पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को करारा झटका दिया है। पनामा पेपर्स मामले की जांच के लिए शीर्ष अदालत ने न्यायिक आयोग गठित करने का आदेश दिया है। इस मामले में प्रधानमंत्री के परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) के मुखिया इमरान खान और अन्य लोगों की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने मंगलवार को यह आदेश जारी किया। इस मामले में नवाज के इस्तीफे की मांग को लेकर इमरान ने दो नवंबर को राजधानी इस्लामाबाद को बंद करने का एलान भी कर रखा था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्होंने सरकार विरोधी प्रदर्शन वापस ले लिया।
इससे पहले चीफ जस्टिस अनवर जहीर जमाली की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने कहा कि न्यायाधीश की अध्यक्षता में वह एक आयोग गठित करने को तैयार है। गठित होने वाले आयोग के पास सुप्रीम कोर्ट की शक्तियां होंगी। चीफ जस्टिस ने कहा कि आयोग सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट करेगा। आयोग का फैसला अदालत के आदेश की तरह माना जाएगा और सभी पक्षों के लिए बाध्यकारी होगा।
अदालत ने सरकार और याचियों को जांच आयोग के लिए अपना पक्ष प्रस्तुत करने को कहा। समान राय आने पर शीर्ष अदालत फैसला लेगी। गुरुवार तक सुनवाई टालने से पहले अदालत ने रोजाना आधार पर सुनवाई करने की इछा जाहिर की। गौरतलब है कि इसी वर्ष पनामा पेपर्स जारी होने के बाद दायर याचिकाओं में शरीफ और उनके रिश्तेदारों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की मांग की गई है। पनामा पेपर्स में बताया गया है कि शरीफ और उनके परिवार के पास विदेश में कंपनियां और संपत्ति हैं।
किक्रेटर से नेता बने इमरान खान ने इस फैसले पर खुशी जताई है। इस्लामाबाद में अपने घर के बाहर समर्थकों को संबोधित करते हुए उन्होंने इसे जीत करार दिया। हाई कोर्ट के आदेश और स्थानीय प्रशासन द्वारा पाबंदी लगाने के बावजूद वे बुधवार को इस्लामाबाद को बंद करने पर अड़े थे। उन्होंने कार्यकर्ताओं से गिरफ्तारी से बचते हुए राजधानी पहुंचने का आह्वान किया था। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने कार्यकर्ताओं से घर लौटने और आराम करने को कहा। इमरान ने कहा कि यह जीत का उत्सव मनाने और धन्यवाद देने का समय है। इस बीच एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पाकिस्तान सरकार से गिरफ्तार किए गए विपक्षी कार्यकर्ताओं को रिहा करने की मांग की है। एमनेस्टी की दक्षिण एशिया की निदेशक चंपा पटेल ने गिरफ्तारी को पुलिस द्वारा दमनात्मक कार्रवाई बताया है।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) के मुखिया इमरान खान और अन्य लोगों की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने मंगलवार को यह आदेश जारी किया। इस मामले में नवाज के इस्तीफे की मांग को लेकर इमरान ने दो नवंबर को राजधानी इस्लामाबाद को बंद करने का एलान भी कर रखा था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्होंने सरकार विरोधी प्रदर्शन वापस ले लिया।
इससे पहले चीफ जस्टिस अनवर जहीर जमाली की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने कहा कि न्यायाधीश की अध्यक्षता में वह एक आयोग गठित करने को तैयार है। गठित होने वाले आयोग के पास सुप्रीम कोर्ट की शक्तियां होंगी। चीफ जस्टिस ने कहा कि आयोग सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट करेगा। आयोग का फैसला अदालत के आदेश की तरह माना जाएगा और सभी पक्षों के लिए बाध्यकारी होगा।
अदालत ने सरकार और याचियों को जांच आयोग के लिए अपना पक्ष प्रस्तुत करने को कहा। समान राय आने पर शीर्ष अदालत फैसला लेगी। गुरुवार तक सुनवाई टालने से पहले अदालत ने रोजाना आधार पर सुनवाई करने की इछा जाहिर की। गौरतलब है कि इसी वर्ष पनामा पेपर्स जारी होने के बाद दायर याचिकाओं में शरीफ और उनके रिश्तेदारों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की मांग की गई है। पनामा पेपर्स में बताया गया है कि शरीफ और उनके परिवार के पास विदेश में कंपनियां और संपत्ति हैं।
किक्रेटर से नेता बने इमरान खान ने इस फैसले पर खुशी जताई है। इस्लामाबाद में अपने घर के बाहर समर्थकों को संबोधित करते हुए उन्होंने इसे जीत करार दिया। हाई कोर्ट के आदेश और स्थानीय प्रशासन द्वारा पाबंदी लगाने के बावजूद वे बुधवार को इस्लामाबाद को बंद करने पर अड़े थे। उन्होंने कार्यकर्ताओं से गिरफ्तारी से बचते हुए राजधानी पहुंचने का आह्वान किया था। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने कार्यकर्ताओं से घर लौटने और आराम करने को कहा। इमरान ने कहा कि यह जीत का उत्सव मनाने और धन्यवाद देने का समय है। इस बीच एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पाकिस्तान सरकार से गिरफ्तार किए गए विपक्षी कार्यकर्ताओं को रिहा करने की मांग की है। एमनेस्टी की दक्षिण एशिया की निदेशक चंपा पटेल ने गिरफ्तारी को पुलिस द्वारा दमनात्मक कार्रवाई बताया है।
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