Friday, 18 November 2016

1 November 2016...3. एनएसजी पर चीन को मनाने में जुटा भारत:-

 परमाणु संपन्न राष्ट्रों के प्रतिष्ठित संगठन एनएसजी (परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह) में भारत के घुसने की राह में अभी भी चीन सबसे बड़ा रोड़ा बना हुआ है। बहरहाल भारत की तरफ से चीन को मनाने की पूरी कोशिश जारी है। सोमवार को भी भारत और चीन के बीच बीजिंग में बातचीत हुई है। चीन की तरफ से कोई साफ संकेत तो नहीं मिले हैं, लेकिन माना जा रहा है दोनो पक्षों की तरफ से एक-दूसरे के विचारों को समझने की कोशिश लगातार जारी है। दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर अगली बैठक भी जल्द ही होगी। एनएसजी देशों की अगली बैठक इस महीने के अंत या अगले महीने की शुरुआत में होने वाली है। विदेश मंत्रलय के सूत्रों का कहना है कि संयुक्त सचिव (निरस्त्रीकरण व अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा) अमनदीप सिंह गिल और चीनी विदेश मंत्रलय के शस्त्र नियंत्रण महानिदेशक वांग क्यून के बीच सोमवार को बीजिंग में बातचीत हुई। वार्ता पूरी तरह से सकारात्मक माहौल में हुई है। दोनों पक्ष अपने-अपने नेताओं के निर्देशानुसार मिल रहे हैं। इनके बीच जल्द ही अगली बैठक भी होगी। पिछले दो महीनों में दोनो पक्षों के बीच एनएसजी मुद्दे पर हुई यह तीसरी बैठक है। बताते चलें कि अगस्त, 2016 में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और चीन के विदेश मंत्री वांग ई के बीच मुलाकात में भारत की तरफ से एनएसजी का मुद्दा उठाया गया था। तब यह सहमति बनी थी कि इस मुद्दे पर दोनो देशों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू किया जाए ताकि आपसी मतभेद को सुलझाया जा सके। सूत्रों के मुताबिक, चीन को यह समझाने की कोशिश हो रही है कि किस तरह से भारत का एनएसजी का सदस्य बनना उसके स्वछ ऊर्जा से जुड़े लक्ष्यों को हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण है। भारत का कहना है कि विकास और स्वछ ऊर्जा को अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता है। चीन अभी तक एनएसजी में भारत के प्रवेश का विरोध इस आधार पर करता रहा है कि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किया है? दुनिया के कई देशों का भी पहले ऐसा ही मत था, लेकिन अब वे भारत के लिए अपने इस रुख में बदलाव करने को तैयार हैं। माना जाता है कि चीन अपने मित्र देश पाकिस्तान के लिए भारत की राह में बाधा डाल रहा है।

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