यूरोप का दुर्घटनाग्रस्त मार्स लैंडर शियोपरेल्ली मंगल ग्रह पर निशान छोड़ गया। रूस और यूरोप की साझा परियोजना के तहत यह यान मंगल के वातावरण में प्रवेश करते ही अनियंत्रित होकर क्रैश हो गया था। इससे लाल ग्रह के सतह पर बड़ा गड्ढा बन गया है। नासा के मार्स रोवर से ली गई तस्वीरों से इसका पता चला है। डिस्क के आकार के मार्स लैंडर का वजन 577 किलो था। मंगल की सतह पर उतरने के दौरान विशेष इंजन के काम नहीं करने के चलते यान पिछले हफ्ते दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के मुताबिक उस वक्त मार्स लैंडर की रफ्तार तकरीबन 300 किमी प्रति घंटे की थी। यान मंगल की सतह से दो से चार किमी की ऊंचाई पर था, जब नियंत्रण कक्ष से संपर्क टूट गया। ऐसे में मार्स लैंडर पूरी रफ्तार के साथ सतह से जा टकराया। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक दुर्घटना के कारण लाल ग्रह की सतह पर तकरीबन ढाई मीटर व्यास वाला गड्ढा बन गया है। फिलहाल इसके प्रभावों का विश्लेषण किया जा रहा है। इसके चलते मंगल पर जमा कचरे को हटाना भी चुनौती होगी।फ्रैंकफर्ट, रायटर : यूरोप का दुर्घटनाग्रस्त मार्स लैंडर शियोपरेल्ली मंगल ग्रह पर निशान छोड़ गया। रूस और यूरोप की साझा परियोजना के तहत यह यान मंगल के वातावरण में प्रवेश करते ही अनियंत्रित होकर क्रैश हो गया था। इससे लाल ग्रह के सतह पर बड़ा गड्ढा बन गया है। नासा के मार्स रोवर से ली गई तस्वीरों से इसका पता चला है। डिस्क के आकार के मार्स लैंडर का वजन 577 किलो था। मंगल की सतह पर उतरने के दौरान विशेष इंजन के काम नहीं करने के चलते यान पिछले हफ्ते दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के मुताबिक उस वक्त मार्स लैंडर की रफ्तार तकरीबन 300 किमी प्रति घंटे की थी। यान मंगल की सतह से दो से चार किमी की ऊंचाई पर था, जब नियंत्रण कक्ष से संपर्क टूट गया। ऐसे में मार्स लैंडर पूरी रफ्तार के साथ सतह से जा टकराया। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक दुर्घटना के कारण लाल ग्रह की सतह पर तकरीबन ढाई मीटर व्यास वाला गड्ढा बन गया है। फिलहाल इसके प्रभावों का विश्लेषण किया जा रहा है। इसके चलते मंगल पर जमा कचरे को हटाना भी चुनौती होगी।
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