Monday, 14 November 2016

30 october 2016....1.सरकार ने हाई कोर्ट में जजों की संख्या बढ़ाई:-

 केंद्र सरकार ने न्यायिक नियुक्तियों में देरी के लिए सुप्रीम कोर्ट की फटकार पर अपनी स्थिति साफ की है। केंद्र ने कहा है कि सरकार ने हाईकोर्ट में जजों की संख्या 906 से बढ़ाकर 1079 कर दी है। उसने दो टूक कहा कि राजग सरकार के शासनकाल में हाईकोर्ट में जजों की रिक्तियों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। सूत्रों ने शनिवार को बताया कि जजों की नियुक्ति की वार्षिक दर का औसत पिछले दो सालों में कम नहीं हुई है। वह भी तब जबकि वर्ष 2015 में एनजेएसी मामले की सुनवाई के चलते अप्रैल से दिसंबर तक कोई नई नियुक्ति नहीं की गई है। सूत्रों का कहना है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर के बार-बार यह कहने के बावजूद कि रिक्त पदों को भरा नहीं गया है, सरकार ने अपनी स्थिति तथ्यों के साथ साफ कर दी है। सूत्रों का कहना है कि सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि रिक्त पदों को जल्द से जल्द भरा जाए। इसके बावजूद सरकार इस बात को लेकर चिंतित है कि अदालतों में लंबित मामले बढ़ते जा रहे हैं। जून 2014 में जजों की संख्या 906 थी जो मौजूदा सरकार ने इस साल जून में बढ़ाकर 1076 कर दी है। सूत्रों का कहना है कि मीडिया में यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि हाईकोर्ट में जजों की संख्या सामान्य काल से इस समय कम हो गई है। सूत्रों का कहना है कि पिछले दस सालों में जजों के रिक्त पदों की संख्या 265 से लेकर 280 तक रही है। लेकिन हाईकोर्टो में काम करने वाले जजों की संख्या हमेशा करीब 600 ही रही है। फिलहाल हाईकोर्टो में जजों की संख्या 620 है। यह तादाद कांग्रेस समेत अन्य पूर्ववर्ती सरकारों के समय से बेहतर ही है। हालांकि पिछले दो सालों में जजों की 173 नए पद सृजित हुए हैं। जबकि यूपीए के शासनकाल (2009-2014) में हाईकोर्ट के जजों के 20 नए पद ही सृजित किए गए थे।

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