भारत-पाक में तनाव के बीच चीन के पाक समर्थित रुख से आम लोगों में खासी नाराजगी है, यह नाराजगी चीन की वस्तुओं के बहिष्कार के शक्ल में दिखाई दे रही है। चीन भले ही अपने रुख पर अड़ियल रुख अपनाये हुए है लेकिन उसके ही विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत के बिना चीन का काम चलने वाला नहीं है। भारत के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में निवेश रुकने वाला नहीं है। अगर चीन अपने यहां का निवेश रोकने का प्रयास करता है तो यह कोई समझदारी का कदम नहीं होगा। ऐसा कोई कदम आत्मघाती ही साबित होगा क्योंकि चीन की कंपनियां मुनाफा कमाने से वंचित रह जाएंगी। चायना एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्ट्रैटजी के रिसर्च फेलो गी चेंग का कहना है कि भारत की तेज विकास दर की हर तरफ सराहना हो रही है। ऐसे में चीन में भारत का मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर का विकास रोकने की ताकत नहीं है। हां, चीन अपना निवेश रोक सकता है लेकिन यह कतई बुद्धिमानी की रणनीति नहीं होगी। गी ने ग्लोबल टाइम्स में अपने एक लेख में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में चीन की पूंजी का निवेश स्वाभाविक प्रवाह है। कई वजह हैं जिनके चलते भारत में चीन का निवेश बढ़ सकता है। गी चेंग का कहना है कि चीन की कंपनियों के लिए मुनाफा कमाने की खातिर भारत में निवेश करना अपरिहार्य विकल्प है। उन्होंने कहा कि भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) बढ़ाना भारत में योगदान के लिए नहीं बल्कि अछे मुनाफे के लिए आवश्यक है। भारत की तारीफ करते हुए गी चेंग यहीं नहीं रुकते हैं। उनके अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से विकसित हो रही है और वहां नीतियां भी निवेश के लिए अनुकूल है। यथार्थवादी विचार करते है तो स्पष्ट होता है कि भारत निवेश का माहौल सुधारने के लिए प्रयास कर रहा है और अपने नियमों में संशोधन कर रहा है। उन्होंने इस पहलू को रेखांकित किया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने सार्वजनिक बैंकों और सूचीबद्ध कंपनियों को छोड़कर बाकी कंपनियों में एफडीआइ की सीमा 26 फीसद से बढ़ाकर 49 फीसद कर दी। ऑटोमैटिक रूट से एफडीआइ को मंजूरी के लिए पूंजी सीमा 300 अरब रुपये से बढ़ाकर 500 अरब रुपये (7.4 अरब डॉलर) की गई है। गी ने कहा कि अगर भारत अपनी विकास दर की रफ्तार को और बढ़ा पाता है या मौजूदा स्तर पर ही बनाये रखता है या चीन की पूंजी पर अच्छा मुनाफा मिलने की संभावना है। चीन की पूंजी भारत में प्रवेश कर चुकी है, इसमें और तेजी आ सकती है। यह स्थिति दोनों ही देशों के लिए फायदे का सौदा होगा।
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