Monday, 14 November 2016

28 october 2016....5. शी जिनपिंग : हर विभाग के चेयरमैन, मालिक किसी के नहीं:-

रात होते ही तांगशान की आग भड़कती है और हवा बासने लगते है। उत्तरी चीन के हेबेई प्रांत के इस शहर में एक लाख से ज्यादा लोग स्टील की फैक्ट्रियों में काम करते हैं और इससे ज्यादा उन कंपनियों में जो इस उद्योग की सहायक हैं। एक प्लांट के बाहर बोर्ड लगा है, 'ऊर्जा बचाएं, उत्सर्जन में कटौती करें,' भीतर भारी मशीनें गरज रही हैं। कुछ माह पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने स्टील उद्योग को उत्पादन कम करने का आदेश दिया था। इस जैसी छोटी अक्षम कंपनियों के बंद होने और बड़ी कंपनियों की कुछ भटि्टयों के बंद होने की अपेक्षा थी। फिर भी कई मिलें पूरी क्षमता से चौबीसों घंटे चल रही हैं। यह शहर तो बीजिंग के पास है, एक तरह से शी की दहलीज पर, लेकिन स्टील मिल मालिक खुलेआम उनके आदेशों की तौहीन कर रहे हैं। 
चार साल के अपने शासन में सारे महत्वपूर्ण विभागों का प्रभार लेकर, व्यक्तिगत समर्थकों का विशाल आधार खड़ा करके और सारे विरोधियों के सफाए के साथ शी पिछले कई दशकों में चीन के सबसे शक्तिशाली नेता बनकर उभरे हैं। मंत्रालयों को दरकिनार कर वे 'छोटे समूहों का नेतृत्व' कर शासन करते हैं। वे उनमें से इतने समूहों के प्रमुख हैं कि विदेशी टिप्पणीकार उन्हें 'चेयरमैन ऑफ एवरीथिंग' कहते हैं। अफवाहें तो यह भी हैं कि वे उन्हें दी गई दस साल की अवधि के आगे भी प्रभाव जमाने में लगे हैं। यह सब सुनकर लग सकता है कि वे जो चाहे वह कर सकते हैं। तांगशान की मिलें बताती हैं कि राष्ट्रपति को अपनी इच्छा के मुताबिक काम करना कभी-कभी कितना कठिन हो जाता है। वे चाहे देंग शियाओपिंग के बाद सबसे शक्तिशाली नेता हों, लेकिन इतने विशाल, विविधतापूर्ण और गहरे जमे निहित स्वार्थों के देश में कई बार वे किसी चीज के मालिक नज़र नहीं आते। वे घाघ जनरल, ताकतवर अफसरों और सार्वजनिक क्षेत्र की विशाल कंपनियों से तो निपट लेते हैं, लेकिन स्थानीय अधिकारी उनकी ताकत के आगे रोड़ा हैं। बीजिंग की चहारदीवारी से जुड़ी एक लोकप्रिय कहावत में यह तथ्य झलकता है : 'नीतियां झोंगनानहाई के बाहर नहीं जातीं'।

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