1.ब्राजील : अंतरिम राष्ट्रपति टेमर ने संभाली बागडोर:- ब्राजील के अंतरिम राष्ट्रपति माइकल टेमर ने शुक्रवार को प्रशासन की बागडोर संभाल ली। उनके समक्ष अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और भ्रष्टाचार का सफाया करने की चुनौती है जिसकी वजह से उनके पूर्ववर्ती राष्ट्रपति को सत्ता से हटना पड़ा। पूर्व उपराष्ट्रपति टेमर ने बृहस्पतिवार को एक कारोबार अनुकूल मंत्रिमंडल का गठन किया। इससे पहले सीनेटरों ने दिलमा राउसेफ को हटाने के लिए मतदान किया था और उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की कार्रवाई शुरू की।इस सत्ता के हस्तांतरण से वामपंथी वर्कर्स पार्टी का 13 साल से चल रहा शासन समाप्त हो गया। हालांकि इस पार्टी के शासनकाल में प्रगतिशील सामाजिक कार्यक्र मों के साथ लाखों लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने में मदद मिली। लेकिन भ्रष्टाचार, घोटालों, मंदी और राजनीतिक लाचारी के चलते राउसेफ की सरकार आलोचनाओं से घिरी रही।
2. अमेरिका : भारत से रक्षा सहयोग पर संशोधन बिल पेश:- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगले महीने होने वाली संभावित अमेरिका यात्रा से पहले चार प्रभावशाली अमेरिकी सांसदों ने एक संशोधन विधेयक पेश किया है जिसके कांग्रेस से पारित होने पर भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों का स्तर ठीक वैसा हो जाएगा जैसा अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों के बीच है।कांग्रेस सदस्य जॉर्ज होल्डिंग, एड रॉयस, एलियट एंजेल और भारतीय-अमेरिकी एमी बेरा द्वारा लाया गया संशोधन विधेयक बुधवार को नियम संबंधी सदन समिति के समक्ष पेश किया गया। अमेरिका-भारत संबंधों पर केंद्रित यह विधेयक नई दिल्ली को संकेत देता है कि वाशिंगटन एक विश्वसनीय और भरोसेमंद रक्षा साझेदार है।यह विधेयक रक्षा प्राधिकार कानून में संशोधन करेगा जिसका पारित होना बहुत जरूरी है। संशोधन को प्रतिनिधिसभा में द्विदलीय समर्थन प्राप्त है जिसकी झलक इस तय से मिलती है कि हाउस इंडिया कॉकस के अध्यक्षों (कांग्रेस सदस्य होल्डिंग और बेरा) ने इसे सदन की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष रॉयस और प्रतिष्ठित सदस्य एंजेल के साथ प्रायोजित किया।
3. अमेरिकी सांसद पाक को सैन्य सहायता के हक में नहीं:- ओबामा प्रशासन ने कहा है कि अमेरिका के प्रमुख सांसद पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई किए बगैर उसे अमेरिकी सैन्य सहायता जारी रखने के हक में नहीं हैं। विदेश विभाग की प्रवक्ता एलिजाबेथ ट्रूड्यू ने कहा, कांग्रेस के महत्वपूर्ण सदस्य इस बात पर स्पष्ट हैं कि वह आतंकवाद के खिलाफ किसी ठोस कार्रवाई के बिना पाकिस्तान को सैन्य सहायता पहुंचाने में अमेरिका का साथ देने को तैयार नहीं हैं। एलिजाबेथ ने हालांकि यह नहीं बताया कि अमेरिकी सांसद पाकिस्तान को सैन्य सहायता पहुंचाए जाने से पहले उससे कौन सी खास कार्रवाई चाहते हैं।प्रवक्ता ने कहा, मैं कहना चाहूंगी कि आप कांगेस विशेषकर उन सदस्यों से उनके रुख के बारे में स्पष्टीकरण के लिए सपंर्क करें। हमेशा से हम अपने साझेदारों एवं सहयोगियों को सुरक्षा सहायता पहुंचाने के लिए कांग्रेस के साथ मिलकर काम करने को कटिबद्ध हैं। यह साझी सुरक्षा चुनौतियों को पूरा करने के लिए क्षमता विकास द्वारा अमेरिकी लक्ष्यों को आगे बढ़ाता है। जब यह पूछा गया कि क्या विदेश विभाग इस बात की पुष्टि करने को तैयार है कि इस्लामाबाद हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ पर्याप्त कदम उठा रहा है, एलिजाबेथ ने कहा, हमने हक्कानी पर भी अपने दृष्टिकोण के बारे में बातचीत की है और हम कैसे इस बात को देखते हैं कि पाकिस्तान को क्या करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, पाकिस्तान ने कहा है कि वह आतंकी संगठनों के संदर्भ में भेदभाव नहीं करेगा। उन्होंने कहा, हम उसे इस भरोसे पर खरा उतरने को प्रोत्साहित करते रहेंगे। इसी बीच न्यूयार्क टाइम्स ने अमेरिकी करदाताओं के धन पर पाकिस्तान को आठ एफ-16 लड़ाकू जेट की बिक्री करने पर स्थगन लगाने को लेकर सीनेट की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष बॉब कार्कर की प्रशंसा की। कॉर्कर ने कहा, यदि पाकिस्तान अफगानिस्तान में मौजूद अमेरिकी सैनिकों के लिए खतरा नंबर एक हक्कानी नेटवर्क पर कार्रवाई करता है कि वह सहायता पर स्थगन हटा लेंगे।
4. जीएसटी पारित होने से राज्यों को मिलता सीधा लाभ : मोदी:- परोक्ष करों में महत्वपूर्ण सुधारों के प्रावधानों वाले जीएसटी विधेयक के संसद के मौजूदा सत्र में पारित नहीं होने पर प्रदेशों के हितों के प्रभावित होने पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि इसके पारित होने से राज्यों को सीधे-सीधे लाभ पहुंचता।मोदी ने राज्यसभा में सेवानिवृत्त होने जा रहे सदस्यों को दिए जाने वाले विदाई भाषण में यह बात कही। उन्होंने सेवानिवृत्त होने जा रहे सदस्यों से कहा, आपके योगदान, हस्तक्षेप से वर्तमान सत्र में सुधार के महत्वपूर्ण निर्णय हुए हैं। उन्होंने कहा, दो चीजों का गिला-शिकवा आपसे जरूर रहेगा। यदि राज्य के रूप में देखें तो अच्छा होता कि आपके रहते, आपकी मौजूदगी में दो ऐसे निर्णय होते तो जिस राज्य का आप प्रतिनिधि करते हैं, वह राज्य हमेशा-हमेशा के लिए गर्व का अनुभव करते। प्रधानमंत्री ने कहा, जीएसटी से बिहार का भरपूर लाभ होने वाला है, उत्तर प्रदेश का भरपूर लाभ होने वाला था। एक-दो राज्यों को छोड़कर शेष राज्यों को भरपूर लाभ होने वाला था। किंतु अब सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों को इसमें योगदान देने का मौका नहीं मिलेगा। उन्होंने उम्मीद जतायी कि आने वाले सत्र में जीएसटी विधेयक पारित हो जाएगा। उन्होंने कहा, आप में से जो वापस आएंगे, मुझे विास है कि उनके हाथों से ही उनके राज्य के हित के लिए महत्वपूर्ण काम होगा। उल्लेखनीय है कि जीएसटी विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है। किन्तु यह राज्यसभा में लम्बित है। प्रधानमंत्री मोदी ने संसद के मौजूदा सत्र में राष्ट्रीय मुआवजा वनीकरण कोष प्रबंधन एवं नियोजन प्राधिकरण (काम्पा) गठित करने संबंधित विधेयक भी पारित नहीं होने पर चिंता जतायी। उन्होंने कहा, दूसरा महत्वपूर्ण काम काम्पा का है। इस बार यदि हमने निर्णय किया होता तो राज्यों को 42,000 करोड़ रपए मिलते। एक एक राज्य को करीब करीब दो-तीन हजार करोड़ रपए मिलते। यह रकम कम नहीं होती। उन्होंने कहा कि यदि यह विधेयक पारित हो जाता तो यह अच्छा निर्णय होता जो इस बार नहीं हो पाया। चार-पांच माह का और इंतजार करना होगा। तब तक वष्ा का सीजन चला जाएगा। इस विधेयक के पारित नहीं होने पर अफसोस जताते हुए मोदी ने कहा, राज्यों की भलाई का सीधा-सीधा काम रह गया।
5. कैबिनेट ने नई राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति को दी मंजूरी : रचनात्मकता को मिलेगा सम्मान व सुरक्षा :- अंतत: भारत में भी एक आधुनिक व विश्वस्तरीय बौद्धिक संपदा अधिकार (आइपीआर) नीति लागू करने का रास्ता साफ हो गया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति को मंजूरी दे दी। इस नीति से रचनात्मक क्षेत्रों जैसे संगीत, पुस्तकें, औद्योगिक चित्रों, सॉफ्टवेयर और दवाओं आदि के भी वाणियिक हितों की रक्षा होगी। सरकार का दावा है कि यह नीति न सिर्फ देश में नई ईजाद करने वाले और रचनात्मक लोगों के अधिकारों की सुरक्षा करेगी बल्कि विश्व व्यापार संगठन के तहत भारत ने दुनिया से जो वादे किए हैं उसे भी पूरा करेगी। देश में एक आधुनिक व विश्वस्तरीय बौद्धिक नीति होगी जिससे विदेशी कंपनियों के रचनात्मक उत्पादों व सेवाओं की रक्षा होगी। यह आने वाले दिनों में देश में रचनात्मकता को बढ़ावा देगा ताकि नई सोच व नई कोशिशों को पूरा सम्मान व पुरस्कार मिल सके। अब लोगों की रचनात्मकता प्रयासों का गलत फायदा कोई दूसरा नहीं उठा सकेगा। भारत ने कई देशों की मौजूदा आइपीआर नीतियों से सीखने के बाद अपनी नति बनाई है। ऐसे में यह डब्ल्यूटीओ की टिप्स व दोहा दौरे के समझौते में जो मानक बनाए गए थे उनका भी पालन करते हैं। जेटली ने कहा है कि नई नीति का मकसद साफ है कि जब कोई व्यक्ति यहां इजाद करे तो यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई दूसरा या तीसरा पक्ष उसका गलत तरीके से वाणियिक इस्तेमाल नहीं कर सके। कोई किसी दूसरे व्यक्ति की रचनात्मकता या खोज को चुरा नहीं सके। यह ट्रेडमार्क पंजीयन का आधुनिक परंपरा भारत में डालेगा। कैबिनेट बैठक में नये नियम के लागू होने को लेकर सात उद्देश्य बनाए गए हैं। इसमें पहला आइपीआर को लेकर जागरुकता फैलाने, दूसरा यादा से यादा आईपीआर मामले का पंजीयन करने, तीसरा आइपीआर की सुरक्षा के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचा तैयार करना, देश में आइपीआर के व्यवसायीकरण को बढ़ावा देना, आइपीआर का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए ढांचा तैयार करना और अंतिम देश में प्रशिक्षित आइपीआर प्रोफेशनल्स को तैयार करना है। यह देश में सरकारी, गैर सरकारी, शैक्षणिक स्तर पर होने वाले नए शोध व उद्यमों को बढ़ावा देगा। इससे उद्यमशीलता को भी बढ़ावा मिलेगा। देश में भौगोलिक तौर पर पहचान जाने वाले उत्पादों या सेवाओं की अब ज्यादा बेहतर तरीके से सुरक्षा की जा सकेगी। मसलन, बासमती चावल, दार्जिलिंग चाय या कांजीवरम साड़ी का ज्यादा मजबूती से सुरक्षा हो सकेगी। देश में मजबूत आइपीआर नीति लागू करने के फैसले को पीएम नरेंद्र मोदी की अगले महीने होने वाले अमेरिका यात्रा से जोड़ कर भी देखा जा रहा है। अमेरिका मोदी को एक पुराने आइपीआर वाले देश के तौर पर चिन्हित कर रखा है। खास तौर पर फार्मास्यूटिकल्स के मामले में दोनों देशों के बीच काफी ज्यादा विवाद रहा है। यही वजह है कि अमेरिका ने चीन व भारत को आइपीआर उल्लंघन के मामले में प्राथमिकता वाली सूची में डाल रखी है। अब इसमें सुधार होने की संभावना है।
6. पी नोट्स के लिए केवाईसी में सख्ती:- काले धन पर गठित विशेष जांच दल की सिफारिश पर बाजार नियामक सेबी विवादास्पद पी-नोट जारी करने और उसके हस्तांतरण के समय बाकायदा जांच के नियम सख्त करने की योजना बना रहा है। इसके तहत निवेशकों पर जिम्मेदारी होगी कि वे पी-नोट के जरिए निवेश के मामले में भारत के मनी लांडरिंग कानून का अनुपालन करें।सेबी का मानना है कि ये नियम पहले से ही कठोर हैं ताकि पी-नोट के जरिए निवेश की सुविधा का दुरुपयोग मनी लांडरिंग जैसी गतिविधियों के लिए न हो सके इसके लिए सुरक्षा के अतिरिक्त प्रावधान करने का फैसला किया गया है। पी-नोट भारत में पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा भारतीय प्रतिभूतियों के आधार पर विदेशों में अपने ग्राहकों को जारी किए जाने वाले निवेश-पत्र होते हैं। इसमें विदेशों निवेशकों को अपने को भारतीय अधिकारियों के समक्ष सीधे पंजीकृत कराने की जरूरत नहीं होती। सेबी इस मामले में अपने ग्राहक को जानो (केवाईसी) तथा विदेशों में डेरिवेटिव निवेश पत्र यानी भारतीय प्रतिभूतियों में निवेश के लिए जारी किए जाने वाले पी-नोट के संबंध में छह खास बदलाव करने की योजना बनाई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पी-नोट जारी करने वाली कुछ बड़े संस्थागत निवेशकों और अन्य पक्षों के साथ र्चचा के बाद प्रस्तावित बदलाव को अंतिम स्वरूप दे दिया गया है और वे बाजार के हित में दिए गए सुझाव पर आमतौर पर सहमत हैं। इनमें पी-नोट जारी करने वाली इकाइयों को ओडीआई के संबंध में किसी भी संदिग्ध निवेश की सूचना एफआईयू को संदिग्ध हस्तांतरण रपट (एसटीआर) की जिम्मेदारी भी शामिल होगी।
7. निजी बैंकों में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ी:- भारतीय रिजर्व बैंक ने बेसल-3 नियमों के अनुरूप वाणिज्यिक बैंकों की बढ़ी हुई पूंजी आवश्यकता के मद्देनजर निजी बैंकों में विदेशी बैंकों की हिस्सेदारी की सीमा बढ़ाकर चुकता पूंजी का 74 फीसद तक कर दिया है।केंद्रीय द्वारा जारी दिशानिर्देश में निजी बैंकों में शेयरधारिता की नई सीमाएं तय की हैं। इसके अनुसार मौजूदा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति (एफडीआई) के अनुरूप विदेशी बैंक निजी बैंकों की कुल चुकता पूंजी के 74 फीसद तक निवेश कर सकेंगे। शर्त यह है कि किसी भी समय निजी बैंकों की कुल हिस्सेदारी का कम से कम 26 फीसद निवासी भारतीयों के पास होनी चाहिए। नए नियमों के तहत विदेशी बैंक भारतीय बैंकों के इक्विटी शेयर के अधिकतम 10 फीसद तक का अधिग्रहण कर सकते हैं। हालांकि विशेष परिस्थितियों में यह सीमा बढ़ाई भी जा सकती है।
8. फंसे कर्ज के दलदल में और धंसे बैंक:- एक-एक करके बीते वित्त वर्ष की चार तिमाहियां गुजर गईं, मगर सरकारी बैंकों की हालत में कोई सुधार नहीं आया। पिछले दो-तीन दिनों में जिन सरकारी बैंकों के वित्तीय नतीजे आए हैं, उनसे साफ है कि ये बैंक फंसे कर्जे (एनपीए) के दलदल में और धंस गए हैं। इन बैंको का मुनाफा कम हुआ है। आने वाली कितनी तिमाहियों में इनकी वित्तीय स्थिति सुधरेगी, इसके भी कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं। जाहिर है कि चालू वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान सरकार को अपने खजाने से इन बैंकों को भारी भरकम राशि देनी होगी। वैसे इस काम के लिए बजट में 25 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, मगर जानकारों का मानना है कि जरूरत इससे काफी यादा रकम की है। बीते वित्त वर्ष 2015-16 में जनवरी से मार्च की तिमाही में बैंक ऑफ बड़ौदा के सकल एनपीए की राशि 40,521 करोड़ रुपये की हो गई है। यह कुल अग्रिम राशि का करीब 10 फीसद है। एक वर्ष पहले एनपीए की यह राशि 16,261 करोड़ रुपये थी। इस वजह से बैंक को इस तिमाही में 3,230.14 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा है। इससे पिछली तिमाही में भी बैंक को 3,342.04 करोड़ रुपये की हानि हुई थी। इससे यादा घाटा आज तक किसी बैंक ने नहीं उठाया है। ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स किसी तरह से इस तिमाही में 21.6 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाने में सफल रहा, मगर अन्य सभी मानकों पर बैंक की स्थिति ठीक नहीं है। एक वर्ष में एनपीए का स्तर 5.18 से बढ़कर 9.6 फीसद हो गया है। ब्याज से होने वाली आमदनी घटने से कुल आय 5,719 करोड़ से कम होकर 5451 करोड़ रुपये रह गई है। यूको बैंक को पिछले वित्त वर्ष में 2788 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। एक वर्ष पहले की समान तिमाही में बैंक ने 1,138 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था। इसकी भी आय घटी है और एनपीए बढ़ा है। बैंकों को यह घाटा इसलिए भी हो रहा है क्योंकि उन्हें आरबीआइ के निर्देश के मुताबिक सभी फंसे कर्जे मार्च, 2017 तक उजागर करने हैं। सरकार ने 2016-17 में इन बैंकों को 25,000 करोड़ रुपये की मदद देने का प्रावधान किया है। लेकिन जानकार मानते हैं कि यह रकम नाकाफी साबित होगी।
9. सुप्रीम कोर्ट में चार नए न्यायाधीश:- शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में चार नए न्यायाधीश शामिल हो गए। जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और एल नागेश्वर राव ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की शपथ ली। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर ने चारों न्यायाधीशों को पद की शपथ दिलाई। अब सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश को मिलाकर न्यायाधीशों की कुल संख्या 29 हो गई है। शुक्रवार को कार्यभार संभालने वाले नए न्यायाधीशों में जस्टिस खानविलकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट, जस्टिस चंद्रचूड़ इलाहाबाद हाई कोर्ट और जस्टिस अशोक भूषण केरल हाई कोर्ट से आए हैं। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और पूर्व एडीशनल सोलिसिटर जनरल जस्टिस नागेश्वर राव बार से सीधे न्यायाधीश नियुक्त हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश सहित न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या 31 है। इस समय सुप्रीम कोर्ट मे सिर्फ एक महिला न्यायाधीश आर भानुमति हैं। अदालत में न्यायाधीशों की कुल संख्या 29 भले ही हो गई है, लेकिन इस वर्ष पांच न्यायाधीश सेवानिवृत्त भी होंगे।
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