Monday, 14 November 2016

29 october 2016...5. अप्रासंगिक स्वायत्त संस्थाओं पर गिरेगी गाज:-

 लंबे समय से घाटे में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों को बंद करने की तैयारी कर रही सरकार अब अप्रासंगिक हो चुकी स्वायत्त संस्थाओं पर भी ताला लगा सकती है। इसकी शुरुआत इन संस्थाओं के कामकाज की समीक्षा के बाद होगी। केंद्र ने नीति आयोग को यह जिम्मा सौंपा है। माना जा रहा है कि आयोग की सिफारिश के आधार पर कुछ स्वायत्त संस्थाओं को बंद किया जा सकता है। केंद्र सरकार में स्वायत्त संस्थाओं की संख्या 2012 में 533 हो गई है, जबकि 1955 में यह महज 35 थी। इन पर भारी भरकम 60 हजार करोड़ रुपये सालाना खर्च होता है। सूत्रों का कहना है कि सरकार को स्वायत्त संस्थाओं की समीक्षा के बाद सालाना कम-से-कम तीन हजार करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान है। सूत्रों ने कहा कि वित्त मंत्रलय के आदेश पर गठित व्यय प्रबंधन आयोग ने भी इस तरह की संस्थाओं के प्रदर्शन और उनकी प्रासंगिकता की समीक्षा करने का सुझाव दिया था। यही वजह है कि सरकार ने अब नीति आयोग को इस काम की जिम्मेदारी सौंपी है। सूत्रों ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई देशों ने अपने यहां स्वायत्त संस्थाओं के प्रदर्शन की समीक्षा की है, जिसके बाद उनके यहां सरकारी धन की काफी बचत हुई है। इसका सबसे अछा उदाहरण ब्रिटेन है। वहां करीब 900 स्वायत्त संस्थाएं थीं। लेकिन कामकाज की समीक्षा के बाद 285 संस्थाओं को बंद कर दिया गया। इससे सरकार को भारी भरकम दो अरब डॉलर की बचत होने लगी। ऐसे में माना जा रहा है कि देश में अप्रासंगिक संस्थाओं को बंद करने से सरकारी खजाने को बड़ी बचत हो सकती है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने घाटे में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों में विनिवेश तथा रणनीतिक हिस्सेदारी बेचने के लिए पीएसयू की सूची तैयार करने का जिम्मा भी नीति आयोग को सौंपा है। गुरुवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने पीएसयू के विनिवेश तथा रणनीतिक हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दी है। घाटे में चल रहे पीएसयू को बंद करने की सूची भी नीति आयोग ने तैयार की है। ऐसे में माना जा रहा है कि आयोग अप्रासंगिक हो चुकी स्वायत्त संस्थाओं को भी खत्म करने की सिफारिश कर सकता है।

No comments:

Post a Comment