ग्लोबल वार्मिग के चलते आर्कटिक क्षेत्र में बर्फ की चादर पर गंभीर खतरा मंडराने लगा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की ओर से जारी आंकड़ों में उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र में बर्फ की सबसे मोटी परत के खतरनाक तरीके से कमजोर होने की बात सामने आई है।1वैज्ञानिकों के मुताबिक गर्मी के मौसम में यही परत टिकी रहती है। तापमान बढ़ने के साथ बर्फ की पतली चादर पूरी तरह पिघल जाती है या बहुत कम मात्र बची रहती है। मोटी परत ही अंत तक टिकी रहती है। सर्दी के मौसम में बर्फ की मात्र बढ़ने पर इसकी मोटाई और बढ़ती जाती है। इसमें कमी तापमान में वृद्धि का संकेत माना जाता है। नासा ने बताया कि आर्कटिक में समुद्र में मौजूद हिमखंड के अस्तित्व पर भी खतरा मंडराने लगा है। अंतरिक्ष एजेंसी के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में बर्फ की उपस्थिति पर शोध करने वाले वाल्ट मेइर ने बताया कि पिछले कुछ वर्षो से बर्फ की पुरानी परतें गायब होती जा रही हैं। उनके मुताबिक गर्मी के मौसम में नई परत पिघल जाती है।
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