Monday, 14 November 2016

28 october 2016..4. 50 साल में पहली बार अमेरिका ने क्यूबा के खिलाफ वोट नहीं दिया:-

 अमेरिका ने 19 अक्टूबर 1960 को अपने पड़ोसी देश क्यूबा पर प्रतिबंध लगाए थे। तब से क्यूबा अमेरिका के धुर दुश्मन रहे सोवियत संघ और बाद में रूस के साथ रहा। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका तब से क्यूबा के खिलाफ प्रतिबंध लगवाता रहा। गुरुवार को पहली बार क्यूबा पर प्रतिबंध के सवाल पर हो रही वोटिंग में अमेरिका शामिल नहीं हुआ। अमेरिका का साथी इजरायल भी वोटिंग से दूर रहा। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 193 सदस्यों में से 191 ने क्यूबा का साथ दिया। प्रस्ताव में कहा गया था कि क्यूबा के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध समाप्त किए जाने चाहिए। 1992 के बाद से हर साल इस प्रस्ताव पर वोटिंग होती है और अमेरिका तथा इजरायल के भारी विरोध के कारण पास नहीं हो पाता था। 
राजनीतिक मायने 
क्यूबा के लिएःअमेरिका केवोटिंग से दूर रहने को क्यूबा अपनी जीत मान रहा है। उसका कहना है कि 56 साल में पूरी दुनिया समझ गई है कि अमेरिका की क्यूबा नीति विफल रही है। क्यूबा पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने से अमेरिका ही अलग थलग पड़ गया। अब वह दुनिया के किसी भी देश के साथ कारोबारी लेन-देन कर सकता है। 
अमेरिकाके लिएः रूसके बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए क्यूबा संकट हल करना जरूरी है। वरना यूरोप में अमेरिका नाटो के साथ मिल कर रूसी फौजी ताकत का मुकाबला करने में लगा रहेगा और रूस क्यूबा से होते होते हुए सीधे अमेरिका में घुस जाएगा। 
दुनियाके लिएः जोदेश अब तक अमेरिकी प्रभाव के कारण क्यूबा से कारोबारी लेन देन नहीं करते थे वे अब क्यूबा के आर्थिक विकास में योगदान देना शुरू कर सकते हैं। 
अमेरिकीचुनाव के लिए अमेरिकामें चुनाव चल रहे हैं। राष्ट्रपति ओबामा ने इससे यह संकेत दिया है कि अमेरिका की क्यूबा नीति अब पुरानी पड़ चुकी है और इससे कोई फायदा नहीं।

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