भारत ने इस बात पर निराशा जताई कि विश्व बैंक ने कारोबार सुगमता रिपोर्ट में केंद्र और राज्यों द्वारा किए जा रहे प्रयासों और सुधारों के प्रभाव को शामिल नहीं किया। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं इससे कुछ निराश हूं। न केवल भारत सरकार बल्कि प्रत्येक राज्य भी इसमें सक्रि य रूप से शामिल है और स्थिति को सुधारने का प्रयास कर रहा है।’हालांकि, मंत्री ने स्पष्ट किया कि वह रिपोर्ट की आलोचना नहीं कर रही हैं। अब हम अधिक केंद्रित तरीके और तेजी से भारत की रैंकिंग में सुधार के लिए काम करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘इससे मुझे यह संदेश मिला है कि अब हमें अधिक ध्यान देना होगा और हम जो कर रहे हैं उसे अधिक तेजी से करना होगा।’ विश्व बैंक की ताजा ‘‘कारोबार सुगमता 2017’ रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग पिछले साल की मूल रैंकिंग या स्थान 130 पर कायम रखी गई है। इसमें विभिन्न मानदंडों पर 190 अर्थव्यवस्थाओं का आकलन किया गया है। हालांकि, पिछले साल की रैंकिंग को अब संशोधित कर 131 कर दिया गया है। इस लिहाज से पिछले साल की तुलना में भारत की स्थिति में एक स्थान का सुधार हुआ है। अब उनका मंत्रालय राज्यों तथा उद्योगों को सुधार उपायों के बारे में जानकारी देने को अधिक सक्रि यता से काम करेगा। उन्होंने कहा कि कुछ सुधार मसलन वाणिज्यिक अदालतों का गठन संभवत: विश्व बैंक की पण्राली में शामिल नहीं हुआ। क्योंकि यह विभिन्न तारीखों तथा राज्यों में हुआ। सीतारमण ने कहा, ‘‘हालांकि, मैं बहुत हतोत्साहित नहीं हूं, यह निराशाजनक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कारोबार सुगमता की रैंकिंग में 50वें स्थान पर आने के लक्ष्य पर उन्होंने कहा कि यह अभी भी कायम है।
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