Tuesday, 24 May 2016

दैनिक समसामयिकी 24 May 2016(Tuesday)

1.भारत, ईरान रिश्तों में चाबहार:- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्र के दूसरे दिन सोमवार को भारत, ईरान और अफगानिस्तान ने चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए ऐतिहासिक समझौते पर दस्तखत किया। दक्षिण ईरान स्थित चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए भारत 50 करोड़ डॉलर (3376 करोड़ रुपये) का निवेश करेगा। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी के अलावा ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी और अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी भी मौजूद थे। इस समझौते से भारतीय कारोबारियों की अफगानिस्तान और रूस तक सीधी पहुंच हो जाएगी। इसके लिए उन्हें पाकिस्तान नहीं जाना पड़ेगा। 
भारत और ईरान के बीच हुए ये 12 समझौते
• चाबहार बंदरगाह पर विकास एवं अन्य कार्यो के लिए समझौता।
• चाबहार बंदरगाह परियोजना में विशेष नियमों के लिए एमओयू।
• चाबहार के विकास और स्टील रेल आयात करने के लिए 3000 करोड़ रुपये का क्रेडिट देने पर सहमति।
• चाबहार जाहेदान रेलमार्ग के निर्माण के लिए सेवाएं देने के लिए एमओयू।
• भारत व ईरान का सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम।
• विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में परस्पर सहयोग।
• दोनों देशों के बीच कूटनीतिज्ञों के प्रशिक्षण और प्रख्यात वक्ताओं के आदान-प्रदान के लिए सहयोग बढ़ाने पर समझौता।
• दोनों सरकारों के बीच नीतिगत बातचीत और थिंक टैंक के बीच परिचर्चा आयोजित करने पर समझौता।
• सांस्कृतिक आदान--प्रदान बढ़ाने के लिए संस्थागत सहयोग।
• विदेशी व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने कि लिए सहयोग का ढांचा तैयार करने पर सहमति।
• पुराने मुद्दों पर जानकारियों के आदान-प्रदान में सहयोग के लिए एमओयू।
• अल्यूमीनियम के संयुक्त उत्पादन की संभावनाओं का पता लगाने के लिए एमओयू।
क्यों अहम है चाबहार
• ईरान के साथ चाबहार समझौते को चीन और पाकिस्तान को भारत के जवाब के रूप में देखा जा रहा है।
• चीन इस समय पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह का विकास कर रहा है। उसकी मंशा इसके जरिये भारत को घेरने की है।
• चाबहार ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में पड़ता है। यह रणनीतिक दृष्टि से भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
• भारत के पश्चिमी तट से चाबहार तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। इसके लिए पाकिस्तान से रास्ता मांगने की जरूरत नहीं होगी।
• चाबहार के जरिये अफगानिस्तान, मध्य एशिया, रूस और यूरोप तक के बाजार में भारतीय कारोबारियों की पहुंच आसान हो जाएगी।
• अफगानिस्तान में भारत का हित किसी से छिपा नहीं है। भारत की यहां मजबूती पाकिस्तान और चीन के लिए बहुत बड़ा झटका है।
समझौते से क्या होंगे फायदे
• ये समझौता इसलिए अहम है क्योंकि चीन, पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट का इस्तेमाल कर रहा है। चाबहार पोर्ट पर करार पाक-चीन को भारत का माकूल जवाब होगा।
• चाबहार पोर्ट के तैयार हो जाने के बाद भारत और ईरान सीधे व्यापार कर सकेंगे। भारतीय या ईरानी जहाजों को पाकिस्तान के रूट से नहीं जाना पड़ेगा।
• इस डील में अफगानिस्तान का भी अहम रोल होगा। भारत के जहाज सीधे अफगानिस्तान पहुंच सकेंगे।
• भारत की अफगानिस्तान में मजबूती पाकिस्तान और चीन के लिए बहुत बड़ा झटका है।
• यह पोर्ट ट्रेड और स्ट्रैटेजिक लिहाज से भारत के लिए काफी अहम है। इसलिए क्योंकि सी रूट से होते हुए भारत के जहाज ईरान में दाखिल हो सकते हैं और इसके जरिए अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया तक के बाजार भारतीय कंपनियों और कारोबारियों के लिए खुल जाएंगे।
2. 1400 किमी लंबे सड़क मार्ग से जुड़ेंगे भारत थाइलैंड और म्यांमार:- वह दिन दूर नहीं, जब लोग सड़क मार्ग से भी थाइलैंड और म्यांमार की यात्र कर सकेंगे। अगले डेढ़ वर्ष में भारत, थाइलैंड और म्यांमार 1400 किलोमीटर लंबे सड़क मार्ग के जरिये एक-दूसरे से जुड़ने की तैयारी में हैं। बैंकाक स्थित भारतीय राजदूत भगवंत सिंह बिश्नोई के अनुसार तीनों देश इस सड़क परियोजना को अमली जामा पहनाने के लिए मोटर यातायात समझौता करने के करीब हैं। परियोजना के पूरा हो जाने के बाद यह पहला मौका होगा, जब भारत दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के साथ सड़क मार्ग से जुड़ जाएगा। बिश्नोई ने बताया, ‘तीनों देशों के बीच सड़क यातायात जल्द से जल्द शुरू हो, इसके लिए भारत, म्यांमार में 73 पुराने पुलों की मरम्मत करा रहा है। इन पुलों को दूसरे विश्व युद्ध के समय बनाया गया था।’ बकौल बिश्नोई, ‘18 महीनों में म्यांमार में पुलों की मरम्मत का काम जब पूरा हो जाएगा, तब तीनों देशों के बीच सड़क यातायात शुरू हो जाएगा।’तीन देशों को जोड़ने वाली 1400 किमी लंबी यह सड़क परियोजना मणिपुर के चंदेल जिले में सीमावर्ती शहर मोरेह से शुरू होकर म्यांमार के तामू कस्बा होते हुए थाइलैंड के टाक मेई सोट जिले पहुंचेगी। बिश्नोई के मुताबिक सड़क यातायात से जुड़ने के बाद तीनों देशों के बीच व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में और बढ़ोतरी होगी। इससे पूवरेत्तर भारत के रायों का विकास भी सुनिश्चित होगा।
3. ताजिकिस्तान : राष्ट्रपति की बड़ी जीत:- ताजिकिस्तान में मतदाताओं ने देश के संविधान में संशोधन का जबरदस्त अनुमोदन किया जिसके तहत राष्ट्रपति इमाम अली रहमान को अनिश्चित बार चुनाव में खड़े होने की इजाजत होगी।केंद्रीय चुनाव आयोग ने एक बयान में बताया कि रविवार के जनमत संग्रह में 94.5 प्रतिशत मतदाताओं ने 40 संवैधानिक संशोधनों का समर्थन किया जबकि सिर्फ 3.3 प्रतिशत मतदाताओं ने इसका विरोध किया। आयोग ने बताया कि जनमत संग्रह में 92 प्रतिशत मतदाताओं ने हिस्सा लिया। इन संशोधनों के जरिए रहमान के लिए ना सिर्फ कार्यकाल की संख्या की सीमा खत्म कर दी गई, बल्कि राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए न्यूनतम आयु सीमा 35 से घटा कर 30 कर दी गई। साथ ही, देश में धर्म आधारित पार्टियों के गठन पर प्रतिबंध लगा दिया गया। रहमान (63) तकरीबन 25 साल से सत्ता में हैं और आलोचकों का कहना है हाल के वर्षो में वहां धार्मिक आजादी, राजनीतिक बहुवाद और नागरिक समाज की अनदेखी हो रही है। बहरहाल, रविवार को जनमत संग्रह के अवसर पर राजधानी दुशांबे में लोगों में उत्साह का माहौल दिखा। 53 साल के मतदाता नजीर सईदजादा ने कहा, ‘‘रहमान शांति लाए। उन्होंने जंग खत्म की और जब तक उनमें ताकत है, उन्हें देश पर राज करना चाहिए।
4. बराक ओबामा ने हटाया वियतनाम से प्रतिबंध:- अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने वियतनाम पर लगे सभी प्रतिबंध हटाने की घोषणा की है। अमेरिका ने करीब 50 साल पहले ये प्रतिबंध लगाए थे। वियतनाम एकमात्र देश है जहां से अमेरिका लड़ते-लड़ते थक कर लौट गया था। वियतनाम के राष्ट्रपति त्रान दाई क्वांग के साथ सोमवार को राष्ट्रपति ओबामा ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया। ओबामा ने कहा, 'अमेरिका वियतनाम को फौजी उपकरण बेचने पर लगे सभी प्रतिबंध हटा रहा है। ये करीब 50 साल पहले लगे थे।' किसी जमाने में दुश्मन रहे अमेरिका और वियतनाम अब चीन के बढ़ते प्रभाव के कारण करीब रहे हैं। ओबामा दक्षिण चीन सागर और वियतनाम को हथियार देने को अलग अलग मानकर चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिबंध हटाने का फैसला चीन को ध्यान में रख कर नहीं किया है। ओबामा का तीन दिवसीय वियतनाम दौरा उस घटना के करीब 41 साल बाद हुआ है जब उत्तरी वियतनाम की सेना और वियतकांग लड़ाकों ने सैगोन में प्रवेश कर अमेरिका जैसी महाशक्ति को अपमानित किया था। फिलहाल वियतनाम के पास सोवियत संघ के जमाने के पुराने जंग लगे हथियार हैं। पिछले एक दशक में उसने हथियार खरीद के बजट में 130 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है।
5. भारत ने किया पुन: उपयोग वाले स्पेस शटल का परीक्षण:- भारत ने सोमवार को स्वदेशी आरएलवी यानी पुन: प्रयोग किए जा सकने वाले प्रक्षेपण यान के पहले प्रौद्योगिकी प्रदर्शन का आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से सफल प्रक्षेपण कर लिया है। आरएलवी पृवी के चारों ओर कक्षा में उपग्रहों को प्रक्षेपित करने और फिर वापस वायुमंडल में प्रवेश करने में सक्षम है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रवक्ता ने आरएलवी-टीडी एचईएक्स-1 के सुबह सात बजे उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद ‘‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, अभियान सफलतापूर्वक पूरा किया गया। यह पहली बार है,जब इसरो ने पंखों से युक्त किसी यान का प्रक्षेपण किया है। यह यान बंगाल की खाड़ी में तट से लगभग 500 किलोमीटर की दूरी पर उतरा। हाइपरसोनिक उड़ान प्रयोग कहलाने वाले इस प्रयोग में उड़ान से लेकर वापस पानी में उतरने तक में लगभग 10 मिनट का समय लगा। आरएलवी-टीडी पुन: प्रयोग किए जा सकने वाले प्रक्षेपण यान का छोटा प्रारूप है। आरएलवी को भारत का अपना अंतरिक्ष यान कहा जा रहा है। इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार यह लागत कम करने, विश्वसनीयता कायम रखने और मांग के अनुरूप अंतरिक्षीय पहुंच बनाने के लिए एक साझा हल है। इसरो ने कहा कि आरएलवी-टीडी प्रौद्योगिकी प्रदर्शन अभियानों की एक श्रृंखला है, जिन्हें एक समग्र पुन: प्रयोग योग्य यान ‘‘ टू स्टेज टू ऑर्बिट’ (टीएसटीओ) को जारी करने की दिशा में पहला कदम माना जाता रहा है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार इसे एक ऐसा उड़ान परीक्षण मंच माना जा रहा है, जिस पर हाइपरसोनिक उड़ान, स्वत: उतरने और पार्वड क्र ूज फ्लाइट जैसी विभिन्न अहम प्रौद्योगिकियों का आकलन किया जा सकता है।
6. सामाजिक क्षेत्र में साङोदारी बढाएंगे केंद्र व राज्य :- प्रस्तावित ‘राष्ट्रीय विकास एजेंडा’ को मूर्तरूप देने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए नीति आयोग ने सामाजिक क्षेत्र में केंद्र और राज्यों के बीच साङोदारी बढ़ाने की शुरुआत कर दी है। आयोग शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे सामाजिक क्षेत्रों में अनुकरणीय उदाहरणों को भी एक दूसरे राज्य के साथ साझा कर रहा है, ताकि दूसरी जगह उन्हें इस्तेमाल किया जा सके। इसी सिलसिले में नीति आयोग ने सोमवार को सामाजिक क्षेत्र की सेवाओं की डिलीवरी के अनुकरणीय उदाहरणों पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। इस अवसर पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पानगड़िया ने कहा कि सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं को लागू करने के संबंध में केंद्र और राज्यों को एक-दूसरे के साथ अनुकरणीय उदाहरण साझा करने चाहिए। नीति आयोग को राज्यों के साथ अनुभव साझा करने को इस तरह के सम्मेलन बार-बार आयोजित करने चाहिए। एक राज्य की सामाजिक पूंजी, दूसरे से भिन्न है, लेकिन अनुभव साझा करने से शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर हल निकल सकते हैं। यह भी कहा कि सरकार को निजी क्षेत्र के साथ मिलकर सामाजिक क्षेत्र की सेवाओं की डिलीवरी मजबूत बनानी चाहिए। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत का कहना है कि राज्यों के साथ शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में विचार-विमर्श बहुत उपयोगी है। नीति आयोग शिक्षा के मानकीकरण में कमी को पूरा करने के लिए राज्यों के साथ मिलकर काम करेगा। प्राथमिक शिक्षा में पढ़ाई की गुणवत्ता खराब है। ड्रॉप आउट रेट भी 30 प्रतिशत है। इसे जल्द से जल्द दुरुस्त करने की जरूरत है, क्योंकि प्राथमिक शिक्षा ही आधार है। कांत ने माध्यमिक शिक्षा में व्यावसायिक कार्यक्रमों की जरूरत पर बल दिया। कहा कि माध्यमिक शिक्षा में ड्रॉप आउट लगभग 40 प्रतिशत है। नीति आयोग में एडवाइजर आलोक कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय विकास के एजेंडा को हासिल करने के लिए केंद्र और राज्यों के बीच साङोदारी बेहद महत्वपूर्ण है। राज्य जो प्रयास कर रहे हैं, उस पर फोकस करना बेहद जरूरी है। नीति आयोग ढांचागत क्षेत्र की विभिन्न परियोजनाओं के समय पर क्रियान्वयन पर नजर रखने को समय-समय पर केंद्र के विभिन्न मंत्रलय के साथ समन्वय कर प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ निगरानी करता रहता है। आयोग अब ऐसा ही तरीका सामाजिक क्षेत्र में भी अपनाने जा रहा है। यही वजह है कि राज्यों के बीच आपस में अछे उदाहरणों को साझा करने के लिए आयोग ने यह बैठक बुलाई थी।
7. बीटी कॉटन पर फैसले से पलटी सरकार:- बायोटेक कंपनियों के दबाव में सरकार झुक गई है। उसने नए जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) ट्रेट्स पर रॉयल्टी की सीमा तय करने संबंधी अधिसूचना वापस ले ली है। उसका कहना है कि इस बाबत कोई भी फैसला अब हितधारकों की राय के बाद लिया जाएगा। सरकार इस बारे में लोगों से राय मांगेगी। सूत्रों ने बताया कि बायोटेक इंडस्ट्री और कृषि विशेषज्ञों की तीखी आलोचना को देखते हुए सरकार ने ताजा निर्णय लिया है। उनका मानना था कि सरकार के फैसले से कृषि अनुसंधान में विदेशी निवेश प्रभावित होगा। साथ ही देश में नई तकनीकों का आना भी हतोत्साहित होगा। बीटी कॉटन टेक्नोलॉजी की खातिर दिशानिर्देश के संबंध में 18 मई को अधिसूचना जारी हुई थी। आधिकारिक वक्तव्य में कहा गया कि इस पर राय ली जाएगी। 90 दिनों में सभी हितधारकों को अपने सुझाव देने हैं। अलबत्ता कृषि राय मंत्री संजीव बालियान ने कहा है कि अधिसूचना को वापस लिया गया है, फैसले पर रोलबैक नहीं हुआ है। बीते शुक्रवार को केंद्र सरकार ने बीटी कॉटन बीजों के बाजार को नियंत्रित करने के लिए नियम और कड़े करते हुए नए जीएम ट्रेट्स पर पहले पांच साल के लिए रॉयल्टी 10 फीसद तय की थी। यह रॉयल्टी बीटी कॉटन के अधिकतम बिक्री मूल्य पर दी जानी थी। इससे बीटी कॉटन बीजों की दिग्गज मोन्सेंटो का भारतीय कारोबार बुरी तरह प्रभावित होता। इन नियमों के तहत नए जीएम बीजों पर पांच साल बाद रॉयल्टी हर वर्ष 10 फीसद की दर से कम होनी थी। इसके अलावा यह भी इंतजाम किया गया था कि अगर जीएम टेक्नोलॉजी कारगर नहीं रह जाती है, तो इस तकनीकी को मुहैया कराने वाली कंपनी को कोई रॉयल्टी नहीं मिलेगी।
8. बैंकिंग फ्रॉड में ग्राहकों की होगी सीमित जवाबदेही:- बैंकों में होने वाली धोखाधड़ी में ग्राहकों की जवाबदेही को सीमित रखने पर विचार हो रहा है। रिजर्व बैंक जल्द ही इसके लिए एक फ्रेमवर्क तैयार करेगा। आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर एसएस मूंदड़ा ने सोमवार को यह जानकारी दी। मूंदड़ा यहां बैंकिंग कोड्स एंड स्टैंडर्डस बोर्ड ऑफ इंडिया (बीसीएसबीआइ) के एक कार्यक्रम में पहुंचे थे। वह बोले कि जालसाजी और इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन के जरिये ग्राहकों के साथ होने वाली धोखाधड़ी में ग्राहकों की जवाबदेही सीमित रखने के संदर्भ में केंद्रीय बैंक पहले ही विचार कर रहा है। वह देख रहा है कि क्या इस मामले में नियामकीय निर्देश जारी किया जाना चाहिए। बीसीएसबीआइ का मकसद बैंकों के लिए व्यापक संहिता और मानदंड की योजना बनाना, विकसित करना, बढ़ावा देना और उन्हें प्रकाशित करना है। इससे ग्राहकों के साथ बैंक में उचित व्यवहार हो सकेगा। इसके पीछे विचार यह है कि ऐसे मामलों में जहां धोखाधड़ी हुई है, ग्राहक की जवाबदेही एक सीमा से यादा नहीं हो। डिप्टी गवर्नर की मानें तो इस बारे में विचार-विमर्श चल रहा है। यादा जोर एक सीमा तय किए जाने पर है। इसके लिए रिजर्व बैंक की ओर से रूपरेखा जल्द ही घोषित कर दी जाएगी। मूंदड़ा ने बताया कि ऑनलाइन ट्रांजैक्शन बढ़ने के साथ इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन संबंधी शिकायतों में बढ़ोतरी हुई है। इनमें अनधिकृत फंड ट्रांसफर, डुप्लीकेट कार्डो का इस्तेमाल कर एटीएम से पैसों की निकासी और फर्जी ई-मेल की शिकायतें शामिल हैं। मोबाइल नेट बैंकिंग में धोखाधड़ी के मामलों की रोकथाम के लिए मजबूत प्रणाली का होना जरूरी है। डिलीवरी चैनलों में ग्राहकों का भरोसा बनाए रखने के लिए ऐसा करना आवश्यक है। आरबीआइ ने हाल ही में चार हजार एटीएम का एक सर्वे किया। इनमें विभिन्न बैंकों के एटीएम शामिल थे। उसने पाया कि इनमें सुविधाएं संतोषजनक नहीं थीं। आरबीआइ ने बैंकों की ओर से उत्पादों की गलत तरीके से बिक्री पर भी चिंता जताई है।

No comments:

Post a Comment