने की कोशिश में साथ दे। भारत ने भी एक दिन की इस बैठक में भाग लिया था। ओईसीडी के सचिवालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, ‘‘ओईसीडी और पारदर्शिता तथा कर संबंधी सूचनाओं के आदान-प्रदान पर नियंतण्र मंच ने घोषणा की कि बहरीन, लेबनान, नॉरो, पनामा और वेनुआतु ने अब विदेशियों के वित्तीय खातों की सूचनाओं का अन्य देशों के साथ स्वत: आदान-प्रदान के प्रति प्रतिबद्धता जताई है।’ बयान में कहा गया कि पनामा समेत पांच देशों ने नई प्रतिबद्धता जताई है।बयान के मुताबिक विश्व भर के 100 देशों ने ओईसीडी और जी-20 द्वारा तैयार सामान्य नियम सीआरएस के मुताबिक सूचनाओं को साझा करने के प्रति प्रतिबद्धता जताई है। इसमें कहा गया है कि ऐसे आदान-प्रदान सितंबर 2018 से शुरू होंगे।
6. बैंकों के फंसे कर्ज वसूलने में नहीं होगी देरी:- बैंकों के फंसे कर्ज (एनपीए) तेजी से वसूलने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए सरकार ने बुधवार को एक विधेयक लोकसभा में पेश किया। इस विधेयक के पारित होने पर ऋण वसूली न्यायाधिकरणों (डीआरटी) में लंबित कर्ज वसूली के मामलों को तेजी से निपटाने का रास्ता साफ हो जाएगा। मौजूदा प्रावधानों के अनुसार बैंक और वित्तीय संस्थानों के कर्ज वसूली के आवेदन का निपटान डीआरटी से 180 दिन के भीतर हो जाना चाहिए लेकिन बार-बार स्थगन के चलते ये मामले काफी लंबे समय तक लंबित रहते हैं। सरकार ने यह विधेयक ऐसे समय पेश किया है जब उद्योगपति विजय माल्या सहित कई अन्य व्यक्तियों पर बकाया बड़े लोन की वसूली को लेकर देशभर में चिंता का माहौल बना हुआ है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इंफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट एंड रिकवरी ऑफ डेट्स लॉज एंड मिस्लेनियस प्रॉवीजन एमेंडमेंट बिल, 2016 लोकसभा में पेश किया और तत्काल ही इसे 30 सदस्यीय समिति को भेज दिया गया। जेटली ने कहा कि समिति संसद के अगले सत्र से एक सप्ताह पहले इस विधेयक पर अपनी रिपोर्ट सौंप देगी। समिति में बीजू जनता दल के वरिष्ठ नेता बी. माहताब, अन्नाद्रमुक के. पी. वेणुगोपाल सहित लोकसभा के 20 सदस्य शामिल हैं जबकि इसके 10 सदस्य रायसभा से हैं। सरकार को यह विधेयक लाने की जरूरत इसलिए पड़ी है क्योंकि 70,000 से अधिक कर्ज वसूली के मामले डीआरटी में लंबित हैं। इस विधेयक के पारित होने से इन मामलों के शीघ्र पारित होने का रास्ता साफ हो जाएगा। इस विधेयक के जरिये सरकार ने सरफेसी कानून 2002, भारतीय स्टांप कानून, 1899 और डिपॉजिटरी एक्ट 1996 में संशोधन का प्रस्ताव किया है। सरकार का कहना है कि इन कानूनों में संशोधन का उद्देश्य कारोबार की प्रक्रिया सरल बनाना और निवेश को प्रोत्साहित करना है ताकि अर्थव्यवस्था विकास और उच आर्थिक वृद्धि दर की ओर बढ़ सके। इस विधेयक के पारित होने के बाद डीआरटी में इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग का भी प्रावधान हो जाएगा, जिससे कोई भी व्यक्ति न्यायाधिकरण में उपस्थित न होकर भी दस्तावेज और अपने बयान दर्ज कर सकेगा।

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