भारत और चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नवंबर के पहले हफ्ते में द्विपक्षीय रिश्तों को सुधारने के लिए मुलाकात करेंगे। दोनों देशों के रिश्तों में भारत की एनएसजी (न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप) सदस्यता में चीन द्वारा रोड़ा अटकाने के बाद खटास आई थी। इसके अलावा चीन ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मसूद अजहर पर लगने वाले बैन को भी ब्लॉक किया था।
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनके चीनी समकक्ष येंग जैइची नवंबर के पहले हफ्ते में हैदराबाद में भेंट करेंगे। अधिकारियों ने बताया कि मुलाकात का उद्देश्य संबंधों में आए गतिरोध को दूर करने पर होगा। एनएसजी में भारत की सदस्यता, मसूद अजहर पर यूएन के बैन के अलावा भारत चीन-पाकिस्तान इकोनोमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) को लेकर अपनी चिंताओं को भी चीन के सामने रखेगा। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) होकर चीन से पाकिस्तान चीनइस बार भारत में हो रहे चीनी सामान के बहिष्कार का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाएगा। इसके अलावा चीन अमेरिका के भारत में उच्चायुक्त रिचर्ड राहुल वर्मा की अरुणाचल प्रदेश विजिट को लेकर भी अपना विरोध दर्ज कराएगा। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत कहता आया है। साथ ही तिब्बत से निर्वासित दलाई लामा को अरुणाचल प्रदेश जाने की अनुमति भारत ने दे दी है जो चीन के लिए चिंता का विषय है। चीनी अधिकारियों का कहना है कि बीजिंग की चिंता इस पर भी है कि भारत उसके प्रतिद्वंदी अमेरिका के साथ करीबियां बढ़ा रहा है। साथ ही चीन का एक और प्रतिद्वंदी जापान भी भारत के करीब रहा है।
भारत की चिंता इस बात पर है कि चीन दोनों देशों के रिश्तों को ताक पर रखकर पाकिस्तान की मदद करता है। पाकिस्तान के बीच में आने से भारत-चीन के रिश्तों में दूरी रही है। भारत के न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप की सदस्यता में चीन ने रोड़ा अटकाया था। भारत द्वारा लगातार कोशिश की जा रही है कि इस मामले पर चीन का समर्थन हासिल किया जा सके। चीन ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मसूद अजहर पर लगने वाले बैन को भी ब्लॉक किया था। इस मामले पर भी भारत को आपत्ति थी, जबकि भारत काफी समय से उस पर बैन लगवाने की कोशिश कर रहा था। तक बनने वाले सीपीईएस का भारत विरोध करता रहा है। भारत 46 बिलियन डॉलर वाले सीपीईएस प्रोजेक्ट का मुद्दा भी चीन के सामने उठाएगा। चीनके एनएसए येंग जैइची विदेश मंत्री रह चुके हैं। शी जिनपिंग के 2013 में राष्ट्रपति बनने पर येंग का प्रमोशन कर उन्हें एनएसए बनाया गया था। चीन के प्रशासनिक शक्ति बंटवारे में एनएसए को विदेश मंत्री से बड़ा माना जाता है। इस लिहाज से यह मुलाकात अहम होने वाली है। डोभाल येंग दोनों भारत चीन की ओर से विशेष रूप से सीमा पर बातचीत करने के लिए चुने गए हैं। दोनों समय-समय पर भारत चीन के रिश्तों पर चर्चा करते हैं।
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनके चीनी समकक्ष येंग जैइची नवंबर के पहले हफ्ते में हैदराबाद में भेंट करेंगे। अधिकारियों ने बताया कि मुलाकात का उद्देश्य संबंधों में आए गतिरोध को दूर करने पर होगा। एनएसजी में भारत की सदस्यता, मसूद अजहर पर यूएन के बैन के अलावा भारत चीन-पाकिस्तान इकोनोमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) को लेकर अपनी चिंताओं को भी चीन के सामने रखेगा। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) होकर चीन से पाकिस्तान चीनइस बार भारत में हो रहे चीनी सामान के बहिष्कार का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाएगा। इसके अलावा चीन अमेरिका के भारत में उच्चायुक्त रिचर्ड राहुल वर्मा की अरुणाचल प्रदेश विजिट को लेकर भी अपना विरोध दर्ज कराएगा। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत कहता आया है। साथ ही तिब्बत से निर्वासित दलाई लामा को अरुणाचल प्रदेश जाने की अनुमति भारत ने दे दी है जो चीन के लिए चिंता का विषय है। चीनी अधिकारियों का कहना है कि बीजिंग की चिंता इस पर भी है कि भारत उसके प्रतिद्वंदी अमेरिका के साथ करीबियां बढ़ा रहा है। साथ ही चीन का एक और प्रतिद्वंदी जापान भी भारत के करीब रहा है।
भारत की चिंता इस बात पर है कि चीन दोनों देशों के रिश्तों को ताक पर रखकर पाकिस्तान की मदद करता है। पाकिस्तान के बीच में आने से भारत-चीन के रिश्तों में दूरी रही है। भारत के न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप की सदस्यता में चीन ने रोड़ा अटकाया था। भारत द्वारा लगातार कोशिश की जा रही है कि इस मामले पर चीन का समर्थन हासिल किया जा सके। चीन ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मसूद अजहर पर लगने वाले बैन को भी ब्लॉक किया था। इस मामले पर भी भारत को आपत्ति थी, जबकि भारत काफी समय से उस पर बैन लगवाने की कोशिश कर रहा था। तक बनने वाले सीपीईएस का भारत विरोध करता रहा है। भारत 46 बिलियन डॉलर वाले सीपीईएस प्रोजेक्ट का मुद्दा भी चीन के सामने उठाएगा। चीनके एनएसए येंग जैइची विदेश मंत्री रह चुके हैं। शी जिनपिंग के 2013 में राष्ट्रपति बनने पर येंग का प्रमोशन कर उन्हें एनएसए बनाया गया था। चीन के प्रशासनिक शक्ति बंटवारे में एनएसए को विदेश मंत्री से बड़ा माना जाता है। इस लिहाज से यह मुलाकात अहम होने वाली है। डोभाल येंग दोनों भारत चीन की ओर से विशेष रूप से सीमा पर बातचीत करने के लिए चुने गए हैं। दोनों समय-समय पर भारत चीन के रिश्तों पर चर्चा करते हैं।
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