Friday, 18 November 2016

2 November 2016...3. चीन ने दुनिया को दिखाया स्वदेशी जे-20 स्टील्थ लड़ाकू विमान:-

चीन ने एयरशो में अपनी ताकत से दुनिया को रूबरू करा दिया। मंगलवार को पहली बार दक्षिणी शहर झुहाई में आयोजित एयरशो में स्टील्थ लड़ाकू विमान चेंगदू जे-20 को पेश किया गया। इस दौरान विमान निर्माता और खरीदार भी बड़ी संख्या में मौजूद थे। चीन की नजर लड़ाकू के अलावा यात्री विमान के बढ़ते बाजार पर भी है। 
कमर्शियल एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन ऑफ चाइना ने अगले 20 वर्षो में विमान की मांग 40 हजार तक पहुंचने का अनुमान लगाया है। चीन एयरशो के जरिये दुनिया को सामरिक के अलावा तकनीकी क्षमता से भी रूबरू कराना चाहता है। प्रदर्शनी के दौरान जे-20 ने एक मिनट की फ्लाई-पास्ट की। रक्षा विशेषज्ञों ने इसे चीन की लंबी छलांग करार दिया है। कुछ विशेषज्ञों ने विमान की स्टील्थ क्षमता (रडार की पकड़ में न आना) पर भी सवाल उठाए हैं। 
गौरतलब कि चीन का यह लड़ाकू विमान अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन द्वारा विकसित एफ-35 की तरह लगता है। दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में बढ़ते तनाव को देखते हुए बीजिंग के इस कदम को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। स्टील्थ विमान विकसित कर चीन, अमेरिका के साथ रक्षा संसाधन अंतर को कम करना चाहता है। विशेषज्ञों की राय में चीन को अमेरिका की कतार में लाना फिलहाल जल्दबाजी होगी। विमानों के लिए चीन अगले दशक में अमेरिका से यादा बड़ा बाजार हो जाएगा।

2 November 2016..2. बुरे फंसे नवाज, पनामा पेपर्स की न्यायिक जांच :-

 पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को करारा झटका दिया है। पनामा पेपर्स मामले की जांच के लिए शीर्ष अदालत ने न्यायिक आयोग गठित करने का आदेश दिया है। इस मामले में प्रधानमंत्री के परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। 
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) के मुखिया इमरान खान और अन्य लोगों की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने मंगलवार को यह आदेश जारी किया। इस मामले में नवाज के इस्तीफे की मांग को लेकर इमरान ने दो नवंबर को राजधानी इस्लामाबाद को बंद करने का एलान भी कर रखा था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्होंने सरकार विरोधी प्रदर्शन वापस ले लिया। 
इससे पहले चीफ जस्टिस अनवर जहीर जमाली की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने कहा कि न्यायाधीश की अध्यक्षता में वह एक आयोग गठित करने को तैयार है। गठित होने वाले आयोग के पास सुप्रीम कोर्ट की शक्तियां होंगी। चीफ जस्टिस ने कहा कि आयोग सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट करेगा। आयोग का फैसला अदालत के आदेश की तरह माना जाएगा और सभी पक्षों के लिए बाध्यकारी होगा।
अदालत ने सरकार और याचियों को जांच आयोग के लिए अपना पक्ष प्रस्तुत करने को कहा। समान राय आने पर शीर्ष अदालत फैसला लेगी। गुरुवार तक सुनवाई टालने से पहले अदालत ने रोजाना आधार पर सुनवाई करने की इछा जाहिर की। गौरतलब है कि इसी वर्ष पनामा पेपर्स जारी होने के बाद दायर याचिकाओं में शरीफ और उनके रिश्तेदारों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की मांग की गई है। पनामा पेपर्स में बताया गया है कि शरीफ और उनके परिवार के पास विदेश में कंपनियां और संपत्ति हैं।
किक्रेटर से नेता बने इमरान खान ने इस फैसले पर खुशी जताई है। इस्लामाबाद में अपने घर के बाहर समर्थकों को संबोधित करते हुए उन्होंने इसे जीत करार दिया। हाई कोर्ट के आदेश और स्थानीय प्रशासन द्वारा पाबंदी लगाने के बावजूद वे बुधवार को इस्लामाबाद को बंद करने पर अड़े थे। उन्होंने कार्यकर्ताओं से गिरफ्तारी से बचते हुए राजधानी पहुंचने का आह्वान किया था। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने कार्यकर्ताओं से घर लौटने और आराम करने को कहा। इमरान ने कहा कि यह जीत का उत्सव मनाने और धन्यवाद देने का समय है। इस बीच एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पाकिस्तान सरकार से गिरफ्तार किए गए विपक्षी कार्यकर्ताओं को रिहा करने की मांग की है। एमनेस्टी की दक्षिण एशिया की निदेशक चंपा पटेल ने गिरफ्तारी को पुलिस द्वारा दमनात्मक कार्रवाई बताया है।

2 November 2016...1.विवाद सुलझाने में जुटे भारत और चीन:-

 भारत और चीन के बीच अगर हाल के दिनों में तनाव बढ़ा है तो उसे कम करने की कोशिशें भी दोनों तरफ से बराबर हो रही हैं। हाल-फिलहाल में दोनों देशों के बीच विवाद की एक बड़ी वजह एनएसजी में भारत को शामिल करने का मुद्दा रहा है। इस मसले पर सोमवार को ही बातचीत हुई है। अब दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) की एक अहम बैठक इस हफ्ते शुक्रवार को हैदराबाद में होने जा रही है। माना जा रहा है कि सीमा विवाद को सुलझाने को लेकर भारत के एनएसए अजीत डोभाल और चीन के उनके समकक्ष यांग जिची के बीच बातचीत अहम दौर में पहुंच चुकी है और अब इस पर तेजी से आगे बढ़ने की तैयारी है। सूत्रों के मुताबिक, बैठक का मुख्य उद्देश्य यह है कि हाल के दिनों में जो भी तनाव पैदा हुए हैं, उसे किस तरह से दूर किया जाए।
सूत्रों के अनुसार, एनएसए स्तर की इस बैठक में पाक आतंकियों पर प्रतिबंध लगाने की भारत की कोशिश का चीन की तरफ से हो रहे विरोध का मुद्दा भी उठेगा। साथ ही एनएसजी में भारत की दावेदारी समेत हर उस मुद्दे पर भी खुलकर बात होगी, जो दोनों देशों के बीच तनाव का कारण बने हुए हैं। लेकिन कोशिश यह होगी कि इन मुद्दों पर एक-दूसरे के विचारों को समझा जाए और कोई न कोई हल निकाला जाए। चीन की तरफ से भी इस बैठक में भारत को चुभने वाले कई मुद्दे उठाने की उम्मीद है। मसलन, भारतीय राय अरुणाचल प्रदेश में अमेरिका के राजदूत रिचर्ड वर्मा और बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा के जाने की बात और भारत में चीन निर्मित उत्पादों के विरोध का मसला भी बैठक में उठ सकता है।
भारत और चीन के द्विपक्षीय रिश्तों को देखा जाए तो पिछले एक वर्ष के दौरान कई तरह के तनाव पनपते दिख रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद दोनों के बीच उचस्तरीय बातचीत का दौर भी लगातार चल रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच पिछले दो वर्षों में नौ बार मुलाकात हो चुकी है। भारतीय एनएसए डोभाल व चीन के एनएसए यांग जिची के बीच कई दौर की बातचीत के बाद एक बेहतर तालमेल बन गया है। जिची पहले चीन के विदेश मंत्री रहे हैं और भारत संबंधी मामलों के खास विशेषज्ञ माने जाते हैं। विदेश मंत्रलय के सूत्रों के मुताबिक, सीमा विवाद को सुलझाने के लिए दोनों देशों के एनएसए के बीच अभी तक जो बातचीत हुई है, वह काफी सकारात्मक रही है। इस विवाद को सुलझाने की दिशा में दोनों काफी बेहतर तरीके से आगे बढ़ रहे हैं।

1 November 2016..4. हिलेरी की मुश्किलें बढ़ीं :नए ईमेल मामले की जांच करेगी एफबीआई:-

अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनाव के कुछ ही दिन पहले डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन की मुश्किलें बढ़ गई हैं क्योंकि उनकी सहायक और उनके पति ने जिस लैपटॉप का साझा उपयोग किया, उसमें 650,000 से अधिक ईमेल मिले हैं और एफबीआई इनकी जांच करने वाली है।मीडिया की खबरों में बताया गया है कि एफबीआई को पिछले सप्ताह क्लिंटन की सहायक हुमा अबेदीन के ईमेलों की जांच करने के लिए आवश्यक सर्च वारंट मिल गया है। यह ओबामा प्रशासन के पूर्ववर्ती कार्यकाल में विदेशमंत्री रहीं क्लिंटन द्वारा निजी सर्वर का ईमेल के लिए इस्तेमाल किए जाने के मामले की जांच पुन: शुरू करने से संबंधित है। इतनी अधिक संख्या में ईमेल उस लैपटॉप में मिले हैं जिसका उपयोग पूर्व कांग्रेस सदस्य एंटनी वीनर और उनकी तलाकशुदा पत्नी हुमा अबेदीन ने किया।अबेदीन हिलेरी के कथित ईमेल मामले में जांच के दायरे में हैं और उन्होंने कांग्रेस की समिति के समक्ष हुई बहस में अपना पक्ष रखा है। वीनर के खिलाफ यौन संबंधी सामग्री फोन के जरिये भेजे जाने के मामले की जांच के दौरान एफबीआई को इन ईमेल के बारे में पता चला जिसके बाद एफबीआई के निदेशक जेम्स कोमी ने कांग्रेस को हिलेरी के खिलाफ तीन माह पहले बंद कर दी गई जांच फिर से शुरू होने की सूचना दी। हिलेरी के प्रचार अभियान दल ने इस कदम के उद्देश्यों पर सवाल उठाया है।हिलेरी के प्रतिद्वन्द्वी डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को कहा कि इतनी अधिक संख्या में ईमेल का पाया जाना कुछ बड़ी बात हो सकती है। उन्होंने कहा, यह वह 33,000 ईमेल हो सकते हैं जो गायब थे। यह 20,000 या 15,000 हो सकते हैं। उनका इशारा उन ईमेल के संबंध में था जो एफबीआई के देखे जाने से पहले सर्वर से डिलीट कर दिए गए थे। सर्च वारंट के साथ अब एफबीआई अबेदीन के ईमेल की जांच कर पता लगाएगी कि क्या इनका क्लिंटन के खिलाफ हुई जांच से कोई संबंध है। डेमोक्रेट उम्मीदवार के प्रचार अभियान दल ने अपनी यह मांग दोहराई कि एफबीआई मामले से संबंधी सभी जानकारी जारी करे। क्लिंटन के प्रतिद्वन्द्वी डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि इतनी अधिक संख्या में ईमेल का मिलना बड़ी बात हो सकती है। उन्होंने कहा था कि शायद यह ईमेल वह हैं जो गायब हो गए थे। उनका इशारा उन ईमेल की ओर था जो एफबीआई के देखने से पहले सर्वर से डिलीट कर दिए गए थे।

1 November 2016...3. एनएसजी पर चीन को मनाने में जुटा भारत:-

 परमाणु संपन्न राष्ट्रों के प्रतिष्ठित संगठन एनएसजी (परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह) में भारत के घुसने की राह में अभी भी चीन सबसे बड़ा रोड़ा बना हुआ है। बहरहाल भारत की तरफ से चीन को मनाने की पूरी कोशिश जारी है। सोमवार को भी भारत और चीन के बीच बीजिंग में बातचीत हुई है। चीन की तरफ से कोई साफ संकेत तो नहीं मिले हैं, लेकिन माना जा रहा है दोनो पक्षों की तरफ से एक-दूसरे के विचारों को समझने की कोशिश लगातार जारी है। दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर अगली बैठक भी जल्द ही होगी। एनएसजी देशों की अगली बैठक इस महीने के अंत या अगले महीने की शुरुआत में होने वाली है। विदेश मंत्रलय के सूत्रों का कहना है कि संयुक्त सचिव (निरस्त्रीकरण व अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा) अमनदीप सिंह गिल और चीनी विदेश मंत्रलय के शस्त्र नियंत्रण महानिदेशक वांग क्यून के बीच सोमवार को बीजिंग में बातचीत हुई। वार्ता पूरी तरह से सकारात्मक माहौल में हुई है। दोनों पक्ष अपने-अपने नेताओं के निर्देशानुसार मिल रहे हैं। इनके बीच जल्द ही अगली बैठक भी होगी। पिछले दो महीनों में दोनो पक्षों के बीच एनएसजी मुद्दे पर हुई यह तीसरी बैठक है। बताते चलें कि अगस्त, 2016 में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और चीन के विदेश मंत्री वांग ई के बीच मुलाकात में भारत की तरफ से एनएसजी का मुद्दा उठाया गया था। तब यह सहमति बनी थी कि इस मुद्दे पर दोनो देशों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू किया जाए ताकि आपसी मतभेद को सुलझाया जा सके। सूत्रों के मुताबिक, चीन को यह समझाने की कोशिश हो रही है कि किस तरह से भारत का एनएसजी का सदस्य बनना उसके स्वछ ऊर्जा से जुड़े लक्ष्यों को हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण है। भारत का कहना है कि विकास और स्वछ ऊर्जा को अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता है। चीन अभी तक एनएसजी में भारत के प्रवेश का विरोध इस आधार पर करता रहा है कि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किया है? दुनिया के कई देशों का भी पहले ऐसा ही मत था, लेकिन अब वे भारत के लिए अपने इस रुख में बदलाव करने को तैयार हैं। माना जाता है कि चीन अपने मित्र देश पाकिस्तान के लिए भारत की राह में बाधा डाल रहा है।

1 November 2016..2. व्यापार सुगमता मामले में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना अव्वल:-

 विश्व बैंक और डीआईपीपी की व्यापार सुगमता सूची में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना संयुक्त रूप से पहले पायदान पर रहे हैं जबकि गुजरात फिसलकर तीसरे स्थान पर आ गया।औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) के 340 बिंदु वाले व्यापार सुधार कार्य योजना के क्रियान्वयन के आधार पर तैयार सूचकांक में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और हरियाणा क्र मश: चौथे, पाचवें और छठे स्थान पर हैं। कुल 10 सुधार क्षेत्रों से जुड़े कार्ययोजना में 58 नियामकीय प्रक्रि याएं, नीतियां, गतिविधियां या कार्यपण्राली शामिल हैं। ये मुख्य रूप से एकल खिड़की मंजूरी, कर सुधार, श्रम एवं पर्यावरण सुधार, विवाद समाधान तथा निर्माण परमिट हैं।पिछले साल के सूचकांक में गुजरात शीर्ष स्थान पर था। आंध्र प्रदेश दूसरे तथा तेलंगाना तीसरे स्थान पर था। वर्ष 2016 के ताजा सूचकांक के तहत व्यापार के लिए बेहतर माहौल उपलब्ध कराने वाले शीर्ष 10 राज्यों की सूची में झारखंड (सातवें), राजस्थान (आठवें), उत्तराखंड (नौवें) तथा महाराष्ट्र (10वें) स्थान पर शामिल हैं। अन्य प्रमुख राज्यों में ओड़िशा 11वें स्थान पर रहा। उसके बाद क्र मश: पंजाब, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु तथा दिल्ली का स्थान है।‘‘व्यापार सुधार के क्रि यान्वयन में राज्यों का आकलन, 2016’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में ये रैंकिंग दी गई है। यह रिपोर्ट विश्व बैंक ने डीआईपीपी के साथ मिलकर तैयार की है। इसका मकसद घरेलू के साथ-साथ विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए व्यापार माहौल में सुधार को लेकर राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है।विश्व बैंक की व्यापार सुगमता पर ताजा रिपोर्ट में 190 देशों की सूची में भारत 130वें स्थान पर रहा जो पिछले साल की मूल रैंकिंग के बराबर ही है। हालांकि पिछले साल की रैंकिंग को संशोधित कर 131 कर दिया गया है। इस लिहाज से भारत की स्थिति एक अंक सुधरी है।

1 november..1.न्यायपालिका पर बोझ कम करने की जरूरत : मोदी:-

 सरकार को सबसे बड़ा ‘‘ वादी’ बताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि न्यायपालिका का बोझ कम करने की जरूरत है क्योंकि उसका अधिकांश समय ऐसे मामलों की सुनवाई करने में लग जाता है जिनमें सरकार एक पक्ष होती है। प्रधानमंत्री ने भारतीय प्रशासनिक सेवा की तर्ज पर अखिल भारतीय न्यायिक सेवा स्थापित करने की वकालत की । दिल्ली उच्च न्यायालय के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार सबसे बड़ी ‘‘वादी’ है। उन्होंने कहा, न्यायपालिका सबसे अधिक समय हमारे ऊपर खर्च करती है। हमारे ऊपर खर्च का मतलब मोदी से नहीं बल्कि सरकार से है। मोदी ने कहा कि अगर मामलों पर ठीक ढंग से विचार करने के बाद केस दायर किये जायें तो न्यायपालिका पर बोझ कम किया जा सकता है। अगर एक शिक्षक सेवा से जुड़े किसी मामले में अदालत के समक्ष जाता है और उसे जीत हासिल होती है तो ऐसे न्यायिक आदेश को आधार बनाया जाना चाहिए ताकि इसका फायदा मिल सके और बाद के स्तर पर हजारों की संख्या में मुकदमों को कम किया जा सके। इस मामले में हालांकि कोई ठोस आंकड़े नहीं हैं, लेकिन सेवा मामलों से लेकर अप्रत्यक्ष करों तक विभिन्न अदालती मामलों में कम से कम 46 प्रतिशत में सरकार एक पक्ष है।

Monday, 14 November 2016

31 october 2016...5. आर्कटिक में सिमटता जा रहा बर्फ का दायरा :-

ग्लोबल वार्मिग के चलते आर्कटिक क्षेत्र में बर्फ की चादर पर गंभीर खतरा मंडराने लगा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की ओर से जारी आंकड़ों में उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र में बर्फ की सबसे मोटी परत के खतरनाक तरीके से कमजोर होने की बात सामने आई है।1वैज्ञानिकों के मुताबिक गर्मी के मौसम में यही परत टिकी रहती है। तापमान बढ़ने के साथ बर्फ की पतली चादर पूरी तरह पिघल जाती है या बहुत कम मात्र बची रहती है। मोटी परत ही अंत तक टिकी रहती है। सर्दी के मौसम में बर्फ की मात्र बढ़ने पर इसकी मोटाई और बढ़ती जाती है। इसमें कमी तापमान में वृद्धि का संकेत माना जाता है। नासा ने बताया कि आर्कटिक में समुद्र में मौजूद हिमखंड के अस्तित्व पर भी खतरा मंडराने लगा है। अंतरिक्ष एजेंसी के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में बर्फ की उपस्थिति पर शोध करने वाले वाल्ट मेइर ने बताया कि पिछले कुछ वर्षो से बर्फ की पुरानी परतें गायब होती जा रही हैं। उनके मुताबिक गर्मी के मौसम में नई परत पिघल जाती है।

31 october 2016...4. अफगानिस्तान पर भारत में ‘हार्ट ऑफ एशिया’ सम्मेलन में शरीक होंगे :पाक:-

 पाकिस्तान ने शुक्रवार को कहा कि यह दिसंबर में अमृतसर में अफगानिस्तान पर होने वाले ‘हार्ट ऑफ एशिया’ सम्मेलन में शरीक होगा. लेकिन भागीदारी के तरीके और स्तर पर फैसला नहीं किया है. गौरतलब है कि एक दिन पहले ही भारत ने इस बैठक में भाग लेने के पाक के फैसले का स्वागत किया है. विदेश विभाग प्रवक्ता नफीस जकारिया ने यहां साप्ताहिक ब्रीफिंग में कहा कि इस सम्मेलन का उद्देश्य अन्य क्षेत्रीय देशों के सहयोग के साथ अफगानिस्तान का विकास करना है जो अफगानिस्तान में शांति एवं स्थिरता की हर कोशिश का समर्थन का पाकिस्तान की प्रतिबद्धता के अनुरूप है. हालांकि प्रवक्ता ने इसके तरीके और बैठक में पाकिस्तान की भागीदारी के स्तर के बारे में नहीं बताया जो नियंत्रण रेखा पर भारी गोलीबारी के चलते जानें जाने और बढ़ते तनाव के मद्देनजर हो रही है. उन्होंने कहा, ‘‘हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में भागीदारी के तरीके और स्तर पर फैसला नहीं हुआ है.’’एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारतीय उच्चायोग में निष्कासित भारतीय कर्मचारी ऐसी गतिविधियों में शामिल था जो पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के सीधे तौर पर खिलाफ था. उन्होंने कहा कि भारत के पास कोई सबूत नहीं है लेकिन यह पाक के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाता रहा है. इसके ठीक उलट हमारे पास पाकिस्तानी सरजमीं की अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ भारत की संलिप्त्ता के बारे में अकाट्य सबूत हैं. भाजपा नेता सुब्रहमण्यम स्वामी की कथित टिप्पणी पर जकारिया ने कहा कि भारतीय नेता पाकिस्तान पर आक्षेप लगाते हैं और उन्होंने इसका इस्तेमाल घरेलू राजनीति के औजार के रूप में किया है. दरअसल, स्वामी ने कथित तौर पर कहा था कि यदि पाक ने आतंकवाद का समर्थन करना जारी रखा तो भारत पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध की ओर बढ़ सकता है. जकारिया ने यह भी कहा कि 2008 की एनएसजी छूट ने भारत को परमाणु हथियार बनाने में मदद की है और इसके सैन्य परमाणु कार्यक्र म को बढ़ाया है. भारत के अधिकतम 356 से 492 परमाणु हथियार बना सकने की क्षमता पर एक पाकिस्तानी थिंक टैंक की रिपोर्ट पर टिप्पणी करने को कहे जाने पर जकारिया ने कहा कि पाकिस्तान काफी समय से कहता रहा है कि भारत के तेजी से विस्तारित होते सैन्य परमाणु कार्यक्र म ने क्षेत्र और इसके आगे शांति एवं स्थिरता को एक गंभीर खतरा पैदा किया है.

31 october 2016..3. हिलेरी ने ई-मेल जांच को लेकर एफबीआई निदेशक की आलोचना की:-

 राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) के निदेशक जेम्स कोमे की आलोचना करते हुए कहा है कि उनके ई-मेल की जांच को लेकर कोमे का पत्र अप्रत्याशित तथा परेशान करने वाला है। एनबीसी न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, डायटोना बिच पर शनिवार को एक प्रचार अभियान के दौरान क्लिंटन ने कहा कि वह कोमे से कह रही हैं कि उनके नए ई-मेल से संबंधित जांच में आए संपूर्ण तथ्यों को वह तत्काल जारी करें। एफबीआई के अधिकारियों ने एनबीसी न्यूज से कहा है कि डेमोक्रेटिक पार्टी से कांग्रेस के पूर्व सदस्य एंथनी विनर के खिलाफ जांच के क्रम में नए ई-मेल पाए गए। विनर क्लिंटन की सबसे नजदीकी सहयोगी हुमा अबेदीन के पूर्व पति हैं।
कोमे के शुक्रवार के कदम से -आठ नवंबर को होने वाले चुनाव से मात्र डेढ़ सप्ताह पहले- राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है।क्लिंटन ने कहा, "चुनाव से पहले किसी छोटी सी सूचना के साथ इस तरह आना बेहद विचित्र बात है।" उन्होंने कहा, "वस्तुत: यह केवल विचित्र ही नहीं, बल्कि अप्रत्याशित है और बुरी तरह परेशान करने वाला कदम है।" डेमोक्रेट प्रत्याशी ने कहा, "डोनाल्ड ट्रंप पहले ही इसके बारे मनगढंत बातें कर चुके हैं और अब वे इसका इस्तेमाल अमेरिका के लोगों को भ्रमित व हतोत्साहित करने के लिए कर रहे हैं।" उन्होंने कहा, "मैं सोचती हूं कि डोनाल्ड ट्रंप को लोगों में डर पैदा करने, खुद को कलंकित करने और हमारे लोकतंत्र पर हमला करना बंद करना चाहिए।"

31 october 2016..2. रूस यूएन मानवाधिकार परिषद चुनाव में हारकर तीसरे नंबर पर:-

रूस को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की सदस्यता के चुनाव में करारा झटका लगा है। दो सीटों के लिए हुए चुनाव में वह तीसरे नंबर पर रहा। 193 सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा में हंगरी को 144, क्रोएशिया को 124 और रूस को 112 वोट मिले। रूस तीन साल का कार्यकाल खत्म होने के बाद दोबारा मैदान में था। इस संस्था का मुख्य कार्य दुनियाभर में मानवाधिकार उल्लंघनों पर नजर रखना है। महासभा ने 47 सदस्यों वाली परिषद के लिए 14 नए सदस्यों को चुना। मतदान शनिवार को सीक्रेट बैलेट के आधार पर हुआ। नए सदस्यों का कार्यकाल एक जनवरी 2017 से शुरू होगा। भारत इसका सदस्य है तथा उसका कार्यकाल 2017 में खत्म होगा।
ये बने नए नए सदस्य : ब्राजील,चीन, क्रोएशिया, क्यूबा, मिस्र, हंगरी, इराक, जापान, रवांडा, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, ट्यूनीशिया, ब्रिटेन, अमेरिका।

31 october 2016..1.द्विपक्षीय रिश्ते सुधारने के लिए मिलेंगे भारत-चीन के एनएसए:-

भारत और चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नवंबर के पहले हफ्ते में द्विपक्षीय रिश्तों को सुधारने के लिए मुलाकात करेंगे। दोनों देशों के रिश्तों में भारत की एनएसजी (न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप) सदस्यता में चीन द्वारा रोड़ा अटकाने के बाद खटास आई थी। इसके अलावा चीन ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मसूद अजहर पर लगने वाले बैन को भी ब्लॉक किया था।
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनके चीनी समकक्ष येंग जैइची नवंबर के पहले हफ्ते में हैदराबाद में भेंट करेंगे। अधिकारियों ने बताया कि मुलाकात का उद्देश्य संबंधों में आए गतिरोध को दूर करने पर होगा। एनएसजी में भारत की सदस्यता, मसूद अजहर पर यूएन के बैन के अलावा भारत चीन-पाकिस्तान इकोनोमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) को लेकर अपनी चिंताओं को भी चीन के सामने रखेगा। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) होकर चीन से पाकिस्तान चीनइस बार भारत में हो रहे चीनी सामान के बहिष्कार का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाएगा। इसके अलावा चीन अमेरिका के भारत में उच्चायुक्त रिचर्ड राहुल वर्मा की अरुणाचल प्रदेश विजिट को लेकर भी अपना विरोध दर्ज कराएगा। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत कहता आया है। साथ ही तिब्बत से निर्वासित दलाई लामा को अरुणाचल प्रदेश जाने की अनुमति भारत ने दे दी है जो चीन के लिए चिंता का विषय है। चीनी अधिकारियों का कहना है कि बीजिंग की चिंता इस पर भी है कि भारत उसके प्रतिद्वंदी अमेरिका के साथ करीबियां बढ़ा रहा है। साथ ही चीन का एक और प्रतिद्वंदी जापान भी भारत के करीब रहा है।
भारत की चिंता इस बात पर है कि चीन दोनों देशों के रिश्तों को ताक पर रखकर पाकिस्तान की मदद करता है। पाकिस्तान के बीच में आने से भारत-चीन के रिश्तों में दूरी रही है। भारत के न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप की सदस्यता में चीन ने रोड़ा अटकाया था। भारत द्वारा लगातार कोशिश की जा रही है कि इस मामले पर चीन का समर्थन हासिल किया जा सके। चीन ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मसूद अजहर पर लगने वाले बैन को भी ब्लॉक किया था। इस मामले पर भी भारत को आपत्ति थी, जबकि भारत काफी समय से उस पर बैन लगवाने की कोशिश कर रहा था। तक बनने वाले सीपीईएस का भारत विरोध करता रहा है। भारत 46 बिलियन डॉलर वाले सीपीईएस प्रोजेक्ट का मुद्दा भी चीन के सामने उठाएगा। चीनके एनएसए येंग जैइची विदेश मंत्री रह चुके हैं। शी जिनपिंग के 2013 में राष्ट्रपति बनने पर येंग का प्रमोशन कर उन्हें एनएसए बनाया गया था। चीन के प्रशासनिक शक्ति बंटवारे में एनएसए को विदेश मंत्री से बड़ा माना जाता है। इस लिहाज से यह मुलाकात अहम होने वाली है। डोभाल येंग दोनों भारत चीन की ओर से विशेष रूप से सीमा पर बातचीत करने के लिए चुने गए हैं। दोनों समय-समय पर भारत चीन के रिश्तों पर चर्चा करते हैं।

30 october 2016...5. आर्कटिक में सिमटता जा रहा बर्फ का दायरा:-

 ग्लोबल वार्मिग के चलते आर्कटिक क्षेत्र में बर्फ की चादर पर गंभीर खतरा मंडराने लगा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की ओर से जारी किए गए हालिया आंकड़ों में उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र में बर्फ की सबसे मोटी परत के खतरनाक तरीके से कमजोर होने की बात सामने आई है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक गर्मी के मौसम में यही परत टिकी रहती है। तापमान बढ़ने के साथ बर्फ की पतली चादर पूरी तरह पिघल जाती है या बहुत कम मात्र बची रहती है। मोटी परत ही अंत तक टिकी रहती है। सर्दी के मौसम में उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र में बर्फ की मात्र बढ़ने पर इसकी मोटाई और बढ़ती जाती है। इसमें कमी आने को तापमान में वृद्धि का संकेत माना जाता है। 
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (नासा) के मुताबिक आर्कटिक में समुद्र में मौजूद हिमखंड के अस्तित्व पर भी खतरा मंडराने लगा है। अंतरिक्ष एजेंसी के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में बर्फ की उपस्थिति पर शोध करने वाले वाल्ट मेइर ने बताया कि पिछले कुछ वर्षो से बर्फ की पुरानी परतें गायब होती जा रही हैं। उनके मुताबिक गर्मी के मौसम में नई परत पिघल जाती है।

30 october 2016....4. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से बाहर हुआ रूस:-

सीरिया में अपनी नीतियों के कारण युद्ध अपराध के आरोपों का सामना कर रहा रूस संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से बाहर हो गया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने परिषद के 14 सदस्यों का चुनाव किया है। चुने गए देशों में चीन, अमेरिका, ब्रिटेन एवं अन्य शामिल हैं। निर्वाचित देशों का तीन वर्षो का कार्यकाल एक जनवरी 2017 से शुरू होगा। सदस्य चुने गए अन्य देशों में ट्यूनीशिया, दक्षिण अफ्रीका, रवांडा, जापान, इराक, सऊदी अरब, हंगरी, क्रोएशिया, क्यूबा, ब्राजील, शामिल हैं।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद सभी मानवाधिकारों और बुनियादी स्वतंत्रता के प्रोत्साहन और संरक्षण के लिए उत्तरदायी है। महासभा ने 2006 में 60 वर्ष पुराने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की जगह इसकी स्थापना की थी। परिषद का काम मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों का समाधान और उसके अनुरूप सिफारिशें करना है। परिषद आपात स्थिति में अपना काम करती है और मानवाधिकार हनन को रोकती है। 193 सदस्यीय महासभा में गुप्त मतदान के जरिये परिषद के सदस्यों का चुनाव किया जाता है। दो बार चुना गया कोई भी देश लगातार तीसरी बार निर्वाचित नहीं हो सकता है।
मतदान से भारत दूर : संयुक्त राष्ट्र महासभा समिति ने परमाणु हथियारों को प्रतिबंधित करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया है। अगले वर्ष से वार्ता शुरू करने संबंधी प्रस्ताव पर हुए मतदान में भारत ने हिस्सा नहीं लिया। भारत ने कहा है कि वह इस बात से सहमत नहीं है कि परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में यह प्रस्ताव एक कारगर उपाय साबित हो सकेगा। निरस्त्रीकरण और आंतरिक सुरक्षा की देखरेख करने वाली महासभा की पहली समिति ने शुक्रवार को प्रस्ताव के मसौदे को मंजूरी दी। यह मसौदा परमाणु निरस्त्रीकरण समझौते पर है। प्रस्ताव के समर्थन में 123 जबकि विरोध में 38 मत पड़े। 16 देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।

30 october 2016...3. अमेरिका-जापान से भारत की बढ़ती करीबी से चीन चिंतित:-

 भारत और चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अगले हफ्ते हैदराबाद में मुलाकात करेंगे। बैठक में दोनों द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के उपायों पर विचार-विमर्श करेंगे। दरअसल, बीजिंग इस बात से आशंकित है कि भारत अमेरिका और जापान के साथ रणनीतिक और रक्षा संबंधों को मजबूत बना रहा है। खुद चीनी अधिकारियों यह बात स्वीकार की है।
भातीय एनएसए अजीत डोभाल और चीन के एनएसए यांग जिएची के बीच नवंबर के पहले हफ्ते में होने वाली यह बैठक अनौपचारिक होगी। डोभाल और यांग भारत-चीन सीमा वार्ता के लिए अधिकृत विशेष प्रतिनिधि हैं। लेकिन वे भारत-चीन संबंधों से जुड़े सभी मामलों पर चर्चा के लिए समय-समय पर मिलते रहते हैं। यांग चीन के पूर्व विदेश मंत्री हैं और इस समय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के अलावा सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के स्टेट काउंसलर हैं। 
चीन के सत्ता तंत्र में विदेश नीति के मामलों में स्टेट काउंसलर विदेश मंत्री से यादा शक्तिशाली होता है। 2013 में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के सत्ता में आने के बाद उन्हें इस पद पर पदोन्नत किया गया था। इस बैठक को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि हाल ही में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना ने राष्ट्रपति शी चिनफिंग को ‘कोर लीडर’ का दर्जा दिया है और वह पार्टी और सेना में अपना आधार मजबूत कर रहे हैं।
बता दें कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के प्रवेश और जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रतिबंध की कोशिशों में चीन के अड़ंगा लगाने की वजह से दोनों देशों के बीच तनाव पैदा हो गया था। इसके अलावा भारत गुलाम कश्मीर से होकर बनाए जा रहे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का भी विरोध कर रहा है। वहीं, भारत में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार और नई दिल्ली में अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा की अरुणाचल प्रदेश यात्र पर चीन अपनी आशंका व्यक्त कर चुका है। इसके अलावा दलाई लामा को अरुणाचल प्रदेश यात्र की अनुमति दिए जाने पर भी उसे एतराज है। अरुणाचल प्रदेश को चीन तिब्बत का दक्षिणी भाग मानता है।

30 october 2016......2. चीन के लिए आत्मघाती होगा भारत में निवेश रोकना:-

भारत-पाक में तनाव के बीच चीन के पाक समर्थित रुख से आम लोगों में खासी नाराजगी है, यह नाराजगी चीन की वस्तुओं के बहिष्कार के शक्ल में दिखाई दे रही है। चीन भले ही अपने रुख पर अड़ियल रुख अपनाये हुए है लेकिन उसके ही विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत के बिना चीन का काम चलने वाला नहीं है। भारत के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में निवेश रुकने वाला नहीं है। अगर चीन अपने यहां का निवेश रोकने का प्रयास करता है तो यह कोई समझदारी का कदम नहीं होगा। ऐसा कोई कदम आत्मघाती ही साबित होगा क्योंकि चीन की कंपनियां मुनाफा कमाने से वंचित रह जाएंगी। चायना एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्ट्रैटजी के रिसर्च फेलो गी चेंग का कहना है कि भारत की तेज विकास दर की हर तरफ सराहना हो रही है। ऐसे में चीन में भारत का मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर का विकास रोकने की ताकत नहीं है। हां, चीन अपना निवेश रोक सकता है लेकिन यह कतई बुद्धिमानी की रणनीति नहीं होगी। गी ने ग्लोबल टाइम्स में अपने एक लेख में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में चीन की पूंजी का निवेश स्वाभाविक प्रवाह है। कई वजह हैं जिनके चलते भारत में चीन का निवेश बढ़ सकता है। गी चेंग का कहना है कि चीन की कंपनियों के लिए मुनाफा कमाने की खातिर भारत में निवेश करना अपरिहार्य विकल्प है। उन्होंने कहा कि भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) बढ़ाना भारत में योगदान के लिए नहीं बल्कि अछे मुनाफे के लिए आवश्यक है। भारत की तारीफ करते हुए गी चेंग यहीं नहीं रुकते हैं। उनके अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से विकसित हो रही है और वहां नीतियां भी निवेश के लिए अनुकूल है। यथार्थवादी विचार करते है तो स्पष्ट होता है कि भारत निवेश का माहौल सुधारने के लिए प्रयास कर रहा है और अपने नियमों में संशोधन कर रहा है। उन्होंने इस पहलू को रेखांकित किया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने सार्वजनिक बैंकों और सूचीबद्ध कंपनियों को छोड़कर बाकी कंपनियों में एफडीआइ की सीमा 26 फीसद से बढ़ाकर 49 फीसद कर दी। ऑटोमैटिक रूट से एफडीआइ को मंजूरी के लिए पूंजी सीमा 300 अरब रुपये से बढ़ाकर 500 अरब रुपये (7.4 अरब डॉलर) की गई है। गी ने कहा कि अगर भारत अपनी विकास दर की रफ्तार को और बढ़ा पाता है या मौजूदा स्तर पर ही बनाये रखता है या चीन की पूंजी पर अच्छा मुनाफा मिलने की संभावना है। चीन की पूंजी भारत में प्रवेश कर चुकी है, इसमें और तेजी आ सकती है। यह स्थिति दोनों ही देशों के लिए फायदे का सौदा होगा।

30 october 2016....1.सरकार ने हाई कोर्ट में जजों की संख्या बढ़ाई:-

 केंद्र सरकार ने न्यायिक नियुक्तियों में देरी के लिए सुप्रीम कोर्ट की फटकार पर अपनी स्थिति साफ की है। केंद्र ने कहा है कि सरकार ने हाईकोर्ट में जजों की संख्या 906 से बढ़ाकर 1079 कर दी है। उसने दो टूक कहा कि राजग सरकार के शासनकाल में हाईकोर्ट में जजों की रिक्तियों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। सूत्रों ने शनिवार को बताया कि जजों की नियुक्ति की वार्षिक दर का औसत पिछले दो सालों में कम नहीं हुई है। वह भी तब जबकि वर्ष 2015 में एनजेएसी मामले की सुनवाई के चलते अप्रैल से दिसंबर तक कोई नई नियुक्ति नहीं की गई है। सूत्रों का कहना है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर के बार-बार यह कहने के बावजूद कि रिक्त पदों को भरा नहीं गया है, सरकार ने अपनी स्थिति तथ्यों के साथ साफ कर दी है। सूत्रों का कहना है कि सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि रिक्त पदों को जल्द से जल्द भरा जाए। इसके बावजूद सरकार इस बात को लेकर चिंतित है कि अदालतों में लंबित मामले बढ़ते जा रहे हैं। जून 2014 में जजों की संख्या 906 थी जो मौजूदा सरकार ने इस साल जून में बढ़ाकर 1076 कर दी है। सूत्रों का कहना है कि मीडिया में यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि हाईकोर्ट में जजों की संख्या सामान्य काल से इस समय कम हो गई है। सूत्रों का कहना है कि पिछले दस सालों में जजों के रिक्त पदों की संख्या 265 से लेकर 280 तक रही है। लेकिन हाईकोर्टो में काम करने वाले जजों की संख्या हमेशा करीब 600 ही रही है। फिलहाल हाईकोर्टो में जजों की संख्या 620 है। यह तादाद कांग्रेस समेत अन्य पूर्ववर्ती सरकारों के समय से बेहतर ही है। हालांकि पिछले दो सालों में जजों की 173 नए पद सृजित हुए हैं। जबकि यूपीए के शासनकाल (2009-2014) में हाईकोर्ट के जजों के 20 नए पद ही सृजित किए गए थे।

29 october 2016....7. मंगल पर गहरा निशान छोड़ गया मार्स लैंडर:-

 यूरोप का दुर्घटनाग्रस्त मार्स लैंडर शियोपरेल्ली मंगल ग्रह पर निशान छोड़ गया। रूस और यूरोप की साझा परियोजना के तहत यह यान मंगल के वातावरण में प्रवेश करते ही अनियंत्रित होकर क्रैश हो गया था। इससे लाल ग्रह के सतह पर बड़ा गड्ढा बन गया है। नासा के मार्स रोवर से ली गई तस्वीरों से इसका पता चला है। डिस्क के आकार के मार्स लैंडर का वजन 577 किलो था। मंगल की सतह पर उतरने के दौरान विशेष इंजन के काम नहीं करने के चलते यान पिछले हफ्ते दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के मुताबिक उस वक्त मार्स लैंडर की रफ्तार तकरीबन 300 किमी प्रति घंटे की थी। यान मंगल की सतह से दो से चार किमी की ऊंचाई पर था, जब नियंत्रण कक्ष से संपर्क टूट गया। ऐसे में मार्स लैंडर पूरी रफ्तार के साथ सतह से जा टकराया। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक दुर्घटना के कारण लाल ग्रह की सतह पर तकरीबन ढाई मीटर व्यास वाला गड्ढा बन गया है। फिलहाल इसके प्रभावों का विश्लेषण किया जा रहा है। इसके चलते मंगल पर जमा कचरे को हटाना भी चुनौती होगी।फ्रैंकफर्ट, रायटर : यूरोप का दुर्घटनाग्रस्त मार्स लैंडर शियोपरेल्ली मंगल ग्रह पर निशान छोड़ गया। रूस और यूरोप की साझा परियोजना के तहत यह यान मंगल के वातावरण में प्रवेश करते ही अनियंत्रित होकर क्रैश हो गया था। इससे लाल ग्रह के सतह पर बड़ा गड्ढा बन गया है। नासा के मार्स रोवर से ली गई तस्वीरों से इसका पता चला है। डिस्क के आकार के मार्स लैंडर का वजन 577 किलो था। मंगल की सतह पर उतरने के दौरान विशेष इंजन के काम नहीं करने के चलते यान पिछले हफ्ते दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के मुताबिक उस वक्त मार्स लैंडर की रफ्तार तकरीबन 300 किमी प्रति घंटे की थी। यान मंगल की सतह से दो से चार किमी की ऊंचाई पर था, जब नियंत्रण कक्ष से संपर्क टूट गया। ऐसे में मार्स लैंडर पूरी रफ्तार के साथ सतह से जा टकराया। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक दुर्घटना के कारण लाल ग्रह की सतह पर तकरीबन ढाई मीटर व्यास वाला गड्ढा बन गया है। फिलहाल इसके प्रभावों का विश्लेषण किया जा रहा है। इसके चलते मंगल पर जमा कचरे को हटाना भी चुनौती होगी।

29 october 2016.....6. एक साथ 83 सेटेलाइट लांच कर कीर्तिमान बनाएगा इसरो:-

 विभिन्न अभियानों के जरिये अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपनी धमक दिखा चुका भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अब अनूठे कीर्तिमान की तैयारी कर रहा है। वर्ष 2017 की शुरुआत में इसरो एक ही रॉकेट से 83 सेटेलाइट लांच कर नया रिकॉर्ड बनाएगा। इन सेटेलाइट में दो भारतीय और बाकी विदेशी हैं। 
इसरो की व्यावसायिक इकाई एंटिक्स कॉरपोरेशन के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक राकेश शशिभूषण ने यहां कहा, ‘वर्ष 2017 की पहली तिमाही के दौरान एक रॉकेट के जरिये 83 सेटेलाइट लांच किए जाएंगे। यादातर विदेशी सेटेलाइट नैनो सेटेलाइट हैं। सभी सेटेलाइट एक ही कक्षा में स्थापित किए जाएंगे।’ इस अभियान के लिए इसरो अपने सबसे भरोसेमंद रॉकेट पीएसएलवी (पोलर सेटेलाइट लांच व्हीकल) के एक्सएल संस्करण को इस्तेमाल करेगा। शशिभूषण ने बताया कि पीएसएलवी-एक्सएल कुल 1600 किलोग्राम वजन लेकर अंतरिक्ष में जाएगा।

29 october 2016...5. अप्रासंगिक स्वायत्त संस्थाओं पर गिरेगी गाज:-

 लंबे समय से घाटे में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों को बंद करने की तैयारी कर रही सरकार अब अप्रासंगिक हो चुकी स्वायत्त संस्थाओं पर भी ताला लगा सकती है। इसकी शुरुआत इन संस्थाओं के कामकाज की समीक्षा के बाद होगी। केंद्र ने नीति आयोग को यह जिम्मा सौंपा है। माना जा रहा है कि आयोग की सिफारिश के आधार पर कुछ स्वायत्त संस्थाओं को बंद किया जा सकता है। केंद्र सरकार में स्वायत्त संस्थाओं की संख्या 2012 में 533 हो गई है, जबकि 1955 में यह महज 35 थी। इन पर भारी भरकम 60 हजार करोड़ रुपये सालाना खर्च होता है। सूत्रों का कहना है कि सरकार को स्वायत्त संस्थाओं की समीक्षा के बाद सालाना कम-से-कम तीन हजार करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान है। सूत्रों ने कहा कि वित्त मंत्रलय के आदेश पर गठित व्यय प्रबंधन आयोग ने भी इस तरह की संस्थाओं के प्रदर्शन और उनकी प्रासंगिकता की समीक्षा करने का सुझाव दिया था। यही वजह है कि सरकार ने अब नीति आयोग को इस काम की जिम्मेदारी सौंपी है। सूत्रों ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई देशों ने अपने यहां स्वायत्त संस्थाओं के प्रदर्शन की समीक्षा की है, जिसके बाद उनके यहां सरकारी धन की काफी बचत हुई है। इसका सबसे अछा उदाहरण ब्रिटेन है। वहां करीब 900 स्वायत्त संस्थाएं थीं। लेकिन कामकाज की समीक्षा के बाद 285 संस्थाओं को बंद कर दिया गया। इससे सरकार को भारी भरकम दो अरब डॉलर की बचत होने लगी। ऐसे में माना जा रहा है कि देश में अप्रासंगिक संस्थाओं को बंद करने से सरकारी खजाने को बड़ी बचत हो सकती है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने घाटे में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों में विनिवेश तथा रणनीतिक हिस्सेदारी बेचने के लिए पीएसयू की सूची तैयार करने का जिम्मा भी नीति आयोग को सौंपा है। गुरुवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने पीएसयू के विनिवेश तथा रणनीतिक हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दी है। घाटे में चल रहे पीएसयू को बंद करने की सूची भी नीति आयोग ने तैयार की है। ऐसे में माना जा रहा है कि आयोग अप्रासंगिक हो चुकी स्वायत्त संस्थाओं को भी खत्म करने की सिफारिश कर सकता है।

29 october 2016...4. एफडीआई नियमों में ढील देने पर विचार:-

सरकार देश में विदेशी मुद्रा प्रवाह में और तेजी लाने के मकसद से कारोबार समेत विभिन्न क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों को और उदार बनाने पर विचार कर रही है। सूत्रों ने कहा कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय इस दिशा में पहले से काम कर रहा है। उसने कहा कि एकल ब्रांड खुदरा कारोबार में कुछ मुद्दे हैं जिसकी समीक्षा की जरूरत है। इस खंड में एक बड़े खुदरा कारोबार ने औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) से अधिकतम खुदरा मूल्य का लेबल और उनकी फिर से लेबिलिंग के मुद्दों पर गौर करने को कहा है। उसने कहा कि सरकार सूचना और प्रसारण क्षेत्र समेत अन्य क्षेत्रों में कुछ नियमों को उदार बनाने पर भी विचार कर सकता है। पिछले साल नवम्बर में एफडीआई नीति में छूट दी गई थी। इस साल जून में उसने नागर विमानन, खाद्य प्रसंस्करण, रक्षा एवं फार्मा समेत एक दर्जन से अधिक क्षेत्रों में शतरें में ढील दी थी। डीआईपीपी सचिव रमेश अभिषेक ने हाल ही में कहा कि सरकार विभिन्न क्षेत्रों में कुछ नीतिगत मुद्दों का समाधान करने की कोशिश कर रही है। वित्त वर्ष 2015-16 में एफडीआई 29 फीसद बढ़कर 40 अरब डालर रहा।

29 october 2016...3. प्रधानमंत्री 11 से 12 नवम्बर तक करेंगे जापान का दौरा:-

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 से 12 नवम्बर तक जापान की यात्रा करेंगे। इस दौरान वह जापान के सम्राट से मिलेंगे और अपने जापानी समकक्ष शिंजो अबे के साथ वार्षिक शिखर सम्मेलन बैठक करेंगे। इसमें असैन्य परमाणु करार पर दस्तखत हो सकते हैं।यात्रा की घोषणा करते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा कि बैठक एक ऐसा अवसर होगा जिसमें दोनों नेता ‘‘भारत तथा जापान के बीच विस्तृत एवं कायरेन्मुखी भागीदारी को और मजबूत करने के लिए पारस्परिक हित के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं नियंतण्र मुद्दों पर गहराई से र्चचा करेंगे।’ असैन्य परमाणु सहयोग को मजूबत करने की इच्छा के साथ ही दोनों पक्ष उच्च प्रौद्योगिकी, सुरक्षा एवं अवसंरचना क्षेत्र सहित व्यापार में संबंधों को बढ़ावा देने के तरीके भी खोजेंगे। दिसम्बर में पिछले शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों पक्ष करार पर एक आधारभूत समझौते पर पहुंचे थे और फैसला किया था कि वे भारत के संबंध में अंतरराष्ट्रीय असैन्य परमाणु करार सहयोग पर र्चचा जारी रखेंगे। अधिकारियों के अनुसार मोदी की यात्रा के दौरान करार को अंजाम तक पहुंचाने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं जो तेजी से बढ़ रही एशियाई अर्थव्यवस्था को परमाणु ऊर्जा संयंत्र प्रौद्योगिकी का निर्यात करने के वास्ते जापान के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा। यदि यह करार हो जाता है तो जापान का यह एक ऐसे देश के साथ पहला असैन्य परमाणु करार होगा जिसने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। जापान दुनिया का एकमात्र देश है जिसने परमाणु बम हमले की त्रासदी को देखा है। वह भारत से आश्वासन मांग रहा है कि परमाणु प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों या परमाणु परीक्षणों के लिए नहीं करेगा। सुरक्षा एवं रक्षा मोर्चे पर जापान समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में द्विपक्षीय समन्वय को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दे सकता है।

29 october 2016...2. अंतरराज्यीय परिषद का पुनर्गठन:-

 प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गठित परिषद में छह केंद्रीय मंत्री, सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री एवं प्रशासक सदस्य बनाए गए हैं। दस केंद्रीय मंत्रियों को स्थायी आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। प्रधानमंत्री ने गृह मंत्री को परिषद की स्थायी समिति का अध्यक्ष नियुक्त करने के साथ ही चार केद्रीय मंत्रियों और सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों को इसका सदस्य बनाया है। परिषद में शामिल केंद्रीय मंत्रियों में गृह मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, वित्त मंत्री अरुण जेटली, सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर हैं।

29 october 2016...1.जजों की नियुक्ति नहीं किए जाने पर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार:-

 जजों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच चला आ रहा टकराव खुलकर सामने आ गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार समूची न्याय व्यवस्था को ठप नहीं कर सकती। जजों की कमी से अदालतों पर ताले लगाने की नौबत आ गई है। चीफ जस्टिस तीरथ सिंह ठाकुर, जस्टिस धनंजय चन्द्रचूड़ और एल नागेश्वर राव की बेंच ने खचाखच भरी अदालत में अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से तल्ख लहजे में कहा कि आप संस्थान के काम को पूरी तरह ठप नहीं कर सकते। अगर आपको किसी नाम से समस्या है तो कृपया इसे वापस भेजें और हमसे पुनर्विचार करने को कहें।हाई कोटरे में न्यायाधीशों की नियुक्ति में विलंब पर बेंच ने कर्नाटक हाई कोर्ट का उदाहरण दिया जहां न्यायाधीशों के अभाव में एक पूरे फ्लोर पर ताला लगा दिया गया है। बेंच ने कहा कि आप अब अदालत कक्षों को भी बंद कर सकते हैं और न्याय को भी बंद कर सकते हैं।अदालत ने शुरुआत में पीएमओ और विधि एवं न्याय मंत्रालय के सचिवों को फाइल के साथ तलब करने की बात कही। अदालत उस समय नाराज हो गई जब रोहतगी ने शुरुआत में ही मेमोरेंडम आफ प्रोसीजर (एमओपी) को अंतिम रूप नहीं दिए जाने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इसकी वजह से नियुक्ति प्रक्रि या में बाधा आ रही है और शीर्ष अदालत के हालिया फैसले के मद्देनजर यह जरूरी है। शीर्ष अदालत ने एनजेएसी अधिनियम को निरस्त कर दिया था। अदालत ने कहा कि विधि मंत्रालय ने सहमति जताई थी कि एमओपी को अंतिम रूप नहीं दिया जाना नियुक्तियों को रोकने का आधार नहीं हो सकता और इसे पुराने एमओपी के आधार पर किया जा सकता है।बेंच ने कहा कि कोई गतिरोध नहीं होना चाहिए। आपने एमओपी को अंतिम रूप दिए बगैर न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए फाइलें आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई है। एमओपी को अंतिम रूप देने का न्यायपालिका में नियुक्ति प्रक्रि या के साथ कोई लेना देना नहीं है। आपने कहा था कि पुराने एमओपी के अनुसार नियुक्ति की जा सकती है।अदालत ने कहा कि कॉलेजियम ने जिन 77 नामों की सिफारिश की है, उसमें से अब तक 18 नामों को मंजूरी दी गई है। कुछ भी नहीं हो रहा है। नौ महीनों से कॉलेजियम ने जो आपको नाम दिए हैं, वो आपके पास पड़े हुए हैं। आप नामों को दबाकर बैठे हुए हैं। आप किस बात की प्रतीक्षा कर रहे हैं। व्यवस्था में कुछ बदलाव की। व्यवस्था में कुछ क्रांति की।अदालत ने कहा कि केंद्र नियुक्तियों को नहीं रोक सकता है। कार्यपालिका की निष्क्रि यता संस्था को नष्ट कर रही है। बेंच ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का उल्लेख किया और कहा कि कॉलेजियम ने न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति के लिए 18 नामों की सिफारिश की थी और सरकार ने आठ को चुना और अब सिर्फ दो को नियुक्त करना चाहती है।बेंच ने कहा कि आप देखें, हमने इस साल चार फरवरी को ही फाइलों को हरी झंडी दे दी थी। हमें बताएं कि क्या प्रगति हुई है। वह विधि मंत्रालय और पीएमओ के सचिवों को अपने समक्ष उपस्थित होने को कह सकती है।सीजेआई ने सुनवाई के दौरान कहा कि आप उन्हें बुलाएं, मैं उन्हें सुनना चाहता हूं। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि एनजेएसी फैसले में कहा गया था कि नया एमओपी होना चाहिए और फैसले का उल्लेख करने का प्रयास किया। रोहतगी ने कहा कि अगर सबकुछ एमओपी के बिना ही किया जा सकता है, तो आपको एमओपी की जरूरत ही क्यों है।अदालत ने कहा कि किसने कहा कि अभी कोई एमओपी नहीं है। नियुक्तियां फिलहाल पुरानी व्यवस्था के अनुसार की जा रही हैं। लगता है हमारा सहिष्णु रवैया काम नहीं कर रहा है। अगर आप इस तरह चलेंगे तो हम फिर से पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ का गठन करेंगे और कहेंगे कि सरकार को नए एमओपी को तैयार किए जाने तक न्यायिक नियुक्तियों में अड़ंगा डालने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।अदालत ने कहा कि हम आपके साथ टकराव नहीं करना चाहते हैं। लेकिन अगर इस तरह चलता रहा तो हम पांच न्यायाधीशों की पीठ का गठन करेंगे और कहेंगे कि आप नियुक्तियों में अड़ंगा डाल रहे हैं।

28 october 2016....9. चार दशक में 58 फीसदी घटी वन्य जीवों की संख्या, अगले चार साल में होगी 67 फीसदी तक कमी:-

 वर्ष1970 से 2012 तक 42 सालों में वैश्विक स्तर पर वन्य जीवों की संख्या में 58 प्रतिशत की कमी चुकी है। यही स्थिति रही तो 2020 तक आंकड़ा 67 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा। यह खुलासा वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड के लिविंग प्लेनेट रिपोर्ट-2016 में हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मानवीय गतिविधियों के कारण विश्व में मछली, पक्षियों, स्तनधारी जीवों आदि की संख्या में बड़े पैमाने पर कमी रही है। महज आधी सदी (1970 से 2020) में यह कमी दो तिहाई तक पहुंच जाएगी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि धरती की परिस्थितियां बिल्कुल ही अलग चरण में पहुंच रही है। यह छठे समूल उन्मूलन की ओर भी इशारा है। पृथ्वी के इतिहास में अब तक पांच बार ऐसा हो चुका है जब कोई प्रजाति पूरी तरह से एक साथ विलुप्त हो गई हो। 6.5 करोड़ साल पहले डायनासोरों का उन्मूलन हो गया था। रिसर्चर मौजूदा परिस्थिति को एंथ्रोपोसीन कह रहे हैं। इसका मतलब हुआ कि पर्यावरण और इकोसिस्टम में जो भी बदलाव रहे हैं उसका सीधा संबंध मानवीय गतिविधियों से है। जिन मामलों में मानवीय गतिविधि ने सुरक्षित सीमा पार कर ली है उनमें बायोजियोकेमिकल फ्लो (नाइट्रोजन और फास्फोरस का इस्तेमाल), जंगल की जमीन का कृषि के लिए इस्तेमाल और पेय जल का इस्तेमाल आदि शामिल हैं। इनसे जमीन पर रहने वाले वन्य जीवों की संख्या में 36 फीसदी की कमी आई है। वहीं फ्रेश वाटर में रहने वाले जीवों की संख्या में 81 फीसदी की कमी आई है। वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड के डायरेक्टर जनरल मार्को लेंबरटिनी ने कहा कि जैसे-जैसे ये प्रजातियां खत्म होती जाएंगी, वैसे-वैसे उनसे मिलने वाली सेवाएं भी समाप्त हो जाएंगी। इनमें शुद्ध हवा, पानी, आहार आदि शामिल है। हम खुद ही अपने विनाश की ओर बढ़ रहे हैं। हम अब भी स्थिति को संभाल सकते हैं और हमें तत्काल ऐसा करना शुरू करने की जरूरत है।

28 october 2016.......8. राजनीति और चुनाव में धर्म का प्रयोग सेक्युलरिज्म की भावना के खिलाफ: कोर्ट:-

 धर्म और भाषा के आधार पर वोट मांगना कितना सही और कितना गलत है? सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर गुरुवार को अंतिम सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि राजनीति और चुनाव में अगर धर्म का प्रयोग किया जाता है तो यह सेक्युलर भावना के खिलाफ है। इसलिए धर्म को इनसे दूर रखना चाहिए।
चीफ जस्टिस ने संकेत दिया कि इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए पीठ अपना व्याख्यान जारी करेगी। संवैधानिक पीठ ने उक्त मामले को लेकर सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले की सुनवाई पूरी होने पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। अंतिम दिन सलमान खुर्शीद, वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जय सिंह, माकपा की ओर से संजय हेगड़े, वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान, केके विराज, ओपी गुप्ता और तुषार मेहता ने दलीलें पेश की। तुषार मेहरा पीठ के समक्ष गुजरात, मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकार की तरफ से पेश हुए।
^राजनीति और चुनाव में अगर धर्म का प्रयोग किया जाता है तो यह सेक्युलर भावना के खिलाफ है। इसलिए धर्म को इनसे दूर रखना चाहिए। पीठ जल्द ही मामले को लेकर अपना फैसला देगी।

28 october 2016....7. सार्वजनिक उपक्रमों में रणनीतिक हिस्सेदारी बेचने को मिली मंजूरी:-

 सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों में रणनीतिक हिस्सेदारी बेचने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने गुरुवार को इस संबंध में नीति आयोग के एक प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दी। सरकार जिन उपक्रमों में अपनी हिस्सेदारी रणनीति तरीके से बेचेगी उनमें कई पीएसयू मुनाफे में चल रहे हैं। कैबिनेट की बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संवाददाताओं से कहा कि जिन पीएसयू को रणनीतिक बिक्री के लिए चुना गया है उनके नाम उस समय सार्वजनिक किए जाएंगे जब वे नीलामी के लिए जाएंगे। जेटली ने कहा कि बैठक में विनिवेश और रणनीतिक बिक्री दोनों प्रस्तावों पर चर्चा हुई। कैबिनेट ने कुछ उपक्रमों के संबंध में नीति आयोग के प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। हालांकि उन्होंने कहा कि पीएसयू के विनिवेश के प्रस्ताव पर अलग-अलग विचार किया जाएगा। वित्त मंत्रलय का विनिवेश विभाग संबंधित मंत्रलयों के साथ इस संबंध में अलग से चर्चा करेगा। जेटली ने एक सवाल के जवाब में स्पष्ट किया कि कैबिनेट ने जिस प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दी है उसमें किसी पीएसयू को बंद करने का प्रस्ताव शामिल नहीं है। रणनीतिक बिक्री का मतलब यह है कि पीएसयू में सरकार की हिस्सेदारी घटकर 50 प्रतिशत से कम हो जाएगी। साथ ही सरकार का प्रबंधन से नियंत्रण भी हट जाएगा। जब उनसे पूछा गया कि क्या विनिवेश के लिए यह उचित समय है, जेटली ने कहा कि सभी उपक्रम महत्वपूर्ण हैं इसलिए समय के बारे में सरकार भलीभांति विचार करेगी। पीएसयू के मूल्यांकन के बारे में उन्होंने कहा कि इसके लिए पारदर्शी प्रक्रिया अपनायी जाएगी। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार चालू वित्त वर्ष के लिए तय किए गए 20,500 करोड़ रुपये के रणनीतिक बिक्री के माध्यम से जुटाने के लक्ष्य को हासिल कर लेगी, जेटली ने कहा कि सरकार ने आधे साल में ही इतना सफर तय कर लिया है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश के माध्यम से 36000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है जिसमें से 8000 करोड़ रुपये जुटाए जा चुके हैं। जेटली ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार सिर्फ इस लक्ष्य को हासिल करने की जल्दबाजी में हिस्सेदारी नहीं बेचेगी। पहली बार पीएसयू की रणनीतिक बिक्री तत्कालीन एनडीए सरकार के कार्यकाल में 1999-2000 में हुई थी। उस समय सरकार ने मॉडर्न फूड इंडस्ट्रीज की 74 प्रतिशत हिस्सेदारी 105.45 करोड़ रुपये में हिन्दुस्तान यूनीलीवर को बेची थी। आखिरी बार भी पीएसयू की रणनीतिक बिक्री वाजपेयी सरकार के दौरान 2003-04 में हुई थी। उस समय सरकार ने जेसप एंड कंपनी में 72 प्रतिशत हिस्सेदारी 18.18 करोड़ रुपये में इंडो वैगन इंजीनियरिंग को बेची थी।

28 october 2016..6. सम्मेलन में पाकिस्तानी भागीदारी का स्वागत करेगा भारत:-

 भारत का कहना है कि वह चार दिसंबर को अमृतसर में आयोजित होने वाले ‘हार्ट ऑफ एशिया’ (एचओए) सम्मेलन में पाकिस्तान की भागीदारी का स्वागत करेगा। हालांकि, पाकिस्तान की ओर से इस बाबत अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। पाकिस्तान के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज घोषणा कर चुके हैं कि उनका देश इस सम्मेलन में शिरकत करेगा। गुरुवार को विदेश मंत्रलय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया कि एचओए एक मंत्रीस्तरीय बैठक और बहुपक्षीय सम्मेलन है जिसमें अफगानिस्तान की समृद्धि के लिए शांति, विकास और आर्थिक सहयोग पर चर्चा होती है। स्वरूप ने कहा, ‘हम अमृतसर में निश्चित ही सभी देशों का स्वागत करेंगे क्योंकि हम अफगानिस्तान में शांति और समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध हैं। एचओए कुछ विशेष चीजों को आगे बढ़ाने की बेहद महत्वपूर्ण प्रक्रिया है और.. कैसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इसमें साझीदार बनाया जा सकता है।’ विदेश मंत्रलय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत इस सम्मेलन में 40 से ज्यादा देशों और संगठनों के भाग लेने की उम्मीद कर रहा है। एचओए की मेजबानी पिछले साल दिसंबर में पाकिस्तान ने की थी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इसमें शिरकत की थी।

28 october 2016....5. शी जिनपिंग : हर विभाग के चेयरमैन, मालिक किसी के नहीं:-

रात होते ही तांगशान की आग भड़कती है और हवा बासने लगते है। उत्तरी चीन के हेबेई प्रांत के इस शहर में एक लाख से ज्यादा लोग स्टील की फैक्ट्रियों में काम करते हैं और इससे ज्यादा उन कंपनियों में जो इस उद्योग की सहायक हैं। एक प्लांट के बाहर बोर्ड लगा है, 'ऊर्जा बचाएं, उत्सर्जन में कटौती करें,' भीतर भारी मशीनें गरज रही हैं। कुछ माह पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने स्टील उद्योग को उत्पादन कम करने का आदेश दिया था। इस जैसी छोटी अक्षम कंपनियों के बंद होने और बड़ी कंपनियों की कुछ भटि्टयों के बंद होने की अपेक्षा थी। फिर भी कई मिलें पूरी क्षमता से चौबीसों घंटे चल रही हैं। यह शहर तो बीजिंग के पास है, एक तरह से शी की दहलीज पर, लेकिन स्टील मिल मालिक खुलेआम उनके आदेशों की तौहीन कर रहे हैं। 
चार साल के अपने शासन में सारे महत्वपूर्ण विभागों का प्रभार लेकर, व्यक्तिगत समर्थकों का विशाल आधार खड़ा करके और सारे विरोधियों के सफाए के साथ शी पिछले कई दशकों में चीन के सबसे शक्तिशाली नेता बनकर उभरे हैं। मंत्रालयों को दरकिनार कर वे 'छोटे समूहों का नेतृत्व' कर शासन करते हैं। वे उनमें से इतने समूहों के प्रमुख हैं कि विदेशी टिप्पणीकार उन्हें 'चेयरमैन ऑफ एवरीथिंग' कहते हैं। अफवाहें तो यह भी हैं कि वे उन्हें दी गई दस साल की अवधि के आगे भी प्रभाव जमाने में लगे हैं। यह सब सुनकर लग सकता है कि वे जो चाहे वह कर सकते हैं। तांगशान की मिलें बताती हैं कि राष्ट्रपति को अपनी इच्छा के मुताबिक काम करना कभी-कभी कितना कठिन हो जाता है। वे चाहे देंग शियाओपिंग के बाद सबसे शक्तिशाली नेता हों, लेकिन इतने विशाल, विविधतापूर्ण और गहरे जमे निहित स्वार्थों के देश में कई बार वे किसी चीज के मालिक नज़र नहीं आते। वे घाघ जनरल, ताकतवर अफसरों और सार्वजनिक क्षेत्र की विशाल कंपनियों से तो निपट लेते हैं, लेकिन स्थानीय अधिकारी उनकी ताकत के आगे रोड़ा हैं। बीजिंग की चहारदीवारी से जुड़ी एक लोकप्रिय कहावत में यह तथ्य झलकता है : 'नीतियां झोंगनानहाई के बाहर नहीं जातीं'।

28 october 2016..4. 50 साल में पहली बार अमेरिका ने क्यूबा के खिलाफ वोट नहीं दिया:-

 अमेरिका ने 19 अक्टूबर 1960 को अपने पड़ोसी देश क्यूबा पर प्रतिबंध लगाए थे। तब से क्यूबा अमेरिका के धुर दुश्मन रहे सोवियत संघ और बाद में रूस के साथ रहा। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका तब से क्यूबा के खिलाफ प्रतिबंध लगवाता रहा। गुरुवार को पहली बार क्यूबा पर प्रतिबंध के सवाल पर हो रही वोटिंग में अमेरिका शामिल नहीं हुआ। अमेरिका का साथी इजरायल भी वोटिंग से दूर रहा। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 193 सदस्यों में से 191 ने क्यूबा का साथ दिया। प्रस्ताव में कहा गया था कि क्यूबा के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध समाप्त किए जाने चाहिए। 1992 के बाद से हर साल इस प्रस्ताव पर वोटिंग होती है और अमेरिका तथा इजरायल के भारी विरोध के कारण पास नहीं हो पाता था। 
राजनीतिक मायने 
क्यूबा के लिएःअमेरिका केवोटिंग से दूर रहने को क्यूबा अपनी जीत मान रहा है। उसका कहना है कि 56 साल में पूरी दुनिया समझ गई है कि अमेरिका की क्यूबा नीति विफल रही है। क्यूबा पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने से अमेरिका ही अलग थलग पड़ गया। अब वह दुनिया के किसी भी देश के साथ कारोबारी लेन-देन कर सकता है। 
अमेरिकाके लिएः रूसके बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए क्यूबा संकट हल करना जरूरी है। वरना यूरोप में अमेरिका नाटो के साथ मिल कर रूसी फौजी ताकत का मुकाबला करने में लगा रहेगा और रूस क्यूबा से होते होते हुए सीधे अमेरिका में घुस जाएगा। 
दुनियाके लिएः जोदेश अब तक अमेरिकी प्रभाव के कारण क्यूबा से कारोबारी लेन देन नहीं करते थे वे अब क्यूबा के आर्थिक विकास में योगदान देना शुरू कर सकते हैं। 
अमेरिकीचुनाव के लिए अमेरिकामें चुनाव चल रहे हैं। राष्ट्रपति ओबामा ने इससे यह संकेत दिया है कि अमेरिका की क्यूबा नीति अब पुरानी पड़ चुकी है और इससे कोई फायदा नहीं।

28 october 2016...3. पाक के बांध प्रोजेक्ट को एडीबी की ‘‘ना’:-

 बहुपक्षीय वित्तीय संगठन एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में बांध बनाने की पाकिस्तान की 14 अरब डालर की परियोजना को कर्ज सहायता देने से मना कर दिया है।विश्व बैंक ने भी दो साल पहले इस परियोजना के लिए वित्तपोषण के आवेदन को अस्वीकृत कर दिया था क्योंकि पाकिस्तान ने इसके लिए भारत से अनापत्ति प्रमाण-पत्र प्राप्त करने से मना कर दिया था। एडीबी के अध्यक्ष ताकेहीतो नकाओ ने इस्लामाबाद में कहा, ‘‘वास्तव में हमने कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई है। यह एक बहुत बड़ी परियोजना है।’ नकाओ केंद्रीय एशियाई क्षेत्रीय सहयोग (सीएआरईसी) मंच की बैठक के बाद पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार के साथ संवाददाताओं से बात कर रहे थे।यह बांध गिलगिट-बाल्टिस्तान में सिंधु नदी पर बनाया जाना है जिसमें 4,500 मेगावाट की एक पनबिजली परियोजना भी होगी। एडीबी के अध्यक्ष ने कहा कि यह पाकिस्तान में बिजली और सिंचाई सुविधाओं के विस्तार की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण परियोजना है। उन्होंने इसके वित्त-पोषण के लिए और अधिक भागीदारियां विकसित किए जाने का सुझाव दिया।डान अखबार की रपट के अनुसार एडीबी अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हमने इस परियोजना को कर्ज देने या न देने के बारे में अभी निर्णय नहीं किया है क्योंकि इसके लिए बड़े धन की जरूरत है।’ उन्होंने यह भी कहा कि एडीबी इसमें बाद में जुड़ने पर विचार कर सकता है।

28 october 2016......2. जीएमआर ने मालदीव से जीती कानूनी लड़ाई:-

 बुनियादी ढांचे के विकास से जुड़ी जीएमआर इंफ्रास्ट्रक्चर लि. की अनुषंगी इकाई जीएमआर मेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट लि. (जीएमआईएएल) ने घोषणा की कि उसने मालदीव सरकार के खिलाफ तीन सदस्यीय अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थ न्यायाधिकरण में मुकदमा जीत लिया है। इससे कंपनी को 270 मिलियन डालर (करीब 1800 करोड़ रपए) का मुआवजा मिला है।जीएमआर द्वारा यहां जारी एक बयान के अनुसार मुआवजे से परियोजना में निवेश की गई धनराशि और कर्ज की 17 फीसद रिटर्न के साथ भरपाई हो गई है। साथ ही कानूनी लड़ाई के एवज में हुए खर्च की भी वसूली हो गई है। कंपनी ने स्पष्ट किया कि न्यायाधिकरण के फैसले से जीएमआईएल को वह पूरी रकम मिल गई है जिसका मालदीव में भुगतान किया गया था।बयान के अनुसार जीएमएआईएल ने वर्ष 2010 में मालदीव सरकार और मालदीव एयरपोर्ट कंपनी लि. (एमएसीएल) के साथ स्थानीय इब्राहीम नासिर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के विकास और परिचालन के लिए समझौता किया था। मालदीव के दोनों ने पक्षों ने 29 नवम्बर, 2012 को इस करार को गलत तरीके से रद्द कर दिया।न्यायाधिकरण के फैसले के बारे में जीएमआर के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम शुरू से ही कह रहे हैं करार को तोड़ना मालदीव सरकार का गलत कदम था। न्यायाधिकरण के फैसले से हम खुश हैं।’

28 october 2016...1.कश्मीर का मसला भारत, पाक स्वयं सुलझाएं : ब्रिटेन:-

ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने कहा है कि कश्मीर को लेकर ब्रिटेन के रुख में कोई बदलाव नहीं हुआ है। यह भारत एवं पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मुद्दा है जिसे उन्हें ही आपस में सुलझाना चाहिए। पाकिस्तान में जन्मी लेबर पार्टी की सांसद यास्मीन कुरैशी ने प्रधानमंत्री के साप्ताहिक प्रश्न सत्र के दौरान हाउस ऑफ कॉमन्स में यह मुद्दा उठाया। यास्मीन ने पूछा कि क्या टेरेसा की अगले महीने की भारत यात्रा के दौरान कश्मीर मुद्दे पर बातचीत की जाएगी।ब्रिटेन की प्रधानमंत्री ने संसद में इस बात का संकेत दिया कि वह जब 6 से 8 नवम्बर के बीच भारत जाएंगी तो उस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ताओं में कश्मीर मुद्दे के एजेंडे में शामिल रहने की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा, मैं वही रुख अपनाऊंगी जो सरकार ने सत्ता में आने के बाद से और पहले भी अपनाया है। यह रुख है कि कश्मीर ऐसा मुद्दा है जिससे भारत एवं पाकिस्तान को निपटना चाहिए और उसे सुलझाना चाहिए। कुरैशी पश्चिमोत्तर इंग्लैंड के बोल्टन निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में पाकिस्तानी मूल के लोग रहते है। उन्होंने सदन में प्रश्न किया, क्या प्रधानमंत्री मेरे और अन्य दलों के सहयोगियों के साथ मुलाकात करके जैसा कि 1948 में संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव बताया गया था, कश्मीर के आत्म निर्णय के उस मुद्दे और मानवाधिकार उल्लंघनों पर बातचीत करेंगी और क्या वह भारत के प्रधानमंत्री के समक्ष इस मुद्दे को उठा सकती हैं? टेरेसा ने किसी भी बैठक को खारिज करते हुए कहा, विदेश सचिव बोरिस जॉनसन ने उनके अभिवेदन को सुना है और मुझे भरोसा है कि वह कुरैशी से उन मुद्दों पर बात करेंगे। ब्रिटेन की प्रधानमंत्री द्विपक्षीय यात्रा के लिए 6 नवम्बर को नई दिल्ली पहुंचेंगी। वह मोदी के साथ भारत-ब्रिटेन तकनीक शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करने के अलावा बेंगलुरू जाने से पहले अपने भारतीय समकक्ष के साथ वार्ता करेंगी।

27 october 2016....6. कॉमन सिविल कोड पर कवायद शुरू:-

समान नागरिक संहिता के विवादास्पद मुद्दे पर विचार विमर्श के दायरे का विस्तार करते हुए विधि आयोग ने सभी राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय राजनीतिक दलों से अपनी राय साझा करने का आह्वान किया है और उसने इस विषय पर संवाद के लिए उनके प्रतिनिधियों को निमंत्रित करने की योजना बनाई है। आयोग ने इस विषय पर राजनीतिक दलों को प्रश्नावली भेजी है और उनसे 21 नवंबर तक अपनी राय भेजने को कहा है। सात अक्टूबर को भेजी गई विधि आयोग की इस प्रश्नावली में लोगों से क्या तीन बार तलाक कहने की प्रथा खत्म की जानी चाहिए, क्या समान नागरिक संहिता ऐच्छिक होनी चाहिए, जैसे संवदेनशील मुद्दे पर शायद पहली बार उनकी राय मांगी गई है। चुनाव आयोग में सात दल राष्ट्रीय स्तर पर और 49 दल क्षेत्रीय स्तर पर पंजीकृत हैं। राष्ट्रीय राजनीतिक दलों में भाजपा, कांग्रेस, बसपा, राकांपा, भाकपा, माकपा और तृणमूल कांग्रेस हैं।विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) डा. बीएस चौहान ने सभी राजनीतिक दलों को लिखे पत्र में कहा है, ‘‘आयोग ने कई दौर की र्चचा के बाद यह समझने के लिए एक प्रश्नावली तैयार की है कि आम लोग समान नागरिक संहिता के बारे में क्या महसूस करते हैं?’ उन्होंने लिखा, ‘‘चूंकि राजनीतिक दल किसी भी सफल लोकतंत्र के मेरूदंड हैं, अतएव, इस प्रश्नावली के संदर्भ में सिर्फ उनकी राय ही नहीं बल्कि इससे संबंधित उनके विचार भी बहुत महत्वपूर्ण है।’ इस मुद्दे पर अधिकाधिक विचार-विमर्श के प्रयास के तहत चौहान ने राजनीतिक दलों से इस विषय पर अपने विचार बताने को कहा है। आयोग ने कहा है कि वह इस विवादास्पद विषय पर संवाद के लिए बाद में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित करेगा। उसके अध्यक्ष ने कहा, ‘‘आपका सहयोग आयोग को समान नागरिक संहिता पर त्रुटिहीन रिपोर्ट लाने में सहयोग पहुंचाएगा।’ कुछ दिन पहले चौहान ने मुख्यमंत्रियों से अल्पसंख्यक संगठनों, राजनीतिक दलों एवं सरकारी विभागों को उसकी प्रश्नावली पर जवाब देने के वास्ते उत्साहित करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने की अपील की थी। सभी मुख्यमंत्रियों को भेजे पत्र में चौहान ने उनसे अपने राज्यों में संबंधित पक्षों जैसे अल्पसंख्यक संगठनों, राजनीतिक दलों, गैर सरकारी संगठनों, सिविल सोसायटियों और सरकारी संगठनों एवं एजेंसियों को आयोग के साथ अपना विचार साझा करने का आग्रह किया था।

27 october 2016...5. अब आएगा दो हजार का नोट!:-

 केंद्र सरकार काला धन निकालने के लिए जल्द ही नया कदम उठा रही है, जिसके लिए वह दो हजार रुपये का नोट जारी करने की तैयारी में है। आरबीआइ जल्द ही हाई सिक्योरिटी फीचर वाले दो हजार रुपये का नोट प्रचलन में ला सकती है। इसके साथ ही जाली नोटों पर अंकुश लगाने के लिए एक हजार व पांच सौ रुपये के नोटों को अब जारी न रखने पर विचार हो सकता है। आरबीआइ ने नकली नोटों के प्रति सतर्कता बरतने के लिए भी लोगों से अपील की है। माना जा रहा है कि आय घोषणा योजना 2016 में घोषित आय को नाकाफी मानते हुए सरकार यह रुख अपना रही है। सूत्रों का कहना है कि इसकी तैयारी हो चुकी है। आरबीआइ ने दो हजार रुपये के हाई सिक्योरिटी फीचर वाले नोट छपने के लिए दे दिए हैं। जल्द ही यह नोट बाजार में दिख सकते हैं। प्रेट्र के अनुसार नकली नोटों के प्रचलन से चिंतित आरबीआइ ने लोगों से अपील की है कि वे 500 और 1000 रुपये के नोट लेने से पहले उनकी अच्छे से परख कर लें। आरबीआइ इससे पहले दस हजार रुपये का नोट भी छाप चुका है। 1935 में स्थापना के बाद आरबीआइ ने 1938 में दस हजार रुपये मूल्य का नोट छापा था। इसे 1946 में वापस ले लिया गया था। 1954 में भी दस हजार रुपये के नोट छापे गए थे जो 1978 तक चले।

27 october 2016...4. कारोबार सुगमता पर विश्व बैंक की रैंकिंग से भारत निराश:-

 भारत ने इस बात पर निराशा जताई कि विश्व बैंक ने कारोबार सुगमता रिपोर्ट में केंद्र और राज्यों द्वारा किए जा रहे प्रयासों और सुधारों के प्रभाव को शामिल नहीं किया। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं इससे कुछ निराश हूं। न केवल भारत सरकार बल्कि प्रत्येक राज्य भी इसमें सक्रि य रूप से शामिल है और स्थिति को सुधारने का प्रयास कर रहा है।’हालांकि, मंत्री ने स्पष्ट किया कि वह रिपोर्ट की आलोचना नहीं कर रही हैं। अब हम अधिक केंद्रित तरीके और तेजी से भारत की रैंकिंग में सुधार के लिए काम करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘इससे मुझे यह संदेश मिला है कि अब हमें अधिक ध्यान देना होगा और हम जो कर रहे हैं उसे अधिक तेजी से करना होगा।’ विश्व बैंक की ताजा ‘‘कारोबार सुगमता 2017’ रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग पिछले साल की मूल रैंकिंग या स्थान 130 पर कायम रखी गई है। इसमें विभिन्न मानदंडों पर 190 अर्थव्यवस्थाओं का आकलन किया गया है। हालांकि, पिछले साल की रैंकिंग को अब संशोधित कर 131 कर दिया गया है। इस लिहाज से पिछले साल की तुलना में भारत की स्थिति में एक स्थान का सुधार हुआ है। अब उनका मंत्रालय राज्यों तथा उद्योगों को सुधार उपायों के बारे में जानकारी देने को अधिक सक्रि यता से काम करेगा। उन्होंने कहा कि कुछ सुधार मसलन वाणिज्यिक अदालतों का गठन संभवत: विश्व बैंक की पण्राली में शामिल नहीं हुआ। क्योंकि यह विभिन्न तारीखों तथा राज्यों में हुआ। सीतारमण ने कहा, ‘‘हालांकि, मैं बहुत हतोत्साहित नहीं हूं, यह निराशाजनक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कारोबार सुगमता की रैंकिंग में 50वें स्थान पर आने के लक्ष्य पर उन्होंने कहा कि यह अभी भी कायम है।

27 october 2016...3. स्टार्टअप के मामले में भारत नंबर तीन पर : वर्ष 2020 तक देश में होंगे 10500 स्टार्टअप:-

देश में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए किए गए उपायों के बल पर भारत इस मामले में दुनिया में तीसरे पायदान पर पहुंच गया है।सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनियों के शीर्ष संगठन नासकाम और जिनोव की रिपोर्ट ‘‘इंडियन स्टार्टअप इकोसिस्टम मैच्योरिंग-2016’ के मुताबिक भारत में स्टार्टअप के अनुकूल माहौल बने रहने से वर्ष 2020 तक यहां 10,500 से अधिक स्टार्टअप हो जाएंगे। स्टार्टअप के अनुकूल माहौल का इसी बात से पता चलता है कि लगभग चार अरब डालर के फंड से यहां लगभग 650 स्टार्टअप शुरू हुए हैं।यह रिपोर्ट नासकाम के एक कार्यक्रम के इतर जारी की गई। इस मौके पर नासकाम अध्यक्ष सीपी गुरनामी और प्रेसीडेंट आर. चंद्रशेखर भी मौजूद थे। रिपोर्ट के मुताबिक इस साल पिछले वर्ष की तुलना में आठ से दस प्रतिशत अधिक 1400 नए स्टार्टअप बनने का अनुमान है। इस साल 80 से अधिक विलय एवं अधिग्रहण का अनुमान है, जिनमें से 60 से अधिक सफलतापूर्वक संपन्न हो चुके हैं।भारतीय स्टार्टअप ने लगभग 95 प्रतिशत समझौते किए हैं। भारतीय स्टार्टअप में एक लाख से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। भारत में सबसे अधिक स्टार्टअप बेंगलुरु, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और मुम्बई में हैं। निवेशक स्वास्य से जुड़ी प्रौद्योगिकी, वित्त क्षेत्र से जुड़ी प्रौद्योगिकी और शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी प्रौद्योगिकी में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं।

27 october 2016..2. चाबहार के बाद ईरान के गैस ब्लॉक पर भारत का दांव:-

 ईरान और भारत के बीच रणनीतिक व आर्थिक रिश्ते अब और प्रगाढ़ होने लगे हैं। ईरान के चाबहार पोर्ट में भारत अरबों डॉलर का निवेश कर ही रहा है और अब उसने वहां के एक बड़े पेट्रोलियम ब्लॉक फरजाद बी में भी भारी भरकम निवेश करने की योजना बना ली है। वैसे यह योजना तो पुरानी है लेकिन अब ईरान सरकार ने भी इसे तकरीबन हरी झंडी दिखा दी है। फरवरी, 2017 तक दोनों देशों के बीच इस बारे में समझौता हो जाने के आसार है। फरजाद-बी गैस फील्ड ईरान के सबसे बड़े गैस फील्ड में शामिल है। इसमें भी 200 खरब घन फीट गैस भंडार होने की संभावना है।
फरजाद बी गैस फील्ड को लेकर ईरान और भारत के बीच अहम सहमति बनी है। बैठक तेहरान में पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रलय और विदेश मंत्रलय के आला अधिकारियों और ईरान के डिप्टी पेट्रोलियम मंत्री की अगुवाई में हुई। बैठक में सरकारी पेट्रोलियम कंपनी ओएनजीसी के अधिकारी भी उपस्थित थे। वैसे इस सौदे की जमीन पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अप्रैल, 2016 में अपनी तेहरान यात्रा के दौरान ही रख दी थी। तब प्रधान की ईरान के पेट्रोलियम मंत्री बिजान नामदार जंगनेह के साथ उनकी मुलाकात हुई और फरजाद बी में भारतीय कंपनियों की तरफ से निवेश के प्रस्ताव पर काफी बात हुई थी।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक फरजाद बी में किया जाने वाला निवेश देश की सरकारी कंपनियों की तरफ से बाहर किये गये सबसे बड़े निवेशों में शामिल होगा। ओएनजीसी विदेश ने इस फील्ड के विकास संबंधी प्रस्ताव को तैयार कर लिया है। इसे ईरान के अधिकारियों के साथ मिल कर अंतिम रूप दिया जा रहा है। ओएनजीसी इस फील्ड के गैस के लिए एक विशेष कीमत फार्मूला भी तैयार कर रहा है।
दोनों पक्षों के बीच यह सहमति बन गई है कि फरवरी, 2017 तक इस बारे में अंतिम समझौता कर लिया जाएगा। भारत की तरफ से यह निवेश ओएनजीसी विदेश, इंडियन ऑयल और ऑयल इंडिया लिमिटेड का कंसोर्टियम करेगी। उल्लेखनीय तथ्य यह है कि भारत ने इस तेल व गैस क्षेत्र में सबसे पहले निवेश का प्रस्ताव पूर्व एनडीए सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2002 में किया था। 
सूत्रों की मानें तो अगर फरवरी-मार्च, 2017 में भारत व ईरान के बीच समझौता हो जाता है तो इस पर भारतीय कंपनियां वर्ष 2017-18 के मध्य में काम शुरू कर सकती हैं। इसके बाद तीन वर्ष बाद भारत में इस ब्लाक से गैस आना शुरू हो सकता है। भारत इस गैस का इस्तेमाल ईरान में विकसित किये जा रहे चाबहार आर्थिक क्षेत्र में भी कर सकता है।

27 october 2016...1.एनएसजी पर भारत को रचनात्मक सहयोग देगा न्यूजीलैंड:-

 न्यूजीलैंड ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता हासिल करने में भारत को रचनात्मक सहयोग का आश्वासन दिया है। पीएम नरेंद्र मोदी के साथ बुधवार को यहां मुलाकात के दौरान न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री जॉन की ने यह भरोसा दिया। इस मौके पर दोनों नेताओं ने भारत और न्यूजीलैंड के बीच रक्षा, व्यापार और सुरक्षा क्षेत्र में रिश्ते मजबूत करने पर रजामंदी जताई। मोदी और जॉन की ने इस मुलाकात के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को भी संबोधित किया। मोदी ने इस दौरान एनएसजी सदस्यता हेतु भारत के प्रयासों में रचनात्मक सहयोग के आश्वासन के लिए न्यूजीलैंड को धन्यवाद दिया। न्यूजीलैंड ने हालांकि बहुत स्पष्ट शब्दों में इस मुद्दे पर भारत के समर्थन का एलान नहीं किया है। की ने कहा कि न्यूजीलैंड जितना जल्द हो सके 48 सदस्यीय एनएसजी समूह में इस मुद्दे पर सलाह-मशविरा पूरा करने पर काम कर रहा है। उल्लेखनीय है कि न्यूजीलैंड उन देशों में शामिल है जिनकी राय है कि जिन देशों ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तखत नहीं किए हैं, उन्हें एनएसजी की सदस्यता नहीं दी जानी चाहिए। भारत ने एनपीटी पर दस्तखत नहीं किए हैं। मोदी और जॉन की के बीच अहम बैठक के बाद भारत और न्यूजीलैंड में बुधवार को तीन द्विपक्षीय समझौते हुए। इनमें दोहरे कराधान से बचाव और वित्तीय चोरी को रोकने के समझौते शामिल हैं। दोनों देशों में विदेश मंत्री स्तरीय बातचीत के अलावा साइबर मामले में सूचनाओं के आदान-प्रदान पर भी सहमति बनी है। संवाददाता सम्मेलन में जॉन की ने ‘नमस्ते’ और ‘सत श्री अकाल’ कहकर अपना संबोधन शुरू किया। उन्होंने कहा, व्यापार हो या क्रिकेट न्यूजीलैंड और भारत का रिश्ता गहरा है।

26 october 2016...6. दलहन, तिलहन की उत्पादकता बढ़ाने पर जोर:-



कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने दलहन और तिलहन के मामले में आत्मनिर्भर होने के लिए इनकी उत्पादकता में वृद्धि करने पर जोर दिया है। राधामोहन सिंह ने मंगलवार को कृषि मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि दलहन और तिलहन का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर मंत्रालय काम कर रहा है। परिषद ने चार अनुसंधान केन्द्रों में तिलहनों की नौ किस्मों पर अनुसंधान परियोजना चला रखी है। जलवायु परिवर्तन को देखते हुए तिलहनों के लिए बेहतर प्रौद्योगिकी विकसित की गई है, जो इसकी फसल को बहुत अच्छा उत्पादन देने में सक्षम है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि तिलहनों की नौ विकसित की जा रही किस्मों से इनकी उत्पादकता में वृद्धि होगी। राधामोहन सिंह ने कहा कि दलहनों की विभिन्न किस्मों के अलावा देश में पाम और नारियल से भी खाद्य तेल तैयार किए गए हैं । कुछ वनस्पतियों से भी खाद्य तेल तैयार किया जा रहा है। मूंगफली, सरसों, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल आदि का भी खाद्य तेल के रूप में उपयोग होता है।देश में तिलहनों के कुल उत्पादन में सोयाबीन की हिस्सेदारी 36 प्रतिशत है जबकि मूंगफली, सरसों, तिल व सूरजमुखी का भी अच्छा उत्पादन है। देश में खाद्य तेलों की खपत सालाना 4.3 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है जबकि उत्पादन 2.2 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। इस अंतर को पाटने के लिए 50 प्रतिशत से अधिक खाद्य तेलों का आयात किया जाता है, जिस पर 69 717 करोड़ खर्च किए जाते हैं ।दलहनों के संबंध में कृषि मंत्री ने कहा कि उच्च उत्पादकता वाली दाल की किस्मों का विकास किया जा रहा है। इस दिशा में भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर कृषि विविद्यालयों, राज्यों के कृषि विभाग और अन्य संस्थानों के साथ समन्वय कर रहा है। उच्च उत्पादकता और कीट प्रतिरोधी दलहनों की किस्मों का विकास किया गया है। किसानों के खेतों पर अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन किया गया है ताकि किसान इसकी खेती की नवीनतम विधि की जानकारी हासिल कर सकें।

26 october 2016...5. हिन्दुत्व मसले पर गौर नहीं करेगा सुप्रीम कोर्ट:-

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि वह इस समय हिन्दुत्व या इसके तात्पर्य से जुड़े मसले पर गौर नहीं करेगा। न्यायालय ने यह भी कहा कि वह इस मसले पर 1995 के शीर्ष अदालत के निर्णय पर न तो पुनर्विचार करेगा और न ही हिन्दूत्व या धर्म के पहलू पर गौर करेगा। प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय संविधान पीठ इस समय ‘‘हिन्दुत्व’ पर फैसले के नाम से चर्चित शीर्ष अदालत के 1995 के फैसले से जुड़े चुनावी कदाचारों से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा है। संविधान पीठ ने स्पष्ट किया कि वह इस चरण में धर्म के मुद्दे पर गौर नहीं करेगी।संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल, न्यायमूर्ति उदय यू ललित, न्यायमूर्ति धनंजय वाय चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव शामिल हैं। पीठ ने कहा, इस समय हम विचार के लिये भेजे गए मुद्दे तक खुद को सीमित रखेंगे। हमारे पास भेजे गये मामले में ‘‘हिन्दुत्व’ शब्द का कोई जिक्र नहीं है। यदि कोई यह दिखायेगा कि ‘‘हिन्दुत्व’ शब्द का इसमें जिक्र है तो हम उसे सुनेंगे।

26 october 2016...4. घाटी में गतिरोध खत्म करने की कवायद शुरू : यशवंत सिन्हा के नेतृत्व में गिलानी से मिला शिष्टमंडल:-

 जम्मू कश्मीर में आतंकवादी बुरहान वानी की मौत के बाद तीन महीने से चल रहा गतिरोध खत्म करने के प्रयास के तहत भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा के नेतृत्व में नागरिक समाज के पांच सदस्यीय शिष्टमंडल ने मंगलवार को कट्टरपंथी हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी से हैदरपोरा स्थित उनके आवास पर मुलाकात की। गिलानी के साथ बैठक से पहले सिन्हा ने बताया कि वे यहां किसी शिष्टमंडल के रूप में नहीं आए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमलोग सद्भावना और मानवता के आधार पर यहां आए हैं। इसका लक्ष्य लोगों के दुख दर्द और कष्टों को साझा करना है। अगर हम ऐसा कर सके तो खुद को धन्य महसूस करेंगे।’ दल के मीरवाइज उमर फारूक और मोहम्मद यासिन मलिक जैसे अन्य अलगाववादी नेताओं से मिलने के बारे में पूछे जाने पर सिन्हा ने कहा कि वे हर किसी से मिलने की कोशिश कर रहे हैं। दौरे के समय को लेकर सवाल पूछे जाने पर पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘यह बहुत शाश्वत प्रश्न है कि आपने ऐसा पहले क्यों नहीं किया। हमलोग इसे काफी उपयुक्त समय पर कर रहे हैं।’ अलगाववादियों से कोई आमंतण्रमिलने के संबंध में पूछे जाने पर सिन्हा ने बताया, ‘‘हमें कोई आमंतण्र(गिलानी से) नहीं मिला। हमने उनसे आग्रह (बैठक के लिए) किया था और हम उन्हें देखने जा रहे हैं।’ शिष्टमंडल के अन्य सदस्यों में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्ला, पूर्व एयर वाइस-मार्शल कपिल काक, पत्रकार भारत भूषण और सेंटर फॉर डायलॉग एंड रिकॉन्सिलिएशन की सुशोबा बव्रे शमिल थे। बहरहाल, शिष्टमंडल का उदारवादी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस नेता मीरवाइज उमर फारूक से भी मिलना निर्धारित है। मीरवाइज को सोमवार रात चश्मा-साहिब उप-जेल से रिहा किया गया था। उन्हें 27 अगस्त से इसी जेल में रखा गया था।

26 october 2016......3. जीएसटी दरों को अंतिम रूप अगले माह:-

आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकान्त दास ने जोर देकर कहा है कि सरकार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को अगले वित्त वर्ष से क्रि यान्वित करने को लेकर प्रतिबद्ध है। उन्होंने उम्मीद जताई कि राजस्व की दृष्टि से जीएसटी की निरपेक्ष दरों पर अगले महीने फैसला हो जाएगा।दास ने यहां उद्योग मंडल एसोचैम के एक कार्यक्र म में कहा, ‘‘दर ढांचे पर फिलहाल जीएसटी परिषद और सार्वजनिक रूप से काफी विचार-विमर्शचल रहा है। नवंबर के पहले सप्ताह में जीएसटी परिषद की बैठक में इसे सुलझा लिया जाएगा। एक या दो बैठकों में हम इसको लेकर निष्कर्ष पर पहुंच जाएंगे।’ आलोचनाओं को खारिज करते हुए दास ने कहा कि दर ढांचे को बेहद व्यावहारिक आधार पर तैयार किया जा रहा है। उन्होेंने कहा कि दर आवश्यक रूप से राजस्व की दृष्टि से निरपेक्ष होनी चाहिए। आप ऐसा दर ढांचा नहीं बना सकते जिसमें सरकारों को भारी घाटा झेलना पड़े। ऐसे में जीएसटी दरों पर इस तरीके से काम किया जा रहा जिससे कि ज्यादातर उत्पाद मानक दर 18 प्रतिशत के दायरे में आएं।उन्होंने कहा कि जो उत्पाद बेहद महत्वपूर्ण हैं और विभिन्न वगरें के लोगों तथा आम आदमी द्वारा जिनका इस्तेमाल किया जाता है, के लिए जीएसटी दर छह प्रतिशत रखने का प्रस्ताव है। इसके अलावा 12 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दर का प्रस्ताव है। अहितकर उत्पादों के लिए अधिक ऊंची दर का प्रस्ताव है।पी. चिदंबरम ने जीएसटी के लिए बहु दर ढांचे के प्रस्ताव को ‘‘घातक’ बताया था। दास ने जोर देकर कहा कि दिवाला कानून के साथ जीएसटी से भारतीय अर्थव्यवस्था में काफी गतिशीलता आएगी।

26 october 2016......2. कारोबारी सुगमता पर विश्व बैंक की रिपोर्ट में भारत 130वें स्थान पर:-

कारोबारी सुगमता को लेकर विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट में भी भारत पिछले साल की तरह 130वें स्थान पर बना हुआ है। रिपोर्ट पर नाखुशी व्यक्त करते हुए केंद्र सरकार का कहना है कि इसे तैयार में उसके शुरू किए दर्जनभर सुधारों को शामिल नहीं किया गया।
विश्व बैंक की इस रिपोर्ट में 190 अर्थव्यवस्थाओं का विभिन्न मानकों पर मूल्यांकन किया है। हालांकि, भारत की पिछले साल की रैंकिंग को संशोधित करके 131 कर दिया गया है। इस लिहाज से भारत की रैंकिंग में एक स्थान का सुधार हुआ है। औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग (डीआइपीपी) के सचिव रमेश अभिषेक ने कहा कि दिवालियापन संहिता बनाने, जीएसटी, निर्माण योजना की मंजूरी के लिए एकल खिड़की व्यवस्था, ईएसआइसी और ईपीएफओ पंजीकरण की ऑनलाइन व्यवस्था जैसे करीब दर्जनभर महत्वपूर्ण सुधारों को इस साल विश्व बैंक ने स्वीकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि सुधारों को आगे बढ़ाने, संबंधित पक्षों से विचार-विमर्श करने और सुधारों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए विभाग एक बाहरी एजेंसी को नियुक्त करेगा। इसके अलावा सुधारों के कार्यान्वयन में शामिल विभागों से प्रेक्षकों की नियुक्ति के लिए भी कहा जाएगा। वे व्यापार और उद्योग जगत की प्रतिक्रियाएं हासिल करेंगे जिससे ये पता चल सके कि सुधारों को जमीनी स्तर पर महसूस किया जा रहा है अथवा नहीं।

26 october 2016....1.भारत, बहरीन ने आतंकवाद की निंदा की,‘‘सभी के लिए’ संकट करार दिया:-

1.भारत, बहरीन ने आतंकवाद की निंदा की,‘‘सभी के लिए’ संकट करार दिया:- भारत और बहरीन ने मंगलवार को आतंकवाद की निन्दा की और इसे सभी देशों के लिए ‘‘संकट’ करार दिया तथा कहा कि किसी एक देश के आतंकवादी को दूसरे देश द्वारा स्वतंत्रता सेनानी के रूप में महिमामंडित नहीं किया जा सकता। स्पष्टत: यह बात पाकिस्तान द्वारा हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी की पाकिस्तान द्वारा तारीफ किए जाने के संदर्भ में कही गई।गृहमंत्री राजनाथ सिंह तथा बहरीन के गृहमंत्री राशिद बिन अब्दुल्ला अल खलीफा के बीच यहां हुई बैठक के बाद जारी एक बयान में कहा गया कि दोनों देश हर तरह के आतंकवाद के खिलाफ अपने कड़े रुख पर सहमत हुए। इसमें कहा गया कि ‘‘आतंकवाद सभी देशों तथा समुदायों के लिए एक संकट है।’ राशिद ने कहा कि बहरीन आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में और पारस्परिक तक्षा क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करने में भारत के साथ मिलकर काम करने को लेकर आशान्वित है।बयान में कहा गया, ‘‘भारत और बहरीन आतंकवाद को किसी नस्ल, धर्म या संस्कृति से जोड़े जाने के खिलाफ हैं। दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि किसी एक देश के आतंकवादी को किसी दूसरे देश द्वारा स्वतंत्रता सेनानी के रूप में महिमामंडित नहीं किया जा सकता।’ बयान में कहा गया, ‘‘दोनों पक्षों ने सभी देशों से अन्य देशों के खिलाफ आतंकवाद के इस्तेमाल को खारिज करने, किसी देश के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने तथा आतंकवादी ढांचा जहां भी हो, उसके खिलाफ लड़ने का आह्वान किया।’ संयुक्त बयान राजनाथ द्वारा बहरीन के शीर्ष नेतृत्व को यह कहे जाने के एक दिन बाद जारी किया गया कि पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद को ‘‘राज्य की नीति’ के रूप में इस्तेमाल किया जाना चिंता का विषय है तथा सीमा पार से उकसावा जम्मू कश्मीर में वर्तमान अशांति के पीछे का मुख्य कारण है ।खाड़ी देश की तीन दिन की यात्रा पर आए गृहमंत्री ने राशिद को यह भी बताया कि पाक ने मुठभेड़ में मारे गए हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी वानी का खुलकर समर्थन किया। उन्होंने कहा कि यह पाक में आतंकवादियों और उनके समर्थकों के लगातार खुलेआम घूमने के बारे में संकेत देता है। बहरीन इस्लामी सम्मेलन संगठन का महत्वपूर्ण सदस्य है। पाक भी इसका सदस्य है।संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष आतंकवाद रोधी समझौते को सक्रि यता से क्रि यान्वित करने पर सहमत हुए जिसके लिए एक संयुक्त समिति गठित की गई। भारत और बहरीन ने समझौते के नियमों के अनुरूप समिति की नियमित बैठकें करने का फैसला किया। दोनों पक्ष आतंकवाद संबंधी जारी जांचों पर सूचना के आदान-प्रदान में सहयोग, आतंकवाद और मादक पदार्थ तस्करी सहित संगठित अपराधों की जारी जांचों में सूचना के आदान-प्रदान तथा आतंकवाद के वित्तपोषण पर सूचना के आदान-प्रदान और आतंकवाद से संबंधित धन को दोनों देशों के नियमों के अनुसार जब्त करने पर भी सहमत हुए।

Sunday, 21 August 2016

12 Aug 2016..5. 12 के बजाए 26 सप्ताह के मातृत्व अवकाश को रास की मंजूरी:-

 मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करने के प्रावधान वाले एक महत्वपूर्ण विधेयक को बृहस्पतिवार को राज्यसभा की मंजूरी मिल गई। श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने प्रसूति प्रसुविधा (संशोधन) विधेयक 2016 पर हुई र्चचा के जवाब में कहा कि कामकाजी महिलाओं की आवश्यकताओं को देखते हुए इसमें यह प्रावधान किया गया है। विधेयक में मातृत्व अवकाश की अधिकतम अवधि 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह किए जाने का प्रावधान किया गया है ताकि माताएं अपने बच्चों की बेहतर देखभाल कर सकें। दो बच्चों के मामलों में यह सुविधा 26 सप्ताह की होगी। इसके बाद यह सुविधा 12 हफ्ते की होगी। साथ ही प्रसूति सुविधाएं किसी ‘‘अधिकृत माता’ या ‘‘दत्तक माता’ के लिए भी होंगी जो वे बालक के हस्तगत करने की तारीख से 12 सप्ताह की प्रसूति लाभ की हकदार होंगी।इससे पूर्व दत्तात्रेय ने कहा कि प्रसूता मां और बच्चों को बेहतर जीवन प्रदान करना एक बहुत ही गंभीर और महत्वपूर्ण मुद्दा है तथा यह विधेयक इस दिशा में काफी मददगार साबित होगा। उन्होंने कहा कि विधेयक का उद्देश्य है कि कार्यबल और कार्मिक बल में महिलाओं की संख्या बढ़ाई जाए। संशोधनों से 18 लाख महिलाओं को लाभ होगा। प्रसूति अवकाश के दौरान वेतन भी मिलेगा और तीन हजार रपए का मातृत्व बोनस भी दिया जाएगा। 26 सप्ताह के प्रसूति अवकाश की सुविधा दो बच्चों के मामले में ही लागू होगी और अन्य मामलों में यह सुविधा 12 सप्ताह की ही रहेगी।50 से ज्यादा कर्मचारी वाले संस्थान को रखनी होगी क्रेच की व्यवस्था : मंत्री ने कहा कि 50 या अधिक कर्मचारी रखने वाले संस्थानों को शिशुओं के लिए क्रेच की सुविधा भी रखनी होगी जहां कोई भी मां चार बार अपने बच्चे से मिलने के लिए जा सकेगी। कोई भी नियोक्ता न तो कानून का उल्लंघन कर पाएगा और न ही इस वजह से किसी को निकाल पाएगा। अवकाश के मामले में भारत का तीसरा स्थान : मातृत्व अवकाश के बारे में भारत का दुनिया में तीसरा स्थान है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका में 12 सप्ताह का मातृत्व अवकाश दिया जाता है। मेक्सिको में 15, स्पेन में 16, फ्रांस में 16, ब्रिटेन में 20, नॉव्रे में 44 और कनाडा में 50 सप्ताह का मातृत्व अवकाश दिया जाता है। असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं के मामले में भी गौर हो : इससे पूर्व विधेयक पर हुयी र्चचा में लगभग सभी दलों ने विधेयक के प्रावधानों का स्वागत किया और किराए की कोख वाली माताओं को भी इसका लाभ देने पर प्रबल दिया। इसके अलावा उन्होंने असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं और के मुद्दों पर भी गौर करने का आग्रह किया। र्चचा में कई सदस्यों ने पितृत्व अवकाश का भी प्रावधान किए जाने का आग्रह किया।

12 Aug 216..4. 6 और आईआईटी को मिली मंजूरी:

- जम्मू और तिरूपति जैसे स्थानों पर छह नए आईआईटी की स्थापना की जाएगी औीर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस संबंध में मंजूरी दे दी है। प्रणब ने मंगलवार को ‘‘प्रौद्योगिकी संस्थान (संशोधन) अधिनियम, 2016’ को मंजूरी दे दी। इस अधिनियम के तहत पलक्कड (केरल), गोवा, धारवाड़ (कर्नाटक) और भिलाई में भी आईआईटी शुरू किए जाएंगे।इस कानून के दायरे में इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स :आईएसएम:, धनबाद भी आया है। आईएसएम को अब इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी :आईएसएम:, धनबाद के नाम से जाना जाएगा। इसमें नए और पुराने दोनों नामों का समावेश किया गया है। अधिनियम के अनुसार ये तमाम संस्थान राष्ट्रीय महत्व के संस्थान होंगे। लोकसभा ने गत 25 जुलाई को ‘‘प्रौद्योगिकी संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2016’ पारित किया था। दो अगस्त को इसे राज्यसभा की मंजूरी मिल गई। राष्ट्रपति ने आंध्रप्रदेश में एक एनआईटी की स्थापना के लिए कानून को मंजूरी दे दी। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान :संशोधन: अधिनियम, 2016 के तहत यह संस्थान राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में काम करेगा।

12 Aug 2016..3. जीएसटी लागू होने पर खत्म हो सकते हैं सेस:-

 बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने पर स्वछ भारत सेस और कृषि कल्याण सेस खत्म हो सकते हैं। फिलहाल ये दोनों सेस सेवा कर पर लगाए जाते हैं और माना जा रहा है कि एक अप्रैल 2017 से जीएसटी लागू होने पर सरकार इन्हें खत्म कर देगी। जीएसटी के अमल में आने के बाद सेस लगाए जाएंगे या नहीं, इसका फैसला केंद्र सरकार नहीं बल्कि जीएसटी काउंसिल करेगी। सूत्रों ने कहा कि केंद्र और राज्यों के अन्य परोक्ष करों की तरह सेस भी समाप्त हो जाएंगे। इससे कर नियमों का पालन करने में कारोबारियों को सुगमता रहेगी। केंद्र सरकार फिलहाल कई प्रकार के सेस लगाती है। सेवा कर पर लगने वाले कृषि कल्याण सेस और स्वच्छ भारत सेस से चालू वित्त वर्ष में सरकार ने 15,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। इसी तरह कोयला के उत्पादन पर स्वच्छ पर्यावरण सेस लगाया जाता है। सरकार ने इससे 26,148 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। सूत्रों ने कहा कि जीएसटी के लागू होने के बाद सरकार को अगर सेस लगाने की जरूरत पड़ती है तो इसका फैसला केंद्र नहीं बल्कि जीएसटी काउंसिल करेगी जिसमें सभी राज्यों के वित्त मंत्री बतौर सदस्य शामिल होंगे। इस समिति की सहमति के बिना कोई नया सेस लागू नहीं किया जा सकेगा। हालांकि सेस किसी विशेष प्रयोजन से लागू किया जाता है, ऐसे में भविष्य में अगर कोई ऐसी विशिष्ट आवश्यकता खड़ी होती है तो जीएसटी काउंसिल यह फैसला करेगी। उल्लेखनीय है कि सरकार ने एक अप्रैल 2017 से जीएसटी लागू करने का लक्ष्य रखा है। इसके लागू होने पर केंद्र सरकार के केंद्रीय उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, सेवा कर, अतिरिक्त सीमा शुल्क, विशेष अतिरिक्त सीमा शुल्क और रायों के वैट, मनोरंजन कर, केंद्रीय बिक्री कर, चुंगी और प्रवेश कर, क्रय कर, विलासिता कर और लॉटरी तथा सट्टेबाजी पर कर जैसे कई प्रकार के परोक्ष टैक्स समाप्त हो जाएंगे। जीएसटी के लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक संसद ने पारित कर दिया है। अब इसे राज्यों के विधानमंडलों के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है। 50 प्रतिशत राज्य विधानमंडलों की मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति इसे मंजूरी देकर अधिसूचना जारी कर देंगे जिसके बाद जीएसटी काउंसिल गठित करने का रास्ता तैयार हो जाएगा। यही काउंसिल जीएसटी की दरें तय करने और सेस लगाने जैसे मुद्दों पर फैसला करेगी।

12 Aug 2016.2. नागरिकता संशोधन विधेयक : संसद की संयुक्त समिति विचार करेगी:-

 पड़ोसी देश से आए शरणार्थियों को राहत प्रदान करने के वायदे को आगे बढ़ाने एवं नागरिकता प्रदान करने से संबंधित नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 पर संसद की संयुक्त समिति विचार करेगी। लोकसभा में नागरिकता अधिनियम में और संशोधन करने वाले इस विधेयक को संसद की स्थायी समिति या संयुक्त समिति को भेजने के बीजद, कांग्रेस, वामदलों के आग्रह पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर सदन का विचार इसे संयुक्त समिति को भेजने का है, तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। वह इसके लिए तैयार हैं। राजनाथ ने कहा कि अगर सदन सहमत हो तो वह आज ही इसके लिए प्रस्ताव पेश करेंगे। सदस्यों ने इस पर सहमति व्यक्त की। इससे पहले बीजद के भर्तृहरि महताब ने कहा कि आज की कार्यसूची में नागरिकता संबंधी विधेयक सूचीबद्ध है। जब नागरिकता की बात आती है तो इससे हर नागरिक की संवेदनाएं जुड़ जाती है। भारत ने हमेशा से ही हर वर्ग और स्थान से आने वाले लोगों का अंगीकार किया है। इस विधेयक में उसी दिशा में पहल की गई है। कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि भारत ने सदैव दूसरों को अपनाया है। इस विधेयक में नागरिकता पात्रता और समय से जुड़े विषयों का उल्लेख किया गया है। इसमें कुछ विसंगतियां हैं। इसे संसद की स्थाई समिति या संयुक्त समिति के समक्ष विचार के लिए भेजा जाए। माकपा के मोहम्मद सलीम ने कहा कि बांग्लादेश से घुसपैठ एवं असम की समस्या को देखते हुए इस विधेयक पर विचार किये जाने की जरूरत है। तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि यह महत्वपूर्ण विधेयक है और इसे संयुक्त समिति को भेजा जाए। नागरिकता अधिनियम 1955 का और संशोधन करने वाले नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 में पड़ोसी देश से आए हिन्दू, सिख एवं अन्य अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने की बात कही गई है, चाहे उनके पास जरूरी दस्तावेज हो या नहीं। विधेयक के कारण और उद्देश्यों में कहा गया है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के कई भारतीय मूल के लोगों ने नागरिकता के लिए आवेदन किया है।

12 Aug 2016..1.एशियाई अर्थव्यवस्था का नया टाइगर वियतनाम:-

 पिछली 20-25सालों में एशिया के कौन-से देश ने ज्यादा तरक्की की, किस देश के लाखों लोग गरीबी रेखा से बाहर आए? ज्यादातर लोग इन सवालों का जवाब चीन और भारत को मानते होंगे। लेकिन इसके उत्तरों में एक ऐसे देश का नाम भी है, जिसने केवल अच्छी तरक्की हासिल की, बल्कि अब वह उज्जवलभविष्य के सपने संजो रहा है। यह वियतनाम है, 9 करोड़ की आबादी वाला देश। 1990 के बाद उसकी प्रति व्यक्ति ग्रोथ रेट विश्व में चीन के बाद दूसरे नंबर पर रही है। अगर यह अगले दशक में 7 फीसदी की ग्रोथ रेट बनाए रखता है, तो यह अर्थव्यवस्था के 'एशियन टाइगर' कहलाने वाले दक्षिण कोरिया और ताइवान के रास्ते पर चल पड़ेगा। फैक्ट्रियों के आधुनिकीकरण से इसे उन परिस्थितियों से उबरने में मदद मिली, जहां कभी विनिर्माण क्षेत्र मानव श्रम पर निर्भर था। वियतनाम ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के खुलेपन का भी लाभ उठाया। यह देश खुशनसीब है कि वह चीन के प्रवेश द्वार पर स्थित है, जहां कंपनियां कम लागत के विकल्प तलाशती हैं। विदेशी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए उसने कारोबार नियम आसान किए। इससे विदेशी कंपनियों को कम लागत पर निर्माण ईकाईयां स्थापित करने में सुविधा हुई। ऐसी राहत मिलने के चलते वियतनाम में विदेशी कंपनियों की भरमार हो गई और निर्यात दो-तिहाई बढ़ गया। वहां की सरकार ने सभी 63 राज्यों को प्रतिस्पर्धा के लिए आगे कर दिया। इससे हो ची मिह्न सिटी ने इंडस्ट्रीयल पार्क में बाजी मारी, तो दानांग ने हाई-टेक सिटी का दर्जा हासिल किया। इसी तरह उत्तरी राज्यों ने मैन्यूफैक्चरिंग में समृद्धि हासिल की। इस तरह की विविध अर्थव्यवस्था के परिणामस्वरूप पूरे देश में समृद्धि आई और 2011 से ही देश के प्रॉपर्टी मार्केट में उछाल गया। यह भी संयोग है कि यह देश शिक्षा के क्षेत्र में भी उतना ही ध्यान दे रहा है। 15 वर्षीय वियतनामी किशोर अपने जर्मन समकक्ष के बराबर ही गणित और विज्ञान जानता है। वियतनाम स्कूलों पर भी दूसरे समकक्षों के बराबर राशि खर्च करता है। उसका पूरा ध्यान बेसिक्स पर है, यानी ज्यादा से ज्यादा बच्चों का स्कूलों में प्रवेश और अध्यापकों को समय-समय पर प्रशिक्षण।

11 Aug 2016 9. जीका विषाणु से मस्तिष्क विकार एवं माइक्रोसेफली होने का रहस्य खुला:

- उम्दा सर्जरी एवं मेडिकल क्षेत्र में खोज के मामले में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के वैज्ञानिकों का जवाब नहीं। अब एम्स में स्थित डॉ. बीआर अम्बेडकर जैव औषधीय शोध केंद्र एवं राष्ट्रीय मस्तिष्क शोध केंद्र ने संयुक्त रूप से जीका विषाणु द्वारा बच्चे के सिर के विकास को रोकने की विधि का रहस्य खोजा है। इसमें रेटिनोइक अम्ल की भागीदारी की ओर संकेत किया है। जीका विषाणु एक अनेक प्रकार से रोगजनक विषाणु है जो नवजात शिशुओं में कुरूपता और मुंड संकुचन जैसे रोगों को जन्म देता है। यह विषाणु कई मस्तिष्क संबंधी समस्याओं और गंभीर जन्म दोष उत्पन्न करता है। यह गर्भवती महिला से उसके भ्रूण में चला जाता है तथा यह तीव्र मस्तिष्क विकृतियों और माइक्रोसेफली पैदा कारक है इसलिए विश्व स्वस्य संगठन ने इस महामारी को ‘‘जन स्वास्य आपातकालीन अंतर्राष्ट्रीय चिंता’ घोषित किया है। अध्ययन फ्रंटियर्स इन ह्यूमन न्यूरोसाइंस में प्रकाशित हुआ है। एम्स के डा. आशुतोष, डा. मुनीब की अगुवाई में हुए अध्ययन में कई देशों को यह सलाह दी गई है कि जब तक इस बीमारी के निदान के कारण न ढूंढें जाएं तब तक गर्भधारण को टाल दिया जाये। खोज में : जीका विषाणु द्वारा ग्रसित महिला के गर्भ में पल रहे भ्रूण में माइक्रोसेफली के उत्पन्न होने की संभावित विधि के बारे में बताया है। जीका विषाणु रेटिनोइक अम्ल के संकेतन के साथ हस्तक्षेप से भ्रूण के मस्तिष्क की कोशिकाओं के विकास में अपनी जीनोम अनुक्रम दोहराता है जिसे रेटिनोइक प्रत्युत्तर तत्व और सामान्यत: आरएआरई सहमति प्रत्युत्तर कहा जाता है। शोध में शामिल अन्य वैज्ञानिकों में डा. हिमांशु सिंह, डा. खुर्शीद और डा. सुब्रमण्यम दंतम ने बताया कि जीका विषाणु और माइक्रोसेफली के सम्बन्ध का सिद्धांत जीका विषाणु के पित्रैक समूह के अनुक्रमों तथा मनुष्य के डीएनए में प्रारंभिक तंत्रिका नाल के विकासात्मक तत्त्व संकेतक (रेटिनोइक अम्ल) की अनुक्रिया की समरूपता पर आधारित है।लाभ टीका बने : यह अध्ययन संभवत: शोध के नए क्षेत्र खोलता है और जीका विषाणु द्वारा उत्पन्न माइक्रोसेफली के खिलाफ निर्णायक सिद्ध हो सकता है। वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तुत विचारों निश्चित रूप से यह निष्कर्ष निकल जा सकता है कि जीका विषाणु के संक्रमण को रोकने के लिए अवश्य ही प्रभावी और उत्कृष्ट टीका बनाया जायेगा। यह अध्ययन माइक्रोसेफली को रोकने के लिए की गई पहल में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

11 Aug 2016..8. नासा ने मंगल पर मानव बस्तियों के लिए बढ़ाए कदम:-

 नासा ने मंगल ग्रह पर मानव बस्तियां बसाने की कल्पना को साकार करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। नासा ने प्रोटोटाइप बस्तियां विकसित करने में मदद के लिए छह कंपनियों का चुनाव किया है। नासा के एडवांस्ड एक्सप्लोरेशन सिस्टम्स के निदेशक जेसन क्रूसन ने कहा, ‘महत्वाकांक्षी अभियान के लिए सरकार और निजी क्षेत्र की क्षमता और अनुभव का उपयोग किया जा रहा है। हमने अब ऐसी अंतरिक्ष बस्तियों पर ध्यान केंद्रित किया है जहां पर इंसान महीनों और कई साल तक स्वतंत्र रूप से निवास और काम कर सकेंगे।’ इस काम के लिए जिन छह अमेरिकी कंपनियों को चुना गया है उनमें बिगेलो एयरोस्पेस, बोइंग, लॉकहीड मार्टिन, आर्बिटल एटीके, सिएरा नेवादा कापरेरेशन स्पेस सिस्टम्स और नैनोरॉक्स हैं। इनको प्रोटोटाइप बस्तियां विकसित करने और अंतरिक्ष बस्तियों की कल्पना के अध्ययन के लिए करीब 24 महीने का वक्त दिया गया है। नासा का अनुमान है कि इस पूरे काम पर 6.5 करोड़ डॉलर (करीब 434 करोड़ रुपये) खर्च आएगा। इन कंपनियों के लिए इस प्रस्तावित काम के कुल लागत का 30 फीसद योगदान करना आवश्यक किया गया है।